09 अप्रैल 2014
डेयरियां अभी नहीं बढ़ाएंगी दूध के दाम
इस बार गर्मियों में उपभोक्ताओं को थोड़ी राहत मिल सकती है। देश की ज्यादातर संगठित डेयरी कंपनियों ने दूध की कीमतों में तत्काल किसी बढ़ोतरी से इनकार किया है। हाल में डेयरियों ने दूध खरीद की कीमत बढ़ाई है, जिससे इस बार गर्मियों में बेहतर आपूर्ति की उम्मीद है। उनका कहना है कि कीमतों में बढ़ोतरी का फैसला जून में मांग-आपूर्ति की स्थिति की समीक्षा के बाद लिया जाएगा।
हालांकि महाराष्ट्र में विशेष रूप से मुंबई क्षेत्र में खुला दूध बेचने वाले कुछ असंगठित विक्रेताओं ने दूध की आपूर्ति कम होने से कीमतें 3 रुपये प्रति लीटर बढ़ा दी हैं। दिल्ली की कुछ छोटी डेयरियों का मानना है कि जैसे ही आपूर्ति में कमी आनी शुरू होगी, असंगठित बाजार में दूध की कीमतों में थोड़ी बढ़ोतरी हो सकती है। इस उद्योग के जानकारों का मानना है कि संगठित क्षेत्र के उद्यमियों की खरीद प्रक्रिया ज्यादा संगठित है, लेकिन यह देखना रोचक होगा कि वे कब तब कीमतों में बढ़ोतरी नहीं करते हैं। पूरे देश में दूध की औसत कीमत 42 से 46 रुपये प्रति लीटर के बीच है, जिसमें क्षेत्र के हिसाब से मामूली अंतर है।
वहीं, स्किम्ड मिल्क पाउडर (एसएमपी) की कीमत आगामी एक-दो पखवाड़े में नरम पडऩे की संभावना है। भारी निर्यात की वजह से एसएमपी की कीमतें आसमान में पहुंच गई हैं। एसएमपी के दाम दोगुने यानी 280-290 रुपये प्रति किलोग्राम हो गए हैं। चेन्नई की प्रमुख निजी डेयरी हटसन एग्रो के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक आर जी चंद्रमोगन ने कहा, 'भारत पिछले वित्त वर्ष के दौरान करीब 1,20,000 टन एसएमपी का निर्यात पहले ही कर चुका है। हालांकि अंतरराष्ट्र्ीय बाजार (न्यूजीलैंड में नीलामी) में कीमतें पिछले कुछ दिनों के दौरान करीब 9 फीसदी गिरी हैं। इससे डेयरी कंपनियों को अंतरराष्ट्रीय बाजार में अच्छी कीमत नहीं मिल पाएगी, जिससे निर्यात होने जा रहा स्टॉक घरेलू बाजार में बेचा जाएगा, इसलिए कीमतें नीचे आएंगी।'
अमूल ब्रांड के तहत दूध और दुग्ध उत्पाद बेचने वाली गुजरात कोऑपरेटिव मिल्क मार्केटिंग फेडरेशन (जीसीएमएमएफ) के प्रबंध निदेशक आर एस सोढी ने भी यह बात स्वीकार की कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में एसएमपी की कीमतें गिरने से घेरलू बाजार में दूध पाउडर की आपूर्ति बढ़ेगी। पिछले वित्त वर्ष के दौरान अमूल एसएमपी की सबसे बड़ी निर्यातक रही थी, जिसने 2013-14 में करीब 12,000 से 13,000 टन एसएमपी का निर्यात किया था।
गर्मियों में मांग पूरी करने के लिए एसएमपी को फिर से दूध भी बनाया जा सकता है। आमतौर पर गर्मियों में दूध का उत्पादन घटता है, क्योंकि चारे की कमी होती है और यह पशुओं के ब्याने का सीजन होता है। इस दौरान उत्पादन 30-40 फीसदी कम हो जाता है। सोढी का मानना है कि आने वाले महीनों में उत्पादन 30 फीसदी घटने की संभावना है। हैटसन के चंद्रमोगन का दावा है कि गाय पालने वाले क्षेत्र (दक्षिणी भारत) में उत्पादन 15-20 फीसदी कम होगा, जबकि भैंस पालने वाले क्षेत्रों में उत्पादन 40-45 फीसदी गिरेगा।
आपूर्ति के मार्चे पर लगातार आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए डेयरियों ने किसानों को ज्यादा कीमत देना शुरू कर दिया है। उदाहरण के लिए सुमूल डेयरी के नाम से जाने जाने वाली जीसीएमएमएफ की सदस्य सूरत ड्रिस्ट्रिक्ट मिल्क यूनियन प्रोड्यूसर्स लिमिटेड (एसडीएमयूपीएल) ने हाल में किसानों से भैंस के दूध की खरीद कीमत 20 रुपये प्रति किलोग्राम फैट बढ़ाकर 555 रुपये कर दी है। इसने गाय के दूध की खरीद कीमत भी बढ़ाकर 525 रुपये प्रति किलोग्राम फैट कर दी है। सडीएमयूपीएल के प्रबंध निदेशक जयेश देसाई ने कहा, 'गर्मी में दूध की आपूर्ति 10 से 20 फीसदी कम हो जाती है। हालांकि दूध की खुदरा कीमतों में तत्काल कोई बढ़ोतरी नहीं होगी।'
वेरका ब्रांड के तहत दूध और दूध उत्पादों की बिक्री करने वाली पंजाब की कोऑपरेटिव डेयरी मिल्कफेड के सूत्रों ने कहा कि डेयरी ने मार्च में खरीद कीमत 20 रुपये बढ़ाकर 520 रुपये प्रति किलोग्राम फैट कर दी है। डेयरी ने दूध की खुदरा कीमत भी 2 रुपये प्रति लीटर बढ़ाई है और अब इसके दूध के दाम किस्मों के आधार पर 36 से 44 रुपये तक हैं। देसाई ने कहा, 'हालांकि निकट भविष्य में खुदरा कीमतों में कोई बढ़ोतरी नहीं होगी, लेकिन डेयरियां जून के बाद स्थिति की समीक्षा कर सकती हैं और मांग-आपूर्ति की स्थिति को ध्यान में रखते हुए कीमतें बढ़ा सकती हैं।' (BS Hindi)
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