केंद्र सरकार ने दस लाख टन गैर बासमती चावल के निर्यात की अनुमति दे दी है। इसके अलावा पांच लाख टन गेहूं और पांच लाख टन चावल का निर्यात कूटनीतिक आधार पर किया जाएगा। इसके साथ ही 6.5 लाख टन गेहूं उत्पादों (आटा, मैदा और सूजी) के निर्यात को भी सरकार ने अनुमति दे दी है। पिछले तीन साल से गैर बासमती चावल के निर्यात पर सरकार ने रोक लगाई हुई थी।
खाद्य मामलों पर वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी की अध्यक्षता वाले उच्चाधिकार प्राप्त मंत्री समूह (ईजीओएम) की सोमवार को बैठक हुई। बैठक के बाद एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने बताया कि दस लाख टन गैर बासमती चावल के निर्यात की अनुमति दे दी गई है। गेहूं के निर्यात पर बैठक में कोई फैसला नहीं हो सका। हालांकि, डिप्लोमैटिक आधार पर पांच लाख टन गेहूं और पांच लाख टन चावल के निर्यात की इजाजत दी गई है। इसके अलावा 6.50 लाख टन गेहूं उत्पादों आटा, मैदा और सूजी का निर्यात किया जाएगा। उन्होंने बताया कि गेहूं और चीनी के निर्यात पर फैसला अगली बैठक में लिया जा सकता है। मालूम हो कि घरेलू बाजार में खाद्यान्न के दाम बढ़ जाने के कारण सरकार ने गैर बासमती चावल के निर्यात पर अप्रैल 2008 में रोक लगाई थी। वहीं, गेहूं के निर्यात पर वर्ष 2007 से ही रोक लगी हुई है।
फिलहाल केंद्रीय पूल में खाद्यान्न का स्टॉक 641 लाख टन से ज्यादा है, जबकि भंडारण क्षमता 620 लाख टन के करीब है। उधर, कृषि मंत्रालय के अनुसार वर्ष 2011-12 में देश में 24.5 करोड़ टन खाद्यान्न का रिकॉर्ड उत्पादन होने का अनुमान है। केंद्रीय पूल में गत 1 जुलाई को 641.62 लाख टन खाद्यान्न का स्टॉक बचा हुआ था। इसमें 371.49 लाख टन गेहूं और 268.57 लाख टन चावल भी शामिल है। (Business Bhaskar....R S Rana)
12 जुलाई 2011
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें