नई दिल्ली July 03, 2011
केंद्र सरकार खाद्यान्न भंडारण के लिए ज्यादा जगह सुनिश्चित करने के उद्देश्य से राज्यों को केंद्रीय निर्गम मूल्य पर अतिरिक्त अनाज आवंटित करने पर विचार कर रही है। यह अनाज गरीबी रेखा से ऊपर (एपीएल) के उन परिवारों के लिए होगा, जो सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) के अंतर्गत आते हैं। अधिकारियों ने बताया कि यदि यह प्रस्ताव लागू किया जाता है तो केंद्र सरकार को अतिरिक्त 4,161 करोड़ रुपये की रियायत (सब्सिडी) का बोझ उठाना पड़ेगा। इस योजना से एक ओर सरकार की तनावपूर्ण वित्तीय सेहत पर अतिरिक्त बोझ बढ़ेगा और दूसरी ओर अनाज भंडारण के लिए अतिरिक्त जगह की व्यवस्था की जा सकेगी।सब्सिडी का अतिरिक्त बोझ इसलिए बढ़ेगा क्योंकि एपीएल परिवारों के लिए राज्यों को आवंटित अतिरिक्त अनाज में चावल का भाव फिलहाल 11.85 रुपये प्रति किलोग्राम है और गेहूं का भाव 8.45 रुपये प्रति किलोग्राम, जो केंद्रीय निर्गम मूल्य से अधिक है। इसलिए यदि अनाज आवंटन केंद्रीय निर्गम मूल्य पर होता है, तो चावल का भाव गिरकर 8.30 रुपये प्रति किलोग्राम और गेहूं का भाव 6.10 रुपये प्रति किलोग्राम रह जाएगा। अधिकारियों ने बताया कि राज्यों की ओर से इस तरह की मांग की गई थी, लिहाजा इस बारे में एक प्रस्ताव पर विचार किया जा रहा है। गौरतलब है कि मंत्रियों के एक अधिकार प्राप्त समूह ने हाल ही में पीडीएस के अंतर्गत आने वाले एपीएल परिवारों के लिए अतिरिक्त 50 लाख टन अनाज आवंटन को मंजूरी दे दी थी। समिति ने इस वर्ष जनवरी में केंद्रीय पूल से आवंटित अतिरिक्त अनाज की वैधता अवधि भी बढ़ाने पर विचार किया। इसकी वैधता अवधि मार्च, 2011 में खत्म हो गई, जिसे सितंबर 2011 तक बढ़ाया जा सकता है।केंद्रीय निर्गम मूल्य की तुलना में ऊंचे भाव की वजह से राज्यों ने केवल 17 फीसदी तदर्थ (ऐडहॉक) एपीएल अनाज ही उठाया है। यह न केवल अतिरिक्त अनाज आवंटन को नकारने जैसा है, बल्कि इस वजह से भंडारण की भी जबरदस्त समस्या हुई है।अधिकारियों ने बताया कि राज्य गरीबी रेखा से नीचे गुजर-बसर करने वाले परिवारों (बीपीएल) के लिए आवंटित अतिरिक्त पूरा अनाज भी नहीं उठा रहे हैं। केंद्र सरकार ने मई 2010 में विशेष तदर्थ आवंटन के तहत राज्यों को 30 लाख टन से ज्यादा अनाज आवंटित किया था, जिसमें से केवल 40 फीसदी अनाज उठाया गया। इस वर्ष जनवरी में भी बीपीएल परिवारों के लिए 50 लाख टन अनाज का विशेष आवंटन किया गया था, जिसकी 6 महीनों की अवधि जून में समाप्त हो गई। लेकिन राज्यों ने केवल 54 फीसदी अनाज उठाए। एक प्रमुख अधिकारी ने बताया, 'राज्य केवल एपीएल परिवारों के लिए विशेष रूप से आवंटित अनाज ही नहीं, बल्कि बीपीएल परिवारों के लिए आवंटित अनाज भी नहीं उठा रहे हैं।अधिकारी ने बताया कि एपीएल की हाल ज्यादा खराब है। खाद्य मंत्रालय ने राज्यों से कहा है कि वे केंद्रीय पूल के तहत उनके लिए विशेष रूप से आवंटित ज्यादा-से-ज्यादा अनाज उठाएं क्योंकि भंडारण की स्थिति बहुत खराब हो रही है।इस वर्ष पहली जून को जारी खाद्य मंत्रालय के अनुमान के मुताबिक देश में लगभग 6.5 करोड़ टन अनाज का भंडार है, जबकि भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) और राज्य की एजेंसियों की कुल भंडारण क्षमता लगभग 6.3 करोड़ टन की है। जाहिर है, भंडारण क्षमता जरूरत से कम है। (BS Hindi)
06 जुलाई 2011
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