सर्दियों में तापमान सामान्य से अधिक रहने की वजह से किसानों और
व्यापारियों के माथे पर चिंता की लकीरें खिंच गई हैं। इस मौसम में सभी को
बारिश का इंतजार है। अगर समय रहते बारिश नहीं हुई, तो प्रदेश की सभी फसलों
का उत्पादन घट जाएगा। जयपुर के प्रमुख थोक व्यापारियों का कहना है कि जनवरी
के मौसम में फसलों में दाना पड़ता है, लेकिन इस मौसम में तापमान अधिक रहने
के कारण फसलों में दाना कम आएगा। जो दाना आएगा उसकी गुणवत्ता भी कमजोर
रहेगी। बारिश न होने की स्थिति में जो दाना पड़ चुका है, वह मोटा नहीं हो
पाएगा और उत्पादकता घट जाएगी। रबी सीजन में राजस्थान की प्रमुख फसलों में
सरसों, गेहूं, बाजरा, जौ और चना आदि हैं। सरसों के उत्पादन में राजस्थान
देश में पहले स्थान पर है।
मॉनसून में बारिश की
कमी के कारण इस वर्ष पहले ही गेहूं की 20 फीसदी और जौ की 30 फीसदी बिजाई कम
हुई है। अब मौसम गरम रहने और बारिश न होने से गेहूं का उत्पादन 30 फीसदी
और जौ का उत्पादन 35-40 फीसदी कम हो जाएगा। सरसों के एक व्यापारी का कहना
है कि सरसों राजस्थान की प्रमुख रबी फसल है। मौसम की गड़बड़ की वजह से इस
वर्ष सरसों में दाना कम आएगा। वहीं, इसका उत्पादन भी 5 से 7 फीसदी तक कम हो
जाएगा। जो फसल आएगी, उसमें तेल का प्रतिशत कम रहेगा। गत वर्ष सरसों में
मात्र 40 फीसदी तेल था, जो इस वर्ष घट कर 39 फीसदी रहने का अनुमान है।
यदि आने वाले 10-15 दिनों में
बारिश हो जाती है, तो चने की फसल पर ज्यादा प्रभाव नहीं पड़ेगा, लेकिन यदि
बारिश नहीं हुई तो चने की फसल पर प्रभाव पडऩा शुरू हो जाएगा। मावठ के बिना
चने के दानों का आकार और वजन नहीं बढ़ पाएगा। ऐसे में, प्रदेश में चने का
उत्पादन 40 फीसदी से अधिक नहीं हो पाएगा।
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