04 अप्रैल 2014
पाउडर महंगा तो ताजा दूध से बनने लगीं आइसक्रीम
गर्मी के इस सीजन में आइसक्रीम कंपनियों को लागत नियंत्रित रखने में बड़ी मुश्किल का सामना करना पड़ रहा है, क्योंकि आइसक्रीम बनाने में इस्तेमाल होने वाली मुख्य सामग्री स्किम्ड मिल्क पाउडर (एसएमपी) की कीमतें आसमान छू गई हैं। इस वजह से बहुत सी आइसक्रीम कंपनियां स्वाद से समझौता किए बिना लागत में कटौती के लिए ताजा दूध की खरीद बढ़ा रही हैं।
वाडिलाल पहले ही ताजा दूध की खरीद करीब 20 फीसदी बढ़ा चुकी है। गुजरात के एक अन्य मशहूर आइसक्रीम ब्रांड हवमोर ने भी ताजा दूध की अपनी खरीद में इतनी ही बढ़ोतरी होने की संभावना जताई है। महंगे आइसक्रीम ब्रांड बास्किन रोबिंस ने भी कहा कि अगर एसएमपी की कीमतों में आगे भी बढ़ोतरी होती रही तो उसे अन्य विकल्पों पर विचार करना पड़ सकता है। कुल मिलाकर सामग्री की लागत 20-25 फीसदी बढ़ गई है, लेकिन ये कंपनियां बढ़ी हुई लागत का एक छोटा हिस्सा ही ग्राहकों पर डाल पाई हैं और इससे उनके मुनाफे पर चोट पड़ रही है।
वाडिलाल इंडस्ट्रीज के प्रबंध निदेशक राजेश गांधी ने कहा, 'हमने इस साल जनवरी में कीमतें 7-9 फीसदी बढ़ाई थीं। लेकिन इनपुट लागत 20-25 फीसदी बढ़ी है। इसमें से ज्यादातर हिस्सा एसएमपी का है और सालाना आधार पर इसकी कीमतें 80-90 फीसदी ज्यादा हैं।' अभी तक वाडिलाल में रोजाना एक लाख लीटर ताजा दूध की खपत हो रही थी, जो अब 20 फीसदी बढ़ गई है। एसएमपी की तुलना में दूध की कीमतें सालाना आधार पर 12-13 फीसदी बढ़ी हैं। इससे आइसक्रीम विनिर्माताओं को थोड़ी राहत मिल रही है।
अमूल ब्रांड के तहत दूध और आइसक्रीम जैसे दुग्ध उत्पाद बेचने वाली गुजरात कोऑपरेटिव मिल्क मार्केटिंग फेडरेशन (जीसीएमएमएफ) के प्रबंध निदेशक आर एस सोढी ने कहा, 'जनवरी में हमने कीमतें 10-13 फीसदी बढ़ाई थीं और ताजा दूध और क्रीम की कीमतें भी इतनी ही बढ़ी हैं। इसकी तुलना में एसएमपी के दाम लगभग दोगुने हो गए हैं। यह एक साल पहले 150 रुपये प्रति किलोग्राम थे, जो अब करीब 280-290 रुपये प्रति किलोग्राम हो गए हैं।'
हालांकि हावमोर आइस क्रीम के चेयरमैन प्रदीप चोना कहते हैं कि आइसक्रीम बनाने के लिए एसएमपी बहुत जरूरी है। उन्होंने कहा, 'सही फ्लेवर और टेक्सचर के लिए निश्चित मात्रा में एसएमपी डालना जरूरी होता है। इस समय हमारे यहां रोजाना करीब 4 टन एसएमपी की खपत होती है। इसके विपरीत हम रोजाना करीब 46,000 से 50,000 लीटर दूध का इस्तेमाल करते हैं।' हावमोर रोजाना करीब 1.5 से 2 लाख लीटर आइसक्रीम बनाती है और कंपनी को उम्मीद है कि उसकी बिक्री में 20 फीसदी बढ़ोतरी होगी। कंपनी ने हाल में कीमतें 7-8 फीसदी बढ़ाई हैं।
महंगी आइसक्रीम बनाने वाली बास्किन रोबिंस अब भी एसएमपी का इस्तेमाल कर रही है। कंपनी की मुख्य लाइसेंस धारक ग्राविस फूड्स प्राइवेट लिमिटेड के मुख्य कार्याधिकारी संजय कोटिन्हो ने कहा, 'हमें अंतरराष्ट्रीय मानकों और शर्तों का पालन करना होता है और इसलिए हम अपनी मर्जी से सामग्री में बदलाव नहीं कर सकते। हालांकि एसएमपी की कीमतें आसमान छू गई हैं और अगर कीमतें और बढ़ती हैं तो हमें अन्य विकल्पों पर विचार करना होगा।' (BS Hindi)
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