पटना July 01, 2011
बिहार में आने वाले वक्त में चीनी की मिठास बढऩे वाली है। राज्य सरकार के मुताबिक चीनी मिलों की स्थापना और पुरानी मिलों की क्षमता में इजाफा करने के लिए बिहार में अब तक 900 करोड़ रुपये से ज्यादा की रकम का निवेश किया जा चुका है। साथ ही, राज्य सरकार को इस क्षेत्र में नए निवेशकों के भी आने की उम्मीद बरकरार है। राज्य के उप-मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया, 'राज्य में चीनी मिलों में निवेश करने के लिए हमारे पास कई प्रस्ताव आ रहे हैं। इनमें से 900 करोड़ रुपये से ज्यादा रकम का निवेश को जमीन पर हो भी चुका है। इसमें से 501 करोड़ रुपये का निवेश नई चीनी मिलों की स्थापना के लिए किया जा चुका है। वहीं, पुरानी चीनी मिलों के विस्तार के हेतु 404 करोड़ रुपये का निवेश हो चुका है। यह वाकई काफी अच्छी बात है कि निवेशक हमारे राज्य में चीनी उद्योग में निवेश के लिए इतनी उत्सुकता दिखा रहे हैं।Ó दरअसल, राज्य में उत्पादन के लिए दो नई चीनी मिलें तैयार हैं। दूसरी तरफ, मौजूदा चीनी मिलों में से ज्यादातर अपनी पूरी क्षमता से उत्पादन के लिए तैयार हैं। राज्य के उद्योग विभाग के प्रधान सचिव सी.के.मिश्रा ने बताया, 'राज्य में पहले से काम कर रही चीनी मिलों ने बीते कुछ साल में विस्तार के मद में मोटा निवेश किया है। इससे इन चीनी मिलों की उत्पादन क्षमता काफी बढ़ चुकी है। मिसाल के तौर पर हरिनगर चीनी मिल मेंं पेराई क्षमता को 8,500 से बढ़ाकर 10 हजार टीसीडी (टन प्रतिदिन पेराई) किया जा चुका है। यह मिल अपनी विस्तारित क्षमता पर काम कर रही है। वहीं, नरकटियागंज और सिधवलिया चीनी मिलों की पेराई क्षमता भी बढ़ाकर 7,500 और 5,000 टीसीडी की जा चुकी है। बड़ी बात यह है कि हमारे राज्य में चीनी मिलें अपनी पूरी क्षमता से काम कर रही हैं।Ó उन्होंने कहा, 'दूसरी तरफ, नई चीनी मिलें भी अब उत्पादन के लिए तैयार हैं। हिंदुस्तान पेट्रोकेमिकल्स लि. (एचपीसीएल) ने हमारी सुगौली और लौरिया चीनी मिलों का 2008 में अधिग्रहण किया था। ये मिलें भी अब उत्पादन के लिए तैयार हैं। यहां से अगले पेराई के मौसम से उत्पादन शुरू हो जाएगा। दूसरी तरफ, मोतीपुर चीनी मिल का काम भी तेजी से चल रहा है। यहां से भी अगले 2-3 साल में उत्पादन शुरू हो जाएगा।Óमोदी ने कहा, 'बीते 5-6 साल में राज्य में औद्योगिक वातावरण में काफी सुधार देखने को मिला है। अब देश के बड़े-बड़े उद्योगपति या तो राज्य में निवेश कर रहे हैं या फिर इसकी योजना बना रहे हैं। हमारी कोशिश है कि हम राज्य के तरफ ज्यादा से ज्यादा पूंजीनिवेश को लेकर आ सकें।Ó उन्होंने बताया, 'चीनी उद्योग इस मामले में हमारे लिए काफी अहम हैं। बिहार आजादी के पहले से ही देश में चीनी का प्रमुख उत्पादक राज्य रहा है। हालांकि केंद्र सरकार की योजनाओं और इस उद्योग की अनदेखी की वजह से राज्य में चीनी उद्योग की हालत खस्ता हुई। अब हम इसे बदलने की कोशिश कर रहे हैं। (BS Hindi)
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