आर एस राणा
नई
दिल्ली। चालू सप्ताह में कई राज्यों में हुई बारिश से गेहूं के साथ ही चना
और सरसों की फसल को फायदा हुआ है। कृषि आयुक्त एस के मल्होत्रा ने गुरुवार
को संवाददाताओं से कहा कि वर्तमान मौसम रबी फसलों के लिए अच्छा है।
उन्होंने
कहा कि चालू रबी में चना के बुवाई क्षेत्रफल में 10 फीसदी की कमी आई है,
लेकिन अन्य दालों की बुवाई में बढ़ोतरी हुई है। उन्होंने कहा कि चना बुवाई
में आई कमी से चना का उत्पादन कम होने के अनुमान से किसानों को अच्छा भाव
मिलेगा, लेकिन खुले बाजार में कीमतें ज्यादा नहीं बढ़ेगी क्योंकि केंद्रीय
पूल में चना का स्टॉक ज्यादा है।
चना की बुवाई 9.96 फीसदी कम
रबी
दलहन की प्रमुख फसल चना की बुवाई चालू रबी में 9.96 फीसदी घटकर 95.40 लाख
हेक्टेयर में ही हुई है जबकि पिछले साल की समान अवधि में इसकी बुवाई 105.95
लाख हेक्टेयर में हुई थी। रबी में दलहन की कुल बुवाई चालू सीजन में 5.57
फीसदी घटकर 149.01 लाख हेक्टेयर में हुई है जबकि पिछले साल इस समय तक
157.80 लाख हेक्टेयर में इनकी बुवाई हो चुकी थी।
मटर की बुवाई में हुई बढ़ोतरी
अन्य
दालों में मटर की बुवाई चालू रबी में पिछले साल के 9.30 लाख हेक्टेयर से
बढ़कर 10.31 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि मसूर की बुवाई चालू सीजन में
16.85 लाख हेक्टेयर में हुई है जबकि पिछले साल की समान अवधि में इसकी
बुवाई 17.18 लाख हेक्टेयर में हो चुकी थी। उड़द और मूंग की बुवाई चालू रबी
में क्रमश: 6.75 और 4.98 लाख हेक्टेयर में हुई है जबकि पिछले साल इस समय तक
इनकी बुवाई क्रमश: 7.50 और 4.89 लाख हेक्टेयर में हुई थी।
रबी और खरीफ के बीच में होता है जायद फसलों का उत्पादन
सरकार
ने जायद फसलों का रकबा 25 लाख हेक्टेयर बढ़ाने का लक्ष्य रखा है जिससे इन
फसलों का उत्पादन 50 लाख टन बढ़ेगा। रबी और खरीफ फसलों के बीच जो फसल ली
जाती है उन्हें जायद या ग्रीष्मकालीन फसल कहते हैं। इनकी बुवाई
मार्च-अप्रैल में की जाती है। इन फसलों का रकबा और उत्पादन बढ़ाने के
लक्ष्य के साथ गुरुवार को राष्ट्रीय कृषि सम्मेलन का आयोजन किया गया। जायद
फसलों पर इस तरह का यह पहला सम्मेलन है।
दलहन, तिलहन और मोटे अनाजों का उत्पादन बढ़ाने पर जोर
कृषि
सचिव संजय अग्रवाल ने कहा कि जायद में दलहन, तिलहन और मोटे अनाजों का रकबा
करीब 24 लाख हेक्टेयर है जिसे बढ़ाकर 49 लाख हेक्टेयर करने का लक्ष्य है।
उन्होंने कहा कि जायद फसलों की बुवाई से खेत की उर्वरा शक्ति बढ़ाने में
मदद मिलती है। इस मौसम के लिए किसानों को रणनीति बनानी चाहिये। ऐसी फसलों
की खेती करनी चाहिये जो कम समय में तैयार हो जाये और जिन के लिए पानी की कम
से कम जरूरत हो। साथ ही ये फसल मिट्टी उत्पादकता बढ़ाने में भी मददगार हो
सकती हैं।........... आर एस राणा
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