मुंबई में सब्जियों में आग लग गई है। मंडी में हड़ताल के कारण जो
सब्जियां कल तक 40 रुपए किलों में बिक रही थीं अब वो 120 रुपये किलो पर
पहुंच गई हैं। इधर एंजेंट धमकी दे रहे हैं कि सरकार ने उनकी मांग नहीं मानी
तो हड़ताल लंबी चलेगी।
मुंबई में हड़ताल के कारण सब्जियों की कीमत में मचा है हाहाकार। हड़ताल अभी शुरू ही हुई है और कई सब्जियों की कीमत दोगुनी हो गई है। पिछले हफ्ते मुंबई में गोभी जहां 40 रुपये किलो बिक रही थी वहां अब इसकी कीमत 120 रुपये हो गई है। लौकी 50 से 110 रुपये किलो हो गई है। टमाटर 60 से 100 रुपये का हो गया है। भिंडी 40 से 100 तो करेला 40 से 80 रुपये का हो गई है। टिंडा, प्याज और आलू का भी यही आलम है।दरअसल महाराष्ट्र सरकार एपीएमसी की लिस्ट से सब्जियों और फलों को निकालना चाहती है। इससे किसान खुले बाजार में अपना माल बेच पाएंगे। बस इसी बात से मंडियों के व्यापारी और एजेंट नाराज हैं। सरकार और व्यापारियों की इस लड़ाई में पिस रहे हैं ग्राहक। कमीशन से मोटी कमाई के आदि हो चुके एजेंटों ने चेतावनी दी है कि अगर सरकार नहीं झुकी तो हड़ताल लंबी चलेगी।नवी मुंबई में महाराष्ट्र की सबसे बड़ी फल सब्जी मंडी है। यहां कई सब्जियों की कीमतें हड़ताल के दूसरे दिन ही 400 फीसदी तक बढ़ गई है। लंबा वक्त नहीं बीता जब महाराष्ट्र में किसानों की दुर्दशा राष्ट्रीय सुर्खियां बनीं। अब सरकार ने एपीएमसी एक्ट में बदलाव कर किसानों के साथ ही आम उपभोक्ताओं को राहत देने की कोशिश की है लेकिन एजेंटों के विरोध के कारण मामला टेढ़ा हो गया है।एपीएमसी एक्ट में बदलाव को लेकर हुई हड़ताल से अभी भले ही उपभोक्ताओं को तकलीफ हो रही हो लेकिन अगर मंडी नियमों में बदलाव हुए तो उपभोक्ताओं से लेकर किसानों तक को फायदा होगा। ये कैसे होगा ये जानने के लिए समझना जरूरी है कि अभी मंडी में काम कैसे होता है और बदलाव होने के बाद क्या होगा?कानून में का मूल मंत्र ये है कि किसानों और ग्राहकों के बीच बिचौलिये खत्म किए जाएं और किसानों को खुले बाजार में उत्पाद बेचने की छूट हो। किसानों को इससे सीधा फायदा ये होगा उन्हें बाजार बिचौलियों को 6 फीसदी कमीशन नहीं देना पड़ेगा। नया कानून कितना फायदेमंद है ये समझने के लिए पुराने सिस्टम पर एक बार नजर डालना जरूरी है। मान लिजिए अगर किसी किसान को प्याज बेचनी है उसे सबसे पहले कमीशन एजेंट के पास जाना होता है। तब जाकर किसान अपना उत्पाद मार्केट यार्ड में ला पाता है।मार्केट यार्ड में थोक व्यापारी उसके उत्पाद का दाम लगाते हैं और किसान उन्हें अपना उत्पाद बेच देता है। इसके बाद नंबर आता है सब ब्रोकर का जो अपना कमीशन काटकर उत्पाद को रिटेलर के हाथों बेच देते हैं। तब कहीं जाकर वह उत्पाद कंज्यूमर के सामने आ पाता है। इस प्रक्रिया में कंज्यूमर तक पहुंचते पहुंचते किसान के उत्पाद की कीमत करीब 40 से 60 फीसदी तक बढ़ जाती है। यानि अगर ये सिस्टम हटा तो किसान को 60 फीसदी तक ज्यादा कीमत मिलने की संभावना बनेगी। लेकिन इसमें बिचौलियों की कमाई मारी जाएगी तो इनकी नाराजगी समझी जा सकती है। अब जरा ये समझिए कि नए नियमों के तहत क्या होगा।नए कानून के तहत किसान अपना उत्पादक सीधे रिटेलर या कंज्युमर को भी बेच सकेंगे। इससे किसानों को तो सहूलियत होगी ही महंगाई की बड़ी समस्या भी कम होगी। ये व्यवस्था दिल्ली समेत देश के 6 राज्यों में पहले से है लेकिन प्रभावी तरह से लागू नहीं हो पाने की वजह से कारगर नहीं है।सब्जियों की महंगाई से सिर्फ महाराष्ट्र ही नहीं पंजाब और मध्यप्रदेश के लोग भी परेशान हैं। लगातार हो रही बारिश से जहां किसानों को राहत मिली है वहीं सब्जियों के बढ़ते दामों ने लोगों के पसीने छुड़ा दिए हैं। बारिश के कारण मंडियों में कम सब्जियां पहुंच रही हैं जिसके कारण दाम लगातार चढ़ रहे हैं।बारिश के कारण कई राज्यों में सब्जियों की फसल को बड़ा नुकसान हुआ है। कई जगह ट्रांसपोर्टेसन की समस्या के कारण भी सब्जी नहीं पहुंच पा रही है। इसका सीधा असर पड़ा है सब्जियों की कीमतों पर । भोपाल में एक हफ्ते पहले आलू 20 रुपये किलो मिल रहा था जो अब 25 रुपये किलो मिल रहा है। भिंडी की कीमत 60 रुपये से बढ़कर 80 रुपये और फूल गोभी की कीमत 80 रुपये से बढ़कर 120 रुपये किलो हो गई है। इसके अलावा बैंगन की कीमत 30 से बढ़कर 60 रुपये किलो और प्याज की कीमत 10 से बढ़कर 15 रुपये किलो हो गई है।लुधियाना में भी सब्जियों की कीमत लगातार बढ़ रही है। रिटेल में हरी सब्जियों के दाम 60 रुपये से 150 रुपये किलो तक पहुंच गए हैं। इससे लोगों के किचन का बजट भी बिगड़ने लगा है। लुधियाना में बारिश के कारण स्थानीय स्तर की सब्जी मंडी में पहुंचना लगभग बंद हो गई है। यहां अभी 30 रुपये किलो आलू बिक रहा है जो थोड़े दिनों पहले तक 15 रुपये किलो था। मटर की कीमत 80 रुपये से बढ़कर 140 से 150 रुपये किलो हो गई है। फूल गोभी की कीमत 40 से बढ़कर 80 तो टमाटर 30 रुपये किलो से बढ़कर 50 रुपये किलो जा पहुंचा है। वहीं शिमला मिर्च 50 रुपये से बढ़कर 80 रुपये प्रति किलो हो गई है। मॉनसून ने राहत तो दे दी लेकिन आम आदमी का बजट पूरी तरह बिगाड़ दिया है। अगर बारिश यूं ही होती रही तो कीमतें और चढ़ सकती हैं। (Hindimoneycantorl.com)
मुंबई में हड़ताल के कारण सब्जियों की कीमत में मचा है हाहाकार। हड़ताल अभी शुरू ही हुई है और कई सब्जियों की कीमत दोगुनी हो गई है। पिछले हफ्ते मुंबई में गोभी जहां 40 रुपये किलो बिक रही थी वहां अब इसकी कीमत 120 रुपये हो गई है। लौकी 50 से 110 रुपये किलो हो गई है। टमाटर 60 से 100 रुपये का हो गया है। भिंडी 40 से 100 तो करेला 40 से 80 रुपये का हो गई है। टिंडा, प्याज और आलू का भी यही आलम है।दरअसल महाराष्ट्र सरकार एपीएमसी की लिस्ट से सब्जियों और फलों को निकालना चाहती है। इससे किसान खुले बाजार में अपना माल बेच पाएंगे। बस इसी बात से मंडियों के व्यापारी और एजेंट नाराज हैं। सरकार और व्यापारियों की इस लड़ाई में पिस रहे हैं ग्राहक। कमीशन से मोटी कमाई के आदि हो चुके एजेंटों ने चेतावनी दी है कि अगर सरकार नहीं झुकी तो हड़ताल लंबी चलेगी।नवी मुंबई में महाराष्ट्र की सबसे बड़ी फल सब्जी मंडी है। यहां कई सब्जियों की कीमतें हड़ताल के दूसरे दिन ही 400 फीसदी तक बढ़ गई है। लंबा वक्त नहीं बीता जब महाराष्ट्र में किसानों की दुर्दशा राष्ट्रीय सुर्खियां बनीं। अब सरकार ने एपीएमसी एक्ट में बदलाव कर किसानों के साथ ही आम उपभोक्ताओं को राहत देने की कोशिश की है लेकिन एजेंटों के विरोध के कारण मामला टेढ़ा हो गया है।एपीएमसी एक्ट में बदलाव को लेकर हुई हड़ताल से अभी भले ही उपभोक्ताओं को तकलीफ हो रही हो लेकिन अगर मंडी नियमों में बदलाव हुए तो उपभोक्ताओं से लेकर किसानों तक को फायदा होगा। ये कैसे होगा ये जानने के लिए समझना जरूरी है कि अभी मंडी में काम कैसे होता है और बदलाव होने के बाद क्या होगा?कानून में का मूल मंत्र ये है कि किसानों और ग्राहकों के बीच बिचौलिये खत्म किए जाएं और किसानों को खुले बाजार में उत्पाद बेचने की छूट हो। किसानों को इससे सीधा फायदा ये होगा उन्हें बाजार बिचौलियों को 6 फीसदी कमीशन नहीं देना पड़ेगा। नया कानून कितना फायदेमंद है ये समझने के लिए पुराने सिस्टम पर एक बार नजर डालना जरूरी है। मान लिजिए अगर किसी किसान को प्याज बेचनी है उसे सबसे पहले कमीशन एजेंट के पास जाना होता है। तब जाकर किसान अपना उत्पाद मार्केट यार्ड में ला पाता है।मार्केट यार्ड में थोक व्यापारी उसके उत्पाद का दाम लगाते हैं और किसान उन्हें अपना उत्पाद बेच देता है। इसके बाद नंबर आता है सब ब्रोकर का जो अपना कमीशन काटकर उत्पाद को रिटेलर के हाथों बेच देते हैं। तब कहीं जाकर वह उत्पाद कंज्यूमर के सामने आ पाता है। इस प्रक्रिया में कंज्यूमर तक पहुंचते पहुंचते किसान के उत्पाद की कीमत करीब 40 से 60 फीसदी तक बढ़ जाती है। यानि अगर ये सिस्टम हटा तो किसान को 60 फीसदी तक ज्यादा कीमत मिलने की संभावना बनेगी। लेकिन इसमें बिचौलियों की कमाई मारी जाएगी तो इनकी नाराजगी समझी जा सकती है। अब जरा ये समझिए कि नए नियमों के तहत क्या होगा।नए कानून के तहत किसान अपना उत्पादक सीधे रिटेलर या कंज्युमर को भी बेच सकेंगे। इससे किसानों को तो सहूलियत होगी ही महंगाई की बड़ी समस्या भी कम होगी। ये व्यवस्था दिल्ली समेत देश के 6 राज्यों में पहले से है लेकिन प्रभावी तरह से लागू नहीं हो पाने की वजह से कारगर नहीं है।सब्जियों की महंगाई से सिर्फ महाराष्ट्र ही नहीं पंजाब और मध्यप्रदेश के लोग भी परेशान हैं। लगातार हो रही बारिश से जहां किसानों को राहत मिली है वहीं सब्जियों के बढ़ते दामों ने लोगों के पसीने छुड़ा दिए हैं। बारिश के कारण मंडियों में कम सब्जियां पहुंच रही हैं जिसके कारण दाम लगातार चढ़ रहे हैं।बारिश के कारण कई राज्यों में सब्जियों की फसल को बड़ा नुकसान हुआ है। कई जगह ट्रांसपोर्टेसन की समस्या के कारण भी सब्जी नहीं पहुंच पा रही है। इसका सीधा असर पड़ा है सब्जियों की कीमतों पर । भोपाल में एक हफ्ते पहले आलू 20 रुपये किलो मिल रहा था जो अब 25 रुपये किलो मिल रहा है। भिंडी की कीमत 60 रुपये से बढ़कर 80 रुपये और फूल गोभी की कीमत 80 रुपये से बढ़कर 120 रुपये किलो हो गई है। इसके अलावा बैंगन की कीमत 30 से बढ़कर 60 रुपये किलो और प्याज की कीमत 10 से बढ़कर 15 रुपये किलो हो गई है।लुधियाना में भी सब्जियों की कीमत लगातार बढ़ रही है। रिटेल में हरी सब्जियों के दाम 60 रुपये से 150 रुपये किलो तक पहुंच गए हैं। इससे लोगों के किचन का बजट भी बिगड़ने लगा है। लुधियाना में बारिश के कारण स्थानीय स्तर की सब्जी मंडी में पहुंचना लगभग बंद हो गई है। यहां अभी 30 रुपये किलो आलू बिक रहा है जो थोड़े दिनों पहले तक 15 रुपये किलो था। मटर की कीमत 80 रुपये से बढ़कर 140 से 150 रुपये किलो हो गई है। फूल गोभी की कीमत 40 से बढ़कर 80 तो टमाटर 30 रुपये किलो से बढ़कर 50 रुपये किलो जा पहुंचा है। वहीं शिमला मिर्च 50 रुपये से बढ़कर 80 रुपये प्रति किलो हो गई है। मॉनसून ने राहत तो दे दी लेकिन आम आदमी का बजट पूरी तरह बिगाड़ दिया है। अगर बारिश यूं ही होती रही तो कीमतें और चढ़ सकती हैं। (Hindimoneycantorl.com)
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