मुंबई July 05, 2011
चीनी की बढ़ती कीमतों के चलते एक्स-मिल और खुदरा कीमतों के बीच की घटती खाई को विशेषज्ञ चीनी उद्योग में सुधार की शुरुआत के तौर पर देख रहे हैं। चीनी क्षेत्र को नियंत्रणमुक्त किए जाने की बाबत सरकार के भीतर सक्रियता के साथ हो रही चर्चा के साथ-साथ और निर्यात की संभावना ने उद्योग में उम्मीद की लौ जला दी है।भारतीय चीनी मिल संघ (इस्मा) के महानिदेशक अविनाश वर्मा ने कहा - निर्यात के लिए ताजा आवंटन संबंधी सरकारी फैसले समेत अन्य फैसले से एक्स-मिल कीमतों में लगातार पांच महीने से आ रही गिरावट थम गई है। वर्मा ने कहा कि जुलाई के लिए सरकारी कोटा जारी होने के बाद चीनी की एक्स मिल कीमतें उम्मीद से कम बढ़ी हैं।फरवरी-जून की अवधि में चीनी की एक्स-मिल कीमतें उत्तर प्रदेश में घटकर 2600 रुपये प्रति क्विंटल पर आ गई थीं। लेकिन सकारात्मक खबरों के बाद कीमतें 100-150 रुपये प्रति क्विंटल बढ़ी हैं और यह फिलहाल 2750-2800 रुपये प्रति क्विंटल पर बिक रही है। इसी तरह महाराष्ट्र में चीनी की एक्स-फैक्ट्री कीमतें 150 रुपये सुधरकर 2600 रुपये प्रति क्विंटल पर आ गई हैं। चीनी उत्पादन करने वाले दोनों प्रमुख राज्यों में चीनी की एक्स- मिल कीमतें अभी भी क्रमश: 2900 रुपये व 2700 रुपये प्रति क्विंटल के उत्पादन लागत के मुकाबले 100 रुपये प्रति क्विंटल कम है।उत्तर प्रदेश की एक चीनी मिल के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि इस स्तर से कीमतें शायद ही नीचे आएं। ऐसे में हम कह सकते हैं कि चीनी उद्योग की किस्मत सुधर रही है। मौजूदा समय में खुदरा कीमतें हालांकि 3200 रुपये प्रति क्विंटल है, जो 15 महीने में सर्वोच्च कीमतें हैं।मंगलवार को मुंबई में एस-30 व एम-30 चीनी की कीमतें 25 रुपये बढ़कर क्रमश: 2761.5 व 2888.5 रुपये प्रति क्विंटल पर पहुंच गईं। दिल्ली में थोक खरीदार व रिटेलरों की खरीद से चीनी की कीमतों में सुधार आया। दिल्ली के बाजार में आवक में कमी के चलते भी कीमतें बढ़ीं। हाजिर मीडियम व सेकंड ग्रेड चीनी की कीमतें 2950-3050 व 2925-3025 रुपये प्रति क्विंटल से बढ़कर 2950-3100 व 2925-2940 रुपये प्रति क्विंटल पर आ गईं। मिल डिलिवरी मीडियम व सेकंड ग्रेड चीनी की कीमतें 2750-2940 व 2725-2915 रुपये प्रति क्विंटल से बढ़कर क्रमश: 2775-2975 व 2750-2950 रुपये प्रति क्विंटल पर आ गईं।एक अधिकारी ने कहा - फंडामेंटल्स के आधार पर चीनी की बढ़ रही कीमतें अचानक अनुकूल हो गई हैं। सरकार ने 5 लाख टन चीनी निर्यात की अनुमति दी है, लेकिन उद्योग इससे संतुष्ट नहीं है। इस चीनी वर्ष में भारतीय चीनी मिल संघ (इस्मा) 10 लाख टन चीनी निर्यात की अनुमति मांग रहा था और इस बात की गारंटी भी दे रहा था कि घरेलू बाजार में आपूर्ति में दिक्कत नहीं होगी। ब्राजील में फसल में कमी के अनुमान ने भी चीनी की कीमतों में बढ़ोतरी में मदद की है और हमें विश्वास है कि आने वाले दिनों में यह जारी रहेगा। उन्होंने कहा कि उद्योग में सुधार हो रहा है क्योंकि कीमतों में हो रहा सुधार लंबी अवधि तक जारी रहेगी।इस बीच, इस्मा ने सरकार से अनुरोध किया है कि चीनी की एक्स मिल कीमतें उत्पादन लागत के स्तर पर लाने के लिए वह कुछ कदम उठाए। खाद्य व सार्वजनिक वितरण सचिव (भारत सरकार) को लिखे पत्र में इस्मा ने कहा है कि 5 लाख टन चीनी निर्यात की अनुमति देने के सरकार के फैसले ने सुनिश्चित किया है कि चीनी की एक्स मिल कीमतें नीचे नहीं जाएंगी।एक रिसर्च कंपनी इक्विटोरियर इंडस्ट्री ऑल्टरनेट के मैनेजिंग पार्टनर एस बारिया ने कहा - भारत में चीनी की खपत में औद्योगिक मांग की भागीदारी 70 फीसदी की है और यह लगातार बढ़ रही है। महाराष्ट्र मेंं चीनी क्षेत्र काफी ज्यादा राजनीतिक है, जो राज्य सरकार की किस्मत तय करता है। चूंकि यह राज्य देश के कुल उत्पादन में एक तिहाई का योगदान करता है, लिहाजा सरकार किसानों व मिलों की आर्थिक स्थिति अगले साल और खराब होने के लिए नहीं छोड़ेगी। कीमत के मामले में किसान व मिलों की स्थिति इस साल अच्छी नहीं रही है। वैश्विक बाजार से भी यहां कीमतों को समर्थन मिला। आईसीई कच्ची चीनी वायदा मंगलवार को शुरुआती कारोबार मेंं चार महीने के उच्च स्तर पर पहुंच गया, क्योंकि वहां ब्राजील में फसल में कमी की खबर आई थी। (BS Hindi)
06 जुलाई 2011
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