आर. एस. राणा नई दिल्ली
निवेशक कॉपर में निवेश करके मुनाफा कमा सकते हैं। विश्व की प्रमुख तांबा खदान एस्कोंडिडा में हड़ताल होने के कारण सप्लाई में कमी आने की आशंका से कॉपर की कीमतों में तेजी को बल मिल रहा है। उधर लंदन मेटल एक्सचेंज (एलएमई) में पिछले तीन महीनों में कॉपर की इंवेंट्री 4,550 टन बढ़ी है लेकिन इसके बावजूद भी इस दौरान एलएमई में तीन माह अनुबंध खरीद कीमतों में 5.5 फीसदी की तेजी आई है। घरेलू वायदा बाजार में चालू महीने में कॉपर की कीमतों में 3.6 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है।
निवेश से होगा मुनाफाऐंजल कमोडिटी की बुलियन विश£ेशक रीना वालिया ने बताया कि विश्व की प्रमुख तांबा खदान एस्कोंडिडा में हड़ताल होने के कारण सप्लाई में कमी आने की आशंका है। हालांकि अमेरिका और यूरोप में कर्ज संकट के कारण कीमतों पर दबाव बना हुआ है लेकिन सप्लाई बाधित होने से कीमतों में तेजी की ही संभावना है।
मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज लिमिटेड (एमसीएक्स) पर चालू महीने में कॉपर की कीमतों में 3.6 फीसदी की तेजी आ चुकी है। एमसीएक्स पर अगस्त महीने के वायदा अनुबंध में पहली जुलाई को कॉपर का भाव 421.30 रुपये प्रति किलो था जबकि शुक्रवार को भाव बढ़कर 436.50 रुपये प्रति किलो हो गया। अगस्त महीने के वायदा अनुबंध में 22,808 लॉट के सौदे खड़े हुए हैं।
वायदा में कैसे निवेशक वायदा बाजार में कॉपर में निवेश करने के लिए निवेशक को कमोडिटी ब्रोकर के यहां खाता खुलवाना होता है। खाता खुलवाने के लिए पैन कार्ड, बैंक की पास बुक, स्थायी पता और इनीशियल मार्जिन की आवश्यकता होती है। कॉपर में एमसीएक्स एक्सचेंज में सबसे ज्यादा कारोबार होता है।
एलएमई में इंवेंट्री बढ़ी सारु कॉपर एलॉय सेमीस प्राइवेट लिमिटेड के डायरेक्टर संजीव जैन ने बताया कि पिछले तीन महीनों में एलएमई में कॉपर की इंवेंट्री 4,550 टन बढ़कर 4,68,350 टन हो गया है। चार मई को एलएमई में इसकी इंवेंट्री 4,63,800 टन की थी लेकिन इंवेंट्री बढऩे के बावजूद भी इस दौरान कीमतों में 5.5 फीसदी की तेजी आई है। एलएमई में तीन माह में खरीद अनुबंध के भाव चार मई को 9,255 डॉलर प्रति टन थे जबकि शुक्रवार को भाव 9,769 डॉलर प्रति टन के स्तर पर पहुंच गए।
एसएमसी ग्लोबल सिक्योरिटी लिमिटेड के बुलियन विश£ेशक के अनुसार, अमेरिका और यूरोप में कर्ज संकट के कारण कॉपर की कीमतों पर दबाव तो बना हुआ है लेकिन प्रमुख तांबा खदान इस्कोंडिडा में हड़ताल का असर कॉपर की सप्लाई पर पड़ेगा।
वैसे भी चीली में जून महीने के दौरान कॉपर का उत्पादन करीब 8.5 फीसदी कम हुआ है। हालांकि जुलाई में उत्पादन बढऩे की संभावना है लेकिन सबसे बड़ी खदान में हड़ताल का असर कॉपर की सप्लाई पर पडऩे की संभावना है। इसीलिए मौजूदा कीमतों में तेजी की ही संभावना है।
नीलकंठ मेटल ट्रेडिंग कंपनी के डायरेक्टर दीपक अग्रवाल ने बताया कि घरेलू बाजार में कॉपर की कीमतें अंतरराष्ट्रीय बाजार के भाव पर निर्भर करती है। हालांकि घरेलू बाजार में कॉपर में मांग कमजोर है लेकिन विदेशी बाजार में तेजी आने का असर कीमतों पर पड़ रहा है। कॉपर आर्मेचर का भाव 450-455 रुपये प्रति किलो चल रहा है।
कॉपर की खपत कॉपर की खबर सबसे ज्यादा खपत इलेक्ट्रीकल और इलेक्ट्रॉनिक उद्योग में 42 फीसदी होती है। इसके अलावा भवन निर्माण में 28 फीसदी और ट्रांसपोर्ट में 12 फीसदी होती है। कॉपर का सबसे ज्यादा उत्पादन एशिया में 43 फीसदी, अमेरिका में 32 फीसदी, यूरोप में 19 फीसदी और अफ्रीका में 4 फीसदी का होता है। (Business Bhaskar.....R S Rana)
30 जुलाई 2011
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