06 दिसंबर 2013
ग्वार गम निर्यात में फिर तेजी
विदेशी खाद्य और तेल खोज उद्योग से आई अच्छी मांग के चलते अक्टूबर में ग्वार गम का निर्यात अचानक बढ़ा है। इस साल अक्टूबर का निर्यात पिछले साल के इसी महीने से 85 फीसदी और सितंबर से 30 फीसदी ज्यादा रहा है। उद्योग के अधिकारियों का कहना है कि कीमतों के निचले स्तरों पर स्थिर होने की वजह से विदेशी कंपनियों से मांग और ऑर्डर आने शुरू हो गए हैं। पिछले दो वर्षों के दौरान कृषि जिसों के निर्यात में ग्वार गम शीर्ष स्थान पर रहा है। इस साल भी निर्यात में मात्रात्मक लिहाज से बढ़ोतरी हो रही थी, लेकिन सितंबर में इसमें गिरावट आई है।
वसुंधरा गम्स ऐंड केमिकल्स की मालकिन सुमन जैन ने कहा, 'तेल और खाद्य उद्योग में ग्वार गम की मांग अच्छी है। विशेष बात यह है कि दो वर्ष के अंतराल के बाद यूरोप और अमेरिका के खाद्य उद्योग में एक बार फिर मांग बढ़ी है। इस समय 50 फीसदी ग्वार गम का निर्यात तेल क्षेत्र को और 50 फीसदी निर्यात खाद्य उद्योग को होता है। अच्छी मांग की एक वजह कीमतों के निचले स्तर पर होना है। इस समय ग्वार गम की कीमत गिरकर 150 रुपये प्रति किलोग्राम पर आ गई है और आने वाले महीनों में भी कीमतों में गिरावट से इनकार नहीं किया जा सकता। इसके अलावा ग्वार गम के विकल्पों की कीमतें भी ऊंची है, जिससे ग्वार गम की मांग बढ़ी है।'
कुल मिलाकर कीमतों का रुझान कमजोर है, क्योंकि खरीफ सीजन में ग्वार का उत्पादन करीब 23 लाख टन और रबी समेत कुल 27.5 लाख टन होने का अनुमान है। यह 2012-13 में हुए उत्पादन 20 लाख टन से 32.5 फीसदी ज्यादा है। वर्ष 2012-12 में कुल उत्पादन 14.5 लाख टन था। इस तरह दो साल में ग्वार उत्पादन दोगुना हो गया है।
मार्च 2012 में कीमतें 300 रुपये प्रति किलोग्राम पर पहुंच गई थीं, जो अब महज 50 रुपये प्रति किलोग्राम हैं। एग्रीवॉच के उपाध्यक्ष (सलाह) संतोष झंवर ने कहा, 'ग्वार गम की कीमतें पिछले डेढ़ महीने से स्थिर बनी हुई हैं, जिससे मांग बढ़ी है।' एक बड़ी ग्वार गम निर्यातक कंपनी से जुड़े अधिकारी ने कहा, 'ऑर्डर इसलिए आने लगे हैं, क्योंकि सीएमसी और एक्संथान की कीमतें ग्वार गम से 30 फीसदी ज्यादा हैं।' उन्होंने कहा कि जब ग्वार गम की कीमतें ज्यादा ऊंची थीं तो बहुत से भारतीय किसानों ने बुआई बढ़ाई थी और चीनी और ऑस्ट्रेलियाई किसानों ने भी ग्वार गम की परीक्षण के तौर पर बुआई की।
हालांकि कीमतों मे तेजी से गिरावट के चलते अन्य देशों के किसानों की इसकी बुआई में रुचि खत्म हो रही है। ग्वार के रिकॉर्ड उत्पादन का अनुमान है, जिससे ग्वार गम का उत्पादन भी तेजी से बढ़ेगा। 2.8 टन ग्वार से 1 टन ग्वार गम उत्पादित होता है। इस समय रोजाना 6000 टन ग्वार बाजार में आ रहा है और वायदा बाजार में कीमतें हाजिर बाजार से कम हैं, जो आने वाले समय में कीमतों के कमजोर रहने का संकेत है। (BS Hindi)
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