नई दिल्ली। इंडिया पल्सेस एंड ग्रेन्स एसोसिएशन, आईपीजीए ने 27 अगस्त को वेबिनार के माध्यम से खरीफ दलहन की स्थिति के साथ ही बर्मा में उड़द के उत्पादन, निर्यात और बकाया स्टॉक के साथ ही अरहर का घरेलू उत्पादन, आयात और बकाया स्टॉक की जानकारी दी।
उड़द
आईपीजीए के अनुसार बर्मा में नई फसल की आवक के समय उड़द का पुराना स्टॉक 75 हजार टन का था, जबकि उत्पादन 4.25 लाख टन का हुआ। अत: कुल उपलब्धता 5 लाख टन की थी।
बर्मा से 18 अगस्त तक 3.6 लाख टन उड़द का निर्यात किया गया तथा करीब 40 हजार टन के एडवांस सौदे भी हो चुके हैं।
अत: बर्मा के पास अब उड़द का बकाया स्टॉक 1.4 लाख टन का बचा हुआ है जबकि नई फसल की आवक फरवरी 2022 में बनेगी।
आईजीपीए के अनुसार भारत में उड़द का पुराना स्टॉक 4 लाख टन का बचा हुआ है, जबकि उत्पादन अनुमान 27.5 लाख टन का है। इसमें अगर 3.2 लाख टन के आयात को मिला दे तो, कुल उपलब्धता 30.5 लाख टन के आसपास रहने की सम्भावना।
आईजीपीए के अनुसार अगले सीजन में 3 लाख टन उड़द का बकाया स्टॉक बचने का अनुमान।
गत वर्ष उड़द की खपत 26.75 लाख टन की हुई थी।
प्रतिकूल मौसम से जहां राजस्थान, मध्य प्रदेश में उड़द की फसल को नुकसान हुआ है, वहीं गुजरात में उड़द फसल को बारिश की सख्त जरुरत है।
अरहर की स्थिति
आईजीपीए के अनुसार कर्नाटक में बारिश ठीक-ठाक, मानसून की अच्छी पोजीशन नहीं।
गत वर्ष फसल की कटाई के समय कर्नाटक, महाराष्ट्र में बारिश हुई थी जिससे उत्पादन में कमी आई थी।
सरकार ने उत्पादन अनुमान 42.8 लाख टन का जारी किया था जबकि व्यापारिक उत्पादन अनुमान केवल 37 लाख टन का माना जा रहा।
चालू खरीफ में 19 अगस्त तक 46.83 लाख हेक्टेयर में अरहर बिजाई हुई जोकि गत वर्ष के 45.8 लाख हेक्टेयर से ज्यादा है।
हालांकि अभी बुआई आगे चल रही है लेकिन व्यापारियों के अनुमान के अनुसार बुवाई क्षेत्रफल 5-7 फीसदी कम रह सकता है क्योंकि किसान सोया, कपास, गन्ना की के उचित दाम मिलनें के कारण अरहर की बजाए इन फसलों की बुआई को प्राथमिकता दे रहे हैं।
बारिश की कमी के कारण गुजरात में फसल की स्थिति ठीक नहीं, अन्य हिस्सों में बारिश ठीक-ठाक।
आने वाले समय में अरहर को 1-2 बारिश की जरुरत पड़ सकती है, उत्पादन 39-40 लाख टन होने की सम्भावना।
कंटेनर/वेसल की शोर्टेज और ऊंचे भावों से आयात पड़ते महंगे हैं।
बर्मा से करीब 77 हजार टन अरहर आयात की गई।
इस वर्ष 2 लाख टन अरहर का आयात होने की संभावना, पुराना स्टॉक 2.6-2.7 लाख टन (केंद्रीय पूल में) और 6.5 लाख टन (व्यापारियों के पास) माना जा रहा है।
किसानों के पास अरहर का करीब 10 फीसदी माल बचा हुआ है, जिसे वह नई फसल आने से पहले बाजारों में बेचेंगे।
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