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30 सितंबर 2020

मानसूनी सीजन में देशभर में सामान्य से 9 फीसदी ज्यादा हुई बारिश - आईएमडी

आर एस राणा
नई दिल्ली। भारतीय मौसम विभाग (आईएमडी) के अनुसार चालू मानूसनी सीजन के चार महीनों पहली जून से 30 सितंबर 2020 तक देशभर में सामान्य से 9 फीसदी अधिक बारिश हुई है। इस दौरान सामान्यत: 880.6 मिलिमीटर बारिश होती है ज​बकि इस बार 957.6 मिलीमीटर बारिश हुई है।
आईएमडी के अनुसार पूर्वोत्तर भारत के साथ ही मध्य, और दक्षिण भारत में चालू सीजन में सामान्य से ज्यादा बारिश हुई, लेकिन उत्तर पश्चिम भारत के राज्यों में बारिश में कमी दर्ज की गई। देशभर के 36 सबडिवीजनों में से 2 में सामन्य से अत्याधिक बारिश हुई है, जबकि 13 सबडिवीजनों में सामान्य से ज्यादा और 16 में सामान्य बारिश हुई है। हालांकि देश के पांच सबडिवजीनों में बारिश सामान्य से कम दर्ज की गई।
मानसूनी बारिश सामान्य होने के कारण ही चालू खरीफ में फसलों की बुआई में भी बढ़ोतरी दर्ज की गई। कृषि मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, अच्छी बारिश ने खरीफ फसलों की बुवाई को बढ़ाया है, किसानों ने पिछले सप्ताह तक रिकॉर्ड 1,116.88 लाख हेक्टेयर में बुवाई की है, जबकि पिछले साल की समान अवधि में इनकी बुआई 1,066.06 लाख हेक्टेयर में ही हो पाई थी। चालू खरीफ में दलहन के साथ ही तिलहनी फसलों की बुआई ज्यादा हुई है। .............. आर एस राणा

चीनी मिलें 15 अक्टूबर तक नए माध्यम से एथेनॉल के प्रस्ताव दे - सरकार

आर एस राणा
नई दिल्ली। खाद्य मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि केंद्र ने चीनी मिलों के लिए 15 अक्टूबर तक एक महीने के लिए एक नए माध्यम की शुरुआत की है, जिसके जरिए वे देश में एणथेनॉल मिश्रण की क्षमता तैयार करने के लिए घटी ब्याज दरों पर ऋण लेने के लिए प्रस्ताव दाखिल कर सकते हैं।
केंद्र सरकार ने जून 2018 में घोषित प्रोत्साहन योजना के तहत डिस्टिलरी स्थापित करने या मौजूदा इकाई की क्षमता बढ़ाने के लिए चीनों मिलों को आसान शर्तों पर ऋण देने की पेशकश की थी। सरकारी की इस योजना का मकसद चीनी मिलों को गन्ने से एथेनॉल बनाने के लिए प्रोत्साहित करना है। योजना के तहत सरकार ने अनुदान को दोगुना कर दिया है, जो 22,000 करोड़ रुपये की ऋण राशि पर करीब 4,600 करोड़ रुपये है।
सूत्रों के अनुसार अब तक 3,500 करोड़ रुपये के 68 प्रस्तावों को हरी झंडी दी गई है और बैंकों ने उनके ऋण को मंजूरी भी दे दी है। इन प्रस्तावों के लिए अब एक नया माध्यम शुरू किया गया है। यह माध्यम 15 सितंबर से एक महीने के लिए खोला गया है। उन्होंने कहा कि जिन मिलों के आवेदन कुछ शर्तों को पूरा नहीं करने के चलते पहले खारिज कर दिए गए थे, भी ऋण के लिए आवेदन कर सकते हैं।............... आर एस राणा

उत्तर प्रदेश में पहली अक्टूबर से होगी धान की खरीद शुरू

आर एस राणा
नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश में पहली अक्टूबर 2020 से धान की न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर शुरू होगी। राज्य सरकार द्वारा जारी एक बयान में, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि किसानों को किसी भी समस्या का सामना न करना पड़े।
केंद्र सरकार ने खरीफ विपणन सीजन 2020-21 के लिए, सामान्य किस्म के धान का समर्थन मूल्य 1,868 रुपये प्रति क्विंटल तय किया गया है, जबकि ग्रेड-ए के लिए यह 1,888 रुपये तय किया गया है। धान खरीद के लिए राज्य में 4,000 खरीद केंद्र खोले जाएंगे।
चालू खरीफ विपणन सीजन 2020-21 में राज्य से समर्थन मूल्य पर 55 लाख टन से अधिक धान की खरीद की जायेगी। इस बीच, किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य योजना के तहत अपना धान बेचने में मदद करने के लिए, उत्तर सरकार ने क्रय एजेंसियों को अग्रिम ऋण प्रदान करने के प्रस्ताव को मंजूरी दी।
बयान में कहा गया है कि उत्तर प्रदेश राज्य खाद्य और आवश्यक वस्तु निगम राष्ट्रीयकृत बैंकों से 3,000 करोड़ रुपये तक का ऋण लेगा, जिसकी ब्याज दरें धान की खरीद के लिए सबसे कम हैं।.......... आर एस राणा

गन्ने का पेराई सीजन समाप्त, चीनी मिलों पर किसानों का बकाया 15,000 करोड़

आर एस राणा
नई दिल्ली। गन्ने का पेराई सीजन 2019-20 (अक्टूबर-सिंतबर) आज यानि 30 सितंबर को समाप्त हो गया है लेकिन देशभर के गन्ना किसानों का चीनी मिलों पर अभी भी 15,000 करोड़ रुपये बकाया है। बकाया में सबसे ज्यादा राशि उत्तर प्रदेश के किसानों की तकरीबन 9,500 करोड़ रुपये है।
खाद्य मंत्रालय के अनुसार पेराई सीजन 2019-20 (अक्टूबर-सिंतबर) का चीनी मिलों पर करीब 12,000 करोड़ रुपये है, जबकि पिछले साल के बकाये को जोड़ने पर देशभर के किसानों का करीब 15,000 करोड़ रुपये चीनी मिलों पर बकाया है। चीनी उद्योग संगठन इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन (इस्मा) के मुताबिक, नकदी के संकट की वजह से चीनी मिलें किसानों के बकाये का भुगतान नहीं कर पा रही हैं, जबकि इस साल देश से रिकॉर्ड चीनी का निर्यात हुआ है।
खाद्य मंत्रालय से मिली जानकारी के अनुसार, भारत ने चालू सीजन 2019-20 में अब तक चीनी निर्यात के 57 लाख टन के सौदे किए हैं। सरकार ने चीनी मिलों की मांग पर अधिकतम स्वीकार्य निर्यात परिमाण (एमएईक्यू) कोटे के तहत निर्धारित 60 लाख टन चीनी निर्यात करने की समय-सीमा तीन महीने के लिए बढ़ाकर दिसंबर तक कर दी है। चालू सीजन 2019-20 में एमएईक्यू के तहत तय 60 लाख टन चीनी के निर्यात के कोटे पर सरकार की ओर से चीनी मिलों को 10,448 रुपये प्रति टन की दर से सब्सिडी दी जा रही है।
इस्मा के अनुसार चीनी निर्यात अनुदान और बफर स्टॉक अनुदान के साथ ही अन्य अनुदान के तौर पर केंद्र सरकार को 8,000 करोड़ रुपये से अधिक की राशि का भुगतान चीनी मिलों को करना है तथा केंद्र द्वारा भुगतान में देरी होने के कारण किसानों के गन्ना बकाये का भुगतान करने में कठिनाई आ रही है।
नेशनल फेडरेशन ऑफ कोऑपरेटिव शुगर फैक्टरीज (एनएफसीएसएफ) के अनुसार, चालू सीजन 2019-20 में देश में चीनी का उत्पादन 273 लाख टन है, जबकि पिछले साल का बकाया स्टॉक 145 लाख टन था। इस प्रकार चीनी कुल आपूर्ति 2019-20 में 418 टन रही, जबकि घरेलू खपत 250 लाख टन और निर्यात 60 लाख टन होने का अनुमान है। इस प्रकार, अगले सीजन के लिए 108 लाख टन चीनी का बचा हुआ स्टॉक रह जाएगा।............आर एस राणा

28 सितंबर 2020

केंद्र सरकार ने चीनी निर्यात की समयसीमा दिसंबर तक बढ़ाई

आर एस राणा
नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने चीनी मिलों को इस साल के लिए आवंटित चीनी कोटे का अनिवार्य निर्यात करने के लिए समय सीमा तीन महीने बढ़ाकर दिसंबर 2020 तक कर दी है। खाद्य मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने सोमवार को यह जानकारी दी।
सरकार ने सितंबर अंत में समाप्त होने वाले चालू पेराई सीजन 2019-20 के लिए अतिरिक्त चीनी के निपटान में मदद के लिए कोटा के तहत 60 लाख टन चीनी के निर्यात की अनुमति दी थी। खाद्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव सुबोध कुमार सिंह ने बताया कि 60 लाख टन में से 57 लाख टन चीनी के निर्यात अनुबंध हो गए है और मिलों से लगभग 56 लाख टन चीनी निकल चुकी है।
उन्होंने बताया कि इस समय कोविड-19 महामारी के दौरान आवाजाही में कठिनाई के चलते कुछ मिलें अपना स्टॉक भेज नहीं सकीं। सिंह ने कहा कि महामारी के दौरान कई मिलों को लॉजिस्टिक संबंधी मुद्दों का सामना करना पड़ा। इसलिए, हमने उन्हें अपना कोटा निर्यात करने के लिए दिसंबर तक कुछ और समय देने का फैसला किया है।
चीनी मिलों ने ईरान, इंडोनेशिया, नेपाल, श्रीलंका और बांग्लादेश जैसे देशों को चीनी का निर्यात किया है। आधिकारिक तौर पर कहा गया है कि इंडोनेशिया में चीनी के निर्यात को लेकर गुणवत्ता संबंधी कुछ मुद्दे थे, जिसका अब समाधान हो गया है और जिससे भारत के निर्यात को बढ़ावा मिला है। सरकार चीनी मिलों को पेराई सीजन 2019-20 के दौरान 60 लाख टन चीनी के निर्यात के लिए 6,268 करोड़ रुपये की सब्सिडी दे रही है, ताकि अतिरिक्त घरेलू स्टॉक को खत्म किया जा सके और किसानों के गन्ने का भारी बकाया भुगतान में मिलों को मदद मिल सके।.............. आर एस राणा

राज्यों को सस्ते भाव पर उड़द और मूंग दाल बेचेगी केंद्र सरकार

आर एस राणा
नई दिल्ली। केंद्र ने राज्यों को खुदरा बिक्री के लिए प्रसंस्कृत मूंग और उड़द दाल सब्सिडी वाली दरों पर उपलब्ध कराने की पेशकश की है। इससे इनकी बढ़ती कीमतों पर अंकुश लगेगा। केंद्रीय उपभोक्ता मामलों की सचिव लीना नंदन ने यह जानकारी देते हुए कहा कि इससे दलहन कीमतों में वृद्धि को रोकने में मदद मिलेगी। उन्होंने कहा कि राज्यों को मूंग दाल 92 रुपये प्रति किलो तथा उड़द 84 से 96 रुपये प्रति किलो के मूल्य पर उपलब्ध कराई जाएगी। यह मौजूदा बाजार दरों से काफी कम है।
उन्होंने कहा कि यह खुदरा मूल्य में बढ़ोतरी को रोकने के लिए यह व्यवस्था की जा रही है, जिसे मंत्री समूह ने हाल में मंजूरी दी है। इस पहल के तहत केंद्र सरकार ने राज्यों को प्रसंस्कृत मूंग और उड़द दाल थोक मात्रा में या एक अथवा आधा किलो के पैक में उपलब्ध कराने की पेशकश की है।
उन्होंने बताया कि राज्यों को ये दालें मूल्य स्थिरीकरण कोष (पीएसएफ) के तहत गठित बफर स्टॉक से उपलब्ध कराई जाएंगी। राज्य अपनी जरूरत का आंकलन कर अग्रिम भुगतान के बाद इनका उठाव कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि इन दालों की पेशकश सब्सिडी वाली दरों पर नई फसल की आवक तक दो महीने के लिए की जाएगी। इसमें न्यूनतम समर्थन मूल्य और अन्य शुल्क शामिल होंगे।
मूंग के लिए ऑर्डर 14 सितंबर को जारी किया जा चुका है। वहीं उड़द के लिए यह प्रक्रिया में है। सचिव ने बताया कि प्रसंस्करण, उठाव तथा परिवहन के शुल्क के साथ डीलर का मार्जिन केंद्र वहन करेगा। उन्होंने कहा कि हम इन दालों की पेशकश एमएसपी के साथ अन्य शुल्क जोड़कर कर रहे हैं। उदाहरण के लिए राज्यों को मूंग दाल 92 रुपये प्रति किलो के भाव पर दी जाएगी, जबकि इसका औसत खुदरा बाजार भाव करीब 100 रुपये प्रति किलो है। उन्होंने कहा कि इसी तरह राज्यों को बफर स्टॉक से उड़द दाल 84 रुपये किलो के भाव पर देने की पेशकश की गई है। उड़द धुली 90 रुपये और उड़द गोटा 96 रुपये प्रति किलो के भाव पर दी जाएगी।............. आर एस राणा

26 सितंबर 2020

पंजाब और हरियाणा से धान की खरीद आज से, खाद्य मंत्रालय ने लिया फैसला

आर एस राणा
नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने पंजाब और हरियाणा से न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर धान की खरीद तय समय पहली अक्टूबर 2020 के बजाए आज 26 सितंबर 2020 से ही करने का निर्णय किया है।
केंद्रीय खाद्य एवं उपभोक्ता मामले मंत्रालय के अनुसार पंजाब और हरियाणा से चालू खरीफ विपणन सीजन 2020-21 में धान की खरीद आज, यानि 26 सितंबर 2020 से शुरू की जायेगी, जबकि आमतौर पर खरीद पहली अक्टूबर से शुरू होती है। किसानों को धान बेचने में परेशानी नहीं आये, इसलिए सरकार ने यह फैसला किया है। चालू खरीफ विपणन सीजन 2020-21 के लिए केंद्र सरकार ने कॉमन ग्रेड धान का एमएसपी 1,868 रुपये और ग्रेड ए धान का 1,888 रुपये प्रति क्विंटल तय किया हुआ है।............... आर एस राणा

कपास खली के साथ ही बिनौले का बकाया स्टॉक ज्यादा, कीमतों पर दबाव

आर एस राणा
नई दिल्ली। कपास के प्रमुख उत्पादक राज्यों में कपास खली के साथ ही बिनौले का बकाया स्टॉक ज्यादा है जबकि उत्पादक मंडियों में नए बिनौले के साथ ही कपास खली की आवक शुरू हो गई है, इसलिए इनकी मौजूदा कीमतों में और भी 100 से 150 रुपये प्रति क्विंटल की गिरावट आने का अनुमान है। बुधवार को राजस्थान के अलवर में बिनौले का भाव 2,550 से 2,600 रुपये ओर खल का भाव 2,450 से 2,550 रुपये प्रति क्विंटल रहा। हरियाणा के आदमपुर में बिनौले का भाव एक्स फैक्ट्री 2,600 से 2,800 रुपये और खल का भाव 2,450 से 2,550 रुपये प्रति क्विंटल रहा।
अबोहर मंडी के कारोबारी संदीप बंसल के अनुसार लॉकडाउन के समय मार्च से मई के दौरान कपास खली के साथ ही बिनौले की बिक्री में भारी कमी आई थी, जबकि पिछले साल कपास का उत्पादन ज्यादा हुआ था, जिस कारण बिनौले के साथ कपास खली की उपलब्धता ज्यादा रही। इसीलिए वर्तमान में उत्पादक मंडियों में बिनौले के साथ ही कपास खली का बकाया स्टॉक ज्यादा बचा हुआ है। उन्होंने बताया कि इस समय नए बिनौले के साथ ही कपास खली की आवक शुरू हो गई है, लेकिन पुराने मालों में ग्राहकी गायब है। चालू सीजन में भी कपास का उत्पादन अनुमान ज्यादा है इसलिए खल और बिनौले की उपलब्धता ज्यादा रहेगा। आगे उत्पादक मंडियों में दैनिक आवक बढ़ेगी, इसलिए इनकी कीमतों पर दबाव बना रहेगा। उन्होंने बताया कि कृषि विधेयकों के विरोध के कारण कपास की आवक भी कम हो रही है, आगे जैसे ही स्थिति सामान्य होगी, कपास की आवक बढ़ेगी।
राजस्थान के अलवर के खल कारोबारी के अनुसार नए माल आने शुरू हो गए हैं, जिस कारण पुराने मालों में मांग लगभग बंद हो गई है। उन्होंने बताया कि चालू सीजन में कपास का उत्पादन अनुमान ज्यादा है, जिस कारण कपास खली के साथ ही बिनौले की उपलब्धता भी बढ़ेगी। अगस्त और सितंबर में बिनौले के साथ ही कपास खली की मांग में सुधार तो आया है लेकिन कुल मांग अभी भी सामान्य की तुलना में 20 से 25 फीसदी कम है, इसलिए इनकी मौजूदा कीमतों में आगे नई आवक बढ़ने और भी 100 से 150 रुपये प्रति क्विंटल का मंदा आने का अनुमान है।
कृषि मंत्रालय के पहले आरंभिक अनुमान के अनुसार कपास का उत्पादन चालू खरीफ सीजन में 371.18 लाख गांठ (एक गांठ-170 किलो) होने का अनुमान है जबकि पिछले साल 354.91 लाख गांठ कपास का उत्पादन हुआ था।..... आर एस राणा

खरीफ की बुआई का आकड़ा 1,116 लाख हेक्टेयर के पार, 4.77 फीसदी ज्यादा

आर एस राणा
नई दिल्ली। प्री-मानसून के साथ ही मानसूनी बारिश अच्छी होने से चालू खरीफ में फसलों की बुआई 4.77 फीसदी बढ़कर 1,116.88 लाख हेक्टेयर हो चुकी है जबकि पिछले खरीफ की समान अवधि में इनकी बुआई 1,066.06 लाख हेक्टेयर में ही हो पाई थी। भारतीय मौसम विभाग के अनुसार पहली जून से 25 सितंबर तक देशभर में सामान्य से 9 फीसदी ज्यादा बारिश हुई है।
कृषि मंत्रालय के अनुसार चालू खरीफ में दालों की बुआई 4.05 फीसदी बढ़कर 139.36 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है पिछले साल इस समय तक 133.94 लाख हेक्टेयर में ही बुआई हो पाई थी। खरीफ सीजन में सामान्यत: 128.88 लाख हेक्टेयर में दालों की बुआई होती है। खरीफ दलहन की प्रमुख फसल अरहर की बुआई पिछले साल की तुलना में 5.69 फीसदी बढ़कर 48.49 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जोकि पिछले साल की समान अवधि के 45.88 लाख हेक्टेयर से ज्यादा है। सामान्यत: अरहर की बुआई 44.29 लाख हेक्टेयर में ही होती है। इसी तरह से उड़द की बुआई बढ़कर 38.96 लाख हेक्टेयर में और मूंग की बुआई 35.84 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक इनकी बुआई क्रमश: 38.52 एवं 31.01 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी।
धान की रोपाई 5.56 फीसदी बढ़ी, मोटे अनाजों की भी ज्यादा
खरीफ की प्रमुख फसल धान की रोपाई चालू खरीफ में 5.56 फीसदी बढ़कर 407.14 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक इसकी रोपाई केवल 385.71 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी। मोटे अनाजों की बुआई चालू खरीफ में 1.47 फीसदी बढ़कर 183.01 लाख हेक्टेयर में बुआई हो चुकी है जबकि पिछले साल की समान अवधि में इनकी बुआई केवल 180.35 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी। मोटे अनाजों में ज्वार की बुआई 16.87 और बाजरा की 67.51 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल की समान अवधि में इनकी बुआई क्रमश: 17.08 और 66.07 लाख हेक्टेयर में हुई थी। मक्का की बुआई चालू खरीफ में बढ़कर 83.27 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जोकि पिछले साल के 82.33 लाख हेक्टेयर से ज्यादा है। रागी की बुआई भी बढ़कर चालू खरीफ में 10.58 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल 9.94 लाख हेक्टेयर में ही बुआई हो पाई थी।
मूंगफली की बुआई 29 फीसदी से ज्यादा बढ़ी, सोयाबीन की भी ज्यादा
तिलहनी फसलों की बुआई चालू खरीफ में 9.77 फीसदी बढ़कर 197.18 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक 179.63 लाख हेक्टेयर में ही बुआई हो पाई थी। तिलहन की प्रमुख फसल सोयाबीन की बुआई 121.24 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जोकि सामान्य क्षेत्रफल 110.32 लाख हेक्टेयर से भी ज्यादा है। पिछले साल इस समय तक सोयाबीन की बुआई 113.95 लाख हेक्टेयर में ही हो पाई थी। मूंगफली की बुआई बढ़कर 50.98 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक केवल 39.48 लाख हेक्टेयर में ही बुआई हो पाई थी। सामान्यत: मूंगफली की बुआई 41.41 लाख हेक्टेयर में ही होती है। केस्टर सीड की बुआई चालू खरीफ में जरुर थोड़ी घटकर 7.92 लाख हेक्टेयर में ही हुई है जोकि पिछले साल के 9.44 लाख हेक्टेयर से कम है।
कपास के साथ गन्ने की बुआई ज्यादा
कपास की बुआई चालू खरीफ में 2.11 फीसदी बढ़कर 130.37 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक केवल 127.67 लाख हेक्टेयर में ही बुआई हो पाई थी। गन्ने की बुआई चालू सीजन में 52.84 लाख हेक्टेयर में हुई है जोकि पिछले साल के 51.89 लाख हेक्टेयर से ज्यादा है।............. आर एस राणा

22 सितंबर 2020

चालू वित्त वर्ष के पहले चार महीनों में ग्वार गम उत्पादों का निर्यात 47.77 फीसदी घटा

आर एस राणा
नई दिल्ली। चालू वित्त वर्ष 2020-21 के पहले चार महीनों अप्रैल से जुलाई के दौरान ग्वार गम उत्पादों के निर्यात में 47.77 फीसदी की भारी गिरावट आकर कुल निर्यात 82,499 टन का ही हुआ है जबकि इसके पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में इनका निर्यात 1,57,138 टन का हुआ था।

एपीडा के अनुसार अप्रैल से जुलाई के दौरान मूल्य के हिसाब से ग्वार गम उत्पादों का निर्यात चालू वित्त वर्ष के पहले चार महीनों में घटकर 683 करोड़ रुपये का ही हुआ है जबकि पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में इनका निर्यात 1,296 करोड़ रुपये का हुआ था।
जुलाई में ग्वार गम उत्पादों का निर्यात घटकर 22,724 टन का ही हुआ है ज​बकि पिछले साल जुलाई में इनका निर्यात 41,133 टन का हुआ था। जून के मुकाबले भी जुलाई में निर्यात कम हुआ है। जून में ग्वार गम उत्पादों का निर्यात 31,189 टन का हुआ था।
हरियाणा की एक प्रमुख ग्वार गम निर्यातक कंपनी के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार इस समय ग्वार गम की निर्यात मांग कच्चे तेल के उत्पादन में लगी इकाइयों की सामान्य से 50 से 60 फीसदी से भी कम है, केवल अन्य उपयोगकर्ता कंपनियां ही आयात कर रही हैं। उन्होंने बताया कि पिछले चार महीनों में ग्वार गम उत्पादों का निर्यात कम हुआ, जिस कारण मिलों के पास बकाया स्टॉक ज्यादा बचा हुआ है जबकि चालू महीने के अंत तक नई फसल की आवक बढ़ जायेगी। हालांकि चालू सीजन में ग्वार सीड का उत्पादन अनुमान कम है, लेकिन कम उत्पादन के बावजूद भी अभी कीमतों में तेजी मानकर व्यापार नहीं करना चाहिए। ............ आर एस राणा

पूर्वोत्तर के साथ उत्तर भारत के कई राज्यों में बारिश का अनुमान

आर एस राणा
नई दिल्ली। मानसूनी सीजन समाप्ति की ओर तथा भारतीय मौसम विभाग (आईएमडी) के अनुसार चालू सीजन में पहली जून से 22 सितंबर तक देशभर में सामान्य से 8 फीसदी अधिक बारिश हुई है। देशभर के 36 सबडिवीजनों में से जहां 2 में अत्याधिक बारिश हुई है, वहीं 11 सबडिवीजनों में सामान्य ज्यादा और 18 में सामान्य बारिश हुई है जबकि पांच में सामान्य से कम बारिश हुई है।

मौसम की जानकारी देने वाली​ निजी एजेंसी स्काईमेट के अनुसार निम्न दबाव का क्षेत्र एबी आंतरिक ओडिशा और इससे सटे भागों पर पहुँच गया है। इसके साथ ही एक चक्रवाती सिस्टम भी बना हुआ है, जो समुद्र तल से लगभग 7.6 किमी ऊपर है। मानसून की अक्षीय रेखा आज बीकानेर, जयपुर, गुना, जबलपुर, पेंडरा रोड और ओडिशा पर बने निम्न दबाव तक पहुँच रही है। 17 डिग्री उत्तरी अक्षांश पर एक पूर्वी-पश्चिमी विंड शीयर ज़ोन बना हुआ है। उत्तरी महाराष्ट्र के तटीय भागों और इससे सटे क्षेत्रों पर एक चक्रवाती सिस्टम बना हुआ है।

अगले 24 घंटों के दौरान संभावित मानसून का प्रदर्शन

अगले 24 घंटों के दौरान पूर्वोत्तर भारत, पश्चिम बंगाल, बिहार, झारखंड, कोंकण और गोवा और मध्य प्रदेश के कुछ हिस्सों में मध्यम से भारी बारिश या गरज के साथ बारिश की गतिविधियाँ संभव हैं। तटीय कर्नाटक, उत्तरी छत्तीसगढ़, उत्तर प्रदेश के पूर्वी और मध्य भागों में कुछ स्थानों पर हल्की से मध्यम बारिश के साथ एक-दो स्थानों पर भारी बारिश हो सकती है। विदर्भ, आंतरिक महाराष्ट्र, गुजरात, पूर्वी राजस्थान, उत्तर प्रदेश के पश्चिमी भागों, उत्तराखंड, दिल्ली, हरियाणा, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, केरल और लक्षद्वीप में हल्की से मध्यम बारिश के आसार हैं। पंजाब, हिमाचल प्रदेश और तमिलनाडु के कुछ हिस्सों में हल्की बारिश संभव है।

पिछले 24 घंटों में कैसा रहा मानसून का प्रदर्शन

बीते 24 घंटों के दौरान गोवा और दक्षिणी तटीय महाराष्ट्र के शहरों में भीषण मानसून वर्षा देखने को मिली है। तटीय कर्नाटक में भी कई जगहों पर मध्यम से भारी बारिश हुई। पश्चिम बंगाल, असम, मेघालय, ओडिशा के कुछ हिस्सों, छत्तीसगढ़, झारखंड के कुछ हिस्सों में हल्की से मध्यम बारिश के साथ दर्ज की गई। साथ ही केरल, तेलंगाना और पूर्वी मध्य प्रदेश में भी कहीं-कहीं पर बारिश हुई है। पूर्वोत्तर भारत, बिहार के कुछ हिस्सों, दक्षिण-पूर्वी उत्तर प्रदेश, अंडमान व निकोबार द्वीपसमूह, लक्षद्वीप, आंतरिक महाराष्ट्र, गुजरात, दक्षिण-पूर्वी उत्तर प्रदेश और दक्षिणी मध्य प्रदेश में कुछ स्थानों पर हल्की से मध्यम बारिश हुई। तटीय आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु के कुछ हिस्सों में हल्की बारिश हुई जबकि उत्तराखंड में छिटपुट बारिश देखने को मिली। ............

आर एस राणा

स्वामीनाथन समिति की सभी सिफारिशें लागू हुईं - गजेंद्र सिह शेखावत

आर एस राणा
नई दिल्ली। कृषि से संबंधित तीन विधेयकों के विपक्ष की ओर से विरोध के बीच, केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेंद्र सिह शेखावत ने कहा कि मोदी सरकार ने कृषि क्षेत्र के लिए स्वामीनाथन आयोग की अनुशंसाओं को स्वीकार किया है और इनमें से सभी को लागू किया है।

भाजपा किसान इकाई के महासचिव ने यहां एक प्रेस वार्ता में कहा, आयोग के पांच भाग की रिपोर्ट की सभी अनुशंसाओं को कृषि क्षेत्र में सुधार लाने के लिए स्वीकार किया गया है। उन्होंने कहा कि प्रोफेसर एमएस स्वामीनाथन ने खुद स्वीकार किया कि यह पहली बार है कि केंद्र में किसी सरकार ने कृषि क्षेत्र के लिए चिंता दिखाई है और किसानों के कल्याण के लिए काम किया है।

शेखावत ने कहा कि मोदी सरकार ने 2014 के बाद से किसानों के कल्याण के लिए कई कदम उठाए हैं, जिसके तहत न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को बढ़ाया गया है और सिंचाई नेटवर्क को मजबूत किया गया है। साथ ही क्रेडिट फैसिलिटी को भी बढ़ाया गया है। एमएस स्वामीनाथन के नेतृत्व में भारत में किसानों की आत्महत्या के मामले में राष्ट्रीय आयोग की स्थापना की गई थी, जिसे स्वामीनाथ आयोग कहा जाता है। मंत्री ने कहा कि मोदी सरकार की यह प्रतिबद्धता है कि राज्य की एजेंसियों द्वारा अधिकतम कृषि उत्पादों की खरीद सुनिश्चित की जाए और किसानों की आय दोगुनी की जाए।

शेखावत ने कहा कि 2020-21 के सीजन में गेहूं और चावल की एमएसपी में 2013-14 की तुलना में क्रमश: 40 और 43 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। मंत्री ने कहा कि चूंकि हम खाद्यान्न की कमी वाले देश से अब खाद्यान्न की प्रचुरता वाले देश बन चुके हैं, हमारी सरकार ने उत्पादन-केंद्रित से लाभकारी-केंद्रित अप्रोच अपनाया है। हम चाहते हैं कि किसानों को उनके उत्पादों का अधिकतम मूल्य मिले।.......... आर एस राणा

आवश्यक वस्तु संशोधन विधेयक को संसद की मंजूरी

आर एस राणा
नई दिल्ली। संसद ने अनाज, तिलहनों, खाद्य तेलों, प्याज एवं आलू को आवश्यक वस्तुओं की सूची से बाहर करने के प्रावधान वाले विधेयक को मंगलवार को मंजूरी दे दी। राज्यसभा ने इससे संबंधित आवश्यक वस्तु (संशोधन) विधेयक को चर्चा के बाद ध्वनिमत से पारित कर दिया। लोकसभा इसे 15 सितंबर को ही पारित कर चुकी है।यह विधेयक कानून बनने के बाद इससे संबंधित अध्यादेश का स्थान लेगा। इस विधेयक का मकसद निजी निवेशकों की कुछ आशंकाओं को दूर करना है। व्यापारियों को अपने कारोबारी गतिविधियों में अत्यधिक नियामक हस्तक्षेप को लेकर चिंताएं बनी रहती हैं। सरकार पहले ही कह चुकी है कि उत्पादन, उत्पादों को जमा करने, आवागमन, वितरण एवं आपूर्ति की स्वतंत्रता से बड़े स्तर पर अर्थव्यवस्था को प्रोत्साहन मिलेगा तथा कृषि क्षेत्र में निजी एवं विदेशी प्रत्यक्ष निवेश आकर्षित होगा।

विधेयक पर हुई संक्षिप्त चर्चा का जवाब देते हुए उपभोक्ता मामलों तथा खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण राज्य मंत्री रावसाहेब दानवे ने कहा कि कानून के जरिये स्टॉक की सीमा थोपने से कृषि क्षेत्र में निवेश में अड़चनें आ रही हैं। उन्होंने कहा कि साढ़े छह दशक पुराने इस कानून में स्टॉक रखने की सीमा राष्ट्रीय आपदा तथा सूखे की स्थिति में मूल्यों में भारी वृद्धि जैसे आपात हालात उत्पन्न होने पर ही लागू की जाएगी। विधेयक में प्रसंस्करणकर्ताओं और मूल्य वर्द्धन करने वाले पक्षों को स्टॉक सीमा से छूट दी गयी है। दानवे ने कहा कि इस कदम से कृषि क्षेत्र में निवेश बढ़ेगा तथा अधिक भंडारण क्षमता सृजित होने से फसलों की कटाई पश्चात होने वाले नुकसान को कम किया जा सकेगा। उन्होंने कहा कि यह संशोधन किसानों एवं उपभोक्ताओं दोनों के पक्ष में है।

इससे पहले 20 सितंबर को कृषि से जुड़े दो महत्वपूर्ण विधेयकों को राज्यसभा ने विपक्षी सदस्यों के भारी हंगामे के बीच ध्वनिमत से अपनी मंजूरी दे दी थी। सरकार द्वारा इन दोनों विधेयकों को देश में कृषि क्षेत्र से जुड़े अब तक के सबसे बड़े सुधार की दिशा में उठाया गया महत्वपूर्ण कदम बताया जा रहा है।

कृषि उत्पादन व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) विधेयक 2020- किसान मनचाही जगह पर फसल बेच सकते हैं। बिना किसी रुकावट दूसरे राज्यों में भी कारोबार कर सकते हैं। एपीएमसी के दायरे से बाहर भी खरीद-बिक्री संभव है। ऑनलाइन बिक्री इलेक्ट्रॉनिक ट्रेडिंग से होगी, जिससे मार्केटिंग लागत बचेगी और बेहतर दाम मिलेंगे। फसल की बिक्री पर कोई टैक्स नहीं लगेगा।

मूल्य आश्वासन पर किसान (बंदोबस्ती और सुरक्षा) समझौता और कृषि सेवा विधेयक 2020- राष्ट्रीय स्तर पर कॉन्ट्रेक्ट फार्मिंग की व्यवस्था बनेगी। रिस्क किसानों का नहीं, एग्रीमेंट करने वालों पर होगा। किसान कंपनियों को अपनी कीमत पर फसल बेचेंगे। किसानों की आय बढ़ेगी, बिचौलिया राज खत्म होगा। तय समय सीमा में विवाद निपटारे की व्यवस्था होगी। .............. आर एस राणा

21 सितंबर 2020

चालू खरीफ में खाद्यन्न का उत्पादन 4.18 फीसदी बढ़ने का अनुमान

आर एस राणा
नई दिल्ली। फसल सीजन 2020-21 के खरीफ सीजन में खाद्यान्न का उत्पादन 4.18 फीसदी बढ़कर 14.93 करोड़ टन होने का अनुमान है जबकि फसल सीजन 2019-20 खरीफ सीजन के चौथे आरंभिक अनुमान के अनुसार 14.33 करोड़ टन खाद्यान्न का उत्पादन हुआ था।
कृषि मंत्रालय के अनुसार चालू खरीफ में प्रमुख फसल चावल का उत्पादन 10.26 करोड़ टन होने का अनुमान है जबकि पिछले खरीफ में इसका उत्पादन 10.19 करोड़ टन का ही हुआ था। मक्का का उत्पादन चालू खरीफ में 220 लाख टन होने का अनुमान है जबकि पिछले खरीफ सीजन में इसका उत्पादन 196.3 लाख टन का हुआ था। दालों का उत्पादन चालू खरीफ सीजन 2020-21 में बढ़कर 106 लाख टन होने का अनुमान है जबकि पिछले खरीफ में इनका उत्पादन 77.2 लाख टन का ही हुआ था।
तिलहनी फसलों का उत्पादन चालू खरीफ में बढ़कर 255.5 लाख टन होने का अनुमान है जबकि पिछले खरीफ में 223.16 लाख टन का ही उत्पादन हुआ था। खरीफ तिलहन में मूंगफली का उत्पादन 74.2 लाख टन होने का अनुमान है जबकि पिछले साल खरीफ में 83.67 लाख टन का उत्पादन हुआ था। कपास का उत्पादन चालू खरीफ सीजन में 360 लाख गांठ (एक गांठ-170 किलो) होने का अनुमान है जबकि पिछले साल 354.91 लाख गांठ कपास का उत्पादन हुआ था। ...............आर एस राणा

केंद्र सरकार ने गेहूं का एमएसपी 50 रुपये और चना का 225 रुपये बढ़ाया

आर एस राणा
नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने आगामी रबी विपणन सीजन 2021-22 के लिए रबी फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में बढ़ोतरी को सोमवार को मंजूरी दे दी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडल समिति (सीसीईए) की बैठक में गेहूं के एमएसपी में 50 रुपये प्रति क्विंटल तथा चना के एमएसपी में 225 रुपये प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी को मंजूदी दी गई।
केंद्र सरकार ने आगामी रबी विपणन सीजन 2021-22 के लिए गेहूं का एमएसपी 1,925 रुपये प्रति क्विंटल से बढ़ाकर 1,975 रुपये प्रति क्विंटल तय कर दिया। इसी तरह से चना के न्यूनतम समर्थन मूल्य को 4,875 रुपये से बढ़ाकर 5,100 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया। जौ के समर्थन मूल्य में 75 रुपये प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी कर एमएसपी 1,600 रुपये प्रति क्विंटल तय किया है।
रबी तिलहन की प्रमुख फसल सरसों के न्यूनतम समर्थन मूल्य में 225 रुपये प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी कर रबी विपणन सीजन 2021-22 के लिए एमएसपी 4,650 रुपये प्रति क्विंटल तय किया है। सफ्लावर के एमएसपी में 112 रुपये की बढ़ोतरी कर भाव 5,327 रुपये प्रति क्विंटल तय किया है। रबी दलहन की अन्य फसल मसूर के एमएसपी में 300 रुपये प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी कर भाव 5,100 रुपये प्रति क्विंटल तय किया है।   .............. आर एस राणा

19 सितंबर 2020

भारत ने दी बांग्लादेश को प्याज निर्यात की अनुमति

आर एस राणा
नई दिल्ली। भारत सरकार ने बांग्लादेश को 25,000 टन प्याज के निर्यात की विशेष अनुमति प्रदान की है, जो स्थानीय व्यापारियों के मुताबिक, देशों के सीमा पर ट्रकों में लोड है।
सूत्रों के अनुसार भारत सरकार ने विशेष विचार पर बांग्लादेश को 25,000 टन प्याज निर्यात करने का निर्णय लिया है। ऐसा भारत ने अपने सबसे करीबी मित्र बांग्लादेश को सहयोग प्रदान करने के खातिर किया है। 14 सितंबर को भारत द्वारा प्याज के निर्यात पर आकस्मिक प्रतिबंध लगाए जाने के बाद बांग्लादेश में प्याज की कीमतों में तेजी बनने लगी थी।पिछले सिंतबर में भी भारत द्वारा इसी तरह का प्रतिबंध लगाया गया था और इसका भी तात्कालिक प्रभाव यहां के बाजारों में देखने को मिला था। बांग्लादेश में प्याज की कीमतें 40 टका प्रति किलो से बढ़कर 300 टका प्रति किलो तक बढ़ गई, जिसे देखते हुए मंगलवार को बांग्लादेश में भारतीय उच्चायोग को लिखे एक पत्र में ढाका के विदेश मंत्रालय ने कहा कि प्याज के निर्यात पर अचानक प्रतिबंध लगाया जाना एक गहरी चिंता का विषय है और इससे अन्य आवश्यक खाद्य सामग्रियों पर प्रतिबंध को लेकर पहले हो रही चर्चाएं भी थम गई है।
खुदरा विक्रेताओं द्वारा ढाका और चटगांव में थोक विक्रेताओं की तुलना में प्याज की बिक्री प्रति किलो के हिसाब से 10-20 टका अधिक कीमत लगाकर की जा रही थी।............आर एस राणा

18 सितंबर 2020

खरीफ का आकड़ा 1,113 लाख हेक्टेयर के पार, दलहन एवं तिलहन की बुआई ज्यादा

आर एस राणा
नई दिल्ली। चालू खरीफ सीजन में हुई अच्छी बारिश से फसलों की कुल बुआई 5.71 फीसदी बढ़कर 1,113.63 लाख हेक्टेयर हो चुकी है जबकि पिछले खरीफ की समान अवधि में इनकी बुआई 1,053.52 लाख हेक्टेयर में ही हो पाई थी। दलहन के साथ ही तिलहनों की रिकार्ड बुआई हुई है जबकि धान की रोपाई भी चालू खरीफ सामान्य क्षेत्रफल से बढ़ी है।
कृषि मंत्रालय के अनुसार चालू खरीफ में दालों की बुआई 4.74 फीसदी बढ़कर 138.62 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है पिछले साल इस समय तक 132.34 लाख हेक्टेयर में ही बुआई हो पाई थी। खरीफ सीजन में सामान्यत: 128.88 लाख हेक्टेयर में दालों की बुआई होती है। खरीफ दलहन की प्रमुख फसल अरहर की बुआई पिछले साल की तुलना में 6.12 फीसदी बढ़कर 48.24 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जोकि पिछले साल की समान अवधि के 45.46 लाख हेक्टेयर से ज्यादा है। सामान्यत: अरहर की बुआई 44.29 लाख हेक्टेयर में ही होती है। इसी तरह से उड़द की बुआई बढ़कर 38.63 लाख हेक्टेयर में और मूंग की बुआई 35.79 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक इनकी बुआई क्रमश: 38.03 एवं 30.75 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी।
धान की रोपाई पिछले साल से ज्यादा, मोटे अनाजों की बुआई भी बढ़ी
खरीफ की प्रमुख फसल धान की रोपाई चालू खरीफ में 7.46 फीसदी बढ़कर 406.97 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक इसकी रोपाई केवल 378.71 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी। मोटे अनाजों की बुआई चालू खरीफ में 1.97 फीसदी बढ़कर 182.17 लाख हेक्टेयर में बुआई हो चुकी है जबकि पिछले साल की समान अवधि में इनकी बुआई केवल 178.65 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी। मोटे अनाजों में ज्वार की बुआई 16.77 और बाजरा की 67.51 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल की समान अवधि में इनकी बुआई क्रमश: 16.85 और 65.97 लाख हेक्टेयर में हुई थी। मक्का की बुआई चालू खरीफ में बढ़कर 82.71 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जोकि पिछले साल के 81.19 लाख हेक्टेयर से ज्यादा है। रागी की बुआई भी बढ़कर चालू खरीफ में 10.42 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल 9.73 लाख हेक्टेयर में ही बुआई हो पाई थी।
मूंगफली और सोयाबीन की बुआई बढ़ने से उत्पादन अनुमान ज्यादा
तिलहनी फसलों की बुआई चालू खरीफ में 10.49 फीसदी बढ़कर 196.78 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक 178.10 लाख हेक्टेयर में ही बुआई हो पाई थी। सामान्यत: खरीफ में इनकी बुआई 178.08 लाख हेक्टेयर में ही होती है। तिलहन की प्रमुख फसल सोयाबीन की बुआई 121.21 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जोकि सामान्य क्षेत्रफल 110.32 लाख हेक्टेयर से भी ज्यादा है। पिछले साल इस समय तक सोयाबीन की बुआई 113.41 लाख हेक्टेयर में ही हो पाई थी। मूंगफली की बुआई बढ़कर 50.95 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक केवल 39.13 लाख हेक्टेयर में ही बुआई हो पाई थी। सामान्यत: मूंगफली की बुआई 41.41 लाख हेक्टेयर में ही होती है। केस्टर सीड की बुआई चालू खरीफ में जरुर थोड़ी घटकर 7.74 लाख हेक्टेयर में ही हुई है जोकि पिछले साल के 9.10 लाख हेक्टेयर से कम है।
कपास की बुआई में हुई बढ़ोतरी
कपास की बुआई चालू खरीफ में 1.87 फीसदी बढ़कर 129.47 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक केवल 127.09 लाख हेक्टेयर में ही बुआई हो पाई थी। गन्ने की बुआई चालू सीजन में 52.65 लाख हेक्टेयर में हुई है जोकि पिछले साल के 51.78 लाख हेक्टेयर से ज्यादा है।.................. आर एस राणा

कृषि अध्यादेशों के विरोध में पंजाब और हरियाणा में व्यापारियों की हड़ताल

आर एस राणा
नई दिल्ली। कें‍द्र के तीन कृषि अध्यादेशों को किसान और व्यापारी विरोधी बताते हुए हरियाणा एवं पंजाब के ​व्यापारियों के अनिश्चितकालीन हड़ताल शुरू कर दी, जिस कारण शुक्रवार को मंडियों में धान के साथ ही अन्य एग्री जिंसों की आवक नहीं हुई। एकाध में आवक हुई भी तो बोली नहीं हो पाई।
करनाल मंडी के धान कारोबारी संदीप गुप्ता ने बताया कि सरकार द्वारा लाये गए तीन नए अध्यादेशों का व्यापारी विरोध कर रहे हैं, इस​लिए हड़ताल शुरू कर दी है। उन्होंने बताया कि राज्य के किसान इन अध्यादेशों का पहले ही विरोध कर रहे हैं तथा हड़ताल में व्यापारी, मिलर्स और निर्यातक भी शामिल हो गए है। उन्होंने बताया कि हड़ताल के कारण मंडियों में एग्री जिंसों की दैनिक आवक नहीं हुई, कुछ जगहों पर आवक हुई तो बोली नहीं हो पाई।
फाजलिका के धान व्यापारी राकेश बत्रा के बताया कि पंजाब की मंडियों में आज कारोबार नहीं हुआ। व्यापारी सरकार द्वारा लाए गए तीन नए अध्यादेशों का विरोध कर रहे हैं। साथ ही राज्य में मंडी टैक्स सबसे ज्यादा है, तथा राज्य के व्यापारी मंडी टैक्स को साढ़े छह फीसदी से घटाकर एक फीसदी करने की मांग कर रहे हैं।
देशभर में जारी किसानों के विरोध प्रदर्शन के बीच लोकसभा में कृषि से जुड़े तीनों बिल पास हो चुके हैं। लोकसभा में इस बिल का कांग्रेस, लेफ्ट और डीएमके ने तो विरोध किया ही, भाजपा की सहयोगी पार्टी अकाली दल ने भी विरोध किया। वहीं बिल पास होने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किसानों को भरोसा दिया कि एमएसपी और सरकारी खरीद की व्यवस्था बनी रहेगी।.............. आर एस राणा



केंद्र ने मसूर के सस्ते आयात को दी मंजूरी, अक्टूबर अंत तक होगा 10 फीसदी पर आयात

आर एस राणा
नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने एक बार फिर से मसूर के आयात शुल्क में कटौती कर दी है। 18 सितंबर से 31 अक्टूबर 2020 की अवधि के दौरान 10 फीसदी के आयात शुल्क पर ही होगा मसूर का आयात।
विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) द्वारा जारी अधिसूचना के अनुसार मसूर के आयात पर 31 अक्टूबर 20 तक 10 फीसदी के आयात शुल्क पर ही होगा। इससे पहले 31 अगस्त तक 10 फीसदी के आयात शुल्क पर आयात हो रहा था, लेकिन अब सरकार ने इसे फिर से बढ़ा दिया है। घरेलू बाजार में उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए केंद्र सरकार ने चालू वित्त वर्ष में एक बार से फिर से मसूर के आयात शुल्क में कटौती की है।
आरबीआई के गवर्नर शशिकांत दास द्वारा 2 जून को दिए गए बयान के बाद केंद्र सरकार ने तीन महीने के लिए मसूर के आयात पर शुल्क को घटाकर 31 अगस्त 2020 तक 10 फीसदी कर दिया था। जबकि इससे पहले 30 फीसदी आयात शुल्क था। सूत्रों के अनुसार अगस्त 2020 से मार्च 2021 के दौरान मसूर का 3 से 4 लाख टन आयात मसूर के आयात का अनुमान था, जबकि सरकार ने एक महीने के लिए फिर से आयात शुल्क में कटौती कर दी। इसका असर विश्व बाजार के साथ घरेलू बाजार में मसूर की कीमतों पर पड़ेगा। ....... आर एस राणा

17 सितंबर 2020

भारतीय आयातकों की खरीद म्यमांर में उड़द और अरहर तेज

आर एस राणा
नई दिल्ली। भारतीय आयातकों की खरीद से बर्मा के दलहन बाजार में उड़द एफएक्यू/एसक्यू और नई व पुरानी लेमन के साथ ही चना और राजमा कीमतों में गुरूवार को तेजी दर्ज की गई। उड़द एसक्यू के भाव में 45 डॉलर की तेजी आकर भाव 830 डॉलर प्रति टन सीएडंएफ हो जबकि एसक्यू की कीमतों में 40 डॉलर की तेजी आकर भाव 950 डॉलर प्रति टन सीएडंएफ हो गए।
चना की कीमतों में 15 डॉलर की तेजी आकर भाव 770 से 775 डॉलर प्रति टन सीएडंएफ बोले गए जबकि लेमन अरहर की कीमतों में पुरानी में 15 और नई में 25 डॉलर की तेजी आकर भाव क्रमश: 680 और 700 डॉलर प्रति टन सीएडंएफ हो गए। राजमा की कीमतों में भी 30 से 50 डॉलर की तेजी आकर भाव 1,050 से 1,150 डॉलर प्रति टन सीएडंएफ बोले गए।
भारतीय आयातक बड़ी मात्रा में अरहर और उड़द की खरीद कर रहे हैं, उन्हें उम्मीद है कि सरकार जल्द ही दाल मिलों को कोटा आवंटित करेगी। उड़द का स्टॉक लगभग 2.5-3 लाख टन और अरहर का स्टॉक एक लाख टन होने का अनुमान है।........ आर एस राणा

अगस्त में डीओसी का निर्यात 25 फीसदी घटा, विश्व बाजार में दाम नीचे

आर एस राणा
नई दिल्ली। विश्व बाजार में कीमतें कम होने के कारण अगस्त में डीओसी के निर्यात में 25 फीसदी की गिरावट आकर कुल निर्यात 1,71,515 टन का ही हुआ है जबकि पिछले साल अगस्त में 2,28,484 टन का निर्यात हुआ था।
सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एसईए) के अनुसार अंतरराष्ट्रीय बाजार में कीमतें कम है, जबकि घरेलू बाजार में दाम उंचे बने हुए हैं जिस कारण निर्यात में कमी आई है। चालू वित्त वर्ष 2020-21 के पहले पांच महीनों अप्रैल से अगस्त के दौरान सरसों डीओसी का निर्यात 6 फीसदी बढ़कर 4,87,060 टन का हुआ है जबकि पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में इसका निर्यात 4,60,212 टन का ही हुआ था।
एसईए के अनुसार चालू वित्त वर्ष 2020-21 के पहले पांच महीनों अप्रैल से अगस्त के दौरान डीओसी के निर्यात में 12 फीसदी की कमी आकर कुल निर्यात 10,13,177 टन का ही हुआ है जबकि पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में 11,46,295 टन का निर्यात हुआ था। चालू वित्त वर्ष के पहले पांच महीनों में सोया डीओसी और केस्टर डीओसी के निर्यात में कमी आई है जबकि सरसों डीओसी के साथ ही राइसब्रान डीओसी का निर्यात बढ़ा है।
जुलाई के मुकाबले अगस्त महीने में भारतीय बंदरगाह पर डीओसी की कीमतों में भी तेजी दर्ज की गई। एसईए के अनुसार अगस्त में सोया डीओसी के भाव भारतीय बंदरगाह पर 445 डॉलर प्रति टन रहे जबकि जुलाई में इसके भाव 440 डॉलर प्रति टन थे। इसी तरह से सरसों डीओसी के भाव जुलाई के 216 डॉलर से बढ़कर अगस्त में 219 डॉलर प्रति टन हो गए। जानकारों के अनुसार सोया डीओसी में इस समय भी निर्यात मांग कमजोर बनी हुई है, आगे नई फसल की आवक बनने पर घरेलू मंडियों में सोयाबीन के भाव कैसे रहते हैं, इस पर सोया डीओसी की निर्यात मांग निर्भर करेगी।.............. आर एस राणा

15 सितंबर 2020

प्याज के निर्यात पर लगी रोक, कीमतों में नरमी की उम्मीद

आर एस राणा
नई दिल्ली। प्याज के दाम में हो रही वृद्धि को देखते हुए केंद्र सरकार ने प्याज की सभी वेरायटी के निर्यात पर रोक लगा दी है। प्याज के निर्यात पर रोक लगने से आगे कीमतों में नरमी की उम्मीद की जा सकती है। सूत्रों के अनुसार पिछले दो-तीन महीनों में  प्याज का निर्यात काफी बढ़ गया था जिससे घरेलू आपूर्ति में कमी के चलते कीमतों में तेजी दर्ज की गई।
देश की राजधानी दिल्ली और आसपास के इलाकों में इस समय खुदरा प्याज 40 रुपये प्रति किलो के ऊपर बिक रहा है। वहीं आजादपुर थोक मंडी में सोमवार को प्याज का भाव 13.75 रुपये से लेकर 27.50 रुपये प्रति किलो था।
केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के तहत आने वाले विदेश व्यापार महानिदेशालय की ओर से जारी एक अधिसूचना के मुताबिक, प्याज की सभी वेरायटी के निर्यात पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी गई है। अधिसूचना में कहा गया है कि ट्रांजिशनल एग्रीमेंट के प्रावधान इस अधिसूचना के तहत लागू नहीं होगा। सूत्रों के अनुसार अप्रैल से जुलाई के दौरान प्याज का निर्यात पिछले साल के मुकाबले करीब 30 फीसदी ज्यादा हुआ जिससे देश में प्याज की आपूर्ति में आगे कमी की आशंका से दाम में इजाफा हुआ है क्योंकि दक्षिण भारत में भारी बारिश के कारण प्याज की फसल खराब हो गई है।
आजादपुर मंडी पोटैटो ऑनियन मर्चेंट एसोसिएशन यानी पोमा के जनरल सेक्रेटरी राजेंद्र शर्मा ने कहा कि निर्यात प्रतिबंध अच्छा फैसला है इससे प्याज के दाम में वृद्धि पर विराम लगेगा। शर्मा ने कहा कि दक्षिण भारत में प्याज की फसल खराब होने से आपूर्ति में कमी का संकट बना हुआ है इसलिए सरकार को निर्यात पर प्रतिबंध के साथ-साथ आयात करने पर भी विचार करना चाहिए। पिछले साल भी त्योहारी सीजन के दौरान प्याज का दाम आसमान चढ़ गया था। दिल्ली समेत देश के अन्य भागों में प्याज 150 रुपये किलो बिकने लगा था और घरेलू आपूर्ति बढ़ाने के लिए निर्यात प्रतिबंध समेत तमाम उपायों के साथ-साथ विदेशों से प्याज आयात करने का फैसला लिया था।................ आर एस राणा

खरीफ में 495.37 लाख टन चावल की खरीद का लक्ष्य, 19 फीसदी ज्यादा

आर एस राणा
नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने पहली अक्टूबर 2020 से शुरू होने वाले खरीफ विपणन सीजन 2020-21 में न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर चावल की खरीद का लक्ष्य पिछले साल के मुकाबले 19.07 फीसदी ज्यादा तय किया है। खाद्य मंत्रालय के अनुसार चावल की खरीद 495.37 लाख टन होने का अनुमान है जबकि पिछले साल 420.22 लाख टन चावल की खरीद हुई थी।
केंद्र सरकार ने खरीफ विपणन सीजन 2020-21 के लिए कोमन ग्रेड धान का एमएसपी 1,868 रुपये और ए ग्रेड धान का एमएसपी 1,888 रुपये प्रति क्विंटल तय किया हुआ है।
केंद्रीय खाद्य सचिव सुंधाशु पांडे ने गत सप्ताह वीडियो कांफ्रेन्स के जरिये खाद्य सचिवों के साथ बैठक की थी। बैठक में मौजूदा खरीफ विपणन सत्र में खरीद व्यवस्था पर चर्चा की गई। खाद्य मंत्रालय के अनुसार खरीफ विपणन सीजन 2020-21 के दौरान करीब 495.37 लाख टन चावल की खरीद का लक्ष्य है। यह 2019-20 के खरीफ विपणन सत्र के दौरान तय लक्ष्य 416 लाख टन की खरीद के मुकाबले 19.07 फीसदी अधिक है। पिछले खरीफ में भी तय लक्ष्य 416 लाख टन के मुकाबले खरीद 420.22 लाख टन चावल की हुई थी।
पहली अक्टूबर 2020 से शुरू होने वाले खरीफ विपणन सीजन के दौरान के दौरान तमिलनाडु और महाराष्ट्र में चावल की खरीद में 100 फीसदी की बढ़ोतरी का अनुमान है। वहीं मध्य प्रदेश, तेलंगाना, बिहार और झारखंड में यह 2019-20 के मुकाबले 50 फीसदी अधिक का लक्ष्य तय किया गया। प्रमुख उत्पादक राज्यों पंजाब (113 लाख टन), छत्तीसगढ़ (60 लाख टन) और तेलंगाना (50 लाख टन) शामिल हैं। इसके अलावा हरियाणा में 44 लाख टन, आंध्र प्रदेश में 40 लाख टन, उत्तर प्रदेश में 37 लाख टन और ओड़िशा में 37 लाख टन खरीद का अनुमान है।
बैठक के दौरान खाद्य सब्सिडी के संदर्भ में राज्यों के मुद्दे पर भी चर्चा की गयी। कोविड-19 को देखते हुए राज्यों से खरीद गतिविधियों के दौरान सामाजिक दूरी और अन्य मानक परिचालन प्रक्रिया का पालन करने को लेकर कदम उठाने का आग्रह किया गया है।.............. आर एस राणा

14 सितंबर 2020

अध्यादेश से एपीएमसी एक्ट पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा - तोमर

आर एस राणा
नई दिल्ली। किसानों के विरोध के बीच में केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने सोमवार को एक बार फिर स्पष्ट किया कि 'कृषि उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) अध्यादेश 2020' से एपीएमसी (कृषि उपज विपणन समिति) कानून पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा। केंद्रीय मंत्री ने सोमवार को लोकसभा में कृषि और संबद्ध क्षेत्र में सुधार से संबंधित दो महत्वपूर्ण विधेयक पेश किए।
कृषि मंत्री ने 'कृषि उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) अध्यादेश 2020' और 'मूल्य आश्वासन पर किसान समझौता (अधिकार प्रदान करना और सुरक्षा) और कृषि सेवा अध्यादेश 2020' को विधेयक के स्वरूप में सदन के पटल पर रखा। कृषि उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) विधेयक पर विपक्षी दलों के सांसदों के विरोध का जवाब देते हुए नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि किसानों को अपने उत्पादन का मूल्य तय करने और बेचने का स्थान तय करने और कैसे बेचेंगे यह तय करने का अधिकार आज तक नहीं था। मैं समझता हूं इस अध्यादेश के माध्यम से यह आजादी पूरे देश (के किसानों) को मिलने वाली है।
तोमर ने कहा कि इस अध्यादेश से एपीएमसी एक्ट पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा। उन्होंने कहा कि राज्य अगर चाहेगा तो मंडियां चलेंगी। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि मंडी की परिधि के बाहर जो ट्रेड होगा, उस पर नया कानून लागू होगा। अनुसूचित फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के मसले पर तोमर ने सदन में कहा कि मैं सरकार की ओर से यह कहना चाहता हूं कि एमएसपी है और एमएसपी रहेगी और इस पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा।
केंद्रीय कृषि मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में केंद्र सरकार ने स्वामीनाथन कमेटी की 201 सिफारिशों में से 200 सिफारिशों पर अमल किया है। उन्होंने कहा कि रबी और खरीफ फसलों के लिए लागत पर 50 फीसदी मुनाफा के साथ एमएसपी दिया जा रहा है। कृषि के क्षेत्र में सुधार के लिए लाए गए नए कानून के संबंध में उन्होंने कहा कि इससे किसानों को उनकी फसल बेचने की आजादी मिलेगी और व्यापारियों को लाइसेंस राज से मुक्ति मिलेगी, इस प्रकार भ्रष्टाचार पर नियंत्रण होगा।
केंद्रीय कृषि मंत्री ने कहा कि सप्लाई चेन मजबूत होगी और कृषि के क्षेत्र में निजी निवेश बढ़ेगा, साथ ही यह निजी निवेश, जब गांव तक और किसानों के खेतों तक पहुंचेगा तो उससे किसानों की उन्नति होगी। कृषि के क्षेत्र में सुधार और किसानों के हितों की रक्षा के मकसद से कोरोना काल में केंद्र सरकार ने कृषि उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) अध्यादेश 2020 मूल्य आश्वासन पर किसान समझौता (अधिकार प्रदान करना और सुरक्षा) और कृषि सेवा अध्यादेश 2020 लाए, जिनकी अधिसूचना पांच जून को जारी हुई थी। अब इन्हें विधेयक के रूप में पेश किया गया है। इसके विरोध में हरियाणा, पंजाब और उत्तर प्रदेश के किसान सड़कों पर प्रदर्शन कर रहे हैं।............... आर एस राणा

थोक महंगाई दर अगस्त में बढ़कर 0.16 फीसदी हुई , सब्जियों, दालों से खुदरा मुद्रास्फीति बढ़ी

आर एस राणा
नई दिल्ली। खाद्य पदार्थो और ईंधन और विनिर्माण क्षेत्र के उत्पादों की कीमतें ऊंची होने के कारण बीते महीने अगस्त में थोक महंगाई दर बढ़कर 0.16 फीसदी हो गई। सोमवार को जारी आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) आधारित महंगाई दर 0.16 फीसदी दर्ज की गई है जो कि इससे पूर्व महीने में शून्य से नीचे थी। थोक महंगाई दर जुलाई में ऋणात्मक (माइनस) 0.58 फीसदी दर्ज की गई थी और जून में नकारात्मक 1.81 फीसदी थी। पिछले साल अगस्त में यह 1.17 फीसदी थी।
आरबीआई ने पिछले महीने मौद्रिक समीक्षा में मुद्रास्फीति के ऊपर की ओर जाने के जोखिम की वजह से नीतिगत दरों में कोई बदलाव नहीं किया था। इस साल के अगस्त में खाद्य वस्तुओं की मुद्रास्फीति 3.84 फीसदी रही। आलू की कीमतों में 82.93 फीसदी वृद्धि हुई। जबकि सब्जियों में मुद्रास्फीति 7.03 फीसदी रही, प्याज में (-)34.48 फीसदी थी।
ईंधन और बिजली में अगस्त में इनकी महंगाई दर 9.68 फीसदी रही। इस दौरान विनिर्मित उत्पादों की मुद्रास्फीति बढ़कर 1.27 फीसदी हो गई, जो जुलाई में 0.51 फीसदी थी।
देश में महंगाई दर बाजारों में सामान्य तौर पर कुछ समय के लिए वस्तुओं के दामों में उतार-चढ़ाव महंगाई को दर्शाती है। जब किसी देश में वस्तुओं या सेवाओं की कीमतें अधिक हो जाती हैं, तो इसको महंगाई कहते हैं। उत्पादों की कीमत बढ़ने से परचेजिंग पावर प्रति यूनिट कम हो जाती है। थोक मूल्य सूचकांक के आधार पर ही वित्तीय और मौद्रिक नीतियों के फैसले लिए जाते हैं।
मुख्य आर्थिक सलाहकार (सीईए) के वी सुब्रमण्यम ने भरोसा जताया है कि लॉकडाउन में ढील के बाद आगामी दिनों में खुदरा मुद्रास्फीति नीचे आएगी। उन्होंने कहा कि आपूर्ति की दिक्कतों की वजह से मुद्रास्फीति बढ़ी है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार जुलाई में खुदरा मुद्रास्फीति की दर बढ़कर 6.93 फीसदी हो गई है। मुख्य रूप से सब्जियों, दालों, मांस और मछली के दाम बढ़ने से खुदरा मुद्रास्फीति बढ़ी है। हालांकि थोक मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति जुलाई में 0.58 फीसदी घटी है। सुब्रमण्यम ने कहा कि यदि आप मुद्रास्फीति को देखें, तो यह मुख्य रूप से आपूर्ति पक्ष की दिक्कतों की वजह से है। हालांकि, स्थानीय स्तर पर लॉकडाउन में ढील के बाद ये बाधाएं दूर होंगी। ................. आर एस राणा

12 सितंबर 2020

सोया डीओसी के निर्यात में भारी गिरावट, सोयाबीन में तेजी की उम्मीद नहीं

आर एस राणा
नई दिल्ली। विश्व बाजार में कीमतें कम होने के कारण सोया डीओसी के निर्यात में भारी गिरावट आई है। पहली अक्टूबर 2019 से शुरू हुए चालू फसल सीजन में अगस्त अंत तक सोया डीओसी का निर्यात 68.84 फीसदी घटकर 6.57 लाख टन का ही हुआ है जबकि पिछले फसल सीजन की समान अवधि में 21.09 लाख टन का निर्यात हुआ था।
सोयाबीन प्रोसेसर्स एसोसिएशन आफ इंडिया (सोपा) के अनुसार पिछले साल 93.06 लाख टन सोयाबीन का उत्पादन हुआ था, जबकि 1.70 लाख टन नई फसल की आवक के समय बकाया बचा हुआ था। अत: कुल उपलब्धता 94.76 लाख टन की बैठी थी। सोयाबीन का आयात करीब 5 लाख टन और सितंबर 2020 में उत्पादक मंडियों में नई फसल 2 लाख टन आने का अनुमान है। ऐसे में करीब 101.76 लाख टन सोयाबीन की उपलब्धता रही, जिसमें से इसमें करीब 12 लाख टन सोयाबीन की खपत बीज में हुई है, ऐसे में क्रेसिंग के लिए 89.76 लाख टन की उपलब्धता चालू सीजन में रही है।
सोपा के अनुसार अक्टूबर 2019 से अगस्त 2020 तक मंडियों में सोयाबीन की दैनिक आवक 75.45 लाख टन की हुई है। पहली सितंबर को प्लांटों के साथ ही किसानों के पास सोयाबीन का बकाया स्टॉक 11.70 लाख टन का बचने का अनुमान है जोकि इसके पिछले साल के 7.85 लाख टन से ज्यादा है। महाराष्ट्र के सोयाबीन कारोबारी के अनुसार मध्य प्रदेश में फसल को नुकसान तो हुआ है लेकिन नुकसान के बाद भी चालू फसल सीजन में सोयाबीन का उत्पादन बढ़कर 110 लाख टन से ज्यादा होने का अनुमान है जबकि मंडियों में पहली अक्टूबर को बकाया स्टॉक भी ज्यादा बचेगा। इसलिए चालू सीजन में कुल उपलब्धता पिछले साल से ज्यादा ही रहेगी, जबकि सोया डीओसी में निर्यात मांग कमजोर है। उत्पादक राज्यों में मौसम साफ है इसलिए आगे सोयाबीन दैनिक आवक बढ़ेगी, इसलिए सोयाबीन की कीमतों में अभी तेजी की संभावना नहीं है। ............. आर एस राणा

चीनी मिलों पर किसानों का बकाया 16,000 करोड़ रुपये - खाद्य मंत्रालय

आर एस राणा
नई दिल्ली। चालू पेराई सीजन 2019-20 में चीनी का रिकॉर्ड निर्यात होने से भी गन्ना उत्पादक किसानों को राहत नहीं मिल पाई है, क्योंकि देशभर के गन्ना किसानों की चीनी मिलों पर बकाया राशि अभी भी 16,000 करोड़ रुपये से ज्यादा है।
बकाया में सबसे ज्यादा हिस्सेदारी उत्तर प्रदेश के किसानों की 11,000 करोड़ रुपये से अधिक है। चीनी उद्योग गन्ना किसानों का भुगतान करने के लिए केंद्र सरकार से मिलने वाली निर्यात एवं बफर स्टॉक अनुदान के भुगतान की राह देख रहा है। केंद्रीय उपभोक्ता, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय के तहत आने वाले खाद्य विभाग से मिले आंकड़ों के अनुसार, दो सितंबर 2020 तक देशभर की चीनी मिलों पर किसानों का बकाया 16,773 करोड़ रुपये था जिसमें उत्तर प्रदेश के किसानों का बकाया 11,024 करोड़ रुपये है। इसके बाद दूसरे नंबर पर सबसे ज्यादा तमिलनाडु के किसानों का बकाया 1,767 करोड़ रुपये है जबकि तीसरे स्थान पर गुजरात में 924 करोड़ रुपये है।
अन्य राज्यों में बिहार में चीनी मिलों पर किसानों का बकाया 373 करोड़ रुपये, हरियाणा में 513 करोड़ रुपये, पंजाब में 399 करोड़ रुपये, उत्तराखंड में 708 करोड़ रुपये, आंध्रप्रदेश में 86 करोड़ रुपये, तेलंगाना में 19 करोड़, महाराष्ट्र में 511 करोड़, कर्नाटक में 232 करोड़, पुडुचेरी 21 करोड़, छत्तीसगढ़ में 111 करोड़, ओडिशा में तीन करोड़, मध्यप्रदेश में 80 करोड़ और गोवा में दो करोड़ रुपये है।
देश से चालू पेराई सीजन 2019-20 (अक्टूबर-सितंबर) में करीब 56 लाख टन चीनी का निर्यात हुआ है, जोकि अब तक का रिकॉर्ड है और उद्योग को 60 लाख टन निर्यात के लक्ष्य को हासिल करने की उम्मीद थी। उद्योग संगठन इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन (इस्मा) के महानिदेशक अविनाश वर्मा के अनुसार गुजरात में बाढ़ आने के कारण निर्यात प्रभावित हुआ है, जिससे सीजन के आखिर में 30 सितंबर तक अब ज्यादा से ज्यादा एक-दो लाख टन और निर्यात हो सकता है।
चालू पेराई सीजन 2019-20 (अक्टूबर-सितंबर) में अधिकतम स्वीकार्य निर्यात परिमाण (एमएईक्यू) के तहत कुल 60 लाख टन चीनी के निर्यात का कोटा तय किया गया है, जिस पर सरकार निर्यात करने वाली चीनी मिलों को 10,448 रुपये प्रति टन की दर से सब्सिडी दे रही है। यह स्कीम सीजन के आखिर में 30 सितंबर को समाप्त हो रही है। वर्मा ने बताया कि उद्योग संगठन ने सरकार से इस स्कीम को अगले साल 2020-21 में भी जारी रखने की मांग की है। गन्ना किसानों के दाम के भुगतान नहीं होने के संबंध में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि चीनी मिलें निर्यात अनुदान और बफर स्टॉक अनुदान सरकार से मिलने की राह देख रही है।............  आर एस राणा

11 सितंबर 2020

खरीफ की बुआई का आकड़ा 1,104 लाख हेक्टेयर के पार, पिछले साल से 5.68 फीसदी बढ़ी

आर एस राणा
नई दिल्ली। प्री मानसून के साथ ही मानसूनी सीजन में हुई अच्छी बारिश से खरीफ फसलों की बुआई का आंकड़ा सामान्य क्षेत्रफल से भी बढ़ गया है। मानसूनी सीजन में पहली जून से 10 सितंबर तक देशभर में सामान्य से 7 फीसदी ज्यादा बारिश हुई है। इससे खरीफ फसलों की बुआई का आंकड़ा 5.68 फीसदी बढ़कर 1,104.54 लाख हेक्टेयर हो चुका है जबकि पिछले खरीफ की समान अवधि में इनकी बुआई 1,045.18 लाख हेक्टेयर में ही हो पाई थी। दलहन के साथ ही तिलहनों की रिकार्ड बुआई से इनका उत्पादन अनुमान बढ़ेगा, जिससे आयात पर निर्भरता में भी कमी आयेगी।
दालों की बुआई 4.64 फीसदी ज्यादा
कृषि मंत्रालय के अनुसार चालू खरीफ में दलहन के साथ ही तिलहन की रिकार्ड बुआई हुई है जबकि धान की रोपाई भी सामान्य क्षेत्रफल से ज्यादा हुई है। दालों की बुआई चालू खरीफ सीजन में 4.64 फीसदी बढ़कर 137.87 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है पिछले साल इस समय तक 131.76 लाख हेक्टेयर में ही बुआई हो पाई थी। खरीफ सीजन में सामान्यत: 128.88 लाख हेक्टेयर में दालों की बुआई होती है। खरीफ दलहन की प्रमुख फसल अरहर की बुआई पिछले साल की तुलना में 6.41 फीसदी बढ़कर 48.11 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जोकि पिछले साल की समान अवधि के 45.21 लाख हेक्टेयर से ज्यादा है। इसी तरह से उड़द की बुआई बढ़कर 38.27 लाख हेक्टेयर में और मूंग की बुआई 35.66 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक इनकी बुआई क्रमश: 37.88 एवं 30.71 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी।
धान की रोपाई पिछले साल से ज्यादा, मोटे अनाजों की बुआई भी बढ़ी
खरीफ की प्रमुख फसल धान की रोपाई चालू खरीफ में 7.59 फीसदी बढ़कर 402.25 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक इसकी रोपाई केवल 373.87 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी। इसी तरह से मोटे अनाजों की बुआई चालू खरीफ में 1.28 फीसदी बढ़कर 179.70 लाख हेक्टेयर में बुआई हो चुकी है जबकि पिछले साल की समान अवधि में इनकी बुआई केवल 177.43 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी। मोटे अनाजों में ज्वार की बुआई 16.69 और बाजरा की 67.37 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल की समान अवधि में इनकी बुआई क्रमश: 16.68 और 65.90 लाख हेक्टेयर में हुई थी। मक्का की बुआई चालू खरीफ में बढ़कर 80.71 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जोकि पिछले साल के 80.45 लाख हेक्टेयर से ज्यादा है। रागी की बुआई भी बढ़कर चालू खरीफ में 10.19 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल 9.59 लाख हेक्टेयर में ही बुआई हो पाई थी।
मूंगफली और सोयाबीन की बुआई बढ़ने से उत्पादन अनुमान ज्यादा
तिलहनी फसलों की बुआई चालू खरीफ में 10.79 फीसदी बढ़कर 195.99 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक 176.91 लाख हेक्टेयर में ही बुआई हो पाई थी। सामान्यत: खरीफ में इनकी बुआई 178.08 लाख हेक्टेयर में ही होती है। तिलहन की प्रमुख फसल सोयाबीन की बुआई 121.19 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जोकि सामान्य क्षेत्रफल 110.32 लाख हेक्टेयर से भी ज्यादा है। पिछले साल इस समय तक सोयाबीन की बुआई 113.30 लाख हेक्टेयर में ही हो पाई थी। मूंगफली की बुआई बढ़कर 50.89 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक केवल 38.92 लाख हेक्टेयर में ही बुआई हो पाई थी। सामान्यत: मूंगफली की बुआई 41.41 लाख हेक्टेयर में ही होती है। केस्टर सीड की बुआई चालू खरीफ में जरुर थोड़ी घटकर 7.39 लाख हेक्टेयर में ही हुई है जोकि पिछले साल के 8.76 लाख हेक्टेयर से कम है।
कपास की बुआई में हुई बढ़ोतरी
कपास की बुआई चालू खरीफ में 2.12 फीसदी बढ़कर 129.30 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक केवल 126.61 लाख हेक्टेयर में ही बुआई हो पाई थी। गन्ने की बुआई चालू सीजन में 52.46 लाख हेक्टेयर में हुई है जोकि पिछले साल के 51.75 लाख हेक्टेयर से ज्यादा है।  ............. आर एस राणा

खाद्य एवं अखाद्य तेलों का आयात अगस्त में 14 फीसदी बढ़ा

आर एस राणा
नई दिल्ली। खाद्य एवं अखाद्य तेलों के आयात में अगस्त में 14 फीसदी की कमी आकर कुल आयात 13,70,457 टन का ही हुआ है जबकि पिछले साल अगस्त में इनका आयात 15,86,514 टन का हुआ था।
सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एसईए) के अनुसार चालू तेल वर्ष 2019-20 (नवंबर-19 से अक्टूबर-20) के पहले दस महीनों नवंबर से अगस्त के दौरान खाद्य एवं अखाद्य तेलों के आयात में 13 फीसदी की कमी आकर कुल आयात 111,95,890 टन का हुआ है जबकि पिछले तेल वर्ष की समान अवधि में 128,67,486 टन का आयात हुआ था।
एसईए के अनुसार कोरोना वायरस के कारण अप्रैल से खाद्य एवं अखाद्य तेलों की घरेलू मांग में कमी आने के कारण इनके आयात में कमी आई है। एसईए के अनुसार नवंबर-19 से अगस्त-20 के दौरान खाद्य तेलों का आयात 109,06,259 टन का हुआ है जबकि तेल वर्ष की समान अवधि में 123,27,038 टन का आयात हुआ था। अखाद्य तेलों का आयात चालू तेल वर्ष के पहले दस महीनों में 2,89,631 टन का हुआ है जबकि पिछले तेल वर्ष की समान अवधि के 5,40,448 टन की तुलना में कम है।
एसईए के अनुसार जुलाई के मुकाबले अगस्त में खाद्य तेलों की कीमतों में तेजी आई है। भारतीय बंदरगाह पर आरबीडी पॉमोलीन का भाव बढ़कर अगस्त में 739 डॉलर प्रति टन हो गया जबकि जुलाई में इसका औसत भाव 675 डॉलर प्रति टन था। इसी तरह से क्रुड पॉम तेल के भाव जुलाई के 660 डॉलर प्रति टन की तुलना में अगस्त में बढ़कर 723 डॉलर प्रति टन हो गए। क्रुड सोयाबीन तेल के भाव अगस्त में भारतीय बंदरगाह पर 806 डॉलर और क्रुड सनफ्लॉवर तेल के भाव 882 डॉलर प्रति टन हो गए। .............. आर एस राणा

10 सितंबर 2020

पूसा 1,509 नए धान की आवक बढ़ी, चावल में गिरावट

आर एस राणा
नई दिल्ली। मौसम साफ होने के कारण उत्तर प्रदेश लाइन से पूसा 1,509 धान की नई फसल की आवक बढ़ी है, जबकि चावल मिलों की मांग कमजोर होने से धान के साथ हीचावल की कीमतों में मंदा आया है।
हरियाणा की करनाल मंडी में पूसा 1,509 धान की आवक बढ़कर आज 12,000 से 15,000 बोरी की हुई तथा इसके भाव 1,800 से 2,000 रुपये प्रति क्विंटल रहे। व्यापारियों के अनुसान नए मालों में नमी की मात्रा 20 से 24 फीसदी की आ रही है। आगे हरियाणा तथा पंजाब की मंडियों में लोकल फसल की आवक बढ़ेगी, जब​कि चालू महीने के अंत तक परमल की आवक भी शुरू हो जायेगी। बासमती चावल में ग्राहकी काफी कमजोर है, पूसा 1,509 सेला चावल का भाव 100 रुपये घटकर गुरूवार को 4,900 रुपये प्रति क्विंटल रह गया जबकि पूसा 1,509 नए सेला का भाव 3,700 रुपये प्रति क्विंटल बोला गया। ..................... आर एस राणा

दिल्ली में अरहर और मूंग दाल में नरमी, मसूर दाल के भाव स्थिर

आर एस राणा
नई दिल्ली। ​उंचे भाव में मांग कमजोर होने से गुरूवार को नया बाजार में अरहर और मूंग दाल में नरमी दर्ज की गई, जबकि चना दाल की कीमतों में 100 से 150 रुपये की तेजी दर्ज की गई। मसूर के भाव स्थिर बने रहे।
व्यापारियों के अनुसार चना दाल के भाव बढ़कर 5,900 से 6,000 रुपये प्रति क्विंटल बोले गए जबकि अरहर में लेमन के भाव 8,400 रुपये प्रति क्विंटल रह गए। देसी अरहर दाल के भाव 8,800 से 9,000 रुपये प्रति क्विंटल रहे। उड़द धोया के भाव नया बाजार में 7,800 से 7,900 रुपये और मूंग धूली के भाव 7,800 से 8,000 रुपये प्रति क्विंटल रहे। मूंग धूली में 100 रुपये प्रति क्विंटल का मंदा दर्ज किया गया। मसूर मल्का करी के भाव 6,500 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर बने रहे। ....... आर एस राणा

09 सितंबर 2020

माइक्रो इरिगेशन के तहत 5 साल में 100 लाख हेक्टेयर करने का लक्ष्य-तोमर

आर एस राणा
नई दिल्ली। केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण, ग्रामीण विकास तथा पंचायती राज मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने बुधवार को कहा कि केंद्र सरकार ने पांच साल में सूक्ष्म सिंचाई (माइक्रो इरिगेशन) के तहत 100 लाख हेक्टेयर भूमि कवर करने का लक्ष्य रखा है।
मोदी सरकार कम पानी का उपयोग करके फसलों की पैदावार बढ़ाने के लिए माइक्रो इरिगेशन पर ज्यादा जोर दे रही है। केंद्रीय कृषि मंत्री ने यहां माइक्रो इरिगेशन पर आयोजित एक वेबिनार में बताया कि वर्ष 2019-20 में देश के 11 लाख किसानों ने ड्रिप एवं स्प्रिंकलर पद्धति का फायदा उठाया। उन्होंने बताया कि माइक्रो इरिगेशन फंड कॉर्पस की स्टियरिंग कमेटी व नाबार्ड ने राज्यों में 3,805.67 करोड़ रुपये ऋण की परियोजनाओं को मंजूरी दी है, जिनका क्षेत्र कवरेज 12.53 लाख हेक्टेयर है।
उन्होंने कहा कि संबंधित विभागों/मंत्रालयों, राज्य कार्यान्वयन एजेंसियों, सूक्ष्म सिंचाई प्रणाली विनिमार्ताओं/आपूर्तिकतार्ओं जैसे विभिन्न हितधारकों के समन्वित एवं एकीकृत प्रयास से 100 लाख हेक्टेयर भूमि को कवर करने का लक्ष्य प्राप्त करने में सहायता मिलेगी और कृषक समुदाय के लाभ के लिए सूक्ष्म सिंचाई का कवरेज और अधिक बढ़ जाएगा। ड्रिप व स्प्रिंकलर सिस्टम स्थापित करने पर जोर देते हुए केंद्रीय कृषि मंत्री ने कहा, कृषि के लिए जल आवश्यक इनपुट है और सतत कृषि विकास एवं खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए जल के विवेकपूर्ण उपयोग का विशेष महत्व है, इसलिए अनुकूलतम फसल पद्धति अपनाने तथा पानी का समुचित उपयोग करने के साथ-साथ उपलब्ध जल संसाधनों का दक्षता के साथ इस्तेमाल करने की जरूरत है। ड्रिप एवं स्प्रिंकलर सिंचाई सहित आधुनिक सिंचाई पद्धतियां ऐसे स्थानों पर काफी मददगार साबित हुई हैं, जहां जरूरत के मुताबिक जल का उपयोग करते हुए फसलें उगाई जाती हैं।
उन्होंने कहा कि फसलों का उत्पादन व उत्पादकता बढ़ाने के साथ ही लागत कम करना भी जरूरी है, इसलिए मृदा स्वास्थ्य कार्ड की योजना मिशन मोड पर चल रही है जिससे निश्चित रूप से पानी व केमिकल की बचत होगी और मृदा स्वास्थ्य बढ़ाने में भी कामयाबी मिलेगी। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के माध्यम से चल रहे कार्यक्रमों का लाभ भी किसानों को मिल रहा है और योजनाओं के क्रियान्वयन में राज्यों का भी अच्छा सहयोग मिल रहा है।................. आर एस राणा

आंध्रप्रदेश से दिल्ली के बीच चली दक्षिण भारत की पहली किसान रेल

आर एस राणा
नई दिल्ली। रेलवे ने ताजे फल, सब्जी व अन्य कृषि उत्पादों के तीव्र व सुगम परिवहन के लिए बुधवार को एक और किसान रेल चलाई। आंध्रप्रदेश के अनंतपुर से दिल्ली के आदर्श नगर के लिए रवाना हुई यह दक्षिण भारत से चलने वाली पहली किसान रेल है।
कृषि मंत्रालय से केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण, ग्रामीण विकास तथा पंचायती राज मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर जबकि अलग-अलग स्थानों से आंध्रप्रदेश के मुख्यमंत्री वाईएस जगनमोहन रेड्डी और रेल राज्यमंत्री सुरेश सी अंगड़ी ने वर्चुअल माध्यम से हरी झंडी दिखाकर अनंतपुर से आदर्श नगर के लिए इस विशेष पार्सल ट्रेन को रवाना किया।
इस अवसर पर केंद्रीय कृषि मंत्री तोमर ने कहा कि किसान रेल से जल्द खराब होने वाले कृषि उत्पादों का ट्रांसपोर्टेशन एक जगह से दूसरी जगह तक तेजी और सुगमता से होने से किसानों को उपज का बेहतर दाम मिलने के साथ-साथ कृषि अर्थव्यवस्था मजबूत होगी। उन्होंने कहा कि गांव, गरीब और किसानों की उन्नति को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हमेशा प्राथमिकता देते हैं। उन्होंने कहा, 'बजट में किसान रेल व किसान उड़ान की सुविधाओं की घोषणा की गई थी ताकि फल-सब्जियां कम समय में एक से दूसरे स्थान तक पहुंच पाए।'
ध्यान रहे कि पहली किसान रेल पार्सल स्पेशल ट्रेन का परिचालन पिछले महीने 7 अगस्त को महाराष्ट्र के देवलाली से बिहार के दानापुर के बीच शुरू हुआ था जिसे बाद में दानापुर से मुजफ्फरपुर तक बढ़ा दिया गया और इस ट्रेन के फेरे भी बढ़ाकर सप्ताह में तीन दिन कर दिए गए हैं। इसके बाद पूर्व मध्य रेलवे ने बिहार के बरौनी से झारखंड के टाटानगर के बीच पिछले महीने दूध के परिवहन के लिए एक विशेष पार्सल ट्रेन चलाई। अब आंध्रप्रदेश के अनंतपुर से दिल्ली के आदर्शनगर के बीच किसान रेल पार्सल टे्रन चली है।
आंध्रप्रदेश के मुख्यमंत्री वाईएस जगनमोहन रेड्डी ने कहा कि बागवानी में आंध्रप्रदेश का महत्वपूर्ण स्थान है। टमाटर, पपीता, कोको व चिली के उत्पादन में देश में आंध्रप्रदेश का पहला स्थान है। कोविड संकट के चलते ये उपज दिल्ली तक पहुंचाना मुश्किल हो रहा था, इसलिए प्रधानमंत्री से निवेदन किया और उन्होंने किसानों की सुविधा के लिए इसकी व्यवस्था कराई। रेल राज्यमंत्री अंगड़ी ने कहा कि अब आंधप्रदेश से दिल्ली तक कम समय में किसानों के उत्पाद पहुंच जाएंगे। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार के नए अध्यादेश से किसान अपने उत्पाद वहां बेच सकते है, जहां उन्हें उसकी सही कीमत मिले। किसानों व व्यापारियों से रेलवे लगातार संपर्क में है, ताकि उन्हें सुविधाएं मिल सके। यह गाड़ी दक्षिण भारत के किसानों को उत्तर भारत से जोड़ने का काम करेगी। ........... आर एस राणा

08 सितंबर 2020

गेहूं उत्पादों में मांग कमजोर, गेहूं तेज

आर एस राणा
नई दिल्ली। गेहूं उत्पादों आटा, मैदा एवं सूजी में ग्राहकी काफी कमजोर है, इसके बावजूद भी सप्ताहभर में गेहूं की कीमतों में 65 से 85 रुपये प्रति क्विंटल की तेजी आ चुकी है। लारेंस रोड़ पर मंगलवार को गेहूं के भाव 1,865 से 1,885 रुपये प्रति क्विंटल रहे, जबकि दैनिक आवक 4,500 से 5,000 बोरियों की हुई।
नया बाजार के कारोबारी के अनुसार गेहूं उत्पादों में मांग सामान्य की तुलना में केवल 55 से 60 फीसदी ही है, जबकि स्टॉकिस्टों की बिकवाली कम होने से गेहूं के भाव में सुधार आया है। व्यापारियों के अनुसार चालू सीजन में गेहूं का उत्पादन ज्यादा हुआ था, जिस कारण उत्पादक मंडियों में बकाया स्टॉक भी ज्यादा बचा हुआ है। ऐसे में गेहूं की कीमतों में हल्का सुधार तो बन सकता है लेकिन अभी बड़ी तेजी की संभावना नहीं है। आटे के भाव दिल्ली में मंगलवार को 1,000 से 1,020 रुपये, मैदा के भाव 1,100 रुपये और सूजी के भाव 1,200 रुपये प्रति 50 किलो रहे। ......... आर एस राणा

हरियाणा सरकार कपास किसानों को नुकसान का मुआवजा देगी

आर एस राणा

नई दिल्ली। हरियाणा सरकार राज्य के उन सभी कपास किसानों को मुआवजा देगी, जिनकी फसल को हाल ही में सफेद मक्खी और पैराविल्ट ने नष्ट कर दिया है। कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव संजीव कौशल ने बताया कि ऐसे सभी कपास किसानों को, चाहे वह ‘प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना’ के तहत पंजीकृत हैं या नहीं, सभी को हरियाणा सरकार मुआवजा देगी।
उन्होंने कहा कि हमने राजस्व विभाग से अनुरोध किया है कि वे उन कपास किसानों के खेतों में समयबद्ध तरीके से विशेष गिरदावरी करें, जिन्होंने फसल बीमा योजना के तहत पंजीकरण नहीं कराया है। जिन लोगों ने योजना के तहत पंजीकरण कराया है उनको फसल कटाई प्रयोगों के दौरान नुकसान के आकलन के आधार पर मुआवजा दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि किसानों को व्यक्तिगत रूप से आवेदन करने की जरूरत नहीं है क्योंकि नुकसान का आकलन ग्राम स्तर पर किया जाएगा।
कौशल ने कहा कि कृषि विभाग ने सिरसा, हिसार, फतेहाबाद, जींद और भिवानी जिलों में सफेद मक्खी के हमलों की रिपोर्ट के बाद, कपास के किसानों को अपनी फसलों के लिए दो या अधिक कीटनाशकों के मिश्रण का उपयोग करने के खिलाफ चेतावनी दी थी। हरियाणा के 14 जिलों में लगभग 7.36 लाख हेक्टेयर में कपास की खेती की जा रही है। जिला सिरसा, हिसार, फतेहाबाद, जींद और भिवानी जिलों में चालू खरीफ में क्रमश: 2.10 लाख हेक्टेयर, 1.47 लाख हेक्टेयर, 0.72 लाख हेक्टेयर, 0.70 लाख हेक्टेयर और 0.88 लाख हेक्टेयर में कपास की बुआई हुई है। पूर्व मुख्यमंत्री भूपिंदर सिंह हुड्डा ने सफेद मक्खी की बीमारी से प्रभावित किसानों को कम से कम 30,000 रुपये प्रति एकड़ मुआवजा देने की मांग की है।.............. आर एस राणा

07 सितंबर 2020

अगले सप्ताह मानसून की वपासी होगी शुरू - स्काईमेट

आर एस राणा
नई दिल्ली। स्काईमेट के अनुसार पिछले हफ्ते तक दीर्घावधि औसत वर्षा (एलपीए) 108 फीसदी पर बनी हुई थी। पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश को छोड़कर देश के बाकी हिस्सों में बारिश का वितरण औसत या ​फिर औसत से बेहतर हुआ है। मानसून की वापसी पश्चिमी राजस्थान से अगले सप्ताह शुरू होने की संभावना है। सितंबर के अंत तक पूरे उत्तर भारत, गुजरात और पश्चिम मध्य प्रदेश से मानसून की वापसी पूरी हो जाती है।
इस वर्ष बेहतर मानसून की बदौलत खरीफ फसलों की कुल बुआई 1,082 लाख हेक्टेयर पहुँच गई है, जो पिछले वर्ष की बुआई (1,010 लाख हेक्टेयर) के मुकाबले 7 फीसदी अधिक है। इसके अलावा इस साल की बुआई पिछले पाँच वर्षों की औसत बुआई (1,066 लाख हेक्टेयर) से भी अधिक है। धान, तिलहन और दलहन फसलों की बुआई में इस साल व्यापक वृद्धि से खेती के क्षेत्र में यह उपलब्धि हासिल हुई है।
कोविड-19 महामारी और इसके चलते देशभर में पूर्ण बंदी के बावजूद किसानों की कड़ी मेहनत और संघर्ष का परिणाम है कि देश में कृषि क्षेत्र ने आज मजबूटी दिखाई है। पूर्णबन्दी के बीच मजदूरों के पलायन के चलते सीजन के शुरुआती समय में आशंका पैदा हुई थी कि खरीफ फसलों की बुआई पर इसका प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा। लेकिन खेती की नवीन तकनीकों और किसानों के अथक प्रयास के चलते यह आशंका निर्मूल साबित हुई। तमाम आशंकाओं के बावजूद कृषि क्षेत्र महामारी के प्रतिकूल प्रभाव से बच गया है। संभवतः फसल वर्ष 2020-21 में ऑल टाइम रिकॉर्ड उत्पादन हो सकता है। खाद्यान्न उत्पादन भी 298 मिलियन टन के निर्धारित लक्ष्य को पार कर सकता है। अगस्त में जोरदार मॉनसून के चलते बड़े पैमाने पर बुआई और बंपर उत्पादन की संभावनाएं बनी हैं।
मध्य प्रदेश में हाल के दिनों में भारी बारिश दर्ज की गई, जिससे 52 जिलों में से 21 जिलों में खरीफ की फसलों पर आंशिक नकारात्मक असर भी पड़ा है। एक अनुमान के अनुसार भारी बारिश के चलते बाढ़ के कारण लगभग 7 लाख हेक्टेयर के अनुमानित क्षेत्र में सोयाबीन, मक्का और धान की खड़ी फसलों को नुकसान पहुंचा है। हालांकि किसानों को सरकार ने आश्वस्त किया है कि उनके नुकसान के एवज में मुआवजा दिया जाएगा।
अगस्त के अंतिम सप्ताह में देश के कई इलाकों में भारी मानसून वर्षा के चलते कुछ हिस्सों में जलप्रलय देखा गया। उसके बाद सितंबर के पहले सप्ताह में सामान्य से कम बारिश हुई। मानसून की बारिश उत्तर, मध्य और पूर्वी भारत में ज्यादातर हल्की से मध्यम रही। दक्षिण प्रायद्वीप में कुछ क्षेत्रों में भरपूर बारिश हुई। इस सप्ताह 10 सितंबर को बंगाल की खाड़ी में एक नया निम्न दबाव का क्षेत्र बनने की संभावना है। इसके चलते मानसून की गतिविधियां एक बार फिर से मध्य भागों में बढ़ जाएंगी।
उत्तर भारत में इस सप्ताह कम सक्रिय रहेगा मानसून
इस सप्ताह के दौरान उत्तर भारत में मौसम बहुत कम सक्रिय रहेगा। पहाड़ी राज्यों में केवल उत्तराखंड और मैदानी राज्यों में उत्तर प्रदेश में पूरे सप्ताह बारिश और गरज के साथ बारिश होगी। साथ ही, पूर्वी राजस्थान के कुछ हिस्सों में 7, 8 और 9 सितंबर को हल्की से मध्यम बारिश की उम्मीद है। सप्ताह के अंत तक, या अगले सप्ताह की शुरुआत में पश्चिमी राजस्थान से मॉनसून की वापसी शुरू हो सकती है।
पूर्व और उत्तर-पूर्व भारत रहेगा जोर
इस सप्ताह पूर्वी भारत में मौसम सक्रिय होने जा रहा है। मानसून ट्रफ के उत्तर की दिशा में है और इसके पास एक चक्रवाती हवाओं का क्षेत्र बनेगा। इसके परिणामस्वरूप बिहार, झारखंड और उत्तरी बंगाल में काफी व्यापक बारिश होगी। कुछ भागों में बिजली गिरने और गरज के साथ भारी वर्षा होने की भी आशंका है। सप्ताह के दौरान सिक्किम, असम, मेघालय और अरुणाचल प्रदेश में भी भारी वर्षा होने की संभावना है। पूर्वोत्तर भारत के बाकी राज्यों में मध्यम बारिश से अधिक की उम्मीद नहीं है।
मध्य भाग में 10 से 13 सितंबर बारिश की उम्मीद
सप्ताह के शुरुआती दिनों में सामान्य मानसून वर्षा की उम्मीद है। 10 से 13 सितंबर के बीच छत्तीसगढ़ और ओडिशा में हल्की से मध्यम बारिश होने की संभावना है। सप्ताह के मध्य से मध्य प्रदेश, विदर्भ, मराठवाड़ा और मध्य महाराष्ट्र में वर्षा की गतिविधियां बढ़ने की संभावना है। कोंकण क्षेत्र में मानसून की सक्रियता बनी रहेगा। मुंबई सहित कोंकण गोवा क्षेत्र में सप्ताहांत में कुछ स्थानों पर भारी बारिश होने की संभावना है। गुजरात के पूर्वी क्षेत्र में भी सप्ताह के अंत में कुछ स्थानों पर गरज के साथ बारिश के आसार हैं।
दक्षिण भारत जारी रहेगी बारिश
दक्षिण भारत में इस सप्ताह मानसून सक्रिय रहेगा। कर्नाटक, केरल, रायलसीमा और तमिलनाडु के अंदरूनी इलाकों में मुख्यतः बारिश होगी। बेंगलुरु, मैसूरु, मैंगलोर, कोच्चि, त्रिवेंद्रम, कोयम्बटूर और सलेम में गरज के साथ अच्छी मानसून वर्षा की उम्मीद की जा सकती है। बारिश की गतिविधियां इन भागों में ज्यादातर शाम और रात के दौरान होती हैं। हैदराबाद सहित तेलंगाना के अधिकांश हिस्सों में सप्ताह के दौरान मध्यम बारिश होगी।
दिल्ली एनसीआर में बारिश की अब उम्मीद नहीं
इस सप्ताह दिल्ली एनसीआर में कोई विशेष बारिशह होने की उम्मीद नहीं है। अधिकांश दिनों में अधिकतम तापमान 35-डिग्री सेल्सियस के आसपास रहने की संभावना है। पूरे सप्ताह गर्मी और उमस दिल्ली वालों को परेशान करती रहेगी।................... आर एस राणा

गुजरात में मूंगफली का उत्पादन अनुमान 21.34 फीसदी ज्यादा

आर एस राणा
नई दिल्ली। प्रमुख उत्पादक राज्य गुजरात में चालू खरीफ सीजन में मूंगफली का उत्पादन ज्यादा होने का अनुमान है, जबकि कपास के उत्पादन में कमी आयेगी। राज्य के कृषि निदेशालय के द्वारा जारी पहले आरंभिक अनुमान के अनुसार फसल सीजन 2020-21 में मूंगफली का उत्पादन 21.34 फीसदी बढ़ने का अनुमान है, वहीं बुआई में आई कमी से कपास का उत्पादन 6.38 फीसदी घटने की आशंका है।
राज्य के कृषि निदेशालय द्वारा जारी पहले आरंभिक अनुमान के अनुसार राज्य में मूंगफली का उत्पादन बढ़कर 54.64 लाख टन होने का अनुमान है जब​कि पिछले साल राज्य में केवल 45.03 लाख टन का ही उत्पादन हुआ था। चालू खरीफ में राज्य में मूंगफली की बुआई बढ़कर 20.72 लाख हेक्टेयर में हुई है, जबकि इसके पिछले साल राज्य में केवल 16.29 लाख हेक्टेयर में ही मूंगफली की बुआई हुई थी।
कपास उत्पादन अनुमान में कमी, केस्टर का ज्यादा
गुजरात में कपास का उत्पादन चालू सीजन में घटकर 82.39 लाख गांठ (एक गांठ-170 किलो) का ही होने का अनुमान है जबकि पिछले साल राज्य में 88.01 लाख गांठ का उत्पादन हुआ था। केस्टर सीड का उत्पादन पिछले साल के 14.32 लाख टन से बढ़कर चालू खरीफ में 14.74 लाख टन होने का अनुमान है। शीशम सीड का उत्पादन 1.48 और सोयाबीन का 1.50 लाख टन होने का अनुमान है।
मक्का, बाजरा के साथ दलहन उत्पादन अनुमान ज्यादा
मोटे अनाजों में बाजरा का उत्पादन 3.26 और मक्का का 4.81 लाख टन होने का अनुमान है जबकि पिछले खरीफ सीजन में इनका उत्पादन क्रमश: 3.08 और 4.49 लाख टन का हुआ था। खरीफ दालों का उत्पादन चालू सीजन में 3.97 लाख टन होने का अनुमान है जोकि पिछले साल के 3.58 लाख टन से ज्यादा है। खरीफ दलहन की प्रमुख फसल अरहर का उत्पादन राज्य में 2.27 लाख टन होने का अनुमान है जबकि पिछले साल 2.40 लाख टन का ही उत्पादन हुआ था।.............. आर एस राणा

किसान 21 सितंबर को जतायेंगे विरोध, राजस्थान में मंडियां बंद रखने का आह्वान

आर एस राणा
नई दिल्ली। किसान महापंचायत के राष्ट्रीय अध्यक्ष रामपाल जाट के नेतृत्व में किसान अपनी मांगों को लेकर आगामी 21 सितंबर को राजस्थान की मंडियां बंद रखकर अपना विरोध जतायेंगे।
अजमेर में प्रदेश किसान जागरण यात्रा के तहत ब्यावर रोड स्थित किसान भवन में आयोजित महापंचायत की बैठक में यह निर्णय लिया गया। केंद्र सरकार द्वारा लाए गए तीन कृषि अध्यादेशों का विरोध करने के लिए किसान संगठन ने व्यापारियों के साथ मिलकर राजस्थान की संभी 247 मंडियों को 21 सितंबर को बंद रखने का आहृवान किया है। किसानों ने मांग की है कि दलहन और तिलहन की खरीद तय सीमा 25 फीसदी से ज्यादा की जाए।....  आर एस राणा

05 सितंबर 2020

राजस्थान में घटेगा ग्वार सीड का उत्पादन, कीमतों में बड़ी तेजी की उम्मीद नहीं

आर एस राणा
नई दिल्ली। चालू फसल सीजन 2020-21 में ग्वार सीड के प्रमुख उत्पादक राज्य राजस्थान में बुआई आई कमी से ग्वार सीड के उत्पादन में 13.05 फीसदी की कमी आकर कुल उत्पादन 14.92 लाख टन का ही होने का अनुमान है जबकि पिछले साल राज्य में 17.16 लाख टन का उत्पादन हुआ था।
उत्पादन अनुमान में कमी के कारण स्टॉकिस्ट ग्वार सीड के भाव में सुधार तो कर सकते हैं लेकिन ग्वार गम उत्पादों में निर्यात मांग कमजोर है तथा चालू महीने के अंत तक नई फसल की आवक बढ़ेगी, ऐसे में कीमतों में तेजी टिक नहीं पायेगी।
राज्य के कृषि निदेशालय के अनुसार चालू खरीफ में ग्वार सीड की बुआई घटकर 23.84 लाख हेक्टेयर में ही हुई है जबकि पिछले साल 30.32 लाख हेक्टेयर में बुआई थी। चालू खरीफ में बुआई का लक्ष्य 30 लाख हेक्टेयर का तय किया गया था। ग्वार सीड के एक अन्य प्रमुख उत्पादक राज्य गुजरात में ग्वार सीड की बुआई 1.37 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जोकि पिछले साल की समान अवधि के 1.18 लाख हेक्टेयर से ज्यादा है। गुजरात में ग्वार सीड की बुआई का लक्ष्य 1.60 लाख हेक्टेयर है।
चालू वित्त वर्ष 2020-21 की पहली तिमाही अप्रैल से जून के दौरान ग्वार गम उत्पादों के निर्यात में 49.13 फीसदी की गिरावट आकर कुल निर्यात 59,775 टन का ही हुआ है जबकि पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में 1,16,005 टन का निर्यात हुआ था। एपीडा के अनुसार अप्रैल और मई के मुकाबले ग्वार गम उत्पादों के निर्यात में सुधार तो आया है लेकिन कुल निर्यात अभी सामान्य की तुलना में कम हो रहा है। जून महीने में ग्वार गम उत्पादों का निर्यात 31,189 टन का हुआ है जबकि पिछले साल जून में इनका निर्यात 32,127 टन का हुआ था। चालू वित्त वर्ष 2020-21 के अप्रैल, मई में ग्वार गम उत्पादों का निर्यात केवल 28,586 टन का ही हुआ था। ....   आर एस राणा

एग्री कमोडिटी दलहन, तिलहन के साथ मोटे अनाज और मसालों की खबरों के लिए सपंर्क करे

एग्री कमोडिटी दलहन, तिलहन, और मसालों के साथ ही गेहूं, मक्का, जौ, कपास, खल, बिनौला, ग्वार सीड, चीनी, और कपास आदि की कीमतों में कब आयेगी तेजी तथा आगे की रणनीति कैसे बनाये, भाव में कब आयेगी तेजी, किस भाव पर स्टॉक करने पर मिलेगा मुनाफा, क्या रहेगी सरकार की नीति, आयात-निर्यात की स्थिति के साथ ही विदेश में कैसी है पैदावार, इन सब की स्टीक जानकारी के लिए हमसे जुड़े............एग्री कमोडिटी की दैनिक रिपोर्ट के साथ ही मंडियों के ताजा भाव आपको ई-मेल से हिंदी में दी जायेगी।

---------------------खरीफ फसलों की बुआई कैसी रहेगी, किन भाव पर स्टॉक करने से मिलेगा फायदा। बाजरा, मक्का, सोयाबीन, मूंगफली, कपास, केस्टर सीड और ग्वार सीड का भविष्य कैसा रहेगा, इनके निर्यात-आयात की क्या हैं संभावनाएं, इन सभी की स्टीक जानकारी कें लिए हमसे जुड़े।  खबरें केवल ई-मेल के माध्यम से।

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आर एस राणा
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राजस्थान में मूंग उत्पादन 19 फीसदी बढ़ने का अनुमान, मोठ भी ज्यादा होगी

आर एस राणा
नई​ दिल्ली। चालू खरीफ सीजन में बुआई में हुई बढ़ोतरी से राजस्थान में मूंग का उत्पादन अनुमान 19.15 फीसदी ज्यादा है। मोठ की बुआई में हालांकि कमी आई है लेकिन राज्य सरकार ने उत्पादन अनुमान बढ़ाया है। उड़द के उत्पादन में कमी आने की आशंका है।
राज्य के कृषि निदेशालय द्वारा जारी अग्रिम अनुमान के अनुसार फसल सीजन 2020-21 में खरीफ में दलहन की प्रमुख फसल मूंग का उत्पादन बढ़कर 14.31 लाख टन होने का अनुमान है जबकि इसके पिछले साल राज्य में 12.01 लाख टन का उत्पादन हुआ था। राज्य में चालू खरीफ में मूंग की बुआई बढ़कर 20.89 लाख हेक्टेयर में हुई है जबकि पिछले साल 18.26 लाख हेक्टेयर में ही बुआई हो पाई थी। मोठ की बुआई राज्य में चालू सीजन में घटकर 8.69 लाख हेक्टेयर में ही हुई है जबकि राज्य सरकार के आरंभिक अनुमान के अनुसार मोठ का उत्पादन बढ़कर 5.34 लाख टन का होने का अनुमान है जबकि पिछले साल 4.59 लाख टन का उत्पादन ही हुआ था। मोठ का प्रति हेक्टेयर उत्पादन अनुमान पिछले साल की तुलना में ज्यादा है।
उड़द का उत्पादन अनुमान कम
उड़द का उत्पादन राजस्थान में चालू खरीफ में घटकर 2.86 लाख टन का ही होने का अनुमान है जबकि पिछले साल राज्य में 3.81 लाख टन उड़द का उत्पादन हुआ था। पहले आरंभिक अनुमान के अनुसार राज्य में दालों का उत्पादन 10.41 फीसदी बढ़कर 23.11 लाख टन होने का अनुमान है जबकि पिछले साल राज्य में 20.93 लाख टन दालों का उत्पादन ही हुआ था।
बाजरा और मक्का का उत्पादन अनुमान ज्यादा
राज्य के कृषि निदेशालय के अनुसार बाजरा का उत्पादन बढ़कर 43.64 लाख टन और मक्का का 17.64 लाख टन का उत्पादन अनुमान है जबकि पिछले साल राज्यों में इनका उत्पादन क्रमश: 38.96 और 16.89 लाख टन का उत्पादन हुआ था। राज्य में ज्वार का उत्पादन पिछले साल के 4.89 लाख टन से घटकर 4.48 लाख टन का ही होने का अनुमान है।
मूंगफली का उत्पादन पिछले साल ​से  बढ़ने की उम्मीद
तिलहनी फसलों मूंगफली का उत्पादन चालू सीजन में बढ़कर 18.07 लाख टन और सोयाबीन का 13.60 लाख टन होने का अनुमान है जबकि पिछले साल इनका उत्पादन क्रमश: 12.27 और 14.60 लाख टन का हुआ था। केस्टर सीड का उत्पादन चालू खरीफ में 2.06 लाख टन ही होने का अनुमान है जबकि पिछले साल राज्य में 2.26 लाख टन का उत्पादन हुआ था। ................... आर एस राणा

04 सितंबर 2020

उत्तर भारत के साथ मध्य के कई राज्यों में बारिश का अनुमान

आर एस राणा
नई दिल्ली। भारतीय मौसम विभाग के अनुुसार अगले 24 घंटों के दौरान उत्तर भारत के साथ ही मध्य भारत के कई राज्यों में बारिश होने का अनुमान है।
स्काईमेट के अनुसार मानसून ट्रफ का पश्चिमी सिरा राजस्थान के बीकानेर और जयपुर पर जबकि मध्य में ग्वालियर और सतना तथा पूरब में डाल्टनगंज और शांतिनिकेतन होते हुए दक्षिणी असम तक बनी हुई है। उत्तर-पश्चिमी राजस्थान पर एक चक्रवाती हवाओं का क्षेत्र बना हुआ है। इसके अलावा उत्तरी छत्तीसगढ़ पर भी एक चक्रवाती सिस्टम बना हुआ है। मध्य प्रदेश पर बना चक्रवाती सिस्टम उत्तर-पश्चिमी दिशा में बढ़ गया है। दक्षिण भारत में उत्तरी केरल के तटों के पास अरब सागर के ऊपर भी एक चक्रवाती सिस्टम बना हुआ है।
आगामी 24 घंटों का मौसमी पूर्वानुमान
अगले 24 घंटों के दौरान जम्मू कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, पूर्वी राजस्थान, पूर्वी मध्य प्रदेश, दक्षिणी छत्तीसगढ़, मध्य महाराष्ट्र, उत्तरी तेलंगाना, कर्नाटक  केरल और तमिलनाडु में कुछ स्थानों पर मध्यम से भारी बारिश होने की संभावना है। उप-हिमलायी पश्चिम बंगाल, सिक्किम, पूर्वोत्तर राज्यों में असम, अरुणाचल प्रदेश, मेघालय और नागालैंड में भी कुछ स्थानों पर अच्छी वर्षा हो सकती है। हरियाणा, दिल्ली, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल, विदर्भ और मराठवाड़ा में भी कहीं-कहीं हल्की बारिश के साथ मध्यम वर्षा हो सकती है।
पिछले 24 घंटों में कैसा रहा मौसम
बीते 24 घंटों के दौरान राजस्थान, हिमाचल प्रदेश, तमिलनाडु, उप-हिमालयी पश्चिम बंगाल, असम में कई जगहों पर हल्की से मध्यम बारिश के साथ कुछ स्थानों पर भारी वर्षा दर्ज की गई। कोंकण गोवा के दक्षिणी भागों, ओड़ीशा और मेघालय में भी कुछ स्थानों पर हल्की से मध्यम बारिश हुई। एक-दो स्थानों पर तेज़ वर्षा भी इन भागों में हुई। मध्य प्रदेश, पंजाब, हरियाणा और लक्षद्वीप में भी कुछ जगहों पर हल्की से मध्यम मानसूनी बौछारें दर्ज की गईं।..................... आर एस राणा

हरियाणा और उत्तर प्रदेश में बारिश से धान की आवक प्रभावित, भाव रुके

आर एस राणा
नई दिल्ली। हरियाणा के साथ ही पश्चिमी उत्तर प्रदेश में कई जगहों पर बारिश होने से मंडियों में धान की आवक प्रभावित हुई है, हालांकि चावल मिलों की मांग भी कमजोर ही रही। जिस कारण धान के साथ ही चावल की कीमतें स्थिर बनी रही। हरियाणा की कैथल मंडी में पूसा 1,121 बासमती धान के भाव 3,000 से 3,050 रुपये और सेला चावल के भाव 5,100 रुपये प्रति क्विंटल रहे। पूसा 1,509 बासमती धान उत्तर प्रदेश लाईन के भाव 1,800 से 2,000 रुपये और हरियाणा के मालों के भाव 2,000 रुपये प्रति क्विंटल रहे।
व्यापारियों के अनुसार धान में चावल मिलों की मांग कमजोर है, जबकि आगे जैसे ही मौसम साफ होगा उत्तर प्रदेश के साथ हरियाणा और पंजाब की मंडियों में पूसा 1,509 धान की आवक बढ़ेगी। सितंबर के अंत तक परमल धान की आवक भी शुरू हो जायेगी, इसलिए आगे धान के साथ ही चावल की कीमतों में नरमी बनी रहने का अनुमान है।
जानकारों के अनुसार चालू सीजन में पूसा 1,509 के साथ ही 1,121 की रोपाई भी ज्यादा हुई है जिससे इनका उत्पादन अनुमान भी ज्यादा है। उत्पादक राज्यों में मानसूनी बारिश भी अच्छी हुई है जिससे प्रति हेक्टेयर उत्पादन में भी बढ़ोतरी होगी। धान की रोपाई चालू खरीफ में 8.27 फीसदी बढ़कर 396.18 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक इसकी रोपाई केवल 365.92 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी। राज्य सरकार की कोशिश के बावजूद भी हरियाणा में धान की रोपाई पिछले साल के 13.05 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 13.23 लाख हेक्टेयर में हुई है, हालांकि पंजाब में जरुर पिछले साल के 29.20 लाख हेक्टेयर से घटकर 27.20 लाख हेक्टेयर में ही हुई है। उत्तर प्रदेश में भी धान की ​रोपाई पिछले साल से ज्यादा हुई है।........ आर एस राणा

कोरोना काल में भारत ने जारी रखा कृषि उत्पादों का निर्यात - कैलाश चौधरी

आर एस राणा
नई​ दिल्ली। कोरोना महामारी के संकट काल में भी अपनी जरूरत से ज्यादा अनाज का उत्पादन कर भारत ने दुनिया के देशों को विश्व खाद्य आपूर्ति श्रंखला को निर्बाध बनाए रखने का भरोसा दिलाया है।
केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री कैलाश चौधरी ने खाद्य एवं कृषि संगठन (एफएओ) के एक सम्मेलन में कहा कि भारत खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने की दिशा में सामूहिक प्रयास के लिए प्रतिबद्ध है और विश्व खाद्य आपूर्ति श्रंखला को निर्बाध बनाए रखने के लिए कृषि उत्पादों का निर्यात लगातार जारी रखा है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, वीडियो कान्फ्रेंसिंग के जरिए एफएओ के 35वें एशिया-प्रशांत क्षेत्रीय सम्मेलन को संबोधित करते हुए कैलाश चौधरी ने गुरुवार को कहा, हम सभी के लिए खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सामूहिक प्रयास को प्रतिबद्ध हैं। भारत ने इसका ध्यान रखते हुए कृषि उत्पादों का निर्यात जारी रखा है।
कृषि मंत्रालय ने हाल ही में निर्यात के आंकड़ों के साथ बताया कि मार्च - जून 2020 की अवधि में देश से 25,552.7 करोड़ रुपये के कृषि उत्पादों का निर्यात हुआ जो कि 2019 की इसी अवधि में हुए 20,734.8 करोड़ रुपये के निर्यात की तुलना में 23.24 फीसदी ज्यादा है। चौधरी ने कहा कि कोरोना महामारी का मौजूदा संकट से विश्व के साथ-साथ भारत के सामने भी कई चुनौतियां पैदा हुई हैं, लेकिन स्वास्थ्य संबंधी प्रोटोकॉल और सोशल डिस्टेंसिंग के एसओपी का दृढ़ता के साथ पालन करते हुए कृषि और इससे जुड़ी तमाम गतिविधियां निर्बाध तरीके से चलती रहीं।
उन्होंने कहा, प्रगतिशील कृषि विपणन सुधारों और आईटी सक्षम प्रक्रियाओं को राज्यों द्वारा गंभीरता से अपनाया गया क्योंकि हमारी पहली प्राथमिकता थोक बाजारों में भीड़-भाड़ कम करना था। चौधरी ने कहा कि भारतीय कृषि को एक उद्यम के रूप में परिवर्तित करने की दिशा में प्रयास किया गया है। कोरोना महामारी की रोकथाम के मद्देनजर जब देशव्यापी लॉकडाउन किया गया तब रबी फसलों की कटाई का सीजन चल रहा था। लिहाजा, सरकार ने फसलों की कटाई, बुवाई, विपणन समेत कृषि और इससे जुड़ी तमाम गतिविधियों को लॉकडाउन के दौरान छूट दे दी। यही वजह है कि चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में जहां देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में पिछले साल की इसी तिमाही के मुकाबले 23.9 फीसदी की गिरावट रही, वहीं कृषि विकास दर में वृद्धि दर्ज की गई। वर्ष 2020-21 की पहली तिमाही (अप्रैल से जून) में बुनियादी मूल्य पर सकल मूल्य वर्धित (जीवीए) के तिमाही अनुमान (वर्ष 2011-12 के मूल्य पर), कृषि विकास दर 3.4 फीसदी दर्ज की गई जबकि 2019-20 की पहली तिमाही में तीन फीसदी थी। ..............  आर एस राणा

दलहन एवं तिलहन की​ रिकार्ड बुआई, खरीफ फसलों का आकड़ा 1,095 लाख हेक्टेयर के पार

आर एस राणा
नई दिल्ली। मानसूनी सीजन के पहले तीन महीनों में सामान्य से 9 फीसदी ज्यादा हुई बारिश से खरीफ फसलों की बुआई में 6.32 फीसदी की बढ़ोतरी होकर कुल बुआई 1,095.38 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले खरीफ की समान अवधि में इनकी बुआई 1,030.43 लाख हेक्टेयर में ही हो पाई थी। दलहन के साथ ही तिलहनों की रिकार्ड बुआई से इनका उत्पादन अनुमान बढ़ेगा, जिससे आयात​ पर निर्भरता में भी कमी आयेगी।
कृषि मंत्रालय के अनुसार चालू खरीफ में दलहन के साथ ही तिलहन की रिकार्ड बुआई हुई है जबकि धान की रोपाई भी सामान्य क्षेत्रफल से ज्यादा हुई है। दालों की बुआई चालू खरीफ सीजन में 4.67 फीसदी बढ़कर 136.79 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है पिछले साल इस समय तक 130.68 लाख हेक्टेयर में ही बुआई हो पाई थी। खरीफ सीजन में सामान्यत: 128.88 लाख हेक्टेयर में दालों की बुआई होती है। खरीफ दलहन की प्रमुख फसल अरहर की बुआई पिछले साल की तुलना में 6.34 फीसदी बढ़कर 47.73 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जोकि पिछले साल की समान अवधि के 44.89 लाख हेक्टेयर से ज्यादा है। इसी तरह से उड़द की बुआई बढ़कर 37.92 लाख हेक्टेयर में और मूंग की बुआई 35.54 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक इनकी बुआई क्रमश: 37.57 एवं 30.53 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी।
धान की रोपाई पिछले साल से ज्यादा, मोटे अनाजों की बुआई भी बढ़ी
खरीफ की प्रमुख फसल धान की रोपाई चालू खरीफ में 8.27 फीसदी बढ़कर 396.18 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक इसकी रोपाई केवल 365.92 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी। इसी तरह से मोटे अनाजों की बुआई चालू खरीफ में 1.77 फीसदी बढ़कर 179.36 लाख हेक्टेयर में बुआई हो चुकी है जबकि पिछले साल की समान अवधि में इनकी बुआई केवल 176.25 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी। मोटे अनाजों में ज्वार की बुआई 16.53 और बाजरा की 67.34 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल की समान अवधि में इनकी बुआई क्रमश: 16.64 और 65.84 लाख हेक्टेयर में हुई थी। मक्का की बुआई चालू खरीफ में बढ़कर 81.14 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जोकि पिछले साल के 80.06 लाख हेक्टेयर से ज्यादा है। रागी की बुआई भी बढ़कर चालू खरीफ में 9.72 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल 9.09 लाख हेक्टेयर में ही बुआई हो पाई थी।
मूंगफली और सोयाबीन की बुआई बढ़ने से उत्पादन अनुमान ज्यादा
तिलहनी फसलों की बुआई चालू खरीफ में 11.93 फीसदी बढ़कर 194.75 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक 174 लाख हेक्टेयर में ही बुआई हो पाई थी। सामान्यत: खरीफ में इनकी बुआई 178.08 लाख हेक्टेयर में ही होती है। तिलहन की प्रमुख फसल सोयाबीन की बुआई 120.62 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जोकि सामान्य क्षेत्रफल 110.32 लाख हेक्टेयर से भी ज्यादा है। पिछले साल इस समय तक सोयाबीन की बुआई 112.77 लाख हेक्टेयर में ही हो पाई थी। मूंगफली की बुआई बढ़कर 50.73 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक केवल 38.14 लाख हेक्टेयर में ही बुआई हो पाई थी। सामान्यत: मूंगफली की बुआई 41.41 लाख हेक्टेयर में ही होती है। केस्टर सीड की बुआई चालू खरीफ में जरुर थोड़ी घटकर 7.12 लाख हेक्टेयर में ही हुई है जोकि पिछले साल के 7.64 लाख हेक्टेयर से कम है।
कपास की बुआई में हुई बढ़ोतरी
कपास की बुआई चालू खरीफ में 3.24 फीसदी बढ़कर 128.95 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक केवल 124.90 लाख हेक्टेयर में ही बुआई हो पाई थी। गन्ने की बुआई चालू सीजन में 52.38 लाख हेक्टेयर में हुई है जोकि पिछले साल के 51.71 लाख हेक्टेयर से ज्यादा है।............ आर एस राणा

03 सितंबर 2020

सीसीआई ने फिर शुरू की कपास की नीलामी, बिक्री भाव में कटौती से कीमतों पर दबाव

आर एस राणा
नई दिल्ली। कॉटन कारपोरेशन आफ इंडिया (सीसीआई) ने सप्ताहभर बाद फिर से कपास की नीलामी शुरू का दी है। सीसीआई ने 24 अगस्त के बिक्री भावों में 400 से 800 रुपये प्रति कैंडी (एक कैंडी-356 किलो) की कटौती की है, जिससे घरेलू बाजार में कपास की कीमतों पर और दबाव बनेगा।
सीसीआई ने नये नियम और शर्तों के तहत कपास की नीलामी फिर से शुरू कर दी है, ताकि जमाखोरों पर नजर रखी जा सके। एक खरीदार को प्रति दिन 2 लाख गांठ (एक गांठ-170 किलो) की अधिकतम खरीद की अनुमति है और पूरे सीजन के लिए 10 लाख गांठ की खरीद की सीमा निर्धारित की गई है। आईसीई में कॉटन वायदा की कीमतों में गिरावट आइ है, क्योंकि निवेशकों ने पिछले सत्र में बढ़त के बाद मुनाफावसूली की, जबकि मजबूत डॉलर के कारण भी कीमतों पर दबाव बढ़ा। पिछले सत्र में दो साल के निचले स्तर से डॉलर 0.6 फीसदी बढ़ गया।
उत्तर भारत के राज्यों में बुआई पिछले साल से ज्यादा
उत्तर भारत की मंडियों में कपास की दैनिक आवक बढ़ने लगी है, हालांकि दाम रुक गए हैं, लेकिन माना जा रहा है कि मौसम साफ रहा तो मध्य सितंबर तक आवक बढ़ जायेगी, जिससे कीमतों में मंदा ही आयेगा। उत्तर भारत के राज्यों में फसल को नुकसान की आशंका तो है लेकिन पंजाब, हरियाणा के साथ ही राजस्थान में कपास की ​बुआई क्रमश: 5.01, 7.37 और 6.97 लाख हेक्टेयर में हुई है ज​बकि पिछले साल इन राज्यों में क्रमश: 4.02, 7.01 और 6.44 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी। ऐसे में चालू सीजन में उत्पादन अनुमान भी ज्यादा है।
तेलंगाना में बुआई ज्यादा, महाराष्ट्र एवं गुजरात में कम
चालू खरीफ में कपास के सबसे बड़े उत्पादक राज्यों गुजरात और महाराष्ट्र में बुआई पिछले साल की तुलना में कम हुई है लेकिन तेलंगाना में बुआई बढ़ी है। तेलंगाना में चालू सीजन में बुआई बढ़कर 23.86 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जबकि पिछले साल इस समय तक केवल 17.69 लाख हेक्टेयर में ही बुआई हो पाई थी। गुजरात और महाराष्ट्र में कपास की बुआई क्रमश: 22.76 और 42.01 लाख हेक्टेयर में हुई है जबकि पिछले साल इन राज्यों में बुआई क्रमश: 26.52 और 43.68 लाख हेक्टेयर में बुआई हो पाई थी।
कपास का उत्पादन अनुमान ज्यादा
कॉटन एसोसिएशन आफ इंडिया (सीएआई) के अनुसार पहली अक्टूबर 2019 से शुरू हुए चालू फसल सीजन 2019-20 में 354.50 लाख गांठ कपास के उत्पादन का अनुमान है जोकि इसके पिछले साल के 312 लाख गांठ से ज्यादा है। गुजरात में 92.50 लाख गांठ, महाराष्ट्र में 84.50 लाख गांठ, तेलंगाना में 51 लाख गांठ, कर्नाटक में 21 लाख गांठ, आंध्रप्रदेश 15.25 लाख गांठ, मध्य प्रदेश 17.50 लाख गांठ, तमिलनाडु पांच लाख गांठ तथा उत्तर भारत के राज्यों पंजाब, हरियाणा और राजस्थान में 63 लाख गांठ के उत्पादन का अनुमान है इसके अलावा अन्य राज्यों 4.75 लाख गांठ के उत्पादन का अनुमान है। चालू सीजन में कुल बुआई बढ़ी है इसलिए कपास का उत्पादन अनुमान भी ज्यादा है।.............. आर एस राणा

02 सितंबर 2020

मध्य प्रदेश, राजस्थान, उत्तराखंड और पंजाब के कुछ हिस्सों में बारिश का अनुमान

आर एस राणा
नई​ दिल्ली। मौसम विभाग के अनुसार अगले 24 घंटों के दौरान मध्य प्रदेश, राजस्थान, उत्तराखंड और पंजाब के कुछ हिस्सों में हल्की बारिश का अनुमान है जबकि बिहार, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, सिक्किम, असम, मेघालय, दक्षिण भारत में आंतरिक तमिलनाडु, केरल, और कर्नाटक में कहीं तेज तो कहीं मध्यम बारिश होने की संभावना है।
स्काईमेट के अनुसार निम्न दबाव का क्षेत्र पश्चिमी राजस्थान के आगे निकाल गया है और इस समय यह पश्चिमी राजस्थान और इससे सटे पाकिस्तान पर है। जल्द ही यह कमजोर हो जाएगा। मानसून की अक्षीय रेखा इस निम्न दबाव के क्षेत्र से उत्तर प्रदेश में मथुरा और बहराइच होते हुए पूर्वोत्तर भारत में हिमालय के तराई क्षेत्रों में पहुँच गई है। दक्षिण भारत में तमिलनाडु के तटों पर एक ट्रफ बना हुआ है। राजस्थान के जैसलमर और बाड़मेर में अगस्त में बारिश का 10 वर्षों का टूटा रिकॉर्ड, 3-4 सितंबर को फिर से अच्छी वर्षा के आसार
आगामी 24 घंटों के दौरान देश में कहाँ सक्रिय होगा मानसून
अगले 24 घंटों के दौरान बिहार, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, सिक्किम, असम, मेघालय, दक्षिण भारत में आंतरिक तमिलनाडु, केरल, और कर्नाटक तथा उत्तर भारत में जम्मू कश्मीर में हल्की से मध्यम वर्षा के साथ कुछ स्थानों पर भारी बारिश हो सकती है। पूर्वोत्तर भारत के बाकी भागों, छत्तीसगढ़, तेलंगाना, तटीय कर्नाटक, उत्तरी आंतरिक कर्नाटक, हिमाचल प्रदेश, राजस्थान के पश्चिमी हिस्सों, लक्षद्वीप और गुजरात में भी हल्की से मध्यम वर्षा होने की संभावना है। पूर्वी मध्य प्रदेश, पूर्वी राजस्थान, उत्तराखंड और पंजाब के कुछ हिस्सों में हल्की बारिश होने का अनुमान है।
पिछले 24 घंटों में कैसा रहा मानसून का प्रदर्शन
बीते 24 घंटों के दौरान पश्चिमी राजस्थान, गुजरात के कुछ हिस्सों, उप-हिमालयी पश्चिम बंगाल, सिक्किम, असम, मेघालय, उत्तरी कोंकण गोवा में हल्की से मध्यम बारिश के साथ कुछ स्थानों पर भारी वर्षा दर्ज की गई। दक्षिण भारत में कर्नाटक, केरल और तमिलनाडु में भी कुछ जगहों पर हल्की से मध्यम बारिश के साथ कुछ कहीं-कहीं भारी वर्षा हुई है। अंडमान व निकोबार द्वीपसमूह, पूर्वी राजस्थान उत्तर पश्चिमी राजस्थान, पश्चिमी मध्य प्रदेश, जम्मू कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, ओडिशा, गंगीय पश्चिम बंगाल और पूर्वोत्तर भारत के बाकी हिस्सों में कुछ स्थानों पर हल्की से मध्यम बारिश दर्ज की गई।............... आर एस राणा

मौसम साफ रहा तो मूंग और उड़द में आयेगा मंदा, चना और अरहर में रहेगी घटबढ़

आर एस राणा
नई दिल्ली। उत्पादक राज्यों में मौसम साफ रहा तो आगे उड़द के साथ ही मूंग की दैनिक आवक बढ़ेगी, जिससे इनकी मौजूदा कीमतों में 200 से 300 रुपये प्रति क्विंटल का मंदा आने का अनुमान है। चना और अरहर में उंचे भाव में मांग कमजोर हुई है, हालांकि स्टॉकिस्ट तेजी करना चाहते हैं, इसलिए इनके भाव में 100 से 150 रुपये की तेजी आए तो फिर स्टॉक बेचना ही चाहिए।
उत्पादक राज्यों में मौसम साफ रहा तो अगले आठ-दस दिनों में मूंग के साथ ही उड़द की नई फसल की आवक बढ़ेगी, जिससे इनकी कीमतों में मंदा ही आने का अनुमान है। कर्नाटक की मंडियों में उड़द के भाव 4,000 से 6,000 रुपये प्रति क्विंटल हैं, जबकि चालू खरीफ में उड़द के साथ ही मूंग का उत्पादन अनुमान ज्यादा है। मूंग के भाव राजस्थान की मंडियों में 5,500 से 6,500 रुपये प्रति क्विंटल चल रहे हैं। उड़द की बुआई बढ़कर चालू खरीफ सीजन में 37.52 लाख हेक्टेयर में और मूंग की बुआई 34.85 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक इनकी बुआई क्रमश: 37.09 एवं 30.19 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी।
व्यापारियों के अनुसार उत्पादक मंडियों में चना के भाव 4,600 से 5,000 रुपये प्रति क्विंटल हैं जबकि नेफेड ने राजस्थान में 5,001 से 5,071 रुपये और मध्य प्रदेश में 4,901 से 5,001 रुपये प्रति क्विंटल के भाव चना बेचा है। नेफेड के बिक्री भाव उंचे हैं जबकि आगे त्यौहारी सीजन है इसलिए चना की कीमतों में हल्का तेजी आए तो फिर स्टॉक बेचना ही चाहिए। वैसे भी केंद्र सरकार ने बदगाह पर पड़ी हुई डेढ़ लाख टन को घरेलू बाजार में बेचने की अनुमति दी है, जोकि उंचे भाव की है। केंद्र सरकार नवंबर तक गरीबों को एक किलो राशन में फ्री में चना दे रही है जबकि आगे अक्टूबर में बुआई भी शुरू हो जायेगी। इसलिए बड़ी तेजी की उम्मीद नहीं है।
अरहर की कीमतों में आगे अब बड़ी तेजी की संभावना नहीं है, चालू खरीफ में बुआई बढ़ी है, जिससे उत्पादन अनुमान ज्यादा है। सूत्रों के अनुसार केंद्र सरकार चार लाख टन अरहर के आयात को मंजूरी चालू महीने के अंत तक दे सकती है, ऐसे में अक्टूबर, नवंबर में आयात होगा, जबकि घरेलू मंडियों में नई फसल की आवक नवंबर में बनेगी, तथा दिसंबर में आवक का दबाव बन जायेगा। इसलिए अब बड़ी तेजी मानकर व्यापार नहीं करना चाहिए। अरहर के भाव में उपर का टारगेट 6,200 से 6,300 रुपये प्रति क्विंटल का था, जोकि लगभग पूरा हो चुका है अत: मौजूदा कीमतों में 100-150 रुपये की तेजी आए तो फिर स्टॉक बेचना ही चाहिए। अरहर की बुआई पिछले साल की तुलना में 5.72 फीसदी बढ़कर 47.10 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जोकि पिछले साल इस समय तक 44.55 लाख हेक्टेयर में ही बुआई हुई थी है।
सस्ती मसूर का आयात नहीं हो पायेगा, जबकि 30 फीसदी आयात शुल्क पर नए आयात सौदे नहीं होंगे। ऐसे में मसूर की कीमतों में हल्का सुधार और भी बन सकता है। जानकारों के अनुसार उत्पादक मंडियों में मसूर के भाव 5,500 से 6,000 रुपये प्रति क्विंटल के दायरे में रहने का अनुमान है।............. आर एस राणा

कपास में मांग कमजोर, आवक बढ़ने से आगे कीमतों में नरमी की उम्मीद

आर एस राणा
नई दिल्ली। उत्तर भारत के राज्यों में आगे कपास की दैनिक आवक बढ़ेगी, जबकि अन्य राज्यों में भी यार्न मिलों की मांग कमजोर है। इसलिए आगे इसकी कीमतों में नरमी ही आने का अनुमान है। वैसे भी चालू खरीफ में कपास का उत्पादन अनुमान ज्यादा है।
पिछले सप्ताह में तेजी के बाद महाराष्ट्र और गुजरात आदि में कपास की कीमतें ​स्थिर सी हो गई हैं। इन राज्य में कपास की 2,500 गांठ (एक गांठ-170 किलो) की आवक हुई, जबकि कीमतें 4,450-4,800 रुपये क्विंटल रही। मध्य प्रदेश कपास की कीमतें राज्य में लगभग स्थिर सी बनी रही जबकि उत्तर भारत में सुस्त मांग के कारण कपास की चयनित किस्मों की कीमतें 200 रुपये प्रति कैंडी (एक कैंडी-356 किलो) घट गई गयी। उत्तर भारत के राज्य में 1,000 से 1,200 गांठ कपास की आवक हुई।
अहमदाबाद में 29 मिमी संकर-6 कपास की कीमतों 35,800-36,000 रुपये और 28.5 प्लस मिमी कपास की कीमतों 34,800-35,000 रुपये प्रति कैंडी थी जबकि 28 मिमी की कीमत 200 रुपये कम होकर 33,000-33,300 रुपये प्रति कैंडी रह गई। सीसीआई के पास कपास का बकाया स्टॉक ज्यादा है जबकि विदेशी बाजार में भी भाव नरम हैं। आगे नई फसल की आवक बढ़ेगी, तथा कपास का समर्थन मूल्य उंचा है, जबकि मंडियों में कीमतें कम है। ऐसे में पहली अक्टूबर 2020 से शुरू होने वाले सीजन में भी सीसीआई को ज्यादा खरीद करनी पड़ेगी। खरीफ विपणन सीजन 2019-20 में सीसीआई ने 100 लाख गांठ से ज्यादा कपास की खरीद की थी, जबकि महाराष्ट्र में राज्य की एजेंसी ने भी अलग से समर्थन मूल्य पर खरीद की थी।
मीडियम स्टेपल कपास का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) खरीफ विपणन सीजन 2020-21 के लिए 5,515 रुपये और लोंग स्टेपल कपास का एमएसपी 5,828 रुपये प्रति क्विंटल तय किया हुआ है। कपास की बुआई चालू खरीफ में 2.80 फीसदी बढ़कर 128.41 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक केवल 124.90 लाख हेक्टेयर में ही बुआई हो पाई थी। सामान्यत: कपास की बुआई 120.97 लाख हेक्टेयर में होती है।.......... आर एस राणा

01 सितंबर 2020

सोने-चांदी ने फिर रफ्तार पकड़ी, डॉलर के मुकाबले रुपया भी तेज

आर एस राणा
नई दिल्ली। रुपये में दिसंबर 2018 के बाद आज एक दिन की सबसे बड़ी तेजी देखने को मिली है। रुपया आज करीब 6 महीने के ऊपरी स्तर पर पहुंचा। डॉलर के मुकाबले रूपया आज 75 पैसे मजबूत होकर 72.86 पर बंद हुआ है।
इस बीच सोने-चांदी ने फिर रफ्तार पकड़ी है। कॉमेक्स पर सोने ने फिर 2,000 डॉलर का स्तर छू लिया है। डॉलर की कमजोरी से सोना की कीमतों में तेजी आई, लेकिन रुपए में मजबूती से घरेलू बाजार में बढ़त कम हुई है। एमसीएक्स पर सोना 52 हजार के करीब दिख रहा है।
कच्चे तेल में भी मजबूती के साथ कारोबार हो रहा है। ब्रेंट 46 डॉलर के करीब पहुंच गया है। घरेलू बाजार में भी बढ़त देखने को मिल रही है। उधर नैचुरल गैस में करीब 2 फीसदी की तेजी है। बेस मेटल्स में बढ़त का रुझान जारी है। निकेल करीब 9 महीने की ऊंचाई पर है। जिंक में भी अच्छी तेजी है। लेकिन कॉपर छोटे दायरे में है।
आज की सबसे हॉट नान-एग्री कमोडिटी गैस है। एमसीएक्स पर नेचुरल गैस में जोरदार तेजी देखने को मिल रही है। सिर्फ अगस्त में इसके भाव 40 फीसदी से ज्यादा बढ़े हैं। 1 हफ्ते में नेचुरल गैस में करीब 5 फीलसी की बढ़त देखने को मिली है। जून में इसका भाव 25 साल के निचले स्तर पर था।
चना में लगातार 8वें दिन तेजी देखने को मिल रही है। एनसीडीईएक्स पर इसका दाम 33 महीने के ऊपरी स्तर पर है। तंग सप्लाई और त्योहारी मांग से चने को सपोर्ट मिल रहा है। चना के साथ दूसरे दालों में भी तेजी देखने को मिल रही है। भारी बारिश की वजह से मध्य प्रदेश, राजस्थान और गुजरात में बड़े पैमाने पर मूंग और उड़द की फसल खराब होने की आशंका है। ....   आर एस राणा

सब्जियों संग दालें भी हुईं महंगी, महीनेभर में 500 से 1,000 रुपये की तेजी आई

आर एस राणा
नई दिल्ली। देश के राज्यों में हुई भारी बारिश और बाढ़ जैसे हालात बनने से सब्जियों के साथ ही दालों की कीमतों में भी तेजी दर्ज की गई। महीने भर में ही दालों की कीमतों में 50 से 1,000 रुपये प्रति क्विंटल तक की तेजी आ चुकी है।
व्यापारियों के अनुसार चना की कीमतों में महीने भर में करीब 800 से 1,000 रुपये प्रति क्विंटल की तेेजी आ चुकी है तथा उत्पादक मंडियों में बढ़िया चना के भाव उपर में 5,000 रुपये और हल्के मालों के भाव 4,400 से 4,800 रुपये प्रति क्विंटल हो गए। हालांकि कृषि मंत्रालय ने चौथे आरंभिक अनुमान में चना का उत्पादन अनुमान बढ़ाया है लेकिन स्टॉकिस्टों की सक्रियता से तेजी बनी हुई है। उपर में व्यापारियों का लक्ष्य 5,000 रुपये प्रति क्विंटल का था, जोकि लगभग पूरा हो गया है, ऐसे में मोजूदा कीमतों में 100 से 200 रुपये की तेजी तो और भी बन सकती है लेकिन अब बड़ी तेजी की उम्मीद नहीं है।
सब्जियों के साथ ही दालों पर मौसम की मार
चालू खरीफ सीजन की दलहन फसलों पर मौसम की मार से फसल खराब होने की भी आशंका जता रहे हैं। जुलाई में देश के प्रमुख दलहन बाजारों में उड़द की कीमतों में 500 रुपये प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी हुई है, जबकि अरहर के दाम में करीब 500 से 600 रुपये प्रति क्विंटल बढ़े हैं। जानकारों के अनुसार उड़द की नई फसल की आवक आगे बढ़ेगी, इसलिए मौसम साफ होने के बाद इसकी कीमतों में मंदा ही आयेगा, जबकि अरहर में भी उंचे भाव में मांग कमजोर हुई है। नई फसल की आवक नवंबर, दिसंबर में बनेगी, इसलिए अरहर के भाव में हल्की तेजी तो आ सकती है लेकिन बड़ी तेजी मानकर व्यापार नहीं करना चाहिए।
केंद्र सरकार ने अरहर आयात के लिए नहीं किए हैं लाइसेंस जारी
व्यापारियों के अनुसार अरहर आयात के लाइसेंस के लिए करीब 3,000 आवेदन किए गए हैं, लेकिन सरकार ने अब तक दाल मिलों को आयात के लिए लाइसेंस जारी नहीं किए हैं। उन्होंने कहा कि देश के कई राज्यों में बाढ़ से फसलों खासकर के मूंग, उड़द और अरहर को नुकसान की आशंका तो है लेकिन चालू खरीफ में बुआई में बढ़ोतरी हुई है, जबकि दालों में मांग अभी भी सामान्य की तुलना में कम है इसलिए इनके मौजूदा भाव में अब बड़ी तेजी मानकर व्यापार नहीं करना चाहिए।
खुदरा में दाम और बढ़ने का अनुमान
उपभोक्ता मामले मंत्रालय के अनुसार दिल्ली में खुदरा बाजार में अरहर दाल का भाव 98 रुपये प्रति किलो, उड़द दाल 104 रुपये प्रति किलो, मूंग दाल 104 रुपये किलो तथा मसूर दाल 78 रुपये प्रति किलो बिक रही है। साबूत दालों की कीमतों में हुई बढ़ोतरी से खुदरा में इनके दाम और बढ़ने का अनुमान है। कृषि मंत्रालय द्वारा जारी चौथे अग्रिम अनुमान के अनुसार, फसल वर्ष 2019-20 (जुलाई-जून) में दालों का उत्पादन 231.5 लाख टन का हुआ था, जबकि इससे पहले 2018-19 में 220.8 लाख टन उत्पादन था। देश में दालों की सालाना खपत 240 से 245 लाख टन की होती है। कोरोना वायरस के कारण पिछले तीन-चार महीनों में खपत में कमी आई है, तथा चालू खरीफ में उत्पादन अनुमान ज्यादा है। इसलिए घरेलू बाजार में दालों की कीमतों में अब ज्यादा तेजी की संभावना तो नहीं है लेकिन सितंबर में तेजी, मंदी उत्पादक राज्यों में होने वाली बारिश पर भी निर्भर करेगी।
बुआई में हुई बढ़ोतरी
दालों की बुआई चालू खरीफ सीजन में 4.60 फीसदी बढ़कर 134.57 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है पिछले साल इस समय तक 128.65 लाख हेक्टेयर में ही बुआई हो पाई थी। खरीफ सीजन में सामान्यत: 128.88 लाख हेक्टेयर में दालों की बुआई होती है। खरीफ दलहन की प्रमुख फसल अरहर की बुआई पिछले साल की तुलना में 5.72 फीसदी बढ़कर 47.10 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जोकि पिछले साल की समान अवधि के 44.55 लाख हेक्टेयर से ज्यादा है। इसी तरह से उड़द की बुआई बढ़कर 37.52 लाख हेक्टेयर में और मूंग की बुआई 34.85 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक इनकी बुआई क्रमश: 37.09 एवं 30.19 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी।.............. आर एस राणा

उड़द के आयात की मियाद समाप्त, सस्ती मसूर भी नहीं आयेगी

आर एस राणा
नई​ दिल्ली। चालू वित्त वर्ष 2020-21 के लिए केंद्र सरकार ने चार लाख टन आयात की अनुमति दाल मिलों को दी थी, तथा मिलों को 31 अगस्त 2020 तक आयात करना था, लेकिन इस अवधि में केवल ढ़ाई लाख टन उड़द का ही आयात हो पाया है जबकि कोटे की तय मात्रा का डेढ़ लाख टन बचा हुआ है।
व्यापारियों के अनुसार पहले अनुमान लगाया जा रहा था कि सरकार आयात की तय सीमा में बढ़ोतरी कर सकती है, लेकिन घरेलू मंडियों में नई उड़द की आवक शुरू हो गई है, तथा आगे मौसम साफ होने पर आवक और बढ़ेगी, इसीलिए सरकार ने आयात कोटा नहीं बढ़ाया है।  
चालू वित्त वर्ष के लिए केंद्र सरकार ने चार लाख टन उड़द आयात का कोटा जारी किया था। जिसकी मियाद 31 अगस्त 2020 तक थी। हालांकि इसे अगस्त के बाद भी बढ़ाए जाने को लेकर बाजार में चर्चा जरूर थी, लेकिन सरकार की ओर से इस पर कोई फैसला नहीं आया है। ऐसे में इस साल के लिए उड़द आयात की मियाद खत्म मानी जा रही है।
केंद्र सरकार द्वारा दो जून 2020 को जारी अधिसूचना के तहत मसूर आयात पर शूल्क 30 फीसदी से घटाकर 10 फीसदी करने के फैसले की अवधि भी 31 अगस्त 2020 को समाप्त हो गई है। दाल की कीमतों को लेकर भारतीय रिजर्व बैंक के एक बयान के बाद सरकार ने आनन फानन में अमेरिका के अलावा सभी देशों से आयातित मसूर पर लगने वाले शुल्क को 30 फीसदी से घटाकर 10 फीसदी कर दिया था। जो महज 31 अगस्त 2020 तक ही मान्य था। अब इसकी भी मियाद खत्म हो जाने के बाद माना जा रहा है कि सस्ते आयात शुल्क पर अब मसूर का आयात नहीं हो सकेगा। मसूर की नई फसल आगे मार्च, अप्रैल में आयेगी, अत: आयात पड़ते महंगे होने से आगे इसकी कीमतों में घरेलू बाजार में जरुर हल्का सुधार बन सकता है। .............. आर एस राणा