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23 सितंबर 2022

असामान्य बारिश से खरीफ में खाद्यान्न उत्पादन 3.91 फीसदी घटकर 14.99 करोड़ टन होने का अनुमान

नई दिल्ली।  असामान्य बारिश से चालू खरीफ सीजन 2022-23 में देश में  खाद्यान्न का 14.99 करोड़ टन उत्पादन होने का अनुमान है, जोकि पिछले खरीफ सीजन 2021-22 के चौथे आरंभिक अनुमान 15.60 करोड़ टन से 3.91 फीसदी कम है।


कृषि मंत्रालय द्वारा जारी पहले अग्रिम अनुमान के अनुसार खरीफ सीजन में चावल का उत्पादन 10.49 करोड़ टन होने का अनुमान है, जोकि इसके पिछले सीजन के 10.52 करोड़ टन की तुलना में कम है।

मंत्रालय के अनुसार चालू सीजन में दलहनी फसलों का उत्पादन 83.7 लाख टन होने का अनुमान है, जबकि फसल सीजन 2021-22 के चौथे अनुमान के लगभग बराबर है। हालांकि खरीफ की प्रमुख फसल अरहर का उत्पादन चालू खरीफ सीजन में घटकर 38.9 लाख टन का ही होने का अनुमान है, जबकि इसके पिछले खरीफ सीजन में इसका उत्पादन 43.4 लाख टन का हुआ था। इसी तरह से उड़द का उत्पादन चालू खरीफ में घटकर 18.4 लाख टन होने का अनुमान है, जबकि पिछले खरीफ सीजन के 19.4 लाख टन की तुलना में कम है।

मंत्रालय द्वारा जारी पहले अग्रिम अनुमान के अनुसार मूंग का उत्पादन बढ़कर चालू खरीफ सीजन में 17.5 लाख टन का होने का अनुमान है, जोकि खरीफ सीजन 2021-22 के चौथे अग्रिम अनुमान 14.8 लाख टन से ज्यादा है।

कृषि मंत्रालय के अनुसार तिलहनी फसलों का उत्पादन चालू खरीफ में कम होकर 235.73 लाख टन ही होने का अनुमान है, जोकि इसके पिछले सीजन के 238.88 लाख टन से कम है। खरीफ तिलहन की प्रमुख फसल सोयाबीन का उत्पादन 128.92 लाख टन और मूंगफली का उत्पादन 83.69 लाख टन होने का अनुमान है। पिछले खरीफ सीजन 2021-22 के दौरान इनका उत्पादन क्रमशः 129.95 लाख टन और 83.75 लाख टन का हुआ था।

कैस्टर सीड का उत्पादन चालू खरीफ सीजन में 15.08 लाख टन होने का अनुमान है, जोकि इसके पिछले खरीफ सीजन के 16.11 लाख टन से कम है।

मोटे अनाजों में ज्वार का उत्पादन चालू खरीफ में 16.9 लाख टन, बाजरा का 97.5 लाख टन और मक्का का 231 लाख टन होने का अनुमान है। फसल सीजन 2021-22 के चौथे आरंभिक अनुमान में इनका उत्पादन क्रमशः 15.9 लाख टन का, 96.2 लाख टन और 226.3 लाख टन का हुआ था।

मंत्रालय के पहले आरंभिक अनुमान के अनुसार चालू खरीफ में कपास का उत्पादन बढ़कर 341.90 लाख गांठ, एक गांठ-170 किलोग्राम होने का अनुमान है, जबकि इसके पिछले खरीफ सीजन में 312.03 लाख गांठ का ही उत्पादन हुआ था।  

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