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30 नवंबर 2016

गेहूं की बुवाई ज्यादा होने का अनुमान, भाव में हल्का सुधार संभव

आर एस राणा
नई दिल्ली। चालू रबी में गेहूं की बुवाई ज्यादा होने का अनुमान है। चालू सीजन में गेहूं के भाव में आई तेजी के साथ ही केंद्र सरकार द्वारा न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में की गई बढ़ोतरी के कारण किसान गेहूं की बुवाई ज्यादा क्षेत्रफल में कर रहे हैं। कृषि मंत्रालय के अनुसार 25 नवंबर तक देषभर में 127.15 लाख हैक्टेयर में गेहूं की बुवाई हो चुकी है जबकि पिछले साल की समान अवधि में इस समय तक केवल 117.32 लाख हैक्टेयर में ही बुवाई हुई थी।
दिल्ली में गेहूं के भाव 2,000 से 2,200 रुपये प्रति क्विंटल है जबकि आस्ट्रेलिया से आयातित गेहूं का भाव बंदरगाह पहुंच 243 से 245 डॉलर प्रति टन है, उधर यूक्रेन से आयातित लाल गेहूं का भाव करीब 200 डॉलर प्रति टन है। माना जा रहा है कि जनवरी षिपमेंट के आस्ट्रेलिया से आयातित गेहूं के सौदे करीब 15 से 20 डॉलर प्रति टन कम की दर पर हो रहे हैं, इसलिए दिसंबर महीने में घरेलू बाजार में गेहूं की कीमतों में 25 से 50 रुपये प्रति क्विंटल का सुधार आ सकता है।
सबसे बड़े प्रमुख उत्पादक राज्य उत्तर प्रदेष में गेहूं की बुवाई चालू रबी में अभी तक 30.15 लाख हैक्टेयर में हुई है जबकि पिछले साल इस समय तक 25.27 लाख हैक्टेयर में हुई थी। इसी तरह से पंजाब में बुवाई बढ़कर चालू रबी में 27.45 लाख हैक्टेयर में हुई है जबकि पिछले साल की समान अवधि में 26.16 लाख हैक्टेयर में, मध्य प्रदेष में पिछले साल के 23.69 लाख हैक्टेयर से बढ़कर चालू रबी में अभी तक 30.27 लाख हैक्टेयर में तथा राजस्थान में चालू रबी में 12.46 लाख हैक्टेयर में बुवाई हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक 12.21 लाख हैक्टेयर में ही बुवाई हुई थी।
हरियाणा में चालू रबी में गेहूं की बुवाई में कमी आई है। राज्य में अभी तक केवल 14.91 लाख हैक्टेयर में ही गेहूं की बुवाई हो पाई है जबकि पिछले साल इस समय तक राज्य में 15.60 लाख हैक्टेयर में बुवाई हो चुकी थी। अन्य राज्यों में बिहार में 2.10 लाख हैक्टेयर में, गुजरात में 1.16 लाख हैक्टेयर में और महाराष्ट्र में 1.57 लाख हैक्टेयर में तथा उत्तराखं डमें 2 लाख हैक्टेयर में गेहूं की बुवाई हो चुकी है।.................आर एस राणा

आस्ट्रेलिया से मसूर के सौदे 680 से 685 डॉलर में

आर एस राणा
नई दिल्ली। आस्ट्रेलिया से दिसंबर-जनवरी षिपमेंट मसूर के सौदे 680 से 685 डॉलर प्रति टन की दर से हुए हैं जबकि कनाडा से आयात सौदे 750 डॉलर प्रति टन की दर से हुए थे। माना जा रहा है कि आस्ट्रेलियाई मसूर के भाव में कम होने का असर आगामी दिनों में कनाड़ा से आयातित मसूर की कीमतों पर भी पड़ेगा। दिसंबर-जनवरी में मसूर के आयात में बढ़ोतरी होने का अनुमान है जिसका असर इसकी कीमतों पर पड़ेगा।
इस समय मुंबई में आयातित मसूर के भाव 5,000 से 5,100 रुपये प्रति क्विंटल है, जबकि दिल्ली के नया बाजार में इसका भाव 5,300 रुपये और बहराईच मंडी में मसूर का भाव 5,700 रुपये प्रति क्विंटल रहा..............आर एस राणा

मध्य प्रदेष के साथ ही उत्तर प्रदेष में मसूर की बुवाई ज्यादा

आर एस राणा
नई दिल्ली। चालू रबी में मध्य प्रदेष के साथ ही उत्तर प्रदेष में भी मसूर की बुवाई में बढ़ोतरी हुई है। कृषि मंत्रालय के अनुसार चालू रबी में मसूर की बुवाई बढ़कर 10.40 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक केवल 7.24 लाख हैक्टेयर में ही बुवाई हुई थी।
प्रमुख उत्पादक राज्य मध्य प्रदेष में चालू रबी में मसूर की बुवाई बढ़कर 4.92 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक 3.99 लाख हैक्टेयर में ही बुवाई हुई थी। इसी तरह से उत्तर प्रदेष में मसूर की बुवाई बढ़कर 4.84 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल की समान अवधि में 2.68 लाख हैक्टेयर में ही बुवाई हुई थी। जानकारों का मानना है कि आगामी दिनों में मसूर का आयात बढ़ेगा, हालांकि सर्दियों में मसूर की खपत ज्यादा होती है इसलिए अभी भाव में ज्यादा मंदा आने का अनुमान नहीं है। पिछले दिनों आस्ट्रेलिया में मौसम खराब होने के कारण मसूर की फसल भी प्रभावित हुई थी इसीलिए कनाडा से आयातित मसूर के भाव में भी सुधार आया था। मसूर की घरेलू फसल की आवक मार्च-अप्रैल में ही बनेगी।.......आर एस राणा

पहले कच्चे तेल में 1 फीसदी की तेजी

ओपेक की आज अहम बैठक है और इस बैठक से पहले कच्चे तेल में करीब 1 फीसदी की तेजी आई है। दरअसल कल एपीआई की इन्वेंट्री रिपोर्ट आई थी जिसमें क्रूड का भंडार करीब 7 लाख बैरल गिर गया है। हालांकि आज की बैठक से क्रूड की आगे की दिशा तय होगी। उत्पादन कटौती को लेकर अटकलें हैं लेकिन ईरान और सउदी अरब के बीच बढ़ने तनाव को देखकर ओपेक में किसी तरह की आमराय बनने की संभावना कमजोर पड़ गई है।

दूसरी ओर ईरान, लीबिया और नाइजीरिया कटौती में छूट भी चाहते हैं। ऐसे में गोल्डमैन सैक्स ने कहा है कि अब इस बैठक में उत्पादन कटौती पर फैसले की संभावना सिर्फ 30 फीसदी रह गई है। माना ये जा रहा है कि उत्पादन कटौती पर अगर बात नहीं बनती है तो कच्चे तेल में भारी गिरावट आ सकती है।

इस बीच सोने में आज बेहद छोटे दायरे में कारोबार हो रहा है। जबकि जबकि चांदी में गिरावट का रुख है। आज डॉलर के मुकाबले रुपये में हल्की रिकवरी दिख रही है।

29 नवंबर 2016

गुजरात में जीरा की बुवाई ज्यादा, भाव में और तेजी की संभावना

आर एस राणा
नई दिल्ली। प्रमुख उत्पादक राज्य गुजरात में चालू सीजन में जीरा की बुवाई में बढ़ोतरी हुई है। राज्य के कृषि निदेषालय के अनुसार अभी तक बुवाई बढ़कर 99,100 हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक केवल 17,400 हैक्टेयर में ही बुवाई हुई थी। राज्य में सामान्यतः जीरा की बुवाई 3,39,000 हैक्टेयर में होती है।
जानकारों का मानना है कि चालू सीजन में गुजरात की बुवाई पिछले साल की तुलना में ज्यादा होगी, लेकिन इस समय उत्पादक मंडियों में स्टॉक कम है तथा निर्यातकों के साथ ही घरेलू मांग अच्छी है, इसलिए मौजूदा भाव में और तेजी आने का अनुमान है। प्रमुख उत्पादक मंडी उंझा में सोमवार को जीरा के भाव 3,300 से 4,000 रुपये प्रति 20 किलो क्वालिटीनुसार रहे जबकि दैनिक आवक केवल 1,500 बोरी की हुई।
चालू वित्त वर्ष 2016-17 के पहले पांच महीनों (अप्रैल से अगस्त) में जीरा का निर्यात 62 फीसदी बढ़कर 60,907 टन का हुआ है जबकि अगस्त महीने में जीरा के निर्यात में 65 फीसदी की बढ़ोतरी होकर कुल निर्यात 9,003 टन का हुआ। विष्व बाजार में इस समय जीरा का भाव 3.53 डॉलर प्रति किलो है जबकि पिछले महीने इसका भाव 3.64 डॉलर प्रति किलो था।............आर एस राणा

चालू रबी में चना की बुवाई 2.7 फीसदी ज्यादा

कर्नाटका के साथ ही महाराष्ट्र में चना की बुवाई कम
आर एस राणा
नई दिल्ली। चालू रबी सीजन में चना की बुवाई में 2.7 फीसदी की बढ़ोतरी होकर कुल बुवाई 66.33 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक 64.57 लाख हैक्टेयर में ही बुवाई हुई थी। प्रमुख उत्पादक राज्यों मध्य प्रदेष, राजस्थान और उत्तर प्रदेष में जहां चना की बुवाई में बढ़ोतरी हुई है, वहीं कर्नाटका और महाराष्ट्र में बुवाई में कमी आई है। इस समय उत्पादक राज्यों में चना का स्टॉक सीमित मात्रा में ही बचा हुआ है जबकि आयातित चना की आवक दिसंबर महीने में बढ़ेगी, इसलिए दिसंबर में ही चना की कीमतों में गिरावट आने का अनुमान है।
प्रमुख उत्पादक राज्य मध्य प्रदेष में चना की बुवाई चालू रबी में बढ़कर 24.48 लाख हैक्टेयर में हुई है जबकि पिछले साल इस समय तक केवल 22.96 लाख हैक्टेयर में बुवाई हुई थी। राजस्थान में चना की बुवाई चालू रबी में बढ़कर 14.70 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक 11.15 लाख हैक्टेयर में ही बुवाई हुई थी। उत्तर प्रदेष में चालू रबी में चना की बुवाई 5.39 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक 3.29 लाख हैक्टेयर में ही बुवाई हो पाई थी।
अन्य राज्यों में महाराष्ट्र में चना की बुवाई घटकर 8.39 लाख हैक्टेयर में ही हुई है जबकि पिछले साल की समान अवधि में 9.31 लाख हैक्टेयर में बुवाई हो चुकी थी। इसी तरह से कर्नाटका में चालू रबी में चना की बुवाई केवल 8.62 लाख हैक्टेयर में ही हो पाई है जबकि पिछले साल इस समय तक कर्नाटका में 14.04 लाख हैक्टेयर में चना की बुवाई हो चुकी थी। ...........आर एस राणा

कच्चे तेल में गिरावट

विएना में कल ओपेक की अहम बैठक है और इस बैठक से पहले कच्चे तेल में गिरावट बढ़ गई है। ब्रेंट 48 डॉलर के भी नीचे आ गया है और करीब 1 फीसदी नीचे कारोबार हो रहा है। ओपेक के सदस्य देशों में अभी तक ये साफ नहीं हो सका है कि कौन कितना प्रोडक्शन घटाएगा। साथ ही गैर ओपेक में सबसे बड़ा देश रूस इस पूरी योजना से खुद को दूर किए हुए हैं। ऐसे में कच्चे तेल की कीमतों पर दबाव बना हुआ है। हालांकि माना ये भी जा रहा है कि आज और कल क्रूड में भारी उठापटक देखने को मिल सकती है।

इस बीच ग्लोबल मार्केट में सोना फिर से दबाव मे आ गया है और इसका दाम 1190 डॉलर के नीचे आ गया है। वहीं चांदी करीब 0.5 फीसदी नीचे कारोबार कर रहा है। जबकि एलएमई पर आज बेस मेटल में सुस्ती है। लेकिन युआन में गिरावट से चीन में लेड और जिंक का दाम उछल गया है। वहीं एग्री कमोडिटी में शिकागो बोर्ड ऑफ ट्रेड पर सोयाबीन का दाम पिछले 4 महीने के ऊपरी स्तर पर चला गया है।

28 नवंबर 2016

केंद्र सरकार बफर स्टॉक हेतु 5 लाख टन ओर दलहन की करेगी खरीद

आर एस राणा
नई दिल्ली। केंद्र सरकार सार्वजनिक कंपनियों भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) और नैफेड के माध्यम से चालू खरीफ और आगामी रबी सीजन को मिलाकर करीब 5 लाख टन दलहन की न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर ओर खरीद करेगी।
सूत्रों के अनुसार सार्वजनिक कपंनियां बफर स्टॉक हेतु 21 नवंबर 2016 तक 6.38 लाख टन दालों की खरीद कर चुकी हैं। अभी तक हुई खरीद में 1.3 लाख टन चना, 2.04 लाख टन अरहर, 1.43 लाख टन मसूर और 0.84 लाख टन उड़द तथा 0.77 लाख टन मूंग की खरीद हुई है। खाद्य मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार सार्वजनिक कंपनियों एमएसपी पर खरीफ में मूंग और उड़द की खरीद कर रही हैं, जबकि आगे अरहर की खरीद करेंगी। इसके अलावा रबी में चना और मूसर की भी एमएसपी पर खरीद की जायेगी।
उन्होंने बताया कि चालू फसल सीजन में केंद्र सरकार ने 20 लाख टन दलहन का बफर स्टॉक बनाने का फैसला किया है, इसमें 10 लाख टन दलहन की खरीद घरेलू मंडियों से की जायेगी और बाकि का आयात किया जायेगा। चालू फसल सीजन 2016-17 में केंद्र सरकार दलहन का रिकार्ड पैदावार 207.5 लाख टन होने का अनुमान लगाया है।........आर एस राणा

कच्चा तेल फिर से दबाव में

उत्पादन में कटौती को लेकर तेल उत्पादक देशों के बीच सहमति नहीं बनता देख कच्चा तेल फिर से दबाव में आ गया है। शुक्रवार करीब करीब 3 फीसदी की भारी गिरावट के बाद आज फिर इसमें दबाव बना हुआ है। दरअसल पिछले हफ्ते दोहा की बैठक में शामिल हाने से सऊदी अरब ने इनकार कर दिया था। साथ ही कहा है कि उत्पादन में कटौती के बगैर अगले साल मार्केट की स्थिति सुधर जाएगी। ऐसे में 30 नवंबर को विएना में होने वाली ओपेक की बैठक में उत्पादन कटौती पर फैसले को लेकर संदेह बढ़ गया है और इसीलिए क्रूड में गिरावट आई है।

इस बीच डॉलर में आई नरमी से सोना फिर से उछल गया है और कॉमैक्स पर इसका दाम 1190 डॉलर के पार चला गया है। फिलहाल इसमें करीब 1 फीसदी की बढ़त पर कारोबार हो रहा है। जबकि चांदी में करीब डेढ़ परसेंट की तेजी आई है। हालांकि गोल्ड ईटीएफ की होल्डिंग में गिरावट जारी है। वहीं एलएमई पर जिंक का दाम पिछले 9 साल के ऊपरी स्तर पर चला गया है। वहीं लेड 5 साल के रिकॉर्ड स्तर पर कारोबार कर रहा है। दोनों में आज करीब 5-6 फीसदी ऊपर कारोबार हो रहा है। जबकि कॉपर भी करीब 1.5 फीसदी ऊपर है। आज डॉलर के मुकाबले रुपये में कमजोरी है।

26 नवंबर 2016

एग्री कमोडिटी में आगे की रणनीति कैसे बनाए

एग्री कमोडिटी दलहन, तिलहन, और मसालों के साथ ही गेहूं, मक्का, जौ, कपास, खल, बिनौला, ग्वार सीड, चीनी, और कपास आदि की कीमतों में कब आयेगी तेजी तथा आगे की रणनीति कैसे बनाये, भाव में कब आयेगी तेजी, किस भाव पर स्टॉक करने पर मिलेगा मुनाफा, क्या रहेगी सरकार की नीति, आयात-निर्यात की स्थिति के साथ ही विदेष में कैसी है पैदावार, इन सब की स्टीक जानकारी के लिए हमसे जुड़े............एग्री कमोडिटी की दैनिक रिपोर्ट के साथ ही मंडियों के ताजा भाव आपको ई-मेल से हिंदी में भेजे जायेंगे

एग्री जिंसों के अलावा किराना में हल्दी, जीरा, धनिया, लालमिर्च, बादाम, पिस्ता, इलायची, कालीमिर्च आदि की जानकारी भी हिंदी में ई-मेल के माध्यम से दी जायेगी। हमें ई-मेल करे या फिर फोन पर संपक करें।

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आर एस राणा
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लगातार दूसरे सप्ताह ग्वार गम उत्पादों का निर्यात बढ़ा

आर एस राणा
नई दिल्ली। चालू महीने के लगातार दूसरे सप्ताह में ग्वार उत्पादों (ग्वार गम पाउडर, ग्वार स्पलिट और ग्वार मील) के निर्यात में बढ़ोतरी हुई है। चालू महीने के तीसरे सप्ताह 14 नवंबर से 20 नवंबर के दौरान ग्वार गम उत्पादों का निर्यात बढ़कर 7,684 टन का हुआ है जबकि इसके पहले सप्ताह में 6,554 टन ग्वार गम उत्पादों का निर्यात हुआ था। मालूम हो कि चालू महीने के पहले सप्ताह में केवल 3,983 टन ग्वार गम उत्पादों का ही निर्यात हुआ था।
सूत्रों के अनुसार चालू महीने के तीसरे सप्ताह 14 से 20 नवंबर के दौरान 4,634 टन ग्वार गम पाउडर का निर्यात औसतन 1,428.58 डॉलर प्रति टन की दर से हुआ है जबकि इसके पहले सप्ताह में 3,983 टन ग्वार गम पाउडर का निर्यात औसतन 1,418.38 डॉलर प्रति टन की दर से हुआ था। इसी तरह ग्वार स्पलिट का निर्यात तीसरे सप्ताह में 859 टन का औसतन 989.5 डॉलर प्रति टन की दर से हुआ है जबकि चालू महीने के दूसरे सप्ताह में 721 टन ग्वार स्पलिट का निर्यात 1,022.29 डॉलर प्रति टन की दर से हुआ था।
चालू महीने के तीसरे सप्ताह में 2,191 टन ग्वार मील का निर्यात औसतन 516.85 डॉलर प्रति टन की दर से हुआ है जबकि इसके पहले सप्ताह में 1,850 टन ग्वार मील का निर्यात औसतन 537.6 डॉलर प्रति टन की दर से हुआ था।...........आर एस राणा

चीन भारत से चावल का आयात करेगा

आर एस राणा
नई दिल्ली। विष्व में चावल का सबसे बड़ा आयातक देष चीन भारत से बासमती के साथ ही गैर-बासमती चावल का आयात करेगा। सूत्रों के अनुसार चीन के आयातकों ने पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेष के अलावा मध्य प्रदेष की 17 राइस मिलों से चावल निर्यात के लिए समझौता किया है। इससे भारत से बासमती चावल के साथ ही गैर बासमती चावल के निर्यात में भी बढ़ोतरी होगी, जिसका फायदा निर्यातकों के साथ ही किसानों को भी होगा।.........आर एस राणा

25 नवंबर 2016

रबी में गेहूं के साथ ही दलहन और तिलहन की बुवाई बढ़ी

आर एस राणा
नई दिल्ली। चालू रबी में गेहूं के साथ ही दलहन और तिलहनों की बुवाई में तेजी आई है हालांकि मोटे अनाजों बुवाई अभी भी पिछे चल रही है। कृषि मंत्रालय के अनुसार चालू रबी अभी तक देषभर में 327.62 लाख हैक्टेयर में फसलों की बुवाई हो चुकी है जबकि पिछले साल की समान अवधि में इनकी बुवाई 313.17 लाख हैक्टेयर में ही हुई थी।
रबी की प्रमुख फसल गेहूं की बुवाई बढ़कर अभी तक 127.15 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक केवल 117.32 लाख हैक्टेयर में ही बुवाई हो पाई थी। रबी दहलन की बुवाई अभी तक 95.05 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक 88.12 लाख हैक्टेयर में बुवाई हुई थी। रबी दलहन की प्रमुख फसल चना की बुवाई बढ़कर 66.33 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल की समान अवधि में इसकी बुवाई 64.57 लाख हैक्टेयर में ही हुई थी। मसूर की बुवाई भी बढ़कर चालू रबी में अभी तक 10.40 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक केवल 7.24 लाख हैक्टेयर में बुवाई हुई थी।
रबी तिलहनों की बुवाई चालू सीजन में अभी तक 64.21 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक 56.26 लाख हैक्टेयर में ही बुवाई हुई थी। रबी तिलहन की प्रमुख फसल सरसों की बुवाई 58.11 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल की समान अवधि में इसकी बुवाई 49.32 लाख हैक्टेयर में ही हो पाई थी। मूंगफली की बुवाई चालू रबी में बढ़कर 2.47 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक 1.80 लाख हैक्टेयर में ही बुवाई हुई थी।
हालांकि मोटे अनाजों की बुवाई अभी भी पिछे चल रही है, अभी तक देषभर में केवल 34.35 लाख हैक्टेयर में ही मोटे अनाजों की बुवाई हुई है जबकि पिछले साल इस समय तक 42.37 लाख हैक्टेयर में इनकी बुवाई हो चुकी थी। मोटे अनाजों में ज्वार के साथ ही मक्का की बुवाई भी पिछड़ी है। ज्वार की बुवाई चालू रबी में अभी तक केवल 24.69 लाख हैक्टेयर में ही हो पाई है जबकि पिछले साल इस समय तक 32.48 लाख हैक्टेयर में बुवाई हो चुकी थी। रबी मक्का की बुवाई भी अभी तक केवल 5.01 लाख हैक्टेयर में ही हुई है जबकि पिछले साल इस समय तक 5.63 लख हैक्टेयर में इसकी बुवाई हो चुकी थी। जौ की बुवाई चालू रबी में 4.39 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक 3.77 लाख हैक्टेयर में बुवाई हुई थी।............आर एस राणा

चीनी निर्यात 11 फीसदी घटा, भाव में नरमी की उम्मीद

आर एस राणा
नई दिल्ली। चालू महीने के तीसरे सप्ताह 14 से 20 नवंबर के दौरान देष से चीनी के निर्यात में 11 फीसदी की कमी आकर कुल निर्यात 23.3 हजार टन का ही हुआ है जबकि इसके पहले सप्ताह में 26.3 हजार टन चीनी का निर्यात हुआ था।
सूत्रों के अनुसार विष्व बाजार में इस समय व्हाईट चीनी का भाव 578 से 580 डॉलर प्रति टन है तथा मौजूदा भाव में हमारे यहां से ना चीनी निर्यात के पड़ते लग रहे हैं और ना ही आयात के। इस समय जो निर्यात और फिर आयात हो रहा है, वह पहले के हुए सौदों का ही हैं। इस समय थोक बाजार में चीनी की कीमतों में नरमी बनी हुई है, लेकिन खुदरा में भाव तेज हैं। जानकारों के अनुसार नकदी की किल्लत होने के कारण खुदरा व्यापारी चीनी की खरीद कम कर पा रहे हैं, जबकि ब्याह-षादियों का सीजन होने के कारण खुदरा में चीनी में मांग बराबर बनी हुई है।
पेराई सीजन होने के कारण मिलों में चीनी का उत्पादन बढ़ रहा है, जबकि इसकी तुलना में मांग कम है इसलिए चीनी के मौजूदा भाव में थोक बाजार में करीब 100 से 150 रुपये प्रति क्विंटल की और गिरावट आ सकती है। वैसे भी चीनी मिलों पर किसानों को पैमेंट करने का दबाव भी है, अतः मिलों को भाव घटाकर चीनी की बिकवाली करनी पड़ रही है। दिल्ली में चीनी के भाव बुधवार को 3,750 से 3,800 रुपये और उत्तर प्रदेष में चीनी के एक्स फैक्ट्री भाव 3,450 से 3,575 रुपये प्रति क्विंटल (टैक्स अलग) रहे।............आर एस राणा

आस्ट्रेलिया से आयातित गेहूं की कीमतों में आयेगी कमी

आर एस राणा
नई दिल्ली। आस्ट्रेलिया से दिसंबर के आखिर और जनवरी पहुंच गेहूं के आयात सौदे 230 से 232 डॉलर प्रति टन (सीएंडएफ) की दर से हो रहे है जबकि इस समय आयात औसतन सौदे 243.36 डॉलर प्रति टन की दर से हो रहे हैं। इसलिए आगामी महीनों में आयातित गेहूं की कीमतों में करीब 150 से 200 रुपये प्रति क्विंटल की गिरावट आने का अनुमान है। हालांकि इसका असर दक्षिण भारत में गेहूं की कीमतों पर तो पड़ेगा लेकिन उत्तर भारत के राज्यों में गेहूं की कीमतों में ज्यादा मंदे की उम्मीद नहीं है। हॉ अगर केंद्र सरकार ने ओएमएसएस के तहत उत्तर भारत के राज्यों में गेहूं का आवंटन कम किया तो भाव में फिर तेजी आने का अनुमान है।
आयातकों के अनुसार आस्ट्रेलिया से आयातित गेहूं का भाव इस समय भारतीय बंदरगाह पर 1,950 से 1,960 रुपये प्रति क्विंटल है, जबकि बंगलुरु मिल पहुंच इसका भाव 2,080 से 2,090 रुपये प्रति क्विंटल है जबकि आस्ट्रेलिया से नई फसल के सौदे दिसंबर-जनवरी षिपमेंट के भारतीय बंदरगाह पहुंच 1,850 से 1,900 रुपये प्रति क्विंटल की दर से हो रहे हैं। जानकारों के अनुसार चालू सीजन में गेहूं का आयात बढ़कर 28 से 30 लाख टन होने का अनुमान है तथा आयातक फरवरी डिलीवरी तक के आयात सौदे कर रहे हैं। माना जा रहा है कि अगर केंद्र सरकार गेहूं के आयात षुल्क में बढ़ोतरी भी करेगी, तो फरवरी के बाद ही आयात षुल्क बढ़ाया जायेगा, तब तक यह सारा गेहूं भारतीय गोदामों में पहुंच चुका होगा। अभी तक करीब 17 से 18 लाख टन गेहूं के आयात सौदे हो चुके हैं, जिनमें से 14 से 15 लाख टन गेहूं भारतीय बंदरगाहों पर पहुंच भी चुका है।
माना जा रहा है चालू रबी में गेहूं की बुवाई तो बढ़ेगी, जिससे पैदावार भी ज्यादा होने का अनुमान है लेकिन केंद्र सरकार न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर गेहूं की खरीद पिछले साल के मुकाबले ज्यादा मात्रा में करेगी, ऐसे में गेहूं के भाव मंडियों में नई फसल पर तेज रहने का अनुमान है, इसीलिए आयातक ज्यादा मात्रा में गेहूं के आयात सौदे कर रहे हैं। वैसे भी रबी विपणन सीजन 2017-18 के लिए केंद्र सरकार ने गेहूं का न्यूनतम समर्थन मूल्य 1,625 रुपये प्रति क्विंटल तय किया है, तथा इन भाव पर उत्तर भारत के प्रमुख उत्पादक राज्यों की मंडियों से गेहूं खरीदने पर दक्षिण भारत की मिलों में पहुंच करीब 2,040 से 2,050 रुपये प्रति क्विंटल (मंडी टैक्स, परिवहन लागत और अन्य खर्च मिलाकर) बैठेगा, जबकि इसके मुकाबले आस्ट्रेलिया से आयातित गेहूं दक्षिण भारत की मिलों में 2,000 रुपये प्रति क्विंटल से भी कम में पहुंच पड़ेगा। इसलिए दक्षिण भारत की फ्लोर मिलें आयातकों से गेहूं की खरीद मार्च-अप्रैल महीने की भी कर रही हैं।
रबी विपणन सीजन 2016-17 में एफसीआई ने एमएसपी पर केवल 229.61 लाख टन गेहूं की ही खरीद की थी। खरीद कम होने के कारण ही केंद्रीय पूल में पहली नवंबर 2016 को गेहूं का स्टॉक घटकर 188.41 लाख टन का ही रह गया जबकि पहली नवंबर 2015 को केंद्रीय पूल में 299.06 लाख टन गेहूं का स्टॉक मौजूद था। तय मानकों के अनुसार पहली अप्रैल 2017 को केंद्रीय पूल में 74.6 लाख टन गेहूं का स्टॉक होना चाहिए।.................आर एस राणा

ग्लोबल मार्केट में सोने का दाम 1180 डॉलर के नीचे

डॉलर में उछाल से सोने में गिरावट और बढ़ गई है। ग्लोबल मार्केट में सोने का दाम 1180 डॉलर के भी नीचे आ गया है। करीब 0.5 फीसदी नीचे कारोबार हो रहा है। हालांकि चांदी में निचले स्तर से हल्की रिकवरी आई है। लेकिन बेहद छोटे दायरे में कारोबार हो रहा है। इस बीच कच्चे तेल में भी दबाव दिख रहा है। ब्रेंट लगातार 49 डॉलर के नीचे बना हुआ है। अगले हफ्ते विएना में ओपेक की बैठक है। माना ये जा रहा है कि प्रोडक्शन कटौती पर फैसला हो सकता है। हालांकि नॉन ओपेक देशों में रूस की भूमिका को लेकर पूरे बाजार में संदेह बना हुआ है।
वहीं बेस मेटल में आज भी तेजी आई है और लंदन मेटल एक्सचेंज पर जिंक का दाम 8 साल के रिकॉर्ड स्तर पर चला गया है। कॉपर में भी करीब 0.5 फीसदी ऊपर कारोबार हो रहा है। एग्री कमोडिटी में ग्लोबल मार्केट में सोयाबीन की कीमतों में तेजी जारी है और कल घरेलू बाजार में सोयाबीन करीब 2 फीसदी उछलकर बंद हुआ था। आज डॉलर के मुकाबले रुपये में हल्की रिकवरी आई है।

24 नवंबर 2016

सार्वजनिक कंपनियों ने 4 लाख टन दलहन के आयात सौदे किए

आर एस राणा
नई दिल्ली। सार्वजनिक कंपनियों एमएमटीसी, एसटीसी और पीईसी अभी तक 4.06 लाख टन दलहन के आयात सौदे कर चुकी हैं। सूत्रों के अनुसार मध्य नवंबर तक सार्वजनिक कंपनियों ने अरहर के आयात सौदे 1.58 लाख टन के किए हैं, जबकि इस दौरान 1.35 लाख टन मसूर के, 70 हजार टन चना के अलावा 42,500 टन उड़द के आयात सौदे किए हैं।
केंद्र सरकार 20 लाख टन दलहन का बफर स्टॉक बना रही है, इसमें से 10 लाख टन दलहन की खरीद घरेलू मंडियों से की जा रही है, जबकि दस लाख टन दालों का आयात विभिन्न देषों म्यांमार, आस्ट्रेलिया, कनाड़ा, तंजानियां, अमेरिका आदि से किया जा रहा है।............आर एस राणा

दलहन आयात में लगातार बढ़ोतरी, भाव में आयेगी गिरावट

आर एस राणा
नई दिल्ली। दलहन आयात में लगातार बढ़ोतरी हो रही है, जबकि खरीफ में घरेलू पैदावार भी ज्यादा है इसलिए आगामी दिनों में दलहन की कीमतों पर दबाव बना रहेगा। चालू महीने के दूसरे सप्ताह 7 से 13 नवंबर के दौरान दलहन आयात में 16.14 फीसदी की बढ़ोतरी होकर कुल आयात 2,83,426 टन का हो चुका है जबकि इसके पहले सप्ताह में केवल 2,44,024 टन दलहन का आयात हुआ था। अक्टूबर महीने के आखिर सप्ताह में 1,47,395 टन दलहन का आयात हुआ था।
सरकारी सूत्रों के अनुसार चालू महीने के दूसरे सप्ताह में पीली मटर का आयात 1,93,883 टन का हुआ है जबकि अरहर का आयात इस दौरान 32,699 टन का हुआ है। उड़द का आयात इस दौरान 7,043 टन का, 11,358 टन चना का आयात हुआ है। इस दौरान मसूर का आयात 33,206 टन का हुआ है।
चालू महीने के पहले सप्ताह 31 अक्टूबर से 6 नवंबर के दौरान पीली मटर का आयात 1,64,472 टन का हुआ था जबकि 24,382 टन अरहर का, 9,964 टन उड़द का और 10,295 टन चने के अलावा 28,696 टन मसूर का आयात हुआ था।
अतः पहले सप्ताह की तुलना में जहां मटर के आयात में बढ़ोतरी हुई है, वहीं चना, अरहर और मसूर का आयात भी ज्यादा मात्रा में हुआ है।
चालू महीने के पहले दो सप्ताह में ही 5,27,450 टन दलहन का आयात हो चुका है तथा जानकारों की माने तो नवंबर और दिसंबर महीने में दलनह का कुल आयात करीब 20 से 22 लाख टन का होने का अनुमान है, इसमें सबसे ज्यादा मात्रा पीली टन की होगी, लेकिन इस दौरान चना के साथ ही मसूर का आयात भी ज्यादा मात्रा में होगा, इसलिए आगे इनकी कीमतों में गिरावट ही आने का अनुमान है।..............आर एस राणा

डॉलर 14 साल की ऊंचाई पर

डॉलर 14 साल की ऊंचाई पर है ऐसे में रुपया रिकॉर्ड निचले स्तर के बेहद करीब पहुंच गया है। दरअसल अगले महीने अमेरिका में ब्याज दरें बढ़ने की संभावना काफी बढ़ गई है। ऐसे में बार्कलेज, डॉएश बैंक और सीएलएसए जैसी दिग्गज एजेंसियों ने रुपये में और गिरावट की आशंका जताई है और कहा है कि इस साल के अंत तक डॉलर की कीमत 70 रुपये तक भी जा सकती है।

डॉलर में आई तेजी से ग्लोबल मार्केट में सोने का दाम 1200 डॉलर के काफी नीचे आ गया है। फिलहाल सोना पिछले 9 महीने के निचले स्तर पर है। वहीं चांदी में भी बिकवाली हावी है। कॉमैक्स पर चांदी करीब 0.5 फीसदी की गिरावट के साथ कारोबार कर रही है। वहीं कच्चे तेल में कल की गिरावट के बाद हल्की रिकवरी आई है। लेकिन लंदन मेटल एक्सचेंज पर बेस मेटल्स की चमक बढ़ गई है। अमेरिका में मैन्युफैक्चरिंग के अच्छे आंकड़ों से कॉपर का दाम करीब 3 फीसदी उछल गया है। जबकि जिंक करीब 2 फीसदी की बढ़त के साथ पिछले 8 साल के ऊपरी स्तर पर चला गया है।

23 नवंबर 2016

ग्वार गम उत्पादों का निर्यात 112 फीसदी बढ़ा, भाव में तेजी की उम्मीद नहीं

आर एस राणा
नई दिल्ली। चालू महीने के दूसरे सप्ताह 7 नवंबर से 13 नवंबर के दौरान ग्वार गम उत्पादों का निर्यात 112.38 फीसदी बढ़ा है लेकिन इसके बावजूद भी ग्वार सीड की कीमतों में बड़ी तेजी की संभावना नहीं है। ग्वार गम उत्पादों में औसतन निर्यात मांग इस समय पिछले साल की तुलना में कम है, जबकि नोटबंदी की किल्लत समाप्त होने के बाद ग्वार सीड की दैनिक आवक बढ़ने का अनुमान है। जोधपुर मंडी में ग्वार पाउडर का भाव मंगलवार को 6,210 रुपये और ग्वार सीड का 3,275 रुपये प्रति क्विंटल रहा, जबकि देषभर की मंडियों में दैनिक आवक 18,000 क्विंटल की हुई।
चालू महीने के दूसरे सप्ताह में ग्वार गम उत्पादों (ग्वार गम पाउडर, ग्वार स्पलिट और मील) का निर्यात बढ़कर 6,554 टन का हुआ है जबकि इसके पहले सप्ताह में केवल 3,086 टन ही ग्वार गम उत्पादों का निर्यात हुआ था। सूत्रों के अनुसार दूसरे सप्ताह में देष से 3,983 टन ग्वार गम पाउडर का निर्यात औसतन 1,418.38 डॉलर प्रति टन की दर से हुआ है जबकि इसके पहले सप्ताह में ग्वार गम पाउडर का निर्यात केवल 2,458 टन का औसतन 1,395.87 डॉलर प्रति टन की दर से हुआ था।
नवंबर महीने के दूसरे सप्ताह में 721 टन ग्वार स्पलिट का निर्यात औसतन 1,022.29 डॉलर प्रति टन की दर से हुआ है जबकि पहले सप्ताह में 208 टन ग्वार स्पलिट का निर्यात औसतन 1,070.14 डालर प्रति टन की दर से हुआ था। इसी तरह से दूसरे सप्ताह में 1,850 टन ग्वार मील का निर्यात औसतन 537.6 डॉलर प्रति टन की दर से हुआ है जबकि पहले सप्ताह में 420 टन ग्वार मील का निर्यात औसतन 581.28 डॉलर प्रति टन की दर से हुआ था।
चालू वित्त वर्ष 2016-17 की पहली छमाही अप्रैल से सितंबर के दौरान मूल्य के हिसाब से ग्वार गम उत्पादों के निर्यात में 34.98 फीसदी की कमी आकर कुल 1,208.94 करोड़ रुपये का ही निर्यात हुआ है जबकि पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में इसका निर्यात 1,859.26 करोड़ रुपये मूल्य का हुआ था।
मात्रा के हिसाब से चालू वित्त वर्ष 2016-17 के पहले पांच महीनों अप्रैल से अगस्त के दौरान ग्वार गम उत्पादों का निर्यात 1,30,922 टन का ही हुआ है जबकि पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में इनका निर्यात 1,42,629 टन का हुआ था।
चालू फसल सीजन में ग्वार सीड की पैदावार 75 से 80 लाख क्विंटल ही होने का अनुमान है लेकिन पिछले साल का बकाया स्टॉक करीब एक से सवा करोड़ क्विंटल का बचा हुआ है। ऐसे में कुल उपलब्धता ज्यादा है, जबकि ग्वार गम उत्पादों का निर्यात पिछले साल की तुलना में भी कम है इसलिए जब तक ग्वार गम उत्पादों की निर्यात मांग में बढ़ोतरी नहीं होगी, ग्वार सीड के भाव में बड़ी तेजी की संभावना नहीं है। उत्पादक मंडियों में ग्वार सीड के भाव 3,000 से 3,600 रुपये प्रति क्विंटल के बीच ही बने रहने का अनुमान है।....आर एस राणा

गुजरात में धनिया की बुवाई बढ़ी, आंध्रप्रदेष में घटी

गुजरात में धनिया की बुवाई बढ़ी, आंध्रप्रदेष में घटी
आर एस राणा
नई दिल्ली। चालू खरीफ में जहां गुजतरा में धनिया की बुवाई में बढ़ोतरी हुई है, वहीं आंध्रप्रदेष में इसकी बुवाई पिछड़ रही है। गुजरात कृषि निदेषालय के अनुसार राज्य में 14 नवंबर तक 8,200 हैक्टेयर में धनिया की बुवाई हो चुकी है जबकि पिछले साल की समान अवधि में इसकी बुवाई राज्य में 4,700 हैक्टेयर में ही हुई थी। धनिया की बुवाई गुजरात में 90,400 हैक्टेयर में होती है।
उधर आंध्रप्रदेष में चालू रबी में 16 नवंबर तक धनिया की बुवाई केवल 102 हैक्टेयर में ही हुई है जबकि पिछले साल इस समय तक 2,342 हैक्टेयर में हो चुकी थी। राज्य में रबी सीजन में 18,326 हैक्टेयर में धनिया की बुवाई होती है।
धनिया के भाव चालू फसल सीजन में पिछले दो साल की तुलना में कम रहे हैं, इसका प्रमुख कारण जहां पैदावार में हुई बढ़ोतरी को माना जा रहा है, वहीं धनिया का आयात भी नीचे भाव में हुआ है। धनिया की सबसे ज्यादा पैदावार राजस्थान, गुजरात और मध्य प्रदेष में होती है, जबकि इस समय गुजरात और आंध्रप्रदेष में बुवाई अच्छी हो रही है, तथा राजस्थान और मध्य प्रदेष में आगे बुवाई में तेजी आने का अनुमान है।
फसल सीजन 2015-16 में धनिया की पैदावार 5.66 लाख टन की हुई थी जोकि इसके पिछले साल की तुलना में 22.6 फीसदी ज्यादा थी। जानकारों के अनुसार फसल सीजन 2015-16 में उत्पादक राज्यों में धनिया के भाव कम रहने के कारण चालू सीजन में कुल बुवाई पिछले साल की तुलना में कम होने की आषंका है।
धनिया का निर्यात केवल कुल उत्पादन का 10 से 15 फीसदी ही होता है, इसका प्रमुख कारण घरेलू बाजार में धनिया की खपत ज्यादा होना है। चालू वित्त वर्ष 2016-17 के पहले पांच महीनों अप्रैल से अगस्त के दौरान 14,765 टन धनिया का ही निर्यात हुआ है जबकि इस दौरान 16,361 टन धनिया का आयात हो चुका है।
धनिया का बकाया स्टॉक ज्यादा है, इसलिए मौजूदा भाव में बढ़ी तेजी की संभावना तो नहीं है, लेकिन सर्दियों में खपत ज्यादा होती है, जबकि इस समय धनिया का स्टॉक मजबूत हाथों में है इसलिए भाव में 200 से 400 रुपये प्रति क्विंटल का सुधार आ सकता है।............आर एस राणा

अमेरिका में क्रूड का भंडार करीब तेरह लाख बैरल गिरने के बावजूद कीमतों पर दबाव

अमेरिकी पेट्रोलियम इंस्टीट्यूट की कल जारी हुई रिपोर्ट में अमेरिका में क्रूड का भंडार करीब तेरह लाख बैरल गिरने के बावजूद इसकी कीमतों में दबाव दिख रहा है। ब्रेंट का दाम 49 डॉलर के स्तर पर आ गया है। जबकि नायमैक्स पर कच्चा तेल 48 डॉलर के नीचे कारोबार कर रहा है। दरअसल उत्पादक देशों के रुख को देखकर ओपेक की बैठक को लेकर कई तरह की अटकलें लगाई जा रही हैं। कुछ भी तस्वीर साफ नहीं हो पा रही है। आज अमेरिकी एनर्जी डिपार्टमेंट की इन्वेंट्री रिपोर्ट भी आने वाली है।

इस बीच ग्लोबल मार्केट में सोना और चांदी बेहद छोटे दायरे में कारोबार कर रहे हैं। अमेरिका में बेरोजगारी के आज साप्ताहिक आंकड़े भी जारी होंगे। लंदन मेटल एक्सचेंज पर बेस मेटल्स में भी सुस्त कारोबार हो रहा है। इस बीच डॉलर के मुकाबले रुपये में कमजोरी बढ़ गई है। रुपया पिछले 9 महीने के निचले स्तर पर लुढ़क गया है। डॉलर में बढ़त से रुपए पर दबाव बढ़ा है।

नोट बंदी के फैसले से चालू रबी सीजन की बुवाई बेअसर- कृषि मंत्री

नई दिल्ली। नोट बंदी से चालू रबी सीजन की बुवाई बेअसर है। बुवाई की रफ्तार में कोई कमी नहीं आई है। प्रमुख फसल गेहूं को छोड़कर बाकी अन्य फसलों की बुवाई अंतिम दौर में है। जबकि गेहूं की खेती दिसंबर के पहले सप्ताह तक हो सकती है। प्रमुख फसलों के बीजों की खरीद के लिए सरकार ने पुराने बंद हो चुके पांच सौ और एक हजार के नोटों से भुगतान करने की छूट दे दी है।
केंद्रीय कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह ने एक बयान में दावा किया है कि जमीनी हकीकत से नावाकिफ लोग रबी की खेती का मुद्दा बना रहे हैं। रबी सीजन की प्रमुख फसल गेहूं की बुवाई 79.40 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जो कुल बुवाई रकबा का लगभग एक तिहाई है। गेहूं की बुवाई अपने चरम पर है। इसी तरह तिलहन का बुवाई रकबा 56.16 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जो पिछले सीजन के 48.74 लाख हेक्टेयर के मुकाबले अधिक है। इसी तरह दलहन का बुवाई रकबा 74.55 लाख हेक्टेयर है, जबकि पिछले सीजन 69.98 लाख हेक्टेयर में बुवाई हो सकी थी। कृषि मंत्रलय की ओर से जारी साप्ताहिक बुलेटिन में बुवाई के आंकड़े पेश किये गये हैं।
कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह ने इन्हीं आंकड़ों का हवाला देते हुए किसानों के सहारे राजनीति करने वालों पर हमला बोला है। उन्होंने कहा कि सरकार ने नोटबंदी के चलते किसानों को होने वाली दिक्कतों को दूर करने के लिए ही कई उपाय किये हैं। देश भर में 24.46 करोड़ जन धन बैंक खाते हैं। जबकि देश के 14 करोड़ किसान हैं, जिनमें सात करोड़ से अधिक लोगों के पास किसान क्रेडिट कार्ड हैं। किसानों को खाते से 25 हजार रुपये तक निकालने की पूरी छूट है।  बीज खरीदने के लिए पुराने नोटों से भुगतान करने की अनुमति दी गई है। किसानों को अपने बैंक खाते में पांच सौ और एक हजार रुपये के पुराने नोट जमा कराने की छूट है। कृषि आमदनी पर किसी तरह का टैक्स नहीं है।

22 नवंबर 2016

आस्ट्रेलियाई चना के निर्यात सौदे 690 डॉलर प्रति टन में

आर एस राणा
नई दिल्ली। आस्ट्रेलिया से दिसंबर डिलीवरी के चना के निर्यात सौदे 690 डॉलर प्रति टन की दर से हुए हैं तथा माना जा रहा है कि दिसंबर में चना के आयात में अच्छी बढ़ोतरी होगी। वहीं बलैक सी रीजन के देषों से पीली मटर के दिसंबर के आयात सौदे 305 डॉलर प्रति टन की दर से नावा सेवा बंदरगह पहुंच के हो रहे हैं। रुसिया से चने के निर्यातक चने के भाव 950 डॉलर प्रति टन की दर से ऑफर कर रहे हैं।
आस्ट्रेलियाई चना के भाव भारतीय बंदरगाह पर पहुंच करीब 5,325 से 5,400 रुपये प्रति क्विंटल पहुंच होगा, तथा दिसंबर में आयातित चना की आवक भी बढ़ने का अनुमान है इसलिए मौजूदा भाव में आगे गिरावट ही आने का अनुमान है।..............आर एस राणा

धान की कीमतों में आई गिरावट

आर एस राणा
नई दिल्ली। नकदी की किल्लत के कारण उत्पादक मंडियों में धान की कीमतों में 100 से 150 रुपये प्रति क्विंटल की नरमी आई है। मंडियों में आढ़ती किसानों से 90 फीसदी लेनदेन नकद रुपये में करते हैं, जबकि इस समय नकदी की समस्या बनी हुई है इसीलिए व्यापार भी सीमित मात्रा में ही हो रहा है। नरेला मंडी में 1,121 पूसा धान का भाव घटकर 2,375 रुपये, कैथल मंडी में 2,350 रुपये और करनाल मंडी में भी 2,350 रुपये तथा राजस्थान की बूंदी मंडी में पूसा 1,121 धान का भाव घटकर 2,300 रुपये प्रति क्विंटल रह गया।............आर एस राणा

क्रूड फिर से 50 डॉलर के करीब

ब्रेंट क्रूड फिर से 50 डॉलर के बेहद करीब पहुंच गया है। इसमें करीब 1 फीसदी ऊपर कारोबार हो रहा है। इस महीने के अंत में ओपेक की बैठक में उत्पादन कटौती पर फैसले की संभावना से कच्चे तेल की कीमतें बढ़ रही हैं। पिछले 1 हफ्ते में क्रूड करीब 8 फीसदी महंगा हो चुका है और फिलहाल इसका दाम 2 हफ्ते के ऊपरी स्तर पर पहुंच गया है। आज अमेरिकी पेट्रोलियम इंस्टीट्यूट की इन्वेंट्री रिपोर्ट भी आएगी जिसपर बाजार की नजर है।

सोने में भी हल्की बढ़त दिख रही है। इसका दाम 1215 डॉलर के ऊपर चला गया है। जबकि चांदी में करीब 1.5 फीसदी की जोरदार तेजी आई है। दरअसल डॉलर में दबाव से लंदन मेटल एक्सचेंज पर बेस मेटल्स का दाम उछल गया है। कॉपर 1 हफ्ते के ऊपरी स्तर पर पहुंच गया है। दूसरे मेटल में भी तेजी का रुख है।
इस बीच गेहूं की बढ़ती कीमतों पर काबू के लिए सरकार ने दिल्ली में दोगुना गेहूं की सप्लाई करने का एलान किया है। वहीं एक्सपोर्ट की उम्मीद में ग्लोबल मार्केट में सोयाबीन का दाम 1 महीने के ऊपरी स्तर पर चला गया है। वहीं आज डॉलर के मुकाबले रुपये में हल्की कमजोरी है।

21 नवंबर 2016

ओएमएसएस के तहत दिल्ली में 14,000 टन गेहूं की बिक्री

आर एस राणा
नई दिल्ली। केंद्र सरकार खुले बाजार बिक्री योजना (ओएमएसएस) के तहत चालू सप्ताह में 14,000 टन की गेहूं की बिक्री निविदा के माध्यम से करेगी, जबकि इससे पहले केवल 7,000 टन गेहूं की ही बिक्री की जा रही थी।
एफसीआई के अनुसार अन्य राज्यों में भी गेहूं की कीमतों पर नजर रखी जा रही है, तथा जहां भी भाव में बढ़ोतरी होगी, वहां ज्यादा मात्रा में गेहूं बेचा जायेगा। इससे गेहूं की कीमतों में हल्की गिरावट आ सकता है। दिल्ली की लारेंस रोड़ मंडी में आज गेहूं का भाव 2,200 से 2,300 रुपये प्रति क्विंटल रहा।........आर एस राणा

दलहन आयात में 14 फीसदी की कमी आने का अनुमान

आर एस राणा
नई दिल्ली। खरीफ के साथ ही रबी में भी दलहन की बुवाई में हुई बढ़ोतरी से दलहन आयात में कमी आने की आषंका है। केंद्र सरकार के अनुसार चालू वितत वर्ष 2016-17 में दलहन का आयात 14 फीसदी घटकर 50 लाख टन ही होने का अनुमान है। वित्त वर्ष 2015-16 में 57.97 लाख टन दलहन का आयात हुआ था। जबकि चालू वित्त वर्ष 2016-17 के पहले चार महीनों अप्रैल से जुलाई के दौरान 14.15 लाख टन दलहन का आयात हुआ है।
केंद्र सरकार के अनुसार खरीफ में तो दलहन की पैदावार में बढ़ोतरी हुई ही है, साथ ही रबी में भी इसकी पैदावार 30 से 25 फीसदी ज्यादा होने का अनुमान है। चालू फसल सीजन 2016-17 में दलहन की कुल पैदवार बढ़कर 200 लाख टन होने कन अनुमान है। चालू रबी में अभी तक 74.55 लाख हैक्टेयर में दालों की बुवाई हो चुकी है जबकि पिछले साल की समान अवधि में इसकी बुवाई 69.98 लाख हैक्टेयर में हुई थी। हालांकि जानकारों की माने तो नोट बंदी का असर आगे दलहन की बुवाई पर पड़ने की आषंका है।
रबी दलहन की प्रमुख फसल चना की बुवाई बढ़कर 53.73 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल की समान अवधि में इसकी बुवाई 52.69 लाख हैक्टेयर में हुई थी। इसी तरह से मसूर की बुवाई चालू रबी में बढ़कर 6.49 लाख हैक्टेयर में हुई है, जबकि पिछले साल इस समय तक 4.87 लाख हैक्टेयर में ही बुवाई हुई थी। अन्य रबी दलहन में उड़द की बुवाई 2.21 और मटर की बुवाई 6.16 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है।
केंद्र सरकार 20 लाख टन दलहन का बफर स्टॉक बना रही है, इसलिए खरीफ सीजन की खरीद चल रही है। सूत्रों के अनुसार सरकारी एजेंसियां बफर स्टॉक के लिए जून 2017 तक करीब 6 लाख टन दलहन की और खरीद करेगी, जबकि इसके अलावा सरकारी एजेंसियां करीब 10 लाख टन का आयात करेंगी, जिसमें से करीब 4 लाख टन दलहन के आयात सौदे हो चुके हैं तथा इनमें से 3.5 लाख टन दलहन भारतीय बंदरगाहों पर पहुंच भी चुकी है।
अतः आगामी महीने में आयातित दलहन का दबाव घरेलू बाजार में दलहन की कीमतों पर रहेगा। जिससे खासकर के चना, अरहर, मसूर और मटर के अलावा उड़द की कीमतों में और गिरावट आने की आषंका है।.......आर एस राणा

सरकार ने किसानों को पुराने नोट से बीज खरीदने की मंजूरी दी

सरकार ने किसानों को बड़ी राहत दी है। नोट नियमों में ढील देते हुए सरकार ने किसानों को पुराने 500 रुपये के नोट से बीज खरीदने  की मंजूरी दे दी है। पहचान पत्र दिखाकर किसान बीज खरीद सकते हैं।

इधर किसानों के लिए करेंट अकाउंट, ओवरड्राफ्ट और कैश-क्रेडिट खाते से हर हफ्ते पैसे निकालने की सीमा बढ़ाकर 50,000 कर दी गई है। हालांकि पर्सनल ओवरड्राफ्ट खातों पर 50000 रुपये प्रति हफ्ते का  नया नियम लागू नहीं होगा। ये भी गौर करने वाली बात है कि महीने या उससे से ज्यादा वाले एक्टिव खातों पर ही ये नियम लागू होंगे।

कच्चे तेल में फिर से तेजी

कच्चे तेल में फिर से तेजी लौटी है और ग्लोबल मार्केट में इसका दाम करीब 1 फीसदी चढ़ गया है। ब्रेंट का दाम 47 डॉलर के पार है जबकि डब्ल्यूटीआई क्रूड में 46 डॉलर के ऊपर कारोबार हो रहा है। दरअसल इस महीने के अंत में विएना में ओपेक के सदस्य देशों की अहम बैठक होने वाली है। इस बैठक में क्रूड का प्रोडक्शन घटाने का फैसला हो सकता है। हालांकि बार्कलेज ने कहा है कि प्रोडक्शन कटौती पर फैसले के बावजूद कच्चे तेल की कीमतों पर थोड़ा बहुत ही असर पड़ेगा। क्रूड की कीमतें 50 डॉलर के पार जाने पर फिर से इसके उत्पादन में बढ़त देखने को मिल सकती है।

इस बीच सोना लगातार 9 महीने के निचले स्तर के पास बना हुआ है। कॉमैक्स पर सोने में 1210 डॉलर के पास कारोबार हो रहा है। डॉलर में उछाल से सोने की तेजी पर ब्रेक लग गई है। इस बीच लंदन मेटल एक्सचेंज पर कॉपर में करीब 1 फीसदी की तेजी आई है। वहीं निकेल, जिंक और लेड में करीब 1.5 फीसदी की तेजी आई है। डॉलर के मुकाबले रुपये में हल्की रिकवरी आई है।

19 नवंबर 2016

एग्री कमोडिटी में आगे की रणनीति कैसे बनाए

एग्री कमोडिटी दलहन, तिलहन, और मसालों के साथ ही गेहूं, मक्का, जौ, कपास, खल, बिनौला, ग्वार सीड, चीनी, और कपास आदि की कीमतों में कब आयेगी तेजी तथा आगे की रणनीति कैसे बनाये, भाव में कब आयेगी तेजी, किस भाव पर स्टॉक करने पर मिलेगा मुनाफा, क्या रहेगी सरकार की नीति, आयात-निर्यात की स्थिति के साथ ही विदेष में कैसी है पैदावार, इन सब की स्टीक जानकारी के लिए हमसे जुड़े............एग्री कमोडिटी की दैनिक रिपोर्ट के साथ ही मंडियों के ताजा भाव आपको ई-मेल से हिंदी में भेजे जायेंगे

एग्री जिंसों के अलावा किराना में हल्दी, जीरा, धनिया, लालमिर्च, बादाम, पिस्ता, इलायची, कालीमिर्च आदि की जानकारी भी हिंदी में ई-मेल के माध्यम से दी जायेगी। हमें ई-मेल करे या फिर फोन पर संपक करें।
वायदा कारोबार में एग्री जिसों की तेजी-मंदी जानने के लिए संपर्क करें।  खबरें केवल ई-मेल के माध्यम से।

............एक महीना रिपोर्ट लेने का चार्ज मात्र 1,000 रुपये, 6 महीने का 5,000 रुपये और एक साल का केवल 8,000 रुपये........

आर एस राणा
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कम बारिश, रबी की बुवाई पर असर संभव !

दक्षिण पश्चिम मानसून के बीत जाने के बाद देशभर में बारिश थम सी गई है। चिंता वाली बात ये है कि देश के अधिकांश हिस्सों में पोस्ट मानसून सीजन के बाद बारिश कम हुई है। भारत मौसम विज्ञान विभाग के अनुसार अब तक पोस्ट मानसून सीजन यानी पहली अक्टूबर से 17 अक्टूबर तक देशभर में सामान्य की तुलना में 39 फीसदी कम बारिश दर्ज की गई है।
भारत मौसम विज्ञान विभाग के मुताबिक पहली अक्टूबर से लेकर 17 नवंबर तक देशभर में सिर्फ 60.9 मिलीमीटर बरसात हुई है जबकि सामान्य तौर पर इस अवधि में 99.4 मिलीमीटर बारिश हो जाती है। सबसे कम बारिश  उत्तर-पश्चिम और दक्षिण भारत में हुई है।
उत्तर-पश्चिम भारत यानि पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश और जम्मू-कश्मीर में इस दौरान सिर्फ 14.9 मिलीमीटर ही बारिश हुई है। ये औसत से करीब 59 फीसदी कम है।
दक्षिण भारत की बात करें तो वहां पर पोस्ट मानसून सीजन के दौरान औसत के मुकाबले 67 फीसदी कम बरसात दर्ज की गई है। पूरे दक्षिण भारत में इस दौरान सिर्फ 69.7 मिलीमीटर वर्षा हुई है जबकि सामान्य तौर पर 211.7 मिलीमीटर बारिश होती है।
हालांकि मध्य भारत और पूर्वी भारत में हालात लगभग सामान्य हैं। मध्य भारत में तो औसत के मुकाबले 2 फीसदी ज्यादा ही बरसात हुई है। मौसम विभाग के मुताबिक पोस्ट मानसून सीजन के दौरान मध्य भारत में 68.3 मिलीमीटर बरसात दर्ज की गई है जबकि सामान्य तौर पर 67.2 मिलीमीटर बारिश होती है।
वहीं, अगर हम पिछले एक हफ्ते यानी 10 से 16 नवंबर की बात करें… तो भारत मौसम विज्ञान विभाग के अनुसार देशभर में 87 फीसदी कम बारिश दर्ज की गई है। इस दौरान सामान्य तौर पर 6.5 मिलीमीटर बारिश होती है मगर पिछले एक हफ्ते में यह आंकड़ा महज 0.9 फीसदी है  जोकि 87 फीसदी कम है।
 ज्यादा चिंता वाली बात ये है कि उत्तर पश्चिम भारत में इस दौरान बारिश हुई ही नहीं है। मध्य भारत में 94 फीसदी कम बारिश हुई है यानी यहां पर 2.9 मिलीमीटर के मुकाबले 0.9 मिलीमीटर बारिश दर्ज की गई है।
पिछले एक हफ्ते में दक्षिण भारत में भी हालात ठीक नहीं है । यहां पर 80 फीसदी कम बारिश देखने को मिली है। दक्षिण भारत में 19.3 मिलीमीटर की तुलना में सिर्फ 3.9 मिलीमीटर बारिश ही दर्ज की गई है।  पूर्वी और उत्तर पूर्वी भारत में भी 98 फीसदी कम बारिश हुई है। यहां पर सामान्य 6.3 मिलीमीटर बारिश के मुकाबले महज 0.1 मिलीमीटर बारिश हुई है।
देशभर में इस समय रबी फसलों की बुआई का सीजन चल रहा है। जानकारों के अनुसार उत्तर-पश्चिम और दक्षिण भारत में बारिश की कमी की वजह से रबी की बुआई प्रभावित हो सकती है। अब तक बुआई में हालांकि ज्यादा कमी नहीं आई है लेकिन पूरा नवंबर अगर हालात ऐसे ही रहते हैं तो रबी के रकबे को लेकर चिंता जरुर बढ़ जाएगी।

बंगलादेष की मांग से कपास का निर्यात बढ़ा

आर एस राणा
नई दिल्ली। चालू महीने के दूसरे सप्ताह 7 से 13 नवंबर के दौरान कपास का निर्यात बढ़कर 1.333 लाख गांठ (एक गांठ-170 किलो) का हुआ है जबकि इसके पहले सप्ताह में 0.254 लाख गांठ का निर्यात हुआ था।
सूत्रों के अनुसार इस दौरान सबसे कपास का आयात बंगलादेष ने 0.389 लाख गांठ का किया है। इसके अलावा इस दौरान कपास का निर्यात चीन, वियतनाम, इंडोनेषिया और पाकिस्तान को भी निर्यात हुआ है।
प्रमुख उत्पादक राज्यों की मंडियों में कपास की दैनिक आवक घटकर 75 से 80 हजार गांठ की हो रही है, नकदी की किल्लत के कारण किसान कपास की बिकवाली कम रहे हैं इसलिए हाजिर मंडियों में कपास के साथ ही रुई की कीमतों में तेजी आई है। माना जा रहा है कि जैसे ही नकदी की उपलब्धता बढ़ेगी, कपास की दैनिक आवक भी बढ़ जायेगा, और भाव में फिर गिरावट आ सकती है। चालू कपास सीजन में जहां कपास की पैदावार ज्यादा होने का अनुमान है वहीं कपास का निर्यात पिछले साल की तुलना में कम होने की आषंका है।.........आर एस राणा

मक्का के निर्यात में सुधार

आर एस राणा
नई दिल्ली। चालू महीने के दूसरे सप्ताह 7 नवंबर से 13 नवंबर के दौरान मक्का का निर्यात बढ़कर 3,016 टन का हुआ है जबकि इसके पहले सप्ताह में केवल 2,421 टन मक्का का निर्यात हुआ था। इस समय मक्का का निर्यात औसतन 259.04 डॉलर प्रति टन (एफओबी) पर केवल नेपाल को डिप्लोमेटिक आधार पर हो रहा है।
विष्व बाजार में मक्का के दाम कम है, इसलिए मौजूदा भाव हमारे से मक्का निर्यात बढ़ने की संभावना नहीं है जबकि चालू खरीफ में मक्का की पैदावार ज्यादा होने की संभावना है। इस समय उत्पादक मंडियों में मक्का की दैनिक आवक कम है तथा स्टॉर्च मिलों के साथ ही पोल्ट्री की मांग बढ़ने से भाव में तेजी आई है। दिल्ली में मक्का के भाव 1,550 से 1,650 रुपये प्रति क्विंटल चल रहे हैं।
माना जा रहा है जैसे ही बाजार में नकदी का प्रवाह बढ़ेगा, मक्का की दैनिक आवक भी बढ़ने की संभावना है। अतः आगे मक्का की दैनिक आवक बढ़ने पर मौजूदा कीमतों में मंदा आने की उम्मीद है।..........आर एस राणा

गुजरात में जीरा के साथ ही धनिया की बुवाई ज्यादा

आर एस राणा
नई दिल्ली। चालू रबी सीजन में गुजरात में जीरा के साथ ही धनिया की बुवाई में भी बढ़ोतरी हुई है। राज्य के कृषि निदेषालय के अनुसार 14 नवंबर तक राज्य में 36,600 हैक्टेयर में जीरा की बुवाई हो चुकी है जबकि पिछले साल की समान अवधि में केवल 18,000 हैक्टेयर में जीरा की बुवाई हुई थी। राज्य में पिछले साल कुल बुवाई 3,39,000 हैक्टेयर में हुई थी, माना जा रहा है कि चालू रबी में बुवाई पिछले साल की तुलना में ज्यादा होने का अनुमान है।
राज्य में चालू रबी में अभी धनिया की बुवाई बढ़कर 8,200 हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक 4,700 हैक्टेयर में ही धनिया की बुवाई हुई थी। गुजरात में सामान्यतः 90,400 हैक्टेयर में धनिया की बुवाई होती है।.............आर एस राणा

18 नवंबर 2016

रबी में दलहन और तिलहन की बुवाई बढ़ी, मोटे अनाजों की पिछड़ी

आर एस राणा
नई दिल्ली। चालू रबी में दलहन और तिलहनों के साथ ही गेहूं की बुवाई में तेजी आई है लेकिन मोटे अनजों के साथ ही कुल बुवाई पिछले साल की तुलना में कम हुई है। कृषि मंत्रालय के अनुसार चालू रबी अभी तक देषभर में 241.73 लाख हैक्टेयर में फसलों की बुवाई हो चुकी है जबकि पिछले साल की समान अवधि में इनकी बुवाई 243.38 लाख हैक्टेयर में ही हुई थी।
रबी की प्रमुख फसल गेहूं की बुवाई बढ़कर अभी तक 79.40 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक केवल 78.83 लाख हैक्टेयर में ही बुवाई हो पाई थी। रबी दहलन की बुवाई अभी तक 74.55 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक 69.98 लाख हैक्टेयर में बुवाई हुई थी। रबी दलहन की प्रमुख फसल चना की बुवाई बढ़कर 53.73 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल की समान अवधि में इसकी बुवाई 52.69 लाख हैक्टेयर में ही हुई थी। मसूर की बुवाई भी बढ़कर चालू रबी में अभी तक 6.49 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक केवल 4.87 लाख हैक्टेयर में बुवाई हुई थी।
रबी तिलहनों की बुवाई चालू सीजन में अभी तक 56.16 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक 48.74 लाख हैक्टेयर में ही बुवाई हुई थी। रबी तिलहन की प्रमुख फसल सरसों की बुवाई 50.83 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल की समान अवधि में इसकी बुवाई 42.51 लाख हैक्टेयर में ही हो पाई थी। मूंगफली की बुवाई चालू रबी में बढ़कर 1.95 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक 1.78 लाख हैक्टेयर में ही बुवाई हुई थी।
हालांकि मोटे अनाजों की बुवाई अभी भी पिछे चल रही है, अभी तक देषभर में केवल 25.98 लाख हैक्टेयर में ही मोटे अनाजों की बुवाई हुई है जबकि पिछले साल इस समय तक 37.86 लाख हैक्टेयर में इनकी बुवाई हो चुकी थी। मोटे अनाजों में ज्वार के साथ ही मक्का की बुवाई भी पिछड़ी है। ज्वार की बुवाई चालू रबी में अभी तक केवल 20.82 लाख हैक्टेयर में ही हो पाई है जबकि पिछले साल इस समय तक 31.36 लाख हैक्टेयर में बुवाई हो चुकी थी। रबी मक्का की बुवाई भी अभी तक केवल 3.16 लाख हैक्टेयर में ही हुई है जबकि पिछले साल इस समय तक 4.20 लख हैक्टेयर में इसकी बुवाई हो चुकी थी। जौ की बुवाई भी चालू रबी में अभी तक केवल 1.80 लाख हैक्टेयर में ही हो पाई है जबकि पिछले साल इस समय तक 1.89 लाख हैक्टेयर में बुवाई हो चुकी थी।..........आर एस राणा

दिल्ली में गेहूं 2,500 रुपये प्रति क्विंटल पर पहुंचा

आर एस राणा
नई दिल्ली। दिल्ली की लारेंस रोड़ मंडी में गेहूं के भाव 2,450 से 2,500 रुपये प्रति क्विंटल हो गए, जबकि भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) की निविदा 2,379 रुपये प्रति क्विंटल की दर से हुई।
माना जा रहा है कि जब तक एफसीआई खुले बाजार बाजार बिक्री योजना के तहत निविदा की मात्रा में बढ़ोतरी नहीं करेगी, तब तक भाव तेज रह सकते हैं। एफसीआई पिछले दो सप्ताह से केवल 7,000 टन गेहूं की ही निविदा जारी कर रही है। सूत्रों के अनुसार दिल्ली में मौजूदा भाव में आयातित गेहूं के पड़ते भी लगेंगे, इसलिए भाव में और तेजी की संभावना नहीं है। आस्ट्रेलिया से आयातित गेहूं का भाव भारतीय बंदरगाह पर करीब 2,000 प्रति क्विंटल है, अतः मौजूदा भाव में उत्तर भारत के लिए आयातित गेहूं के सौदे हो जायेंगे।
एफसीआई ने ओएमएसएस के तहत निविदा के माध्यम से पिछले सप्ताह 83,000 टन गेहूं बेचा था जबकि अभी तक इसके तहत करीब 32 लाख टन गेहूं की बिक्री एफसीआई कर चुकी है।.............आर एस राणा

उत्तर प्रदेष ने गन्ने का एसएपी 25 रुपये बढ़ाया

आर एस राणा
नई दिल्ली। उत्तर प्रदेष में होने वाले चुनाव को देखते हुए राज्य सरकार ने चालू पेराई सीजन 2016-17 के लिए गन्ने के राज्य समर्थित मूल्य (एसएपी) में 25 रुपये की बढ़ोतरी कर 9 फीसदी की दर रिकवरी दर पर गन्ने का एसएपी 305 रुपये प्रति क्विंटल तय किया है।
राज्य सरकार ने पिछले तीन साल से गन्ने के भाव में कोई बढ़ोतरी नहीं की थी। पेराई सीजन 2012-13 में गन्ने का एसएपी राज्य सरकार ने 40 रुपये बढ़ाकर 280 रुपये प्रति क्विंटल तय किया था, उसके बाद से एसएपी में कोई बढ़ोतरी नहीं की गई थी।
सूत्रों के अनुसार गन्ने की खेती की लागत में हुई बढ़ोतरी को देखते हुए किसान चालू पेराई सीजन के लिए उत्तर प्रदेष में गन्ने का एसएपी 350 रुपये प्रति क्विंटल तय करने की मांग कर रहे थे लेकिन मुख्यमंत्री अखिलेष कुमार के नेतृत्व में कैबिनेट की बैठक में केवल 25 रुपये प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी की अनुमति दी गई।
राज्य की 60 चीनी मिलों ने पेराई आरंभ कर दी है तथा अभी तक राज्य में करीब 2 लाख टन चीनी का उत्पादन हो चुका है। चालू फसल सीजन 2016-17 में राज्य में गन्ने की बुवाई बढ़कर 20.54 लाख हैक्टेयर में हुई है जबकि पिछले साल 20.52 लाख हैक्टेयर में हुई थी। ऐसे में चालू पेराई सीजन में राज्य में चीनी का उत्पादन पिछले साल से ज्यादा होने का अनुमान है। ............आर एस राणा

डॉलर 13.5 साल की ऊंचाई पर

डॉलर 13.5 साल की ऊंचाई पर चला गया है। ऐसे में ग्लोबल कमोडिटी मार्केट में गिरावट बढ़ गई है। खास तौर से सोना करीब 8 महीने के निचले स्तर पर आ गया है। इस हफ्ते डॉलर में करीब 2.5 फीसदी की मजबूती आई है। दरअसल अमेरिकी इकोनॉमी के काफी अच्छे आंकड़े आ रहे हैं। ऐसे में वहां अगले महीने ब्याज दरें बढ़ने की संभावना जताई जा रही है। 13 और 14 दिसंबर को फेडरल रिजर्व की अहम बैठक है। और इससे ठीक पहले फेड चेयरमैन जेनेट येलेन ने भी ब्याज दरें बढ़ने का संकेत दिया है।

वहीं मजबूत डॉलर से कच्चा तेल भी दबाव में है। इसमें करीब 1 फीसदी नीचे कारोबार हो रहा है। वहीं लंदन मेटल एक्सचेंज पर कॉपर का दाम करीब 1 फीसदी गिर गया है। इस हफ्ते कॉपर में करीब 2 फीसदी की गिरावट आ चुकी है। 11 नवंबर के बाद से कॉपर करीब 10 फीसदी का गोता लगा चुका है। हालांकि डॉलर में उछाल से रुपया बिखर गया है और ये 20 हफ्ते के निचले स्तर पर आ गया है। एक डॉलर की कीमत 67 रुपये के पार चली गई है।

17 नवंबर 2016

चावल निर्यात में 6.82 फीसदी की कमी

आर एस राणा
नई दिल्ली। अक्टूबर महीने में चावल के निर्यात में 6.82 फीसदी की कमी आकर कुल निर्यात 5.98 लाख टन का हुआ है जबकि सितंबर महीने में देष से 6.35 लाख टन चावल का निर्यात हुआ था।
सूत्रों के अनुसार अक्टूबर में हुए कुल चावल के निर्यात में जहां बासमती की हिस्सेदारी 36.54 फीसदी की रही, वहीं गैर बासमती चावल की हिस्सेदारी 63.45 फीसदी की थी। इस दौरान देष से जहां 2.18 लाख टन बासमती चावल का निर्यात हुआ, वहीं गैर बासमती चावल का निर्यात 3.80 लाख टन का हुआ।
अक्टूबर महीनें में बासमती चावल का निर्यात मुख्यतः साउदी, यूएई और ईराक को हुआ है जबकि गैर-बासमती चावल का निर्यात मुख्यतः इंडोनेषिया, ईराक और घाना को हुआ है।
चालू वित्त वर्ष 2015-16 के पहले पांच महीनों अप्रैल से अगस्त के दौरान बासमती चावल का कुल निर्यात 17.56 लाख टन का हुआ है जबकि पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में इसका निर्यात 16.78 लाख टन का हुआ था।
गैर बासमती चावल का निर्यात चालू वित्त वर्ष 2016-17 के पहले पांच महीनों अप्रैल से अगस्त के दौरान 30.08 लाख टन का हुआ है जबकि पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में इसका निर्यात 29.83 लाख टन का हुआ था।
चालू वित्त वर्ष 2016-17 के पहले छह महीनों अप्रैल से सितंबर के दौरान मूल्य के हिसाब से बासमती चावल के निर्यात में 11.44 फीसदी कमी आई है। इस दौरान 10,924.34 करोड़ रुपये मूल्य का बासमती चावल का निर्यात हुआ है जबकि पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में 12,335.22 करोड़ रुपये का बासमती चावल का निर्यात हुआ था।
गैर बासमती चावल के निर्यात में चालू वित्त वर्ष 2016-17 की पहली छमाही में मूल्य के हिसाब से 3.56 फीसदी की बढ़ोतरी होकर कुल 8,616.06 करोड़ रुपये का हुआ है जबकि पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में इसका निर्यात 8,319.59 करोड़ रुपये का हुआ था।
केंद्र सरकार 500 और 1,000 रुपये की नोट बंदी का असर धान की आवक पर पड़ा है तथा उत्पादक राज्यों की मंडियों में धान की दैनिक आवक कम हुई है। किसान कैष पैंमेंट लेना चाहते हैं जबकि करेंसी की उपलब्धता कम होने के कारण आढ़ती या तो उधार में खरीद कर रहे हैं, या फिर चैक से भुगतान कर रहे हैं। उत्पादक मंडियों में इस समय पूसा 1,121 धान की कीमतें 2,250 से 2,350 रुपये प्रति क्विंटल चल रही हैं। माना जा रहा है कि जैसे करेंसी की उपलब्धता बढ़ेगी, मंडियों में धान की आवक भी बढ़ जायेगी।.............आर एस राणा

चीनी के उत्पादन में हुई बढ़ोतरी

आर एस राणा
नई दिल्ली। चालू पेराई सीजन 2016-17 में पहली अक्टूबर से 15 नवंबर 2016 तक 7.87 लाख टन चीनी का उत्पादन हो चुका है जबकि पिछले साल की समान अवधि में 7.72 लाख टन चीन का ही उत्पादन हुआ था।
इंडियन षुगर मिल्स एसोसिएषन (इस्मा) के अनुसार देषभर में 222 चीनी मिलों ने पेराई आरंभ कर दी है जबकि पिछले साल इस समय तक केवल 175 चीनी मिलों ने ही पेराई आरंभ की थी। इस साल उत्तर प्रदेष के साथ ही कर्नाटका की चीनी मिलों ने पेराई पहले आरंभ की है।
उत्तर प्रदेष में 55 चीनी मिलों में पेराई आरंभ हो चुकी है तथा राज्य की मिलें अभी तक 1.93 लाख टन चीनी का उत्पादन कर चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक केवल 15,000 टन चीनी का ही उत्पादन हुआ था, तथा राज्य की केवल 6 चीनी मिलों ने पेराई आरंभ की थी।
महाराष्ट्र में चालू पेराई सीजन में अभी तक 95 चीनी मिलों ने पेराई आरंभ कर दी है, तथा राज्य में 1.12 लाख टन चीनी का उत्पादन हो चुका है, जबकि पिछले साल इस समय तक राज्य में 4.31 लाख टन चीनी का उत्पादन हो चुका था तथा 114 चीनी मिलों पेराई आरंभ कर दी थी। महाराष्ट्र में पांच नवंबर के बाद ही चीनी मिलों ने पेराई आरंभ की है।
कर्नाटका में पहली अक्टूबर से 15 नवंबर के दौरान 3.76 लाख टन चीनी का उत्पादन हो चुका है जबकि पिछले साल इस समय तक 1.60 लाख टन ही चीनी का उत्पादन हुआ था। गुजरात में अभी तक 62,000 टन, तमिलनाडु में 30,000 टन तथा आंध्रप्रदेष में 5,000 टन चीनी का उत्पादन हो चुका है।
खाद्य मंत्रालय के अनुसार चालू पेराई सीजन 2016-17 में चीनी का उत्पादन 225 लाख टन होने का अनुमान है जबकि पहली अक्टूबर 2016 को चीनी का बकाया स्टॉक करीब 77 लाख टन चीनी का बचा हुआ है। देष में चीनी की सालाना खपत 245 से 250 लाख टन की होती है।.......आर एस राणा

चीनी निर्यात में 20 फीसदी की बढ़ोतरी

आर एस राणा
नई दिल्ली। चालू महीने के दूसरे सप्ताह 7 नवंबर से 13 नवंबर के दौरान चीनी के निर्यात में 20 फीसदी की बढ़ोतरी होकर कुल निर्यात 26.3 हजार टन का हुआ है। जबकि इस दौरान चीनी का आयात बढ़कर 94.4 हजार टन का हुआ है जबकि इसके पहले सप्ताह में केवल 18.9 हजार टन चीनी का आयात हुआ था।
चीनी की थोक कीमतों में मंदा आया है लेकिन खुदरा में भाव तेज हुए हैं। माना जा रहा है कि इस समय ब्याह-षादियों का सीजन होने के कारण खुदरा में मांग अच्छी है तथा करेंसी की किल्लत के कारण खुदरा व्यापारी चीनी की खरीद कम पा रहे हैं, जैसे बाजार में नोट की उपलब्धता बढ़ेगी, चीनी की मांग में बढ़ोतरी होगी। इसलिए थोक में भाव में अब और ज्यादा मंदे की उम्मीद नहीं है।................आर एस राणा

डॉलर में मजबूती

डॉलर 13.5 साल की ऊंचाई पर चला गया है। अमेरिका में अगले महीने ब्याज दरें बढ़ने की संभावना और ट्रंप सरकार की ओर से निवेश बढ़ाने की संभावना से डॉलर को सपोर्ट मिला है। ऐसे में डॉलर इंडेक्स 100 के पार चला गया है। हालांकि गौर करने वाली बात ये है कि डॉलर में उछाल के बावजूद रुपया खुद को संभालने में कामयाब हुआ है। वहीं कच्चे तेल की तेजी थम गई है। हालांकि क्रूड पर भंडार बढ़ने का भी असर है।

इस बीच डॉलर में मजबूती से सोने की चाल थम गई है और कॉमैक्स पर सोना तीन दिन से 1225 डॉलर के आसपास ही कारोबार कर रहा है जो पिछले करीब 5 महीने का निचला स्तर है। चांदी में भी दबाव है और ये 17 डॉलर के नीचे कारोबार कर रही है। वहीं लंदन मेटल एक्सचेंज पर कॉपर में भी लगातार तीसरे दिन गिरावट देखी जा रही है। इसका दाम 4420 डॉलर के नीचे आ गया है। दूसरे मेटल भी कमजोर हैं। आज अमेरिका में बेरोजगारी के साप्ताहिक आंकड़े और यूके में रिटेल सेल्स के आंकड़े जारी होंगे।

16 नवंबर 2016

दलहन आयात 65.55 फीसदी बढ़ा

आर एस राणा
नई दिल्ली। चालू महीने के पहले सप्ताह (31 अक्टूबर से 6 नवंबर) के दौरान देष में दलहन आयात में 65.66 फीसदी की भारी बढ़ोतरी होकर कुल आयात 2,44,024 टन का हुआ है जबकि इसके पहले सप्ताह में 1,47,395 टन दालों का आयात हुआ था।
सूत्रों के अनुसार चालू महीने के पहले सप्ताह में पीली मटर के आयात में भारी बढ़ोतरी होकर कुल 1,64,472 टन का हुआ है जबकि 24,382 टन अरहर, 9,964 टन उड़द तथा 10,295 टन चने का आयात हुआ है। इस दौरान 28,696 टन मसूर का भी आयात हुआ है।
दलहन की दैनिक आवक इस समय मंडियों में कम है, माना जा रहा है कि जैसे ही बाजार में करेंसी की उपलब्धता बढ़ेगी, दलहन की आवक भी बढ़ जायेगी, तथा भाव में मंदा ही आने का अनुमान है।.....आर एस राणा

ग्वार गम उत्पादों का निर्यात 64 फीसदी घटा

आर एस राणा
नई दिल्ली। विष्व बाजार में मांग कमजोर होने से चालू महीने के पहले सप्ताह (31 अक्टूबर से 6 नवंबर) के दौरान ग्वार गम उत्पादों (ग्वार गम पाउडर, ग्वार स्पलिट और मील) के निर्यात में 63.94 फीसदी की भारी कम आकर कुल 3,086 टन का ही निर्यात हुआ है जबकि इसके पहले सप्ताह में 8,557 टन ग्वार गम उत्पादों का निर्यात हुआ था।
सूत्रों के अनुसार चालू महीने के पहले सप्ताह में ग्वार गम पाडडर का निर्यात घटकर केवल 2,458 टन का ही हुआ है इस दौरान इसका निर्यात औसतन 1,395.87 डॉलर प्रति (एफओबी) की दर से हुआ है जबकि इसके पहले सप्ताह में 6,246 टन ग्वार गम पाउडर का निर्यात औसतन 1,393.4 डॉलर प्रति टन की दर से हुआ था। इसी तरह से ग्वार स्पलिट का निर्यात 31 अक्टूबर से 6 नवंबर के दौरान 208 टन का औसतन 1,070.14 डॉलर प्रति टन की दर से हुआ है जबकि इसके पहले सप्ताह में 241 टन ग्वार स्पलिट का निर्यात 1,165.95 डॉलर प्रति टन की दर से हुआ था।
ग्वार मील का निर्यात चालू महीने के पहले सप्ताह में 420 टन का औसतन 581.28 डॉलर प्रति टन (एफओबी) की दर से हुआ है जबकि इसके पहले सप्ताह में इसका निर्यात 2,070 टन का 547.4 डॉलर प्रति टन की दर से हुआ था।
इस समय ग्वार सीड में मांग कमजोर है, ग्वार सीड का ज्यादातर व्यापार कैष में होता है जबकि बाजार में करेंसी की उपलब्धता नहीं होने से मांग कमजोर है इसीलिए भाव में गिरावट बनी हुई है। जैसे ही बाजार में करेंसी की उपलब्धता बढ़ेगी, इसके भाव में सुधार आने का अनुमान है।............आर एस राणा

गेहूं का एमएसपी 100 और दालों का एमएसपी 550 रुपए प्रति क्विंटल बढ़ा

आर एस राणा
नई दिल्ली: गेहूं और दाल के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में इजाफा हुआ है। बीते मंगलवार को गेहूं का न्यूनतम समर्थन मूल्य 100 रुपए इजाफे के साथ 1,625 रुपए प्रति क्विंटल और दालों का एमएसपी भी 550 रुपए प्रति क्विंटल की दर से बढ़ा है। जानकारी के मुताबिक सरकार ने यह कदम रबी की फसलों की खेती को बढ़ावा देने और महंगाई पर काबू पाने के मकसद से उठाया है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने इस अहम फैसले पर चर्चा की। चर्चा के बाद समिति ने 2016-17 की सभी रबी फसलों (जाड़े में बुआई वाली) के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य बढ़ाने को मंजूरी दी। इस समिति ने गेहूं के एमएसपी 100 रुपए बढ़ाकर 1625 रुपए प्रति क्विंटल करने को मंजूरी दी है। समिति ने यह फैसला 2016-17 की रबी फसल के लिए किया है। पिछले साल गेहूं के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य 1,525 रुपए प्रति क्विंटल किया गया था।
सरकार के मुताबिक, “'गेहूं के एमएसपी में 6.6 पर्सेंट और जौ में 8.2 पर्सेंट की बढ़ोतरी की गई है। बोनस को मिलाकर चने के एमएसपी में 14.3 पर्सेंट, मसूर में 16.2 पर्सेंट और सरसों में 10.4 पर्सेंट का इजाफा किया गया है। दलहन और तिलहन की खेती में किसानों को फायदा देने के लिए इन फसलों पर एमएसपी के अतिरिक्त बोनस का ऐलान भी किया गया है।”
प्रधानंत्री की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में मसूर के एमएसपी को बढ़ाकर रबी सीजन 2016-17 के लिए 3,950 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया है जबकि पिछले रबी में इसका एमएसपी 3,400 रुपये प्रति क्विंटल था। इसी तरह से चना के एमएसपी को आगामी रबी सीजन के लिए बढ़ाकर 4,000 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया है जबकि पिछले रबी में इसका एमएसपी 3,500 रुपये प्रति क्विंटल था।
सरसों का एमएसपी रबी फसल सीजन 2016-17 के लिए बढ़ाकर 3,700 रुपये प्रति क्विंटल बोनस सहित तय किया है जबकि पिछले साल इसका एमएसपी 3,350 रुपये प्रति क्विंटल था। सनफ्लावर का एमएसपी भी 3,300 रुपये प्रति क्विंटल से बढ़ाकर 3,700 रुपये प्रति क्विंटल तय किया है। जौ का एमएसपी 1,225 रुपये प्रति क्विंटल से बढ़ाकर 1,325 रुपये प्रति क्विंटल तय किया है।........आर एस राणा

कच्चा तेल फिर से दबाव में

कल की भारी तेजी के बाद आज कच्चा तेल फिर से दबाव में है। दरअसल ओपेक प्रोडक्शन कटौती पर दूसरे देशों को मनाने में पूरी तरह से जुट गया है। ऐसे में कल जोरदार तेजी आई थी और क्रूड का दाम करीब 6 फीसदी उछल गया। हालांकि अमेरिका में भंडार बढ़ने से कीमतों पर अब दबाव दिख रहा है। आज अमेरिकी एनर्जी डिपार्टमेंट की भी रिपोर्ट आएगी। वहीं सोना कल के लेवल के आसपास ही कारोबार कर रहा है। इसका दाम पिछले 5 महीने के निचले स्तर पर है। हालांकि चांदी में करीब 0.5 फीसदी की तेजी आई है।

आज अमेरिका में फाइनेंशियल स्टेबिलिटी ओवरसाइट काउंसिल की बैठक में फेड चेयरमैन जेनेट येलेन भी शामिल होंगी, बाजार की नजर इस इवेंट पर बनी हुई है। इस बीच लंदन मेटल एक्सचेंज पर कॉपर में आज फिर से करीब 1 फीसदी की गिरावट आई है। हालांकि डॉलर 11 महीने के ऊपरी स्तर पर जाकर ठहर गया है। ऐसे में रुपये में आज हल्की रिकवरी दिख रही है।

15 नवंबर 2016

वनस्पति तेलों के आयात हुई बढ़ोतरी

आर एस राणा
नई दिल्ली। अक्टूबर का समाप्त हुए तेल वर्ष 2015-16 (नवंबर-15 से अक्टूबर-16) के दौरान देष में वनस्पति तेलों (खाद्य एवं अखाद्य तेलों) के आयात में बढ़ोतरी हुई है। इस दौरान वनस्पति तेलों का आयात बढ़कर 147.4 लाख टन का हुआ है जबकि पिछले तेल वर्ष की समान अवधि में 146.1 लाख टन वनस्पति तेलों का आयात हुआ था। कुल आयात में खाद्य तेलों की हिस्सेदारी जहां 145.1 लाख टन की है, वहीं अखाद्य तेलों का आयात इस दौरान 1.7 लाख टन का हुआ है।
साल्वेंट एक्सट्रेक्टर्स एसोसिएषन आफ इंडिया (एसईए) के अनुसार अक्टूबर महीने में वनस्पति तेलों का आयात घटकर 1,173,254 टन का हुआ है जबकि पिछले साल अक्टूबर में 1,670,891 टन का आयात हुआ था।
वनस्पति तेलों के आयात में पिछले पांच साल में करीब 45 फीसदी की बढ़ोतरी हो चुकी है। तेल वर्ष 2011-12 में देष में 101.9 लाख टन तेलों का आयात हुआ था जबकि तेल वर्ष 2015-16 में आयात बढ़कर 147.4 लाख टन का हुआ है।
पहली नवंबर को देषभर में 7,05,000 टन खाद्य एवं अखाद्य तेलों का स्टॉक मौजूद है, जिसमें क्रुड पॉम तेल का 2,10,000 टन, 95,000 टन आरबीडी पामोलीन, और 3,25,000 टन डीगम सोयाबीन तेल का स्टॉक है।
क्रुड पॉम तेल और रिफाइंड तेल पर आयात षुल्क में अंतर कम होने के कारण तेल वर्ष 2015-16 में रिफाइंड तेलों के आयात में 58 फीसदी की बढ़ोतरी होकर कुल आयात 26.2 लाख टन का हुआ है जबकि इसके पिछले तेल वर्ष में रिफाइंड तेलों का आयात 16.6 लाख टन का हुआ था।
आयातित तेलों की कीमतों में भी अक्टूबर महीने में सितंबर के मुकाबले गिरावट आई है। अक्टूबर में जहां आरबीडी पामोलीन के भाव भारतीय बंदरगाह पर औसतन 709 डॉलर प्रति टन रहे, वहीं सितंबर महीने में इसके भाव 759 डॉलर प्रति टन थे। इसी तरह से क्रुड पाम तेल के भाव सितंबर में 753 डॉलर प्रति टन थे, जबकि अक्टूबर में इसके भाव घटकर 704 डॉलर प्रति टन रह गए।  ................आर एस राणा

नोट बंदी का असर खेती पर

आर एस राणा
नोट बंदी का असर खेती पर भी दिखने लगा है। किसानों के पास नकदी की किल्लत से वे बीज और खाद नहीं खरीद पा रहे हैं। ऐसे में आगे चलकर इसका असर रबी फसलों की बुआई पर दिखा सकता है। हालांकि अब तक रबी की बुआई पिछले साल से करीब 16 फीसदी आगे चल रही है। जिसमें सरसों और चने की बुआई अच्छी हुई है। लेकिन पंजाब में बुआई का वक्त खत्म हो रहा है और बीज की दुकानों पर अभी भी करीब 75 फीसदी बीज का स्टॉक बचा हुआ है।.........आर एस राणा

कच्चे तेल में रिकवरी

पिछले हफ्ते की भारी गिरावट के बाद कच्चे तेल में शानदार रिकवरी आई है। ग्लोबल मार्केट में क्रूड का दाम करीब 2 फीसदी उछल गया है। ब्रेंट फिर से 45 डॉलर के पार चला गया है। नायमैक्स पर क्रूड में 44 डॉलर के ऊपर कारोबार हो रहा है। आज अमेरिकी पेट्रोलियम इंस्टीट्यूट की रिपोर्ट भी आएगी, जिसपर बाजार की नजर है।

इस बीच सोना पिछले 5.5 हफ्ते के निचले स्तर से संभलने की कोशिश कर रहा है। हालांकि इसके बावजूद कॉमैक्स पर इसमें 1230 डॉलर के नीचे कारोबार हो रहा है। ग्लोबल मार्केट में चांदी का दाम भी करीब 1 फीसदी बढ़ गया है। वहीं बेस मेटल्स में लंदन मेटल एक्सचेंज पर जिंक का दाम करीब 2 फीसदी उछल गया है। चीन की मांग बढ़ने के अनुमान से जिंक में लगातार तेजी जारी है और इस साल के दौरान इसकी कीमतें करीब 55 फीसदी तक उछल चुकी हैं। इस बीच डॉलर के मुकाबले रुपये में कमजोरी बढ़ गई है। 1 डॉलर की कीमत 67.60 रुपये के पार चली गई है। दरअसल डॉलर 1 साल की ऊंचाई पहुंच गया है।

11 नवंबर 2016

रबी में गेहूं के साथ ही दलहन और तिलहन की बुवाई बढ़ी

आर एस राणा
नई दिल्ली। चालू रबी में गेहूं के साथ ही दलहन और तिलहनों की बुवाई में तेजी आई है। कृषि मंत्रालय के अनुसार चालू रबी अभी तक देषभर में 146,85 लाख हैक्टेयर में फसलों की बुवाई हो चुकी है जबकि पिछले साल की समान अवधि में इनकी बुवाई 126.71 लाख हैक्टेयर में ही हुई थी।
रबी की प्रमुख फसल गेहूं की बुवाई बढ़कर अभी तक 25.72 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक केवल 18.65 लाख हैक्टेयर में ही बुवाई हो पाई थी। रबी दहलन की बुवाई अभी तक 49.24 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक 37.23 लाख हैक्टेयर में बुवाई हुई थी। रबी दलहन की प्रमुख फसल चना की बुवाई बढ़कर 34.32 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल की समान अवधि में इसकी बुवाई 27.26 लाख हैक्टेयर में ही हुई थी। मसूर की बुवाई भी बढ़कर चालू रबी में अभी तक 4.76 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक केवल 2.06 लाख हैक्टेयर में बुवाई हुई थी।
रबी तिलहनों की बुवाई चालू सीजन में अभी तक 42.03 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक 31.11 लाख हैक्टेयर में ही बुवाई हुई थी। रबी तिलहन की प्रमुख फसल सरसों की बुवाई 38.29 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल की समान अवधि में इसकी बुवाई 24.43 लाख हैक्टेयर में ही हो पाई थी।
मोटे अनाजों की बुवाई चालू रबी में अभी तक पिछड़ रही है। अभी तक देषभर में केवल 20.17 लाख हैक्टेयर में ही मोटे अनाजों की बुवाई हुई है जबकि पिछले साल इस समय तक 33.26 लाख हैक्टेयर में इनकी बुवाई हो चुकी थी। मोटे अनाजों में ज्वार के साथ ही मक्का की बुवाई भी पिछड़ी है। ज्वार की बुवाई चालू रबी में अभी तक केवल 16.12 लाख हैक्टेयर में ही हो पाई है जबकि पिछले साल इस समय तक 29.07 लाख हैक्टेयर में बुवाई हो चुकी थी। रबी मक्का की बुवाई भी अभी तक केवल 2.63 लाख हैक्टेयर में ही हुई है जबकि पिछले साल इस समय तक 3.26 लख हैक्टेयर में इसकी बुवाई हो चुकी थी।..-----------आर एस राणा

जीरा निर्यात में 62 फीसदी की बढ़ोतरी

आर एस राणा
नई दिल्ली। चालू वित्त वर्ष 2016-17 के पहले पांच महीनों अप्रैल से अगस्त के दौरान देष से जीरा के निर्यात में 62 फीसदी की बढ़ोतरी होकर कुल निर्यात 60,907 टन का हुआ है। सूत्रों के अनुसार अगस्त महीने में जीरा के निर्यात में 65 फीसदी की बढ़ोतरी होकर कुल निर्यात 9,003 टन का हुआ है। अक्टूबर महीने में विष्व बाजार में जीरा का भाव 3.53 डॉलर प्रति किलो रहा, जबकि सितंबर महीने में इसका भाव 3.64 डॉलर प्रति किलो था।
जीरा की बुवाई चालू हो गई है तथा आगामी दिनों में जीरा की तेजी-मंदी बुवाई की स्थिति पर भी निर्भर करेगी। हालांकि निर्यात और घरेलू मांग अच्छी है जबकि जीरा का स्टॉक कम बताया जा रहा है ऐसे में भविष्य में जीरा की कीमतों में तेजी ही आने का अनुमान है।    -------------आर एस राणा

ग्लोबल मार्केट में सोना 1260 डॉलर के नीचे

सोने पर से ट्रंप प्रीमियम खत्म हो गया है। ट्रंप की जीत के बाद सोने में जितनी तेजी आई थी वह अब गायब हो चुकी है। ग्लोबल मार्केट में सोना फिलहाल 1260 डॉलर के नीचे आ चुका है। दरअसल डॉलर में बढ़त देखने को मिली है और अमेरिका में रोजगार के अच्छे आंकड़ों से अगले महीने वहां ब्याज दरें बढ़ने की संभावना फिर से मजबूत होने लगी है। इस हफ्ते सोने में ऊपरी स्तर से करीब 75 डॉलर की भारी गिरावट आ चुकी है। घरेलू बाजार में भी सोना कल 30000 रुपये के नीचे बंद हुआ। चांदी भी आज दबाव में है।

इस बीच कच्चे तेल में भी बिकवाली हावी है। इंटरनेशनल एनर्जी एजेंसी ने कहा है कि अगले साल भी कच्चे की ओवर सप्लाई बनी रहेगी। ऐसे में इसकी कीमतों पर दबाव रहेगा और इसीलिए कच्चे तेल में गिरावट का रुख है। वहीं कॉपर इस हफ़्ते करीब 12 फीसदी की तेजी दिखा चुका है और पिछले 5 साल में इसकी सबसे बड़ी वीकली बढ़त है। इस बीच डॉलर के मुकाबले रुपये में आज कमजोरी बढ़ गई है और 1 डॉलर की कीमत 67 रुपये के पार चली गई है।

10 नवंबर 2016

चीनी का उत्पादन 225 लाख टन होने का अनुमान - पासवान

आर एस राणा
नई दिल्ली। पहली अक्टूबर से चालू हुए पेराई सीजन 2016-17 में देष में चीनी का उत्पादन 225.2 लाख टन होने का अनुमान है। खाद्य एवं उपभोक्ता मामले मंत्री रामविलास पासवान ने गुरुवार को चीनी की कीमतों की समीक्षा के बाद कहां कि देष में चीनी की पर्याप्त मात्रा में उपलब्धता है तथा इसके भाव स्थिर बने हुए हैं।
बैठक के बाद उन्होंने कहां कि चालू पेराई सीजन में पहली अक्टूबर को देष में 77.1 लाख टन चीनी का स्टॉक उपलब्ध था जबकि चालू पेराई सीजन में 225.2 लाख टन चीनी का उत्पादन होने का अनुमान है। देष में चीनी की सालाना खपत करीब 255 लाख टन होगी। ऐसे में नए पेराई सीजन 2017-18 में पहली अक्टूबर 2017 को 47.3 लाख टन चीनी का स्टॉक होगा।
उन्होंने बताया कि चीनी मिलों में गन्ने की पेराई आरंभ हो गई है, तथा आगे चीनी का उत्पादन बढ़ेगा। आगामी सीजन में गन्ने की पैदावार ज्यादा होने का अनुमान है तथा अक्टूबर 2017 से चालू होने वाला नया पेराई सीजन समय से चालू होगा।.............आर एस राणा

ओएमएसएस के तहत गेहूं की निविदा एक दिन के लिए टली

आर एस राणा
नई दिल्ली। 9 अक्टूबर को बैंक बंद होने के कारण भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) ने खुले बाजार बिक्री योजना (ओएमएसएस) के तहत गेहूं की निविदा 10 नवंबर के बजाए अब 11 नवंबर को की जायेगी। फ्लोर मिल मालिकों को दिक्कत नहीं हो इसलिए निविदा को एक दिन के टाला गया है।
एफसीआई ने दिल्ली के लिए चालू सप्ताह में 7,000 टन गेहूं की निविदा मांगी है जबकि पिछले सप्ताह 5,000 टन गेहूं की निविदा जारी की थी। पंजाब में चालू सप्ताह में 14,500 टन, हरियाणा में 10,000 टन और मध्य प्रदेष में 8,000 टन गेहूं बेचने के लिए निविदा मांगी गई हैं।
ग्ेहूं की हाजिर बाजार में तंगी है इसलिए गेहूं की कीमतों में ज्यादा मंदा नहीं आयेगा। हालांकि आज लारेंस रोड़ पर इसके भाव में 25 रुपये की गिरावट आकर भाव 2,100 रुपये प्रति क्विंटल रहे।.......आर एस राणा

सोने में फिर से रिकवरी

कल के ऊपरी स्तर से करीब 50 डॉलर की भारी गिरावट के बाद सोने में फिर से रिकवरी आई है और ग्लोबल मार्केट में इसका दाम करीब 0.5 फीसदी बढ़ गया है। फिलहाल सोने में 1290 डॉलर के नीचे कारोबार हो रहा है। जबकि कल इसका दाम 1337 डॉलर के ऊपरी स्तर पर पहुंच गया था। इस बीच चांदी में भी करीब 0.5 फीसदी की तेजी आई है। आज अमेरिका में बेरोजगारी के साप्ताहिक आंकड़े जारी होंगे जिसपर बाजार की नजर टिकी हुई है।

इस बीच कच्चे तेल में सुस्ती कायम है। अमेरिका में भंडार बढ़ने से कीमतों पर दबाव है। कल अमेरिकी एनर्जी डिपार्टमेंट की रिपोर्ट आई थी जिसके मुताबिक वहां क्रूड का भंडार करीब 24 लाख बैरल बढ़ गया है। हालांकि बेस मेटल्स में मजबूती है। लंदन मेटल एक्सचेंज पर कॉपर का दाम 16 महीने के ऊपरी स्तर पर पहुंच गया है। इसमें करीब 3 फीसदी ऊपर कारोबार हो रहा है। दूसरे मेटल में भी बढ़त पर कारोबार हो रहा है। वहीं कल की बढ़त के बाद डॉलर में हल्का दबाव दिख रहा है। ऐसे में रुपये को सपोर्ट मिला है।

08 नवंबर 2016

चीन को सुपारी निर्यात की योजना




चीन ने चाय के बाद भारतीय सुपारी के आयात में रुचि दिखाई है। कच्ची सुपारी की 400 किलोग्राम की पहली खेप नमूने के तौर पर चीन को अगले कुछ दिनों में भेजी जाएगी। चीन की कंपनियां कच्ची सुपारी का उपयोग माउथ फ्रेशनर में करती हैं। वे भारत से सुपारी का आयात करने के लिए सुपारी और कोको किसानों की एक सहकारी संस्था कैंपको के साथ बातचीत कर रही हैं। 
 कैंपको लिमिटेड के प्रबंध निदेशक एम सुरेश भंडारी ने कहा कि गुणवत्ता मंजूरी हासिल करने के लिए इस सप्ताह नमूने के तौर पर 400 किलोग्राम सुपारी चीन भेजी जाएगी। कच्ची सुपारी तैयार है और चूंकि यह पहली बार भेजी जा रही है, इसलिए कई सीमा शुल्क औपचारिकताओं का पालन करना पड़ रहा है। कैंपको काउ वेई वांग (स्वाद का राजा) को सुपारी की आपूर्ति करेगी। काउ वेई वांग चीन में सबसे बड़ी माउथ फ्रेशनर विनिर्माता है। भंडारी ने कहा कि खरीदार कंपनी पहले ही उनके यहां दौरा कर चुकी है और वह कच्चे माल की गुणवत्ता से संतुष्ट है।
 उन्होंने कहा कि खरीदार कंपनी ने कीमत 50 से 60 रुपये प्रति किलोग्राम कम लगाई है,  लेकिन निर्यात मात्रा बढऩे पर यह समस्या दूर हो जाएगी। चीन के खरीदार कंपनी ने इस बात का संकेत दिया है कि वह सुपारी की गुणïवत्ता को सबसे ज्यादा तरजीह देगी। चीन की कंपनी ने 350 से 400 रुपये प्रति किलोग्राम कीमत देने का संकेत दिया है। चीन में कच्ची सुपारी का प्रसंस्करण कर इसका इस्तेमाल माउथ फ्रेशनर और अन्य खाद्य उत्पादों में किया जाता है। चीन के हुनान प्रांत में हर साल 1.22 लाख टन सुपारी का उत्पादन होता है, लेकिन चीन में सुपारी की सालाना मांग करीब 7 लाख टन अनुमानित है। पूरे चीन में सुपारी माउथ फ्रेशनर के 20 से अधिक विनिर्माता हैं। 
 चीन में धूम्रपान छोडऩे के लिए माउथ फ्रेशनर का इस्तेमाल करने वाले लोगों की तादाद बढ़ रही है, लेकिन वहां माउथ फ्रेशनर की आपूर्ति पर्याप्त नहीं है। उन्होंने कहा कि कैंपको के साथ करार करने वाली चीन की कंपनी पर्याप्त कच्चा माल मिलने के कारण फिलहाल मांग पूरी नहीं कर पा रही है। चीन में सुपारी की ज्यादातर मांग इंडोनेशिया पूरी कर रहा है, जहां यह एक जंगली फसल है।  
 भारत में हर साल 7.03 लाख टन सुपारी के उत्पादन का अनुमान है। कुछ साल पहले तक यह फसल अच्छा मुनाफा देती थी। लेकिन पिछले कुछ वर्षों में कीमत 75,000 रुपये प्रति क्विंटल से घटकर 25,000 से 30,000 रुपये प्रति क्विंटल पर गई है। सुपारी कॉफी उत्पादों के लिए कॉफी के पौधों के बीच उगाई जाने वाली प्रमुख फसल है। गौरतलब है कि इस समय कॉफी उत्पादकों को इस फसल से मामूली फायदा मिल रहा है। देश में हर साल सुपारी का उत्पादन करीब 50,000 टन बढ़ रहा है क्योंकि किसान धान की जगह यह फसल उगा रहे हैं। इससे सुपारी की कीमतों पर और दबाव बढ़ रहा है। 
 अब जोखिम कम करने की रणनीति के तहत उत्पादक निर्यात के बारे में विचार कर रहे हैं। पहले पाकिस्तान को सुपारी का निर्यात किया जाता था, लेकिन यह बहुत कम मात्रा में होता था। उन्होंने कहा कि भारत में न्यायालय सुपारी और गुटखे पर पूरी तरह रोक लगा रहे हैं। ऐसी स्थिति में निर्यात बाजार खुलने से उत्पादकों को फायदा मिलेगा। भंडारी ने कहा कि अगर चीन को निर्यात होगा तो भारी मांग आएगी, जिससे किसानों को मदद मिलेगी। (BS Hndi)