मुंबई July 11, 2011
मौजूदा मॉनसून में देश के अलग-अलग इलाकों में हुई असमान बारिश के कारण इस साल सोयाबीन के रकबे और अनुमानित उत्पादन को लेकर देसी खाद्य तेल उद्योग की राय बंट गई हैं। इस मामले में प्रमुख औद्योगिक संस्था केंद्रीय तेल उद्योग एवं व्यापार संगठन (सीओओआईटी) और सोयाबीन प्रसंस्करण संघ (सोपा) अलग-अलग दावे कर रहे हैं। सीओओआईटी के अध्यक्ष सत्यनारायण अग्रवाल का कहना है कि महाराष्टï्र सहित प्रमुख सोयाबीन उत्पादक राज्यों में शुरुआती वर्षा की कमी के कारण सोयाबीन का कुल रकबा 5 से 7 फीसदी कम रह सकता है। सोयाबीन की बुआई मॉनसून के आगाज के साथ ही शुरू हो जाती है और जुलाई के दूसरे हफ्ते तक चलती है। जिन इलाकों में कुछ प्राकृतिक कारणों से फसल को नुकसान हुआ है वहां दोबारा बुआई शुरू हो गई है और इसे जुलाई के तीसरे हफ्ते तक निपटाया जाएगा ताकि सामान्य स्तर पर उत्पादन का लक्ष्य हासिल किया जा सके। अग्रवाल कहते हैं, 'अगर बारिश में काफी बढ़ोतरी होती है तब भी खासतौर से महाराष्टï्र में हुए नुकसान की भरपाई मुश्किल लग रही है।देश के कुल सोयाबीन उत्पादन का एक तिहाई उत्पादित करने वाले महाराष्टï्र में 9 जुलाई तक सोयाबीन का रकबा 9.779 लाख हेक्टेयर तक ही पहुंचा है जबकि लक्ष्य 25.30 लाख हेक्टेयर का तय किया गया है। हालांकि राज्य में अभी तक 152.18 मिलीमीटर बारिश हो चुकी है लेकिन सोयाबीन उत्पादन का गढ़ पश्चिमी महाराष्टï्र अभी भी वर्षा के लिए तरस रहा है, नतीजतन राज्य में कुल रकबा निचले स्तर पर है। इसके उलट सोपा के प्रवक्ता राजेश अग्रवाल का कहना है कि कुछ इलाकों में रकबे में आई कमी को बुआई सीजन के आखिर में आने वाली तेजी से आसानी से पूरा किया जा सकता है। अग्रवाल ने कहा, 'पिछले साल सोयाबीन का कुल रकबा 93 लाख हेक्टेयर रहा था। इस साल अगर इसमें कोई बढ़ोतरी नहीं होती है तब भी पिछले साल के आंकड़े को तो हासिल किया ही जा सकता है। इस साल मॉनसून ने शुरुआत तो बेहतरीन की थी और जून में सामान्य से 11 फीसदी अधिक बारिश भी हुई। लेकिन बुआई के लिहाज से बेहद निर्णायक जुलाई के पहले हफ्ते में मॉनसून गच्चा दे गया और 6 जुलाई को समाप्त हुए सप्ताह में सामान्य से 25 फीसदी कम वर्षा हुई। कृषि मंत्रालय ने 8 जुलाई तक सोयाबीन के रकबे में पिछले साल के मुकाबले 8 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की है। सॉल्वेंट एक्सटै्रक्टर्स एसोसिएशन के कार्यकारी निदेशक बी वी मेहता सोयाबीन के रकबे में कमी को देसी खाद्य तेल उद्योग के लिए बड़ी चिंता मानते हैं। (BS Hindi)
12 जुलाई 2011
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