सरकार ने दालों का बफर स्टॉक बनाने के लिए 15,000 टन दलहन की खरीद की
है। आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (सीसीईए) की बैठक में पिछले महीने
चालू वर्ष के लिए 1.5 लाख टन दालों का बफर स्टॉक बनाने को मंजूरी दी गई थी
क्योंकि दलहन की कीमतें अभी भी अधिकांश जगहों पर करीब 180 रुपये किलो की
ऊंचाई पर बनी हुई हैं। खाद्य मंत्री राम विलास पासवान ने गुरुवार को नई
दिल्ली में संवाददाताओं से कहा, 'दलहन का मुद्दा हमारे लिए चुनौती है।
दलहनों की आपूर्ति और मांग में अंतर है। मांग हर वर्ष बढ़ रही है जबकि उस
लिहाज से उत्पादन में बढ़ोतरी नहीं हो पा रही है।' उन्होंने कहा कि सरकारी
उपक्रमों ने 5,000 टन अरहर दाल का आयात किया है और अतिरिक्त 10,000 टन के
लिए निविदा जारी की गई है। निजी व्यापारियों ने चालू वित्त वर्ष में 44 लाख
टन दलहन का आयात किया है।
दलहन बफर स्टॉक के बारे में पासवान ने कहा कि आंध्र प्रदेश, तेलंगाना
और कर्नाटक के किसानों से सीधे तौर पर करीब 15,000 टन दालें खरीदी गई हैं।
खरीफ और रबी सत्र 2015-16 में खरीद का काम मूल्य स्थिरीकरण कोष के जरिये
न्यूनतम समर्थन मूल्य से ऊपर बाजार मूल्य पर किया जाएगा। बफर स्टॉक बनाने
की आवश्यकता इसलिए पड़ी है क्योंकि फसल वर्ष 2014-15 (जुलाई से जून) में
घरेलू उत्पादन 20 लाख टन घटकर 1.72 करोड़ टन रह जाने के बाद दालों की
कीमतें आसमान छूने लगी थीं। मॉनसून कमजोर रहने की वजह से फसल वर्ष (जुलाई
से जून) 2015-16 में दलहन उत्पादन फिर से कम रहने अथवा पूर्ववत रहने की
उम्मीद है। सरकार कीमतों को नियंत्रित रखने और इसकी घरेलू आपूर्ति को
बढ़ाने के लिए इसके आयात की तैयारी कर रही है।
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