15 मई 2013
फूलों का निर्यात बढ़ेगा 20 फीसदी!
भारत का पुष्प निर्यात मार्च 2013 में समाप्त वित्त वर्ष में 17 से 20 फीसदी बढऩे की संभावना है, क्योंकि इस साल की शुरुआत में वैलेंटाइन डे पर कटाई-छंटाई किए हुए गुलाब के फूलों का निर्यात बढ़ा है। अप्रैल 2012 से फरवरी 2013 के बीच भारत ने 385 करोड़ रुपये कीमत के 23,000 टन फूलों का निर्यात किया। यह पिछले साल की समान अवधि से 16.6 फीसदी ज्यादा है।
कृषि एवं प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीडा) ने कहा, 'मार्च के निर्यात आंकड़े उपलब्ध नहीं हैं। पिछले वित्त वर्ष के शुरुआती 11 महीनों के रुझान को देखते हुए हमारा अनुमान है कि पूरे वित्त वर्ष के दौरान निर्यात 425 करोड़ रुपये के आसपास रहेगा।Ó
भारत ने वर्ष 2011-12 के दौरान 365 करोड़ रुपये के फूलों का निर्यात किया था, जो इससे पिछले साल से 23.3 फीसदी अधिक था। देश में कर्नाटक, तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश प्रमुख फूल उत्पादक राज्य हैं। उत्तराखंड और मिजोरम कटाई-छंटाई किए हुए फूलों के नए केंद्रों के रूप में उभर रहे हैं। तमिलनाडु के कुछ निर्यातक तूतिकोरिन से सूखे फूलों का निर्यात भी करते हैं, जिनका हर साल 60-80 करोड़ रुपये का निर्यात होता है।
इस साल की शुरुआत में वैलेंटाइन डे पर निर्यातकों को यूरोप, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड और खाड़ी देशों से ज्यादा ऑर्डर मिले। क्रिसमस और मदर्स डे जैसे अन्य अवसरों ने भी इन देशों में फूलों की मांग बढ़ाई। साउथ इंडिया फ्लोरीकल्चर एसोसिएशन (एसआईएफए) के महासचिव जयप्रकाश राव ने कहा, 'अकेले बेंगलूर के ही निर्यातकों ने इस साल वैलेंटाइन डे पर 6 करोड़ रुपये की 40 लाख पुष्प टहनियों का निर्यात किया, जो पिछले साल से 10 फीसदी ज्यादा है।Ó बेंगलूर की एक फूल निर्यातक इंडो ब्लूम्स लिमिटेड के प्रबंध निदेशक मेमन मापिल्लई ने कहा, 'फरवरी में मांग अन्य महीनों की तुलना में बेहतर थी। इस साल मार्च ज्यादा अच्छा नहीं रहा। उत्पादक बड़ी संख्या में आई पूछताछ को ऑर्डर में तब्दील नहीं कर पाए, क्योंकि ज्यादा फूल उगाने में बहुत सी समस्याएं थीं। पानी और बिजली की भारी कमी से हमारा उत्पादन प्रभावित हुआ है। पानी की कमी के कारण हमें गुलाब के पौधों को उखाडऩा पड़ा, जिससे हमारी आपूर्ति प्रभावित हुई।Ó
यूरोप, ऑस्ट्रेलिया, पश्चिम एशिया और जापान जैसे परंपरागत बाजारों में भारतीय फूलों की अच्छी मांग है। इसके अलावा इंडो ब्लूम्स लिमिटेड जैसे कुछ निर्यातक जापानी बाजार में बिक्री कर रहे हैं। श्रमिकों की कमी और ऊंची परिवहन लागत ने उत्पादकों की मुसीबत और बढ़ाई है। उन्होंने कहा, 'अगर सरकार ने हवाई मालभाड़े में समय से सब्सिडी को मंजूरी दी होती तो भारत का निर्यात पिछले वित्त वर्ष से काफी ज्यादा हो सकता था। सब्सिडी न होने से कुछ निर्यातकों ने
ऑर्डर नहीं लिए। (BS HIndi)
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