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08 सितंबर 2022

अप्रैल से जून के दौरान बासमती चावल का निर्यात तीन फीसदी से ज्यादा बढ़ा

नई दिल्ली। चालू वित्त वर्ष 2022-23 की पहली तिमाही अप्रैल से जून के दौरान जहां बासमती चावल के निर्यात में 3.40 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई, वहीं गैर-बासमती चावल का निर्यात इस दौरान 5.63 फीसदी बढ़ गया।

वाणिज्य एवं उद्वयोग मंत्रालय के अनुसार चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में बासमती चावल का निर्यात बढ़कर 11.25 लाख टन का हुआ है, जबकि पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में इसका निर्यात केवल 10.88 लाख टन का ही हुआ था। मंत्रालय के अनुसार मूल्य के हिसाब से चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में बासमती चावल का निर्यात 8,943.47 करोड़ रुपये का हुआ है, जबकि पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में इसका निर्यात केवल 6,798 करोड़ करोड़ रुपये का ही हुआ था।

मंत्रालय के अनुसार गैर बासमती चावल का निर्यात चालू वित्त वर्ष 2022-23 के अप्रैल से जून के दौरान 43.48 लाख टन का हुआ है, जबकि पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में इनका निर्यात केवल 41.16 लाख टन का ही हुआ था। मूल्य के हिसाब से गैर-बासमती चावल का निर्यात चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में बढ़कर 12,094 करोड़ रुपये का हुआ है, जबकि पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में इनका निर्यात 11,009 करोड़ रुपये का ही हुआ था।


पूसा 1,121 गोल्डन सेला बासमती चावल में तरावड़ी में व्यापार 9,000 रुपये प्रति क्विंटल की दर पर हुआ, जबकि गाजियाबाद में इसका भाव 9,000 से 9,025 रुपये एवं दिल्ली में 9,000 से 9,100 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर बना रहा। 

दिल्ली की नरेला मंडी में गुरूवार को 1,000 बोरी पूसा 1,509 किस्म के धान की आवक हुई तथा कंबाइन के धान का व्यापार 3,570 रुपये एवं हाथ की कटाई के धान का भाव 3,725 रुपये प्रति क्विंटल रहा। पंजाब की अमृतसर मंडी में 3,000 बोरी नए पूसा 1,509 किस्म के धान की आवक हुई तथा इसका भाव 3,325 से 3,699 रुपये प्रति क्विंटल क्वालिटी अनुसार रहा।

कृषि मंत्रालय के अनुसार खरीफ की प्रमुख फसल धान की रोपाई चालू खरीफ में घटकर 367.55 लाख हेक्टेयर में ही हो पाई है, जोकि पिछले खरीफ की समान अवधि के 390.99 लाख हेक्टेयर से कम है। जानकारों के अनुसार कई राज्यों में प्रतिकूल मौसम की मार भी फसल पर पड़ी है, जिसका असर चावल के कुल उत्पादन पर पड़ने का डर है। हालांकि चालू महीने के अंत पूसा 1,509 किस्म के धान की आवक बढ़ेगी, तथा बासमती चावल में बढ़े दाम पर निर्यात सौदे कम हो रहे हैं। इसलिए आगामी दिनों में धान के साथ ही चावल की कीमतों में गिरावट ही आने का अनुमान है।

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