कृषि जिंसों के हालिया प्रकरण को लेकर भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) की ओर से भी कार्रवाई शुरू कर दी गई है। जिंस एक्सचेंज में सुचारू कार्य और निपटारे को ध्यान में रखते हुए बाजार विनियामक ने मौजूदा जोखिम प्रबंधन व्यवस्था, डिलिवरी प्रक्रिया और कार्यविधि, अधिकृत करने की प्रक्रिया और एक्सचेंज द्वारा वेयरहाउसों की निगरानी की समीक्षा का फैसला किया है। इसके लिए सेबी ने एक कार्य बल का गठन किया है जिसे तीन हफ्तों में अपनी रिपोर्ट पेश करने के लिए कहा गया है। सेबी द्वारा गठित कार्य बल दोनों पक्षों की तरफ से जांच करेगा और यह सुझाव देगा कि नियमन के संबंध में बदलाव की जरूरत है या नहीं।
उल्लेखनीय है कि पिछले कुछ समय से कृषि जिंसों के सौदों में गड़बड़ी की बात सामने आ रही थी। चने के अनुबंधों में करीब 100 प्रतिशत का मार्जिन लगाया जा रहा था। इस पर सेबी ने कुछ पोजिशन के मानकों को सीमित कर दिया था और एनसीडीईएक्स को एक महत्त्वपूर्ण जिंस कैस्टर सीड (अरंडी बीज) के अनुबंधों को रद्द करना पड़ा था। सेबी ने पिछले साल सितंबर के आखिर में जब जिंसों के डेरिवेटिव का नियमन अपने हाथ में लिया था, तब जिंसों के व्यापार के लिए अपने संशोधित नियमन में इसने एक अधिनियम (44 डी, 2) को शामिल किया था। इसका कहना था कि जिंसों के एक्सचेंज उचित डिलिवरी समेत व्यापार के निपटारे की गारंटी सुनिश्चित करेंगे। यह अब नियमों का हिस्सा है। सेबी द्वारा गठित कार्य बल को इस बात की भी समीक्षा करने के लिए कहा गया है कि एक्सचेंज ने इस व्यवस्था का पालन किया है या नहीं और इसका पालन करने के लिए उन्होंने क्या किया है।
कृषि जिंसों के अलावा सोने-चांदी के डेरिवेटिव में डिलिवरी ली जा रही है। इस वजह से सभी जिंस एक्सचेंजों में उचित प्रणाली और प्रक्रिया होनी चाहिए जिससे वेयरहाउसों और एक्सचेंजों द्वारा सही डिलिवरी हो और इसकी सुनिश्चितता के लिए जिम्मेदारी हो।
कृषि जिंसों में सुनिश्चित डिलिवरी का मामला काफी संवेदनशील है। इसमें सभी चीजें मानकीकृत नहीं होती और कुछ जिंस में कई अन्य शासकीय विनियमन होते हैं। पूर्व में कुछ कृषि जिंसों की डिलिवरी प्रभावित हुई थी। ऐसा फिर से न हो, यह सुनिश्चित करने के लिए नियमों को कड़ा करने का मामला उस समय विनियामक के सामने आया था। काली मिर्च के मामले में डिलिवरी नहीं की जा रही है क्योंकि एफएसएसएआई के अलग मानक थे। हाल ही में चने के मामले में दिल्ली के कुछ वेयरहाउसों में डिलिवरी नहीं हो रही थी क्योंकि दिल्ली सरकार ने स्टॉक की सीमा के संबंध में प्रचलित मानकों से अलग कदम उठाया था। चने की मात्रा काफी कम थी, लेकिन एक्सचेंजों को अब सेबी के तहत सही डिलिवरी और निपटारे की सुनिश्चितता करनी है।
जिंस एक्सचेंज वेयरहाउसों और उनके माल की डिलिवरी करने वालों को अधिकृत करते हैं। इस माल को एक्सचेंज में रखना पड़ता है और इन अधिकृत वेयरहाउसों द्वारा उनके खरीदारों को डिलिवरी की जाती है। अब यह एक्सचेंज की जिम्मेदारी बनती है कि उसके द्वारा अधिकृत वेयरहाउस क्रमनिर्धारण की उचित प्रक्रिया, परख, भंडारण और माल की डिलिवरी एक्सचेंज की इच्छानुासर करें। एक्सचेंज के पास भी उचित व्यवस्था व पर्याप्त प्रबंधन होना चाहिए जिससे माल की सही तरह से डिलिवरी सुनिश्चित हो सके जो अब उसकी वैधानिक जिम्मेदारी भी है।
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