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04 जनवरी 2016

प्राइस पूलिंग में पारदर्शिता का प्रयास


भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) वायदा सौदों के निपटान के लिए प्राइस पूलिंग प्रणाली में अनियमितताओं को दूर करने के तरीके तलाश रहा है। भारत में हाजिर कृषि जिंस बाजार असंगठित है और कारोबारी अलग-अलग कीमतें तय करते हैं। जिंस एक्सचेंजों ने देश भर की विभिन्न मंडियों में बड़े और भरोसेमंद कारोबारियों से बात कर एक मानक कीमत तय करने की भरपूर कोशिश की जो बाजार में प्रचलित कीमतों के लगभग बराबर हो जिसे पूलिंग का नाम दिया गया। ऐसी बेंचमार्क कीमतों का इस्तेमाल वायदा सौदों के निपटान के लिए भी किया जाता है। 
 लेकिन माना जा रहा है कि सेबी ने इस मामले को जिंस बाजारों पर बनाई गई अपनी आंतरिक समिति को सौंप दिया है ताकि एक बेहतर पारदर्शी प्रणाली विकसित की जा सके जो अंतरराष्टï्रीय मानकों से मेल खाती हो। नाम न छापने की शर्त पर एक वरिष्ठï अधिकारी ने बताया, 'प्राइस पूलिंग की मौजूदा प्रणाली में कई दिक्कतें हैं और इसकी वजह से कीमतों में अंतर देखने को मिलता है। हम जिंसों की हाजिर कीमतें तय करने के लिए एक बेहतर पारदर्शी प्रणाली विकसित करने के बारे में विचार कर रहे हैं। हम जल्द ही नए नियमों की घोषणा कर सकते हैं।'
 इस मामले पर सेबी के अंतरराष्ट्रीय सलाहकार बोर्ड की बैठक में भी चर्चा की जा चुकी है। एक विज्ञप्ति में आईएबी ने कहा, 'आईएबी ने कहा कि यह सुनिश्चित किए जाने की जरूरत है कि नियम बिल्कुल पारदर्शी हैं और बाजार में कोई भी गड़बड़ी नहीं हो रही है और अगर कोई अफवाहें फैलाते भी हैं तो इससे बाजार में जोखिम नहीं बढऩा चाहिए।' सेबी ने इस बात पर भी गौर किया है कि कई अध्ययनों से यह बात सामने आई है कि भारत में जिंसों की हाजिर कीमत और वायदा कीमतों में तालमेल ठीक नहीं है। आईएबी ने सलाह दी है कि प्राइस पूलिंग की मौजूदा प्रणाली की अच्छी तरह समीक्षा करने की जरूरत है। आईएबी ने यह भी कहा कि भौतिक और नकदी भुगतान को अनुमति जारी रहनी चाहिए। 
 सेबी बेहतर जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए प्राइस पूलिंग प्रणाली में हिस्सा लेने वाली एजेंसियों पर निश्चित वित्तीय जिम्मेदारी लागू करने और नए विनियमों की राह भी तलाश सकता है। पूल और वास्तविक हाजिर कीमतों के बीच असमानता को कम करने के लिए भौतिक बाजारों पर कड़ी नजर रखने का सहारा भी लिया जा सकता है। नैशनल कमोडिटी ऐंड डेरिवेटिव्स एक्सचेंज के प्रमुख (एक्सचेंज-परिचालन) जयंत नालवाडे का कहना है, 'सेबी चाहता है कि कृषि जिंसों में प्राइस पूलिंग के लिए आईओएससीओ मानकों का पालन किया जाए। प्राइस पूलिंग के हमारे मानक में आईओएससीओ के 80 फीसदी मानकों का पालन किया जाता है। लेकिन फिर भी सुधार की गुंजाइश है जो तब तक संभव नहीं है जब तक भौतिक बाजारों को दुरुस्त नहीं किया जाता है।'
 फिलहाल कुछ जिंसों के लिए लिबोर पूलिंग कीमत है। लेकिन उनकी पूलिंग की प्रणाली पर अंतरराष्ट्रीय विनियामकों द्वारा सवाल उठाए जा चुके हैं। लेकिन सेबी ने जिस सबसे बड़ी चिंता का उल्लेख किया है वह प्राइस पूलिंग में हिस्सा लेने वाले कारोबारियों के साथ कानूनी अनुबंध करने का है। प्राथमिक तौर पर हाजिर कीमतों पर आंकड़े तय किए गए आधार केंद्रों से लिए जाते हैं, इसके लिए सूचीबद्घ पूलिंग प्रतिभागियों से कीमतें आमंत्रित की जाती हैं। इन प्रतिभागियों में कारोबारी, ब्रोकर, प्रसंस्करणकर्ता, आयातक, निर्यातक और उपयोग करने वाले होते हैं। मूल्य शृंखला के विभिन्न हिस्सों से संबंधित बाजार की सक्रिय कंपनियां पूलिंग प्रतिभागी के तौर पर चुनी जाती हैं ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि उन्हें प्रचलित कीमतों की जानकारी है। (BS Hindi)

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