16 अप्रैल 2014
बारिश से महंगी मिलेगी आम की मिठास
नया सीजन
खराब मौसम से पांच राज्यों में 50 फीसदी पेड़ प्रभावित
आम की पैदावार 20 फीसदी कम रहने का अनुमान
निर्यात में इजाफा होने से भी घरेलू सुलभता कम होगी
180 लाख टन आमों का उत्पादन हो सकता है चालू सीजन में
1300 किस्मों के आम उगाए जाते हैं पूरी दुनिया में
1000 किस्मों की पैदावार होती है भारत के क्षेत्रों में
इस साल देश में आम महंगा रहने की संभावना है क्योंकि कुछ राज्यों में बेमौसमी बारिश और के कारण आम के बागों को नुकसान पहुंचा है। उद्योग संगठन एसोचैम का अनुमान है कि इस साल आमों का उत्पादन 20 फीसदी तक घट सकता है। ज्यादा निर्यात ऑर्डर मिलने से आम के भाव को हवा मिल सकती है।
एसोचैम के अनुसार संयुक्त अरब अमीरात, कतार, ब्रिटेन, सऊदी अरब, कुवैत, बांग्लादेश और दूसरे देशों से आमों के निर्यात ऑर्डर लगातार बढ़ रहे हैं। इससे भी घरेलू बाजार में आमों की उपलब्धता पर दबाव बन सकता है।
एसोचैम के महासचिव डी. एस. रावत ने आम के उत्पादन पर स्टडी रिपोर्ट जारी करते हुए बताया कि इस साल आमों का उत्पादन 15-20 फीसदी कम रहने की संभावना है। इस तरह कुल उत्पादन 180 लाख टन के आसपास रह सकता है।
स्टडी के अनुसार मार्च के शुरू में आंध्र प्रदेश, बिहार, गुजरात, महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश में बेमौसमी बारिश से आम के 50 फीसदी से ज्यादा पेड़ प्रभावित हुए हैं। इन पांच राज्यों से आम की आवक कम रहने से इसके मूल्य में इजाफा हो सकता है। इन राज्यों में करीब दो-तिहाई आमों का उत्पादन होता है।
स्टडी में कहा गया है कि आमों के निर्यात में बढ़ोतरी होने से भी इसके घरेलू मूल्य को समर्थन मिल सकता है। पिछले तीन वर्षों में आमों का निर्यात 27 फीसदी बढ़ गया। वर्ष 2012-13 में 267 करोड़ रुपये का निर्यात रहा था, जबकि 2010-11 में आमों का आंकड़ा 164 करोड़ पर था। जाहिर है कि आमों का निर्यात बढऩे से घरेलू उपलब्धता प्रभावित होगी। संयुक्त अरब अमीरात भारतीय आमों का सबसे बड़ा खरीदार है।
करीब 61 फीसदी आमों का निर्यात इसी देश को होता है। दूसरा सबसे बड़ा खरीदार देश सऊदी अरब है। आंध्र प्रदेश और उत्तर प्रदेश में करीब पचास फीसदी आमों का उत्पादन होता है। दुनिया भर में कुल 1300 किस्मों का उत्पादन होता है। इसमें से भारत में ही करीब 1000 किस्मों के आमों की पैदावार होती है। (Business Bhaskar)
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