13 दिसंबर 2013
रिफाइंड तेल का बढ़ा आयात, घरेलू रिफाइनिंग उद्योग चिंतित
वैश्विक बाजारों में कच्चे और रिफाइंड तेल के बीच घटते अंतर के कारण कुल वनस्पति तेल आयात में रिफाइंड तेल का हिस्सा बढ़कर नवंबर में पांच वर्ष के उच्चतम स्तर पर पहुंच गया है। सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन (एसईए) के आंकड़ों के मुताबिक रिफाइंड तेल (रिफाइंड, ब्लीच्ड ऐंड डायोडाइज्ड या आरबीडी ) का आयात इस साल नवंबर में 22 फीसदी बढ़ा है, जो पिछले साल नवंबर में 11 फीसदी बढ़ा था। इस तेल वर्ष (नवंबर-अक्टूबर) को छोड़कर वनस्पति तेल के कुल आयात में आरबीडी का हिस्सा 11 से 16 फीसदी रहता था। हालांकि पिछले साल कच्चे और रिफाइंड तेल की कीमतों में घटते अंतर से आरबीडी का हिस्सा बढ़कर 21 फीसदी पहुंच गया था।
रुचि सोया इंडस्ट्रीज की हैदराबाद स्थित सब्सिडियरी जेमिनी एडिबल्स ऐंड फैट्स इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के प्रबंध निदेशक प्रदीप चौधरी ने कहा, 'क्रूड पाम तेल (सीपीओ) और आरबीडी के बीच अंतर फिलहाल 10 डॉलर प्रति टन है। आयातित सीपीओ पर प्रीमियम, भारत का आयात शुल्क और इंडोनेशिया के निर्यात शुल्क को देखते हुए आरबीडी का आयात सीपीओ से 30 डॉलर प्रति टन सस्ता पड़ता है। आयातित सीपीओ की स्थानीय इकाइयों में रिफाइनिंग और पैकेजिंग की जरूरत होती है, जिससे वनस्पति तेल आयातित सीपीओ से महंगा हो जाता है। लिहाजा, भारतीय प्रसंस्करण उद्योग के लिए सीपीओ के आयात के बजाय आरबीडी का आयात करना कारोबारी लिहाज से ज्यादा तर्कसंगत है।'
नवंबर में आरबीडी की औसत कीमत 880 डॉलर रही, वहीं सीपीओ की 881 डॉलर रही, जिससे अंतर घटकर 1 डॉलर प्रति टन नकारात्मक हो गया है। हालांकि मौकापरस्त खरीदार सौदों के लिए सौदेबाजी करते हैं, जिससे यह अंतर 10 डॉलर प्रति टन हो जाता है। पिछले वर्ष के समान महीने में यह अंतर 69 डॉलर प्रति टन था। उस समय आरबीडी और सीपीओ की कीमतें क्रमश: 840 डॉलर और 771 डॉलर प्रति टन थीं। सबसे बड़ी रिफाइनर और फॉच्र्यून ब्रांड की उत्पादक अदाणी विल्मर लिमिटेड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी अतुल चतुर्वेदी ने कहा, 'आरबीडी का बढ़ता आयात घरेलू प्रसंस्करण उद्योग के लिए घातक साबित हो रहा है।' (BS Hindi)
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