24 दिसंबर 2013
प्याज 10 से कम, किसानों को गम
उपभोक्ताओं के बाद अब गिरती कीमतों के कारण किसानों की बदहाली की बारी है। महाराष्ट्र में एशिया की दो सबसे बड़ी मंडियों- लासलगांव और पिंपलगांव में किसानों के आग्रह पर नए सीजन की फसल की नीलामी रोकनी पड़ी, क्योंकि वे नहीं चाहते थे कि कीमतें और गिरें। लेकिन दो दिन बाद जब सोमवार को प्याज की नीलामी फिर से शुरू हुई तो स्थितियों में ज्यादा बदलाव नहीं आया। प्याज की कीमतों में गिरावट जारी रही और यह जिंस दोनों बेंचमार्क मंडियों में 3 रुपये प्रति किलोग्राम गिरकर 9.50 रुपये प्रति किलोग्राम पर आ गई। इस महीने के दौरान देशभर में प्याज की कीमतें आधी हो चुकी हैं।
महज छह सप्ताह पहले उपभोक्ताओं को एक किलोग्राम प्याज के लिए 100 रुपये चुकाने पड़ रहे थे। उस समय बाजार में प्याज की किल्लत थी। लंबे समय तक बारिश के जारी रहने से प्याज की कटाई देरी से हुई और इसकी वजह से ही आपूर्ति कम थी। लेकिन ऊंची कीमत का फायदा उठाने के लिए परिपक्व होने से पहले ही कटाई करने वाले किसानों को अब कीमतों में गिरावट की मार झेलनी पड़ रही है।
पिंपलगांव की कृषि उपज विपणन समिति (एपीएमसी) के निदेशक अतुल शाह ने कहा, 'महाराष्ट्र की एक प्रमुख मंडी पिंपलगांव में कारोबारियों ने गिरती कीमतों की वजह से प्याज की नीलामी रोक दी थी। इसकी कीमत पिंपलगांव में 8.70 रुपये प्रति किलोग्राम पर आ गई थी। कीमतों में और गिरावट के आसार होने की वजह से किसानों के आग्रह पर मंडी ने नीलामी रोकी थी। लेकिन किसानों के पास कम कीमत पर बेचने के अलावा कोई चारा नहीं है, क्योंकि प्याज की कीमतें देशभर की मंडियों में गिर रही हैं।'
न्यूनतम निर्यात मूल्य (एमईपी) में कमी के बाद शुरुआत में कीमतों में थोड़ी तेजी आई थी, लेकिन सोमवार को नए सीजन की फसल की आवक बढऩे से कीमतों में भारी गिरावट रही। बेंचमार्क लासलगांव मंडी में कीमतें 3 रुपये गिरकर 9.50 रुपये प्रति किलोग्राम पर आ गईं, जो सोमवार को 12 रुपये प्रति किलोग्राम थीं। केंद्रीय वाणिज्य मंत्रालय के न्यूनतम निर्यात मूल्य (एमईपी) में 56 फीसदी कमी कर इसे 800 डॉलर प्रति टन से 350 डॉलर प्रति टन करने के बाद प्याज के दाम 50 पैसे प्रति किलोग्राम बढ़कर 12 रुपये प्रति किलोग्राम पर पहुंच गए थे। कारोबारियों का मानना है कि एमईपी को घटाकर 350 डॉलर प्रति टन करना कारगर नहीं साबित होगा, क्योंकि इस जिंस की कीमत भारत द्वारा निर्धारित कीमत से भी कम चल रही है।
भारत से बागवानी उत्पादों के निर्यात का प्रतिनिधित्व करने वाली मुंबई की कारोबारी संस्था होर्टिकल्चर एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन (एचईए) के अध्यक्ष अजित शाह ने कहा, 'ज्यादातर आयातक बाजारों में प्याज की कीमत 250 डॉलर प्रति टन है। इस कीमत पर भी पाकिस्तान जैसे प्रतिस्पर्धी देशों को भारत से ज्यादा फायदा होगा, क्योंकि उनकी स्थानीय मुद्रा में डॉलर की कीमत ज्यादा है। इसलिए हम अप्रतिस्पर्धी होंगे।Ó डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपया 62 पर है, जबकि पाकिस्तान रुपया 104 पर है। इसका मतलब है कि अगर पाकिस्तानी निर्यातकों को आयातक देशों से प्याज की कीमत भारत जितनी भी मिल जाती है तो यह उनके लिए ज्यादा होगी। (BS Hindi)
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