25 मई 2013
जून से राशन की चीनी बंद
चीनी से अपना अंकुश कुछ हद तक हटाने का केंद्र सरकार का फैसला आगे चलकर अच्छा साबित होगा, लेकिन फिलहाल वह सरकार के लिए मुसीबत ही पैदा कर रहा है। एक जून आते ही 15 राज्यों की राशन की दुकानों में शायद चीनी का एक दाना भी नहीं बचेगा क्योंकि सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) के लिए चीनी के कोटे की व्यवस्था खत्म हो चुकी है और इन राज्यों ने खुले बाजार से चीनी खरीद के लिए निविदाएं नहीं मंगाई हैं। इन राज्यों में उत्तर प्रदेश भी शामिल है, जहां पीडीएस के जरिये सबसे ज्यादा चीनी बांटी जाती है।
अधिकारियों का कहना है कि अभी तक केवल आंध्र प्रदेश, केरल, तमिलनाडु, गोवा, मध्य प्रदेश, पश्चिम बंगाल और दिल्ली ने या तो निविदाएं मंगाना शुरू कर दिया है या शुरू करने वाले हैं। तीन अन्य राज्यों ने यह प्रक्रिया शुरू करने की इच्छा जताई है। लेकिन 15 राज्य अब भी बच गए हैं, जिन्हें निविदाएं मंगाने तक राशन की दुकानों पर चीनी का टोटा झेलना पड़ेगा। बिहार, झारखंड और उत्तराखंड के बारे में कोई जानकारी नहीं है।
दरअसल केंद्र सरकार लेवी चीनी की व्यवस्था खत्म करने के अपने प्रस्ताव के तहत 1 जून से राज्यों को पीडीएस चीनी देना बंद कर देगी। लेवी व्यवस्था के तहत निजी चीनी मिलों को अपने उत्पादन का एक निश्चित हिस्सा कम कीमत पर राशन की दुकानों में भेजना पड़ता था। अब राज्य बाजार से चीनी खरीदेंगे और उसे 13.50 रुपये प्रति किलोग्राम पर बेचेंगे। इस नुकसान की भरपाई केंद्र सरकार 18.50 रुपये प्रति किलोग्राम सब्सिडी देकर करेगी।
अधिकारियों ने बताया कि उत्तर प्रदेश ने नई व्यवस्था लागू करने के लिए छह महीने का और समय मांगा है। ओडिशा सरकार भी दो-तीन महीने ज्यादा लगने की बात कह रही है, जबकि महाराष्ट्र के मुताबिक नई व्यवस्था लागू करने के लिए बहुत कम समय दिया गया है। केंद्र शासित प्रदेशों लक्षद्वीप और अंडमान निकोबार द्वीप समूह के साथ पूर्वोत्तर के 7 राज्य केंद्र से मिलने वाली चीनी पर ही निर्भर हैं। खाद्य मंत्री के वी थॉमस ने हाल ही में सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों से अपील की थी कि वे खुले बाजार से चीनी खरीदने के वास्ते निविदाएं जल्द से जल्द मंगाएं। लेवी चीनी की व्यवस्था खत्म करने से पहले केंद्र सरकार 13.50 रुपये प्रति किलो पर सालाना 27 लाख टन चीनी राशन की दुकानों से बेचती थी। (BS Hindi)
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