आर एस राणा
नई दिल्ली। आस्ट्रेलिया से दिसंबर के आखिर और जनवरी पहुंच गेहूं के आयात सौदे 230 से 232 डॉलर प्रति टन (सीएंडएफ) की दर से हो रहे है जबकि इस समय आयात औसतन सौदे 243.36 डॉलर प्रति टन की दर से हो रहे हैं। इसलिए आगामी महीनों में आयातित गेहूं की कीमतों में करीब 150 से 200 रुपये प्रति क्विंटल की गिरावट आने का अनुमान है। हालांकि इसका असर दक्षिण भारत में गेहूं की कीमतों पर तो पड़ेगा लेकिन उत्तर भारत के राज्यों में गेहूं की कीमतों में ज्यादा मंदे की उम्मीद नहीं है। हॉ अगर केंद्र सरकार ने ओएमएसएस के तहत उत्तर भारत के राज्यों में गेहूं का आवंटन कम किया तो भाव में फिर तेजी आने का अनुमान है।
आयातकों के अनुसार आस्ट्रेलिया से आयातित गेहूं का भाव इस समय भारतीय बंदरगाह पर 1,950 से 1,960 रुपये प्रति क्विंटल है, जबकि बंगलुरु मिल पहुंच इसका भाव 2,080 से 2,090 रुपये प्रति क्विंटल है जबकि आस्ट्रेलिया से नई फसल के सौदे दिसंबर-जनवरी षिपमेंट के भारतीय बंदरगाह पहुंच 1,850 से 1,900 रुपये प्रति क्विंटल की दर से हो रहे हैं। जानकारों के अनुसार चालू सीजन में गेहूं का आयात बढ़कर 28 से 30 लाख टन होने का अनुमान है तथा आयातक फरवरी डिलीवरी तक के आयात सौदे कर रहे हैं। माना जा रहा है कि अगर केंद्र सरकार गेहूं के आयात षुल्क में बढ़ोतरी भी करेगी, तो फरवरी के बाद ही आयात षुल्क बढ़ाया जायेगा, तब तक यह सारा गेहूं भारतीय गोदामों में पहुंच चुका होगा। अभी तक करीब 17 से 18 लाख टन गेहूं के आयात सौदे हो चुके हैं, जिनमें से 14 से 15 लाख टन गेहूं भारतीय बंदरगाहों पर पहुंच भी चुका है।
माना जा रहा है चालू रबी में गेहूं की बुवाई तो बढ़ेगी, जिससे पैदावार भी ज्यादा होने का अनुमान है लेकिन केंद्र सरकार न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर गेहूं की खरीद पिछले साल के मुकाबले ज्यादा मात्रा में करेगी, ऐसे में गेहूं के भाव मंडियों में नई फसल पर तेज रहने का अनुमान है, इसीलिए आयातक ज्यादा मात्रा में गेहूं के आयात सौदे कर रहे हैं। वैसे भी रबी विपणन सीजन 2017-18 के लिए केंद्र सरकार ने गेहूं का न्यूनतम समर्थन मूल्य 1,625 रुपये प्रति क्विंटल तय किया है, तथा इन भाव पर उत्तर भारत के प्रमुख उत्पादक राज्यों की मंडियों से गेहूं खरीदने पर दक्षिण भारत की मिलों में पहुंच करीब 2,040 से 2,050 रुपये प्रति क्विंटल (मंडी टैक्स, परिवहन लागत और अन्य खर्च मिलाकर) बैठेगा, जबकि इसके मुकाबले आस्ट्रेलिया से आयातित गेहूं दक्षिण भारत की मिलों में 2,000 रुपये प्रति क्विंटल से भी कम में पहुंच पड़ेगा। इसलिए दक्षिण भारत की फ्लोर मिलें आयातकों से गेहूं की खरीद मार्च-अप्रैल महीने की भी कर रही हैं।
रबी विपणन सीजन 2016-17 में एफसीआई ने एमएसपी पर केवल 229.61 लाख टन गेहूं की ही खरीद की थी। खरीद कम होने के कारण ही केंद्रीय पूल में पहली नवंबर 2016 को गेहूं का स्टॉक घटकर 188.41 लाख टन का ही रह गया जबकि पहली नवंबर 2015 को केंद्रीय पूल में 299.06 लाख टन गेहूं का स्टॉक मौजूद था। तय मानकों के अनुसार पहली अप्रैल 2017 को केंद्रीय पूल में 74.6 लाख टन गेहूं का स्टॉक होना चाहिए।.................आर एस राणा
नई दिल्ली। आस्ट्रेलिया से दिसंबर के आखिर और जनवरी पहुंच गेहूं के आयात सौदे 230 से 232 डॉलर प्रति टन (सीएंडएफ) की दर से हो रहे है जबकि इस समय आयात औसतन सौदे 243.36 डॉलर प्रति टन की दर से हो रहे हैं। इसलिए आगामी महीनों में आयातित गेहूं की कीमतों में करीब 150 से 200 रुपये प्रति क्विंटल की गिरावट आने का अनुमान है। हालांकि इसका असर दक्षिण भारत में गेहूं की कीमतों पर तो पड़ेगा लेकिन उत्तर भारत के राज्यों में गेहूं की कीमतों में ज्यादा मंदे की उम्मीद नहीं है। हॉ अगर केंद्र सरकार ने ओएमएसएस के तहत उत्तर भारत के राज्यों में गेहूं का आवंटन कम किया तो भाव में फिर तेजी आने का अनुमान है।
आयातकों के अनुसार आस्ट्रेलिया से आयातित गेहूं का भाव इस समय भारतीय बंदरगाह पर 1,950 से 1,960 रुपये प्रति क्विंटल है, जबकि बंगलुरु मिल पहुंच इसका भाव 2,080 से 2,090 रुपये प्रति क्विंटल है जबकि आस्ट्रेलिया से नई फसल के सौदे दिसंबर-जनवरी षिपमेंट के भारतीय बंदरगाह पहुंच 1,850 से 1,900 रुपये प्रति क्विंटल की दर से हो रहे हैं। जानकारों के अनुसार चालू सीजन में गेहूं का आयात बढ़कर 28 से 30 लाख टन होने का अनुमान है तथा आयातक फरवरी डिलीवरी तक के आयात सौदे कर रहे हैं। माना जा रहा है कि अगर केंद्र सरकार गेहूं के आयात षुल्क में बढ़ोतरी भी करेगी, तो फरवरी के बाद ही आयात षुल्क बढ़ाया जायेगा, तब तक यह सारा गेहूं भारतीय गोदामों में पहुंच चुका होगा। अभी तक करीब 17 से 18 लाख टन गेहूं के आयात सौदे हो चुके हैं, जिनमें से 14 से 15 लाख टन गेहूं भारतीय बंदरगाहों पर पहुंच भी चुका है।
माना जा रहा है चालू रबी में गेहूं की बुवाई तो बढ़ेगी, जिससे पैदावार भी ज्यादा होने का अनुमान है लेकिन केंद्र सरकार न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर गेहूं की खरीद पिछले साल के मुकाबले ज्यादा मात्रा में करेगी, ऐसे में गेहूं के भाव मंडियों में नई फसल पर तेज रहने का अनुमान है, इसीलिए आयातक ज्यादा मात्रा में गेहूं के आयात सौदे कर रहे हैं। वैसे भी रबी विपणन सीजन 2017-18 के लिए केंद्र सरकार ने गेहूं का न्यूनतम समर्थन मूल्य 1,625 रुपये प्रति क्विंटल तय किया है, तथा इन भाव पर उत्तर भारत के प्रमुख उत्पादक राज्यों की मंडियों से गेहूं खरीदने पर दक्षिण भारत की मिलों में पहुंच करीब 2,040 से 2,050 रुपये प्रति क्विंटल (मंडी टैक्स, परिवहन लागत और अन्य खर्च मिलाकर) बैठेगा, जबकि इसके मुकाबले आस्ट्रेलिया से आयातित गेहूं दक्षिण भारत की मिलों में 2,000 रुपये प्रति क्विंटल से भी कम में पहुंच पड़ेगा। इसलिए दक्षिण भारत की फ्लोर मिलें आयातकों से गेहूं की खरीद मार्च-अप्रैल महीने की भी कर रही हैं।
रबी विपणन सीजन 2016-17 में एफसीआई ने एमएसपी पर केवल 229.61 लाख टन गेहूं की ही खरीद की थी। खरीद कम होने के कारण ही केंद्रीय पूल में पहली नवंबर 2016 को गेहूं का स्टॉक घटकर 188.41 लाख टन का ही रह गया जबकि पहली नवंबर 2015 को केंद्रीय पूल में 299.06 लाख टन गेहूं का स्टॉक मौजूद था। तय मानकों के अनुसार पहली अप्रैल 2017 को केंद्रीय पूल में 74.6 लाख टन गेहूं का स्टॉक होना चाहिए।.................आर एस राणा
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