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18 अगस्त 2021

खाद्य तेलों के आयात पर निर्भरता कम करने के लिए केंद्र ने तेल-पाम मिशन को मंजूरी दी

नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने बुधवार को खाद्य तेलों पर राष्ट्रीय मिशन- तेल पाम (एनएमईओ-ओपी) को 11,040 करोड़ रुपये के वित्तीय परिव्यय के साथ मंजूरी दे दी। इस मिशन का उद्देश्य अगले पांच वर्षों में पाम तेल की घरेलू खेती को बढ़ावा देना और खाद्य तेल आयात पर देश की निर्भरता को कम करना है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 15 अगस्त को लाल किले से राष्ट्र के नाम संबोधन के दौरान इस नई केंद्रीय योजना की घोषणा की थी।

कैबिनेट की बैठक के बाद केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि राष्ट्रीय मिशन के तहत पाम तेल की खेती करने वालों के लिये जरूरी सामान के वास्ते सहायता को दुगुना कर 29 हजार रुपये प्रति हेक्टेयर किया गया है।

उन्होंने कहा कि तेल पाम की खेती के लिये पौधारोपण के लिये जरूरी सामान की कमी को दूर करने के लिये सरकार 15 हेक्टेयर के लिये 100 लाख रुपये तक सहायता उपलब्ध कराएगी। तोमर ने कहा कि उत्पादक कृषकों को मूल्य आश्वासन दिया जाएगा।

इस अवसर पर, केंद्रीय सूचना और प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा कि मंत्रिमंडल ने पूर्वोत्तर क्षेत्र और अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह को ध्यान में रखते हुए एनएमईओ-ओपी को मंजूरी दी है।

उन्होंने कहा कि खाद्य तेलों के आयात पर बढ़ती निर्भरता को देखते हुये खाद्य तेलों के घरेलू उत्पादन को बढ़ाने के लिए प्रयास करना महत्वपूर्ण है, जिसमें पाम तेल की खेती का रकबा और उत्पादकता बढ़ाना, महत्वपूर्ण भूमिका निभायेगा।

उन्होंने कहा कि नयी केंद्रीय योजना को 11,040 करोड़ रुपये के वित्तीय परिव्यय के साथ मंजूरी दी गई है।

इसके तहत उत्तर-पूर्वी राज्यों में 3.28 लाख हेक्टेयर और देश के दूसरे हिस्सों में 3.22 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में पाम की खेती जायेगी।

केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा कि देश में पाम ऑयल के आयात को कम करने के लिए सरकार पाम ऑयल से जुड़ी इंडस्ट्री लगाने पर 5 करोड़ रुपये की सरकारी सहायता भी देगी।

इसके अलावा सरकार 15 एकड़ तक की नर्सरी के लिए 5 करोड़ रुपये और पूर्वोत्तर क्षेत्र में एक करोड़ रुपये की सहायता राशि देने का ऐलान किया है।

अपने संबोधन के दौरान कृषि मंत्री ने बताया कि अभी देश के 3.5 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में पाम की खेती हो रही है जिसे आगे बढ़ाकर 10 लाख हेक्टेयर क्षेत्र तक ले जाने की योजना है। 2029-30 तक इसका कुल उत्पादन भी 28 लाख टन तक होने की उम्मीद है।

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