मुंबई July 26, 2011
कारोबारियों और विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) के बीच 10 लाख गांठ अतिरिक्त कपास निर्यात पर जारी रस्साकशी से निर्यात का काम लटक गया है। पिछले बुधवार को बंबई उच्च न्यायालय के फैसले से गिनर्स व छोटे कारोबारियोंं को राहत मिली थी, लेकिन बड़े कारोबारी अब डीजीएफटी को अदालत में घसीटने की योजना बना रहे हैं। ये कारोबारी डीजीएफटी के उस फैसले को चुनौती देने की योजना बना रहे हैं जिसमें महानिदेशालय ने निर्यात कोटा कम करने की खातिर उन्हें दिए गए सर्टिफिकेट वापस मंगाने का फैसला किया है।बंबई उच्च न्यायालय के आदेश के अनुसार डीजीएफटी ने निर्यात के लिए जारी 1000 टन से अधिक क्षमता वाले सभी पंजीकृत सर्टिफिकेट वापस ले लिए हैं, जिससे 200 से अधिक कारोबारी प्रभावित हुए हैं। इन कारोबारियों में से अधिकतर पहले ही अपने विदेशी खरीदारों से साथ अनुबंध कर चुके हैं। नाम न छापने की शर्त पर डीजीएफटी से नोटिस पाने वाले एक बड़े कारोबारी ने कहा कि 'अब हमें एक बार फिर अपने विदेशी ग्राहकों से कम निर्यात के लिए सौदेबाजी करनी होगी। कुछ मामलों में हमें अपने अनुबंध-पत्र रद्द करने पड़ते हैं, जिसमें हमेशा कारोबार के नुकसान का खतरा होता है।Óडीजीएफटी ने केवल उन कारोबारियों से निर्यात पंजीकरण के लिए आवेदन आमंत्रित किए थे, जिन्होंने पिछले दो वर्षों 2008-09 और 2009-10 में निर्यात किया था। इसका मतलब है कि चालू वित्त वर्ष में कपास के मूल निर्यात की आवंटित मात्रा 55 लाख गांठ के दौरान निर्यात करने वालों पर अतिरिक्त आवंटन में निर्यात करने पर रोक लगा दी गई है। इस निर्णय को बाद में 82 छोटे कारोबारियों, मुख्य रूप से गिनर्स द्वारा उच्च न्यायालयों में चुनौती दी गई। विभिन्न उच्च न्यायालय पहले ही डीजीएफटी को गिनर्स के आवेदनों पर विचार करने का निर्देश दे चुके हैं। बंबई उच्च न्यायालय ने 20 जुलाई को दिए अपने आदेश में डीजीएफटी को कहा था कि 6 जुलाई, 2011 तक आवेदन करने वाले सभी कारोबारियों के आवेदनों पर विचार किया जाए। डीजीएफटी द्वारा आवेदन आमंत्रित करने की अंतिम तारीख 6 जुलाई, 2011 तय की गई थी। कारोबारियों के अनुसार डीजीएफटी द्वारा जारी किए गए नोटिस में आलोक इंडस्ट्रीज, भाईदास कर्सनदास, बीबी कॉटन कंपनी और कारगिल इंडिया जैसी कंपनियां शामिल हैं। हालांकि आलोक इंडस्ट्रीज के प्रबंध निदेशक दिलीप जीवराजका ने इससे इनकार किया है। उन्होंने कहा कि 'पहले चरण में आवंटित कपास की 55 लाख गांठ के दौरान उन्हें 1000 टन के लिए निर्यात प्रमाण-पत्र मिले थे। लेकिन हम केवल 1.7 टन का ही निर्यात कर पाए। (BS Hindi)
27 जुलाई 2011
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