फॉर्मूला - पेट्रोल में 5% एथनॉल मिश्रण के लिए 90 करोड़ लीटर की आवश्यकताआधा-अधूरा कार्यक्रम:- तमिलनाडु सरकार ने चीनी मिलों को एथनॉल बनाने की अनुमति नहीं दी है। वहां की मिलें साल में 7-8 करोड़ लीटर एथनॉल की सप्लाई कर सकती हैं। उत्तर प्रदेश में भी राज्य सरकार ने अप्रैल महीने से एथनॉल की दूसरे राज्यों को सप्लाई पर रोक लगा रखी है।
क्रूड ऑयल का आयात सीमित रखने के लिए पेट्रोल में एथनॉल मिश्रण का कार्यक्रम आधा-अधूरा ही चल रहा है। पूरे देश में पेट्रोल में पांच फीसदी एथनॉल मिश्रण के लिए 90 करोड़ लीटर एथनॉल की खपत होनी चाहिए।
जबकि चीनी मिलों ने चालू सीजन (अक्टूबर से सितंबर) में सिर्फ 57 करोड़ लीटर एथनॉल सप्लाई के सौदे किए। इसमें से भी अभी तक सिर्फ 29 करोड़ लीटर एथनॉल की सप्लाई हो पाई है जबकि चालू सीजन के दस माह पूरे हो रहे हैं। कई राज्य सरकारों ने एथनॉल बनाने की अनुमति नहीं दी है। इस वजह से एथनॉल का उत्पादन पूरी क्षमता से नहीं हो रहा है।
इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन (इस्मा) के महानिदेशक अबिनाश वर्मा ने बताया कि चीनी मिलों ने पेट्रोलियम कंपनियों को अभी तक लगभग 29 करोड़ लीटर एथनॉल की सप्लाई की है। जबकि चालू पेराई सीजन में मिलों को 57 करोड़ एथनॉल सप्लाई करने की निविदा प्राप्त हुई हैं।
उन्होंने बताया कि मौजूदा प्रावधानों के मुताबिक पेट्रोल में पांच फीसदी एथनॉल मिलाना अनिवार्य है। सरकार ने पेट्रोल में मिलाने वाले एथनॉल की अंतरिम कीमत 27 रुपये प्रति लीटर तय कर रखी है। पांच फीसदी मिश्रण के लिए करीब 90 करोड़ लीटर एथनॉल की सालाना आवश्यकता होगी। लेकिन कई राज्यों में सरकारों ने चीनी मिलों को एथनॉल बनाने की अनुमति नहीं दे रखी है।
तमिलनाडु राज्य सरकार ने चीनी मिलों को एथनॉल बनाने की अनुमति नहीं दी है। तमिलनाडु की चीनी मिलें साल में करीब 7-8 करोड़ लीटर एथनॉल की सप्लाई कर सकती हैं। उत्तर प्रदेश में भी राज्य सरकार ने अप्रैल महीने से एथनॉल की दूसरे राज्यों को सप्लाई पर रोक लगा रखी है। चालू पेराई सीजन में शीरे की कुल उपलब्धता 110 लाख टन होने का अनुमान है।
मवाना शुगर लिमिटेड के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि शीरे से अल्कोहल और एथनॉल बनता है। अल्कोहल की खपत केमिकल और शराब उद्योग में होती है। केंद्र सरकार ने अगस्त 2010 से पेट्रोल में पांच फीसदी एथनॉल मिश्रण को अनिवार्य कर दिया था तथा अंतरिम कीमत 21.50 रुपये बढ़ाकर 27 रुपये प्रति लीटर तय कर दी थी। सरकार ने योजना आयोग के सदस्य सुमित्रा चौधरी की अध्यक्षता में एक कमेटी का गठन किया था जिसको एथनॉल का मूल्य तय करने का फॉर्मूला तय करना था। फॉर्मूले के आधार पर वास्तविक कीमत का निर्धारण होना है।
इसके बाद सरकार का इसमें कोई दखल नहीं रहेगा। कमेटी ने अपनी रिपोर्ट सरकार को अप्रैल 2011 में सौंप दी थी। जिस पर अभी तक सरकार ने कोई फैसला नहीं किया है।
ऑल इंडिया डिस्टीलरीज एसोसिएशन के महानिदेशक वी. के. रैना ने बताया कि चालू सीजन में शराब उद्योग की अल्कोहल में मांग बढ़कर 40 करोड़ केस (एक कैसेज-चार लीटर) की होने का अनुमान है। शराब बनाने में एक्ट्रा न्यूट्रल अल्कोहल का उपयोग होता है। शीरे के कुल उत्पादन का करीब 45 से 50 फीसदी हिस्से की खपत शराब कंपनियों में होती है। (Business Bhaskar.....R S Rana)
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