आर एस राणा
नई दिल्ली। मानसून पूरे देश में पहुंच चुका है, इसके बावजूद आधे से ज्यादा हिस्सा सूखे का सामना कर रहा है। दलहन उत्पादन पर इसका असर पड़ने की आशंका हैं। हालांकि केंद्रीय पूल में दलहन का रिकार्ड 40 लाख टन का स्टॉक (15 लाख टन बफर को मिलाकर) है। दलहन, तिलहन और प्याज की खरीद, राज्यों को सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) में सस्ती दालों के आवंटन और गुजरात में मूंगफली खरीद में हुई धांधली जैसे संगीन मसलों पर राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन संघ लिमिटेड (नेफेड) के प्रबंध निदेशक संजीव कुमार चड्डा से बातचीत के प्रमुख अंश :-
नेफेड ने पास इस समय दलहन और तिलहन के स्टॉक की स्थिति क्या है?
-केंद्रीय पूल में इस समय दालों का रिकॉर्ड 40 लाख टन का स्टॉक है। इसके अलावा केंद्र सरकार के पास दलहन का 15 लाख टन का बफर स्टॉक भी है। नेफेड के पास इस समय 25 लाख टन दलहन का और 15 लाख टन तिलहन का स्टॉक है यह सूखे जैसी आशंका से निपटने के लिए पर्याप्त है। निगम के पास दलहन के कुल स्टॉक में करीब 20 लाख टन चना है। बाकी मूंग, उड़द, मसूर और अरहर का पांच लाख टन का स्टॉक है। तिलहनी फसलों में सरसों का 11 लाख टन एवं अन्य का तिलहनी फसलों का चार लाख टन का स्टॉक है।
रबी सीजन के दलहन और तिलहन की खरीद पूरी हो गई या अभी चल रही है?
-रबी सीजन 2019 के तहत इस समय केवल ओडिशा से समर्थन मूल्य पर खरीद चल रही है। वह भी आखिरी दौर में है। अन्य राज्यों में खरीद बंद हो चुकी है।
पीएम आशा के तहत रबी 2019 में दलहन और तिलहन की न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर खरीद कितनी हुई है, और इससे कितने किसानों को लाभ मिला है?
-रबी सीजन 2018-19 में एमएसपी पर नेफेड ने 8,689.97 करोड़ रुपये मूल्य की 19.63 लाख टन दलहन-तिलहन फसलों की खरीद की है। इससे देशभर के 9,32,283 किसानों को लाभ हुआ है।
राज्य सरकारों को सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) के लिए सस्ती दालों का आवंटन करना था। अभी तक कितने राज्यों ने दालों की खरीद की है, और कितनी मात्रा में?
-पीडीएस एवं अन्य कल्याणकारी योजनाओं में आवंटन के लिए राज्यों को बाजार भाव से 15 रुपये प्रति किलो सस्ती दर पर दालें उपलब्ध कराई जा रही हैं। अभी देश के 10 राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों ने 8.48 लाख टन दालों की खरीद की है। इसमें से 7.26 लाख टन दालों की सप्लाई राज्यों को हो चुकी है। कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, गुजरात, हिमाचल प्रदेश, दमन एवं दीव, त्रिपुरा और केरल ही दालों की खरीद कर रहे हैं।
प्याज का 50 लाख टन का बफर स्टॉक बनाना था। इसकी क्या स्थिति है?
-महाराष्ट्र और गुजरात से अभी तक 56,000 टन प्याज की खरीद हुई है। सरकार लगातार प्याज की कीमतों की निगरानी कर रही है। जरूरत पड़ने पर प्याज की आपूर्ति खुले बाजार में सरकारी दुकानों के माध्यम से की जाएगी।
पिछले साल गुजरात में मूंगफली के बोरो में रेत मिला था, उस पर क्या कार्रवाई हुई? ऐसी घटना दोबारा न हो, इसके लिए क्या कदम उठाए गए हैं?
-राज्यों से जिंसों की खरीद, राज्य सरकार की एजेंसियों द्वारा की जाती है। स्टॉक गोदाम में रखने के बाद उसकी एफएक्यू रसीद नेफेड को दी जाती है। गुजरात में भी यही हुआ था। मूंगफली की खरीद राज्य की एजेंसियों द्वारा की गई थी, तथा धांधली भी राज्य की एजेंसियों ने ही की। जो एजेंसिया खरीद में शामिल थीं, उन्हें ब्लैक लिस्ट कर दिया गया है साथ ही खरीद नियमों को और कड़ा किया गया है, ताकि भविष्य में इस तरह की घटना दोबारा न हो।
हरियाणा में चालू रबी सीजन में सरसों की खरीद हैफेड ने आढ़तियों के माध्यम से की, जबकि नेफेड सीधे खरीद करती है। ऐसे में आढ़तियों को कमीशन देने से नेफेड ने मना कर दिया था। इस मामले में क्या हुआ है?
-यह मामला निपट गया है, किसानों को समर्थन मूल्य पर की खरीद गई सरसों का भुगतान करना था, इसलिए खरीद की राशि का भुगतान हैफेड को कर दिया गया है। रही बात कमीशन की, तो इस पर फैसला कृषि मंत्रालय को करना है।..... आर एस राणा
नई दिल्ली। मानसून पूरे देश में पहुंच चुका है, इसके बावजूद आधे से ज्यादा हिस्सा सूखे का सामना कर रहा है। दलहन उत्पादन पर इसका असर पड़ने की आशंका हैं। हालांकि केंद्रीय पूल में दलहन का रिकार्ड 40 लाख टन का स्टॉक (15 लाख टन बफर को मिलाकर) है। दलहन, तिलहन और प्याज की खरीद, राज्यों को सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) में सस्ती दालों के आवंटन और गुजरात में मूंगफली खरीद में हुई धांधली जैसे संगीन मसलों पर राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन संघ लिमिटेड (नेफेड) के प्रबंध निदेशक संजीव कुमार चड्डा से बातचीत के प्रमुख अंश :-
नेफेड ने पास इस समय दलहन और तिलहन के स्टॉक की स्थिति क्या है?
-केंद्रीय पूल में इस समय दालों का रिकॉर्ड 40 लाख टन का स्टॉक है। इसके अलावा केंद्र सरकार के पास दलहन का 15 लाख टन का बफर स्टॉक भी है। नेफेड के पास इस समय 25 लाख टन दलहन का और 15 लाख टन तिलहन का स्टॉक है यह सूखे जैसी आशंका से निपटने के लिए पर्याप्त है। निगम के पास दलहन के कुल स्टॉक में करीब 20 लाख टन चना है। बाकी मूंग, उड़द, मसूर और अरहर का पांच लाख टन का स्टॉक है। तिलहनी फसलों में सरसों का 11 लाख टन एवं अन्य का तिलहनी फसलों का चार लाख टन का स्टॉक है।
रबी सीजन के दलहन और तिलहन की खरीद पूरी हो गई या अभी चल रही है?
-रबी सीजन 2019 के तहत इस समय केवल ओडिशा से समर्थन मूल्य पर खरीद चल रही है। वह भी आखिरी दौर में है। अन्य राज्यों में खरीद बंद हो चुकी है।
पीएम आशा के तहत रबी 2019 में दलहन और तिलहन की न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर खरीद कितनी हुई है, और इससे कितने किसानों को लाभ मिला है?
-रबी सीजन 2018-19 में एमएसपी पर नेफेड ने 8,689.97 करोड़ रुपये मूल्य की 19.63 लाख टन दलहन-तिलहन फसलों की खरीद की है। इससे देशभर के 9,32,283 किसानों को लाभ हुआ है।
राज्य सरकारों को सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) के लिए सस्ती दालों का आवंटन करना था। अभी तक कितने राज्यों ने दालों की खरीद की है, और कितनी मात्रा में?
-पीडीएस एवं अन्य कल्याणकारी योजनाओं में आवंटन के लिए राज्यों को बाजार भाव से 15 रुपये प्रति किलो सस्ती दर पर दालें उपलब्ध कराई जा रही हैं। अभी देश के 10 राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों ने 8.48 लाख टन दालों की खरीद की है। इसमें से 7.26 लाख टन दालों की सप्लाई राज्यों को हो चुकी है। कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, गुजरात, हिमाचल प्रदेश, दमन एवं दीव, त्रिपुरा और केरल ही दालों की खरीद कर रहे हैं।
प्याज का 50 लाख टन का बफर स्टॉक बनाना था। इसकी क्या स्थिति है?
-महाराष्ट्र और गुजरात से अभी तक 56,000 टन प्याज की खरीद हुई है। सरकार लगातार प्याज की कीमतों की निगरानी कर रही है। जरूरत पड़ने पर प्याज की आपूर्ति खुले बाजार में सरकारी दुकानों के माध्यम से की जाएगी।
पिछले साल गुजरात में मूंगफली के बोरो में रेत मिला था, उस पर क्या कार्रवाई हुई? ऐसी घटना दोबारा न हो, इसके लिए क्या कदम उठाए गए हैं?
-राज्यों से जिंसों की खरीद, राज्य सरकार की एजेंसियों द्वारा की जाती है। स्टॉक गोदाम में रखने के बाद उसकी एफएक्यू रसीद नेफेड को दी जाती है। गुजरात में भी यही हुआ था। मूंगफली की खरीद राज्य की एजेंसियों द्वारा की गई थी, तथा धांधली भी राज्य की एजेंसियों ने ही की। जो एजेंसिया खरीद में शामिल थीं, उन्हें ब्लैक लिस्ट कर दिया गया है साथ ही खरीद नियमों को और कड़ा किया गया है, ताकि भविष्य में इस तरह की घटना दोबारा न हो।
हरियाणा में चालू रबी सीजन में सरसों की खरीद हैफेड ने आढ़तियों के माध्यम से की, जबकि नेफेड सीधे खरीद करती है। ऐसे में आढ़तियों को कमीशन देने से नेफेड ने मना कर दिया था। इस मामले में क्या हुआ है?
-यह मामला निपट गया है, किसानों को समर्थन मूल्य पर की खरीद गई सरसों का भुगतान करना था, इसलिए खरीद की राशि का भुगतान हैफेड को कर दिया गया है। रही बात कमीशन की, तो इस पर फैसला कृषि मंत्रालय को करना है।..... आर एस राणा