नई दिल्ली। हरियाणा की मंडियों से न्यूनतम समर्थन मूल्य, एमएसपी पर धान की खरीद 25 सितंबर से और बाजरे की खरीद पहली अक्टूबर 2021 से शुरू होगी।
राज्य के उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि आगामी 25 सितंबर 2021 से शुरू होने जा रही खरीफ सीजन की फसलों की खरीद के लिए मंडियों में आने वाले किसी भी किसान को कोई समस्या नहीं आनी चाहिए। मंडियों में शैड, सडक़ें, पैकेजिंग बैग, तुलाई मशीनें आदि ठीक कर लें ताकि किसान परेशान न हों।
डिप्टी सीएम, जिनके पास खाद्य,आपूति एवं उपभोक्ता मामले विभाग का प्रभार भी है, ने आज खाद्य, आपूर्ति एवं उपभोक्ता मामले विभाग, कृषि एवं किसान कल्याण विभाग, हरियाणा कृषि विपणन बोर्ड, हैफेड, हरियाणा वेयरहाउसिंग कारपोरेशन समेत अन्य एजेंसियों के अधिकारियों से खरीफ फसलों की खरीद को लेकर तैयारियों का अपडेट लिया। बैठक में हैफेड के चेयरमैन कैलाश भगत समेत कई विभागों के वरिष्ठ अधिकारी मौजूद रहे।
डिप्टी सीएम ने बैठक के बाद बताया कि खरीफ फसलों की खरीद की तैयारियां प्रदेशभर में जोरों पर चल रही हैं। उन्होंने बताया कि राज्य सरकार इस बार धान फसल की खरीद 25 सितंबर से शुरू करेगी और यह खरीद कार्य 15 नवंबर तक चलेगा। वहीं बाजरा, मक्का, मूंग आदि फसलों की खरीद 1 अक्टूबर से 15 नवंबर तक होगी।
दुष्यंत चौटाला ने बताया कि इस वर्ष धान खरीद के लिए करीब 200 खरीद केंद्र बनाए गए हैं। इसी तरह बाजरा के लिए 86, मक्का के लिए 19 और मूंग के लिए 38 खरीद केंद्र होंगे। उन्होंने बताया कि सरकार ने इस खरीफ सीजन में धान के लिए 1940, बाजरा के लिए 2250, मक्का के लिए 1870 रुपये व मूंग के लिए 7275, मूंगफली के लिए 5550 रुपये प्रति क्विंटल न्यूनतम समर्थन मूल्य निर्धारित किया है।
उपमुख्यमंत्री ने किसानों से अपील करते हुए कहा कि किसान मंडी में अपनी फसल बेचने के लिए अपना पंजीकरण जरूर करवाएं, क्योंकि 31 अगस्त तक मेरी फसल मेरा ब्यौरा पोर्टल पर पंजीकरण करवाना अनिवार्य है।
दुष्यंत चौटाला ने बताया कि अब तक धान बेचने के लिए 2 लाख 90 हजार, बाजरा के लिए 2 लाख 45 हजार व मूंग के लिए 66 हजार से अधिक किसानों ने अपना पंजीकरण करवा लिया है।
28 अगस्त 2021
हरियाणा: 25 सितंबर से धान की और पहली अक्टूबर से बाजरे की होगी खरीद शुरू - डिप्टी सीएम
म्यांमार में उड़द का बकाया स्टॉक 1.4 लाख टन, अरहर का उत्पादन अनुमान 39-40 लाख टन : आईजीपीए
नई दिल्ली। इंडिया पल्सेस एंड ग्रेन्स एसोसिएशन, आईपीजीए ने 27 अगस्त को वेबिनार के माध्यम से खरीफ दलहन की स्थिति के साथ ही बर्मा में उड़द के उत्पादन, निर्यात और बकाया स्टॉक के साथ ही अरहर का घरेलू उत्पादन, आयात और बकाया स्टॉक की जानकारी दी।
उड़द
आईपीजीए के अनुसार बर्मा में नई फसल की आवक के समय उड़द का पुराना स्टॉक 75 हजार टन का था, जबकि उत्पादन 4.25 लाख टन का हुआ। अत: कुल उपलब्धता 5 लाख टन की थी।
बर्मा से 18 अगस्त तक 3.6 लाख टन उड़द का निर्यात किया गया तथा करीब 40 हजार टन के एडवांस सौदे भी हो चुके हैं।
अत: बर्मा के पास अब उड़द का बकाया स्टॉक 1.4 लाख टन का बचा हुआ है जबकि नई फसल की आवक फरवरी 2022 में बनेगी।
आईजीपीए के अनुसार भारत में उड़द का पुराना स्टॉक 4 लाख टन का बचा हुआ है, जबकि उत्पादन अनुमान 27.5 लाख टन का है। इसमें अगर 3.2 लाख टन के आयात को मिला दे तो, कुल उपलब्धता 30.5 लाख टन के आसपास रहने की सम्भावना।
आईजीपीए के अनुसार अगले सीजन में 3 लाख टन उड़द का बकाया स्टॉक बचने का अनुमान।
गत वर्ष उड़द की खपत 26.75 लाख टन की हुई थी।
प्रतिकूल मौसम से जहां राजस्थान, मध्य प्रदेश में उड़द की फसल को नुकसान हुआ है, वहीं गुजरात में उड़द फसल को बारिश की सख्त जरुरत है।
अरहर की स्थिति
आईजीपीए के अनुसार कर्नाटक में बारिश ठीक-ठाक, मानसून की अच्छी पोजीशन नहीं।
गत वर्ष फसल की कटाई के समय कर्नाटक, महाराष्ट्र में बारिश हुई थी जिससे उत्पादन में कमी आई थी।
सरकार ने उत्पादन अनुमान 42.8 लाख टन का जारी किया था जबकि व्यापारिक उत्पादन अनुमान केवल 37 लाख टन का माना जा रहा।
चालू खरीफ में 19 अगस्त तक 46.83 लाख हेक्टेयर में अरहर बिजाई हुई जोकि गत वर्ष के 45.8 लाख हेक्टेयर से ज्यादा है।
हालांकि अभी बुआई आगे चल रही है लेकिन व्यापारियों के अनुमान के अनुसार बुवाई क्षेत्रफल 5-7 फीसदी कम रह सकता है क्योंकि किसान सोया, कपास, गन्ना की के उचित दाम मिलनें के कारण अरहर की बजाए इन फसलों की बुआई को प्राथमिकता दे रहे हैं।
बारिश की कमी के कारण गुजरात में फसल की स्थिति ठीक नहीं, अन्य हिस्सों में बारिश ठीक-ठाक।
आने वाले समय में अरहर को 1-2 बारिश की जरुरत पड़ सकती है, उत्पादन 39-40 लाख टन होने की सम्भावना।
कंटेनर/वेसल की शोर्टेज और ऊंचे भावों से आयात पड़ते महंगे हैं।
बर्मा से करीब 77 हजार टन अरहर आयात की गई।
इस वर्ष 2 लाख टन अरहर का आयात होने की संभावना, पुराना स्टॉक 2.6-2.7 लाख टन (केंद्रीय पूल में) और 6.5 लाख टन (व्यापारियों के पास) माना जा रहा है।
किसानों के पास अरहर का करीब 10 फीसदी माल बचा हुआ है, जिसे वह नई फसल आने से पहले बाजारों में बेचेंगे।
27 अगस्त 2021
मिलों की कमजोर मांग से दिल्ली में उड़द नरम, अरहर में सुधार, मसूर स्थिर
नई दिल्ली। दाल मिलों की हाजिर मांग कमजोर होने के कारण शुक्रवार को दिल्ली के नया बाजार में उड़द की कीमतों में गिरावट दर्ज की गई जबकि अरहर में बिकवाली कम आने से सुधार देखा गया। मसूर में मिलों की सीमित मांग से भाव स्थिर बने रहे।
दिल्ली में बर्मा की लेमन अरहर पुरानी और नई के भाव में 25-50 रुपये की तेजी आकर भाव क्रमश: 6,800-6,825 रुपये और 6,925 रुपये प्रति क्विंटल हो गए। अरहर में स्टॉकिस्ट भाव घटाकर बिकवाली नहीं कररहे हैं, जिससे भाव में सुधार आया।
चेन्नई में दाम घटने के साथ ही नियमित विदेशी आपूर्ति और समर उड़द की घरेलू आवक बनने के साथ ही दाल मिलों की मांग कमजोर होने से दिल्ली में बर्मा उड़द एसक्यू पुरानी और नई के दाम 125-125 रुपये घटकर भाव 8,050 रुपये और 8,075 रुपये प्रति क्विंटल रह गए। दूसरी और उड़द एफएक्यू नई के भाव भी 50 रुपये घटकर 7,050 रुपये प्रति क्विंटल रह गए।
इसके अलावा, महाराष्ट्र और कर्नाटक के कुछ मंडियों में खरीफ सीजन की नई उड़द की आवकों में बढ़ोतरी हुई है। हालांकि नई फसल की कटाई के समय हुई बारिश से नई फसल में नमी की मात्रा ज्यादा आ रही है।
दाल मिलों की हाजिर मांग सीमित होने से से कनाडा और मध्य प्रदेश की मसूर भाव क्रमश: 7,700 रुपये और 7,900 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर बने रहे।
कनाडा और संयुक्त राज्य अमेरिका में मसूर का उत्पादन कम होने का अनुमान है, जिस कारण विश्व बाजार में भाव तेज हैं। इसलिए घरेलू बाजार में कीमतें तेज ही रहने का अनुमान है।
मानसूनी बारिश की कमी से खरीफ फसलों की बुआई पिछे
नई दिल्ली। देशभर में पहली जून से 27 अगस्त 2021 तक बारिश सामान्य की तुलना में 10 फीसदी कम होने के कारण खरीफ फसलों की बुआई 1.75 फीसदी पिछड़ी है। कृषि मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार 27 अगस्त 2021 तक खरीफ फसलों की बुआई 1.75 फीसदी पिछड़कर केवल 1064.04 लाख हेक्टेयर में ही हो पाई है जबकि पिछले खरीफ सीजन की समान अवधि में इनकी बुआई 1083.09 लाख हेक्टेयर में हो चुकी थी।
कृषि मंत्रालय के अनुसार चालू खरीफ में दलहन, गन्ना, मक्का और सोयाबीन की बुआई तो बढ़ी है, लेकिन खरीफ की प्रमुख फसल धान के साथ ही तिलहन एवं मोटे अनाज तथा कपास की बुआई पिछड़ी है।
कपास की बुआई चालू खरीफ में घटकर 117.42 लाख हेक्टेयर में ही हो पाई है, जबकि पिछले खरीफ सीजन की समान अवधि में इसकी बुआई 128.41 लाख हेक्टयेर में हो चुकी थी।
धान की रोपाई चालू खरीफ में घटकर 388.56 लाख हेक्टेयर में ही हुई है जोकि पिछले खरीफ सीजन की समान अवधि के 393.41 लाख हेक्टेयर से कम है।
दलहनी फसलों की बुआई चालू खरीफ में बढ़कर 135.83 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जबकि पिछले खरीफ सीजन की समान अवधि में इनकी बुआई केवल 134.23 लाख हेक्टेयर ही हुई थी। खरीफ दलहन की प्रमुख फसल अरहर की बुआई चालू खरीफ में बढ़कर 48.94 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जबकि पिछले खरीफ में इसकी बुआई 46.98 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी। अन्य दालों में उड़द की बुआई 37.59 और मूंग की 34.16 लाख हेक्टेयर में हुई है जबकि पिछले खरीफ सीजन की समान अवधि में इनकी बुआई क्रमश: 37.61 और 34.86 लाख हेक्टेयर में हो चुकी थी। अन्य दालों की बुआई भी बढ़कर चालू खरीफ में 14.79 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जबकि पिछले खरीफ सीजन की समान अवधि में इनकी बुआई 14.38 लाख हेक्टेयर में ही हो पाई थी।
मोटे अनाजों की बुआई चालू खरीफ में घटकर 170.98 लाख हेक्टेयर में ही हो पाई है, जबकि पिछले खरीफ सीजन की समान अवधि में इनकी बुआई 173.61 लाख हेक्टेयर में हो चुकी थी। मोटे अनाजों में बाजरा की बुआई चालू खरीफ में 63.12 लाख हेक्टेयर में, ज्वार की 14.33 लाख हेक्टेयर में ही हुई है जबकि पिछले खरीफ की समान अवधि में इनकी बुआई क्रमश: 67.15 और 14.57 लाख हेक्टेयर में हो चुकी थी। मक्का की बुआई चालू खरीफ में 80.36 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जोकि पिछले खरीफ सीजन की समान अवधि के 78.73 लाख हेक्टेयर से बढ़ी है।
तिलहनी फसलों की बुआई चालू खरीफ में 189.54 लाख हेक्टेयर में ही हो पाई है, जबकि पिछले खरीफ सीजन की समान अवधि के 192.51 लाख हेक्टेयर के मुकाबले कम है। तिलहनी फसलों में सोयाबीन की बुआई 121.51 लाख हेक्टेयर में और मूंगफली की 48.07 लाख हेक्टेयर में ही हुई है, जबकि पिछले खरीफ सीजन की समान अवधि में इनकी बुआई क्रमश: 120.56 और 50.44 लाख हेक्टेयर में हो चुकी थी। अन्य तिलहन में शीसम सीड की बुआई 12.71 लाख हेक्टेयर में और केस्टर की 5.14 लाख हेक्टेयर में ही हो पाई है, जबकि पिछले खरीफ सीजन की समान अवधि में इनकी बुआई क्रमश: 13.38 और 5.66 लाख हेक्टेयर में हो चुकी थी।
गन्ने की बुआई चालू खरीफ में बढ़कर 54.70 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले खरीफ में इसकी बुआई केवल 53.96 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी।
केंद्र ने कर्नाटक से एमएसपी पर उड़द और मूंग की खरीद को मंजूरी दी
नई दिल्ली केंद्र सरकार ने खरीफ विपणन सीजन 2021-22 के लिए कर्नाटक से न्यूनतम समर्थन मूल्य, एमएसपी पर उड़द और मूंग की खरीद को मंजूरी दी है। इसके तहत राज्य से एमएसपी पर 30 हजार टन मूंग और 10 हजार उड़द की खरीद की जायेगी।
कर्नाटक कृषि विभाग के अनुसार राज्य में मूंग के उत्पादन का लक्ष्य 1.2 लाख टन और उड़द का 0.43 लाख टन है।
केंद्र सरकार ने चालू खरीफ विपणन सीजन 2021-22 के लिए मूंग का एमएसपी 7,275 रुपये और उड़द का एमएसपी 6,300 रुपये प्रति क्विंटल तय किया हुआ है।
राज्य से मूंग और उड़द की खरीद नेफेड, राज्य सरकार की एजेंसियों के सहयोग से करेगी।
कनाडा में मसूर का उत्पादन घटने का अनुमान
नई दिल्ली। फसल सीजन 2021-22 में कनाडा में मसूर का उत्पादन अनुमान घटकर 18.85 लाख टन ही होने का अनुमान है, जोकि जुलाई के उत्पादन अनुमान 27.5 लाख टन से काफी कम है।
जानकारों के पास कनाडा में एक लाख टन मसूर का बकाया स्टॉक बचा हुआ है, जबकि 3.75 लाख टन के करीब कनाडा में आयात होगा। अत: कुल उपलब्धता करीब 23.6 लाख टन की बैठेगी, जबकि कनाडा से 20 लाख टन निर्यात होने का अनुमान है। ऐसे में कनाडा की घरेलू खपत जोकि सालाना 3.1 लाख टन की होती है, को मिला दे तो बकाया केवल 50 हजार टन का बेचगा।
कनाडा में मसूर के भाव 700 डॉलर प्रति टन हैं, जोकि जुलाई में 660 डॉलर प्रति टन थे।
कनाडा से मसूर का निर्यात भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश, श्रीलंका और टर्की के साथ ही खाड़ी देशों को होता है।
मुंबई में दाल मिलों की कमजोर मांग से मसूर, चना और काबुली चना नरम, अरहर और उड़द स्थिर
नई दिल्ली। दाल मिलों की हाजिर मांग कमजोर होने से शुक्रवार को मुंबई में शुरूआती कारोबार में आयातित मसूर के साथ ही चना और काबुली चना की कीमतों में गिरावट दर्ज की गई।
सरकारी हस्तक्षेप के साथ ही नीतियों में समय-समय पर बदलाव और आगे विदेशी आपूर्ति के डर के कारण दालों में व्यापार सीमित मात्रा में ही हो रहा है।
कनाडा की मसूर के भाव मुंद्रा, हजीरा, कांडला और मुंबई में साथ ही ऑस्ट्रेलिया की मसूर के भाव मुंबई 25-50 रुपये प्रति क्विंटल तक घटे गए। मसूर में बढ़े भाव में मिलों की मांग कमजोर देखी गई, वैसे भी पिछले दिनों केंद्र सरकार ने मसूर के आयात शुल्क में कटौती कर दी थी।
स्थानीय मिलों की हाजिर मांग कमजोर से मुंबई में रुस और सूडान के काबुली चना के भाव 50-50 रुपये घटकर क्रमश: 5,250 रुपये और 5,600-5,950 रुपये प्रति क्विंटल रह गए। हालांकि काबुली चना पर 40 फीसदी आयात शुल्क होने के कारण आयात पड़ते नहीं लग रहे हैं।
मुंबई में तंजानिया लाईन के चना के भाव 50 रुपये घटकर दाम 5,250 रुपये प्रति क्विंटल रह गए।
इस बीच, नेफेड विभिन्न केंद्रों पर चना की लगातार बिकवाली कर रहा है जबकि एफसीआई महाराष्ट्र में खरीदे हुए चने को बेचने में सक्रिय है।
आगे के व्यापार में, तंजानिया चना के भाव सितंबर-अक्टूबर शिपमेंट के लिए 5,600 रुपये प्रति क्विंटल हैं।
मुंबई में मिलों की सीमित मांग से उड़द एफएक्यू नई और पुरानी के भाव क्रमश: 6,850 रुपये और 6,750 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर बने रहे।
लेमन अरहर नई और पुरानी के भाव भी मुंबई में क्रमश: 6,600 रुपये और 6,500 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर बने रहे। अरुषा अरहर के साथ ही मोजाम्बिक की अरहर के भाव भी क्रमश: 6,500 से 6,525 रुपये और 6,450 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर बने रहे। सूडान की अरहर के दाम इस दौरान 6,800 रुपये प्रति क्विंटल पर टिके रहे।
26 अगस्त 2021
मुंबई में मसूर, चना और सूडान का काबुली चना तेज, उड़द नरम, अरहर स्थिर
नई दिल्ली। नीचे दाम दाल मिलों की हाजिर मांग बढ़ने से गुरूवार को मुंबई में शुरूआती कारोबार में आयातित मसूर, चना और सूडान के काबुली चना की कीमतों में तेजी दर्ज की गई जबकि उड़द की कीमतों में नरमी आई। अरहर के दाम मिलों की सीमित खरीद से स्थिर बने रहे।
महाराष्ट्र और कर्नाटक की मंडियों नई खरीफ सीजन की उड़द की आवक बनने से भाव में गिरावट दर्ज की गई। त्यौहारी सीजन के कारण दालों में खुदरा के साथ ही थोक में मांग अच्छी देखी गई। हालांकि, सरकारी हस्तक्षेप के साथ ही नीतियों में समय-समय पर बदलाव और आगे विदेशी आपूर्ति के डर के कारण दालों में व्यापार सीमित मात्रा में ही हो रहा है।
दाल मिलों की हाजिर मांग कमजोर होने से बर्मा उड़द एफएक्यू दोनों नई और पुरानी दोनों की कीमतों में 100-100 रुपये की गिरावट आकर भाव क्रमश: 6,850 रुपये और 6,750 रुपये प्रति क्विंटल रह गए।
महाराष्ट्र और कर्नाटक की कुछ मंडियों में नई खरीफ उड़द की आवकों में तेजी आई है। हालांकि नई उड़द में नमी की मात्रा ज्यादा है, साथ ही फसल की कटाई के समय हुई बारिश के कारण भी क्वालिटी प्रभावित हुई है।
ऑस्ट्रेलिया मसूर के साथ ही कनाडा लाईन की मसूर के भाव 50 से 100 रुपये तेज होकर मुंबई में क्रमश: 7,650 रुपये और 7,600 रुपये प्रति क्विंटल हो गए।
कनाडा और संयुक्त राज्य अमेरिका में मसूर का उत्पादन अनुमान कम है, जिस कारण विश्व बाजार में मसूर की कीमतों में आई तेजी के कारण घरेलू बाजार में भी दाम बढ़े हैं।
स्थानीय मिलों की हाजिर मांग बढ़ने से मुंबई में सूडान के काबुली चना के भाव 50 रुपये बढ़कर 5,650-6,000 रुपये प्रति क्विंटल हो गए। उधर रुस के काबुली चना के दाम 5,300 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर बने रहे। काबुली चना पर 40 फीसदी आयात शुल्क होने के कारण आयात पड़ते नहीं लग रहे हैं।
नेफेड के साथ ही एफसीआई की लगातार बिक्री करने के बावजूद भी मिलों की मांग बढ़ने से मुंबई में तंजानिया लाईन के चना के भाव 25 रुपये बढ़ाकर दाम 5,250-5,275 रुपये प्रति क्विंटल बोले गए।
आगे के व्यापार में, तंजानिया चना के भाव सितंबर शिपमेंट के लिए 5,625-5,650 रुपये और सितंबर-अक्टूबर शिपमेंट के लिए 5,700 रुपये प्रति क्विंटल हैं।
बर्मा की लेमन अरहर नई और पुरानी की कीमतें क्रमश: 6,600 रुपये और 6,500 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर बनी रही। अरुषा और मोजाम्बिक की अरहर की कीमतें भी क्रमश: 6,500 से 6,525 रुपये और 6,450 रुपये प्रति क्विंटल बोली गई। साथ ही सूडान की अरहर में भी 6,800 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर बने रहे।
दिल्ली में चना और मसूर के भाव बढ़े, उड़द में गिरावट, अरहर के भाव रुके
नई दिल्ली। दाल मिलों की हाजिर मांग बनी रहने से गुरूवार को दिल्ली के नया बाजार में चना और मसूर की कीमतों में तेजी दर्ज की गई जबकि उड़द में ग्राहकी कमजोर होने से मंदा आया। उधर मिलों की सीमित मांग से अरहर के दाम स्थिर बने रहे।
चेन्नई और मुंबई में दाम घटने के साथ ही नियमित विदेशी आपूर्ति और समर उड़द की घरेलू आवक बनी रहने के कारण मिलों की मांग कमजोर होने से दिल्ली में बर्मा उड़द एसक्यू पुरानी और नई के दाम 75-100 रुपये घटकर भाव 8,175 रुपये और 8,200 से 8,225 प्रति क्विंटल रह गए। दूसरी और उड़द एफएक्यू नई के भाव भी 100 रुपये घटकर 7,100 से 7,125 रुपये प्रति क्विंटल रह गए।
इसके अलावा, महाराष्ट्र और कर्नाटक के कुछ मंडियों में खरीफ सीजन की नई उड़द की आवकों में बढ़ोतरी हुई है। हालांकि नई फसल की कटाई के समय हुई बारिश से नई फसल में नमी की मात्रा ज्यादा आ रही है।
दाल मिलों की हाजिर मांग बढ़ने से कनाडा और मध्य प्रदेश की मसूर की कीमतों में 100-100 रुपये की तेजी आकर भाव क्रमश: 7,700 रुपये और 7,900 रुपये प्रति क्विंटल हो गए। कनाडा और संयुक्त राज्य अमेरिका में मसूर का उत्पादन कम होने का अनुमान है, जिस कारण विश्व बाजार में भाव तेज हैं। इसलिए घरेलू बाजार में कीमतें तेज ही रहने का अनुमान है।
दिल्ली में चना के भाव 25 रुपये बढ़कर राजस्थानी चना के 5,600 से 5,625 रुपये और मध्य प्रदेश के चना के भाव 5,500 रुपये प्रति क्विंटल हो गए।
दाल मिलों की सीमित मांग से दिल्ली में बर्मा की लेमन अरहर पुरानी और नई के भाव क्रमश: 6,750 रुपये और 6,950 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर बने रहे।
25 अगस्त 2021
मुंबई में दाल मिलों की मांग बढ़ने से अरहर, मसूर और रुस का काबुली चना तेज, उड़द स्थिर
नई
दिल्ली। नीचे दाम दाल मिलों की हाजिर मांग बढ़ने से बुधवार को मुंबई में
शुरूआती कारोबार में आयातित अरहर, मसूर रुस के काबुली चना की कीमतों में
तेजी दर्ज की गई।
त्यौहारी सीजन के कारण दालों में खुदरा के साथ ही
थोक में मांग अच्छी देखी गई। हालांकि, सरकारी हस्तक्षेप के साथ ही नीतियों
में समय-समय पर बदलाव और आगे विदेशी आपूर्ति के डर के कारण दालों में
व्यापार सीमित मात्रा में ही हो रहा है।
विदेश के आपूर्ति बनी रहने
के बावजूद भी नीचे दाम पर मिलों की हाजिर मांग बढ़ने से बर्मा की लेमन अरहर
नई और पुरानी की कीमतों में 50-50 रुपये की तेजी आकर भाव क्रमश: 6,650
रुपये और 6,550 रुपये प्रति क्विंटल हो गए। अरुषा और मोजाम्बिक की अरहर की
कीमतें 75-75 रुपये बढ़कर क्रमश: 6,575 रुपये और 6,500 रुपये प्रति क्विंटल
हो गई है। साथ ही सूडान की अरहर में भी 50 रुपये की तेजी आकर भाव 6,850
रुपये प्रति क्विंटल हो गए।
कनाडा लाईन की मसूर के भाव हजीरा,
मुंद्रा, कांडला और मुंबई बंदरगाह पर साथ ही ऑस्ट्रेलिया मसूर के दाम मुंबई
में 25 से 100 रुपये प्रति क्विंटल तेज हो गए।
कनाडा और संयुक्त
राज्य अमेरिका में मसूर का उत्पादन अनुमान कम है, जिस कारण विश्व बाजार में
मसूर की कीमतों में आई तेजी के कारण घरेलू बाजार में भी दाम बढ़े हैं।
स्थानीय
मिलों की हाजिर मांग बढ़ने से मुंबई में रूस के काबुली चना के भाव 50
रुपये बढ़कर 5,250 रुपये प्रति क्विंटल हो गए। उधर सूडान के काबुली चना के
दाम 5,550-5,900 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर बने रहे। काबुली चना पर 40
फीसदी आयात शुल्क होने के कारण आयात पड़ते नहीं लग रहे हैं।
दाल
मिलों की हाजिर मांग सीमित होने के कारण बर्मा उड़द एफएक्यू दोनों नई और
पुरानी दोनों की कीमतें क्रमश: 7,000 रुपये और 6,900 रुपये प्रति क्विंटल
पर स्थिर बनी रही।
इसके अलावा, महाराष्ट्र की कुछ मंडियों में नई
उड़द की आवक में तेजी आई है। हालांकि नई उड़द में नमी की मात्रा ज्यादा है,
साथ ही फसल की कटाई के समय हो रही बारिश के कारण भी क्वालिटी प्रभावित
होने का डर है।
केंद्र ने गन्ने का एफआरपी पांच रुपये बढ़ाकर 290 रुपये प्रति क्विंटल तय किया
केंद्र
सरकार ने पहली अक्टूबर, 2021 से शुरू होने वाले गन्ना पेराई सीजन के लिए
गन्ने का उचित और लाभकारी (एफआरपी) मूल्य पांच रुपये बढ़ाकर 290 रुपये
प्रति क्विंटल कर दिया है।
केंद्रीय मंत्रिमंडल की बुधवार को हुई
बैठक में 2021-22 के विपणन वर्ष (अक्टूबर-सितंबर) के लिए गन्ने का उचित और
लाभकारी मूल्य बढ़ाने का फैसला किया गया। खाद्य एवं उपभोक्ता मामलों के
मंत्री पीयूष गोयल ने मंत्रिमंडल की बैठक के बाद यह जानकारी दी।
चालू विपणन वर्ष 2020-21 के लिए उचित और लाभकारी मूल्य 285 रुपये प्रति क्विंटल है।
हर
साल गन्ना पेराई सत्र शुरू होने से पहले केंद्र सरकार एफआरपी की घोषणा
करती है। मिलों को यह न्यूनतम मूल्य गन्ना उत्पादकों को देना होता है।
हालांकि,
उत्तर प्रदेश, पंजाब और हरियाणा आदि कई राज्यों में राज्य सरकारें गन्ने
का (राज्य परामर्श मूल्य या एसएपी) तय करती हैं। एसएपी, एफआरपी से ज्यादा
होता है।
मिलों की मांग बढ़ने से उड़द, चना और मसूर दिल्ली में तेज, अरहर के दाम स्थिर
नई दिल्ली। नीचे दाम पर दाल मिलों की हाजिर मांग बढ़ने से बुधवार को दिल्ली के नया बाजार में उड़द और मसूर की कीमतों में तेजी दर्ज की गई, जबकि अरहर के दाम स्थिर बने रहे।
हालांकि दालों में खुदरा के साथ ही थोक में ग्राहकी कमजोर ही रही, लेकिन आगे त्यौहारी सीजन के कारण इनकी मांग में सुधार आने की उम्मीद है।
नियमित विदेशी आपूर्ति और समर उड़द की घरेलू आवक बनी रहने के बावजूद भी नीचे दाम पर मिलों की मांग बढ़ने से दिल्ली में बर्मा उड़द एसक्यू नई और पुरानी के दाम 50-50 रुपये बढ़कर भाव 8,300 रुपये और 8,250 प्रति क्विंटल हो गए। दूसरे और उड़द एफएक्यू नई के भाव भी 50 रुपये बढ़कर 7,200 रुपये प्रति क्विंटल हो गए।
दाल मिलों की हाजिर मांग बढ़ने से कनाडा और मध्य प्रदेश की मसूर की कीमतों में 200-200 रुपये की तेजी आकर भाव क्रमश: 7,600 रुपये और 7,800 रुपये प्रति क्विंटल हो गए। कनाडा और संयुक्त राज्य अमेरिका में मसूर का उत्पादन कम होने का अनुमान है, जिस कारण विश्व बाजार में भाव तेज हैं। इसलिए घरेलू बाजार में कीमतें तेज ही रहने का अनुमान है।
दिल्ली में बर्मा की लेमन अरहर पुरानी और नई के भाव क्रमश: 6,750 रुपये और 6,900 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर बने रहे।
चना की कीमतों में 50 रुपये की तेजी आकर लारेंस रोड़ पर राजस्थानी चना के दाम 5,575 से 5,600 रुपये और मध्य प्रदेश के चना के भाव 5,475 से 5,500 रुपये प्रति क्विंटल हो गए।
नेशनल कमोडिटी एंड डेरिवेटिव्स एक्सचेंज, एनसीडीईएक्स पर सितंबर डिलीवरी वायदा अनुबंध में चना की कीमतों में 76 रुपये की तेजी आई, जबकि अक्टूबर वायदा अनुबंध में इसकी कीमतों में 106 रुपये का सुधार आया।
24 अगस्त 2021
दाल मिलों की कमजोर मांग से दिल्ली में अरहर, उड़द और मसूर मंदी
नई दिल्ली। दाल मिलों की हाजिर मांग कमजोर होने से मंगलवार को दिल्ली के नया बाजार में अरहर, उड़द और मसूर की कीमतों में लगातार दूसरे दिन भी गिरावट दर्ज की गई।
सरकारी हस्तक्षेत्र और नीतियों में बदलाव की आशंका के साथ ही आगामी विदेश से आपूर्ति बढ़ने की संभावना से दालों में मांग कम हुई है।
दिल्ली में बर्मा की लेमन अरहर पुरानी और नई के भाव में 50-50 रुपये की गिरावट आकर भाव क्रमश: 6,750 रुपये और 6,875-6,900 रुपये प्रति क्विंटल रह गए।
नियमित विदेशी आपूर्ति और समर उड़द की घरेलू आवक बनी रहने से दिल्ली में बर्मा उड़द एसक्यू नई और पुरानी के दाम 50-50 रुपये घटकर भाव 8,250 रुपये और 8,200 प्रति क्विंटल रह गए। दूसरे और उड़द एफएक्यू नई के भाव भी 50 रुपये घटकर 7,150 रुपये प्रति क्विंटल रह गए।
इसके अलावा, महाराष्ट्र की कई मंडियों में नई उड़द की आवक में बढ़ोतरी दर्ज की गई, हालांकि नई उड़द में नमी मात्रा ज्यादा आ रही है। महाराष्ट्र में उड़द की कटाई चल रही है, अत: कटाई के समय बारिश से फसल की क्वालिटी प्रभावित होने का डर है।
दाल मिलों की हाजिर मांग कमजोर होने से कनाडा और मध्य प्रदेश की मसूर की कीमतों में 50-50 रुपये की गिरावट आकर भाव क्रमश: 7,400 रुपये और 7,600 रुपये प्रति क्विंटल रह गए।
नई मूंग महाराष्ट्र और कर्नाटक में नरम, राजस्थान में पुरानी के दाम तेज
नई दिल्ली। स्थानीय मिलों की हाजिर मांग कमजोर होने के कारण मंगलवार को महाराष्ट्र और कर्नाटक के प्रमुख बाजारों में नई मूंग की कीमतों में क्वालिटीनुसार 100 से 200 रुपये प्रति क्विंटल की गिरावट दर्ज की गई।
दूसरी ओर, स्थानीय मिलों की खरीद बढ़ने से तेलंगाना के नारायणपेठ बाजार में क्वालिटीनुसार मूंग की कीमतों में तेजी दर्ज की गई।
स्थानीय मिलों की हाजिर मांग कमजोर होने के कारण दिल्ली के नया बाजार में मध्य प्रदेश लाईन की मूंग के भाव क्वालिटीनुसार 100 रुपये नरम होकर 6,500 से 6,900 रुपये प्रति क्विंटल रह गए।
स्थानीय दाल मिलों की हाजिर मांग बनी रहने से केकड़ी, किशनगढ़ और नागौर बाजार में पुरानी मूंग की कीमतों में क्वालिटीनुसार 100 से 200 रुपये प्रति क्विंटल की तेजी दर्ज की गई। जबकि मेड़ता बाजार में इसके भाव में 100 रुपये की गिरावट आकर भाव 4,500-6,700 रुपये प्रति क्विंटल रह गए।
भारत मौसम विज्ञान विभाग, आईएमडी की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक, पश्चिमी राजस्थान के बड़े हिस्से में मूंग और मोठ की फसल बुरी तरह प्रभावित हुई हैं, क्योंकि इस क्षेत्र में सामान्य से 20 फीसदी कम बारिश हुई है। किसानों और कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि यदि अगले एक सप्ताह में राजस्थान में बारिश की गतिविधियों में सुधार नहीं हुआ, तो सूखे से मूंग और मोठ की फसल खराब हो जाएगी और राजस्थान के पश्चिमी हिस्सों की प्रमुख फसलों का उत्पादन घट जायेगा, जोकि पिछले वर्ष के उत्पादन की तुलना में 30 फीसदी रह जायेगा।
मुंबई में आयातित उड़द, मसूर, चना और काबुली चना के भाव नरम, अरहर स्थिर
नई दिल्ली। दाल मिलों की हाजिर मांग कमजोर बनी रहने से मंगलवार को मुंबई में शुरूआती कारोबार में आयातित उड़द, मसूर, चना और काबुली चना की कीमतों में गिरावट दर्ज की गई, जबकि अरहर के भाव स्थिर बने रहे।
सरकारी हस्तक्षेप के साथ ही नीतियों में समय-समय पर बदलाव और आगे विदेशी आपूर्ति के डर के कारण दालों में व्यापार सीमित मात्रा में ही हो रहा है।
बर्मा की लेमन अरहर नई के भाव 6,550 से 6,600 रुपये और पुराई के भाव 6,450 से 6,500 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर बने रहे। इसी तरह अरुषा अरहर के साथ मोजाम्बिक अरहर के भाव क्रमश: 6,500 और 6,425 रुपये प्रति क्विंटल बोले गए।
दाल मिलों की हाजिर मांग कमजोर होने से बर्मा उड़द एफएक्यू दोनों नई और पुरानी दोनों की कीमतों में 25-25 रुपये की गिरावट आकर भाव क्रमश: 6950 रुपये और 6,850 रुपये प्रति क्विंटल रह गए।
इसके अलावा, महाराष्ट्र की कुछ मंडियों में नई उड़द की आवक में तेजी आई है। हालांकि नई उड़द में नमी की मात्रा ज्यादा है, साथ ही फसल की कटाई के समय हो रही बारिश के कारण भी क्वालिटी प्रभावित होने का डर है।
कनाडा लाईन की मसूर के भाव मुंद्रा, हजीरा और कांडला बंइरगाह पर 50 रुपये प्रति क्विंटल की गिरावट दर्ज की गई। मालूम हो कि पिछले दिनों केंद्र सरकार ने मसूर के आयात शुल्क में कटौती की थी, जिस कारण बढ़े भाव में मांग कम हो गई।
स्थानीय मिलों की हाजिर मांग कमजोर होने के साथ ही सूडान में नए काबुली चना की आवक बनने से मुंबई में सूडान और रूस के काबुली चना के भाव 50-50 रुपये घटकर क्रमश: 5,550 से 5,900 रुपये और 5,200 रुपये प्रति क्विंटल रह गए। काबुली चना पर 40 फीसदी आयात शुल्क होने के कारण रूस से आयात पड़ते नहीं लग रहे हैं।
इसी तरह से मुंबई में तंजानिया लाईन के चना के भाव 50 रुपये घटकर 5,150 रुपये प्रति क्विंटल बोले गए।
आगे के व्यापार में, तंजानिया चना के भाव सितंबर शिपमेंट के लिए 5,500 रुपये और सितंबर-अक्टूबर शिपमेंट के लिए 5,525 रुपये प्रति क्विंटल हैं।
बाजार में अफवाह चल रही है कि सरकार काबुली चना के आयात शुल्क में कटौती कर सकती है और सफेद मटर के आयात पर प्रतिबंध भी हटा सकती है। उधर नेफेड के साथ ही एफसीआई विभिन्न राज्यों में लगातार चना की बिकवाली कर रही है।
हालांकि सेबी ने चना के नए वायदा अनुबंध शुरू करने पर प्रतिबंध लगाया हुआ है। सेबी के आदेश के अनुसार अगले आदेश तक चना को कोई नया अनुबंध शुरू नहीं किया जाएगा। मौजूदा अनुबंधों के संदर्भ में, सेबी ने कहा कि कोई भी नई पोजिशन लेने की अनुमति नहीं है, केवल पोजीशन के स्क्वेरिंग अप की अनुमति होगी।
नेशनल कमोडिटी एंड डेरिवेटिव्स एक्सचेंज, एनसीडीईएक्स पर सितंबर वायदा अनुबंध में चना की कीमतों में 9 रुपये की तेजी आई, जबकि अक्टूबर वायदा अनुबंध में इसके भाव में 16 रुपये का मंदा आया।
23 अगस्त 2021
मुंबई में आयातित उड़द, मसूर, चना और काबुली चना के दाम घटे, अरहर स्थिर
नई दिल्ली। बढ़े भाव में सरकार की नीतियों एवं हस्तक्षेप के साथ ही आगे आयातित दालों की आवक बढ़ने की संभावना से दाल मिलों की हाजिर मांग कमजोर हो गई जिस कारण सोमवार को मुंबई में शुरूआती कारोबार में आयातित उड़द, मसूर, चना और काबुली चना की कीमतों में गिरावट दर्ज की गई। अरहर की कीमतें इस दौरान स्थिर बनी रही।
दाल मिलों की हाजिर मांग कमजोर होने से बर्मा उड़द एफएक्यू दोनों नई और पुरानी दोनों की कीमतों में 50-50 रुपये की गिरावट आकर भाव क्रमश: 7000 रुपये और 6,900 रुपये प्रति क्विंटल रह गए।
इसके अलावा, महाराष्ट्र की कुछ मंडियों में नई उड़द की आवक में तेजी आई है। हालांकि नई उड़द में नमी की मात्रा ज्यादा है, साथ ही फसल की कटाई के समय हो रही बारिश के कारण भी क्वालिटी प्रभावित होने का डर है।
कनाडा लाईन की मसूर के भाव मुंद्रा, हजीरा और कांडला बंइरगाह पर 50—150 रुपये प्रति क्विंटल की गिरावट दर्ज की गई। मालूम हो कि पिछले दिनों केंद्र सरकार ने मसूर के आयात शुल्क में कटौती की थी, जिस कारण बढ़े भाव में मांग कम हो गई।
स्थानीय मिलों की हाजिर मांग कमजोर होने से सूडान और रूस के काबुली चना के भाव 200-250 रुपये घटकर क्रमश: 5,600 से 5,900 रुपये और 5,250 रुपये प्रति क्विंटल रह गए। काबुली चना पर 40 फीसदी आयात शुल्क होने के कारण रूस से आयात पड़ते नहीं लग रहे हैं।
इसी तरह से मुंबई में तंजानिया लाईन के चना के भाव 100 रुपये घटकर 5,150 से 5,200 रुपये प्रति क्विंटल बोले गए। बाजार में अफवाह चल रही है कि सरकार काबुली चना के आयात शुल्क में कटौती कर सकती है और सफेद मटर के आयात पर प्रतिबंध भी हटा सकती है। उधर नेफेड के साथ ही एफसीआई विभिन्न राज्यों में लगातार चना की बिकवाली कर रही है।
हालांकि सेबी ने चना के नए वायदा अनुबंध शुरू करने पर प्रतिबंध लगाया हुआ है। सेबी के आदेश के अनुसार अगले आदेश तक चना को कोई नया अनुबंध शुरू नहीं किया जाएगा। मौजूदा अनुबंधों के संदर्भ में, सेबी ने कहा कि कोई भी नई पोजिशन लेने की अनुमति नहीं है, केवल पोजीशन के स्क्वेरिंग अप की अनुमति होगी।
दाल मिलों की हाजिर कमजोर होने के कारण मुंबई में लेमन अरहर नई और पुरानी के भाव क्रमश: 6,650 रुपये और 6,550 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर बने रहे। इसी तरह से अरुषा अरहर के साथ ही मोजाम्बिक लाइन की गजरी अरहर के भाव भी क्रमश: 6,600 और 6,525 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर बने रहे। सूडान लाईन की अरहर के दाम भी 6,850 रुपये प्रति क्विंटल पर टिके रहे।
मिलों की कमजोर मांग से दिल्ली में अरहर, उड़द और मसूर मंदी
नई दिल्ली। दाल मिलों की हाजिर मांग कमजोर होने से सोमवार को दिल्ली के नया बाजार में अरहर, उड़द और मसूर की कीमतों में गिरावट दर्ज की गई।
सरकारी हस्तक्षेत्र और नीतियों में बदलाव की आशंका के साथ ही आगामी विदेश से आपूर्ति बढ़ने की संभावना से दालों में मांग कम हुई है।
दिल्ली में बर्मा की लेमन अरहर पुरानी और नई के भाव में 25 से 50 रुपये की गिरावट आकर भाव क्रमश: 6,800 से 6,825 रुपये और 6,900 रुपये प्रति क्विंटल रह गए।
नियमित विदेशी आपूर्ति और समर उड़द की घरेलू आवक बनी रहने के साथ ही चेन्नई और मुंबई के कमजोर संकेत से दिल्ली में बर्मा उड़द एसक्यू नई और पुरानी के दाम 25 से 50 रुपये घटकर भाव 8,300 रुपये और 8,250 प्रति क्विंटल रह गए। दूसरे और उड़द एफएक्यू नई के भाव 50 रुपये घटकर 7,200 रुपये प्रति क्विंटल रह गए।
इसके अलावा, महाराष्ट्र की कई मंडियों में नई उड़द की आवक में बढ़ोतरी दर्ज की गई, हालांकि नई उड़द में नमी मात्रा ज्यादा आ रही है। महाराष्ट्र में उड़द की कटाई चल रही है, अत: कटाई के समय बारिश से फसल की क्वालिटी प्रभावित होने का डर है।
दाल मिलों की हाजिर मांग कमजोर होने से कनाडा और मध्य प्रदेश की मसूर की कीमतों में 100 से 150 रुपये की गिरावट आकर भाव क्रमश: 7,450 रुपये और 7,650 रुपये प्रति क्विंटल रह गए।
20 अगस्त 2021
मिलों की मांग से दिल्ली में अरहर, एफएक्यू, मसूर, राजमा और काबुली चना तेज
नई दिल्ली। दाल मिलों की हाजिर मांग बढ़ने से शुक्रवार को दिल्ली के नया बाजार में पुरानी अरहर, उड़द एफएक्यू, मसूर, राजमा और काबुली चना की कीमतों में तेजी दर्ज की गई।
दालों में थोक के साथ ही खुदरा में मांग आगे त्यौहारी सीजन के कारण अच्छी देखी गई।
विदेश से आयात बना रहने के बावजूद भी मिलों की मांग बनी रहने से दिल्ली में बर्मा की लेमन अरहर पुरानी के भाव में 50 रुपये की तेजी आकर भाव 6,800 प्रति क्विंटल हो गए। जबकि नई अरहर के दाम 6,900 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर बने रहे।
नियमित विदेशी आपूर्ति और समर उड़द की घरेलू आवक बनी रहने के साथ ही चेन्नई और मुंबई के मजबूत संकेत से दिल्ली में बर्मा उड़द एफसक्यू नई के दाम 25 रुपये बढ़कर भाव 7,200 रुपये प्रति क्विंटल हो गए। दूसरे और उड़द एसक्यू पुरानी और नई के भाव क्रमश: 8,250 और 8,300 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर बने रहे।
मध्य प्रदेश और राजस्थान में पिछले दिनों हुई बारिश एवं बाढ़ के कारण खरीफ उड़द की खड़ी फसल को नुकसान की आशंका है, जिससे भाव में तेजी को बल मिला है। हालांकि अगले महीने खरीफ उड़द की फसल की कटाई आरंभ हो जायेगी।
दाल मिलों की हाजिर मांग बढ़ने से मध्य प्रदेश और कनाडा की मसूर की कीमतों में 200 से 250 रुपये की तेजी आकर भाव क्रमश: 7,700 रुपये और 7,450 रुपये प्रति क्विंटल हो गए। हालांकि आयातित मसूर की आवक भी हो रही है।
कनाडा और संयुक्त राज्य अमेरिका में मसूर के उत्पादन अनुमान में कमी आने की आशंका है, जिससे इसकी कीमतों में तेजी को बल मिला है।
महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश और इंदौर लाईन के काबुली चना में दाल मिलों की मांग मांग बढ़ने एवं हाजिर में बकाया स्टॉक कम होने से कीमतों में 250-400 रुपये प्रति क्विंटल की तेजी दर्ज की गई। काबुली चना पर 40 फीसदी का आयात शुल्क है, जिस कारण आयात पड़ते नहीं लग रहे हैं।
चीन और बर्मा लाईन के साथ ही मद्रास की चित्रा शर्मीली किस्मों में स्थानीय मिलों की मांग बढ़ने के साथ ही हाजिर में बकाया स्टॉक कम होने के कारण 200-1000 रुपये प्रति क्विंटल की तेजी दर्ज की गई।
नेशनल कमोडिटी एंड डेरिवेटिव्स एक्सचेंज, एनसीडीईएक्स पर सितंबर डिलीवरी वायदा अनुबंध में चना की कीमतों में 199 रुपये की तेजी आई, जबकि अक्टूबर वायदा अनुबंध में इसकी कीमतों में 200 रुपये की बढ़ोतरी हुई।
देसी अरहर तेज, मुंबई और दिल्ली में आयातित के दाम बढ़े
नई दिल्ली। दाल मिलों की हाजिर मांग बढ़ने के कारण शुक्रवार को कई मंडियों में देसी अरहर की कीमतों में क्वालिटीनुसार तेजी दर्ज की गई।
त्यौहारी सीजन शुरू होने के कारण अरहर दाल में खुदरा के साथ ही थोक मांग अच्छी देखी गई। होटल और रेस्टोरेंट को लॉक डाउन में छूट दिए जाने से दालों की मांग में सुधार आया है।
फिर भी, सरकारी नीतियों और हस्तक्षेप के डर के कारण बढ़े भाव में व्यापारी सर्तक होकर खरीद कर रहे हैं।
महाराष्ट्र के अरहर उत्पादक कुछ क्षेत्रों में पिछले कुछ दिनों से अच्छी बारिश हो रही है।
दाल मिलों की हाजिर बढ़ने के कारण मुंबई में लेमन अरहर नई और पुरानी के भाव में 50-50 रुपये की तेजी आकर भाव क्रमश: 6,600 रुपये और 6,500 रुपये प्रति क्विंटल हो गए। इसी तरह से अरुषा अरहर के साथ ही मोजाम्बिक लाइन की गजरी अरहर के भाव भी 50 और 50 रुपये बढ़कर भाव क्रमश: 6,550 और 6,475 रुपये प्रति क्विंटल हो गए। सूडान लाईन की अरहर के दाम भी 50 रुपये बढ़कर 6,850 रुपये प्रति क्विंटल हो गए।
दिल्ली में, बर्मा लाईन की लेमन अरहर पुरानी के भाव में 50 रुपये की तेजी आकर भाव 6,800 रुपये प्रति क्विंटल हो गए। इस दौरान नई लेमन अरहर के भाव 6,900 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर बने रहे।
बर्मा से आए वैसल ने अब तक 8,779 टन माल का डिस्चार्ज कर दिया, तथा अब अब उसमें 12,993 टन माल बचा हुआ है। यह वैसल 16153.721 टन अरहर और 2,875.067 टन उड़द तथा 1,656.427 टन सोयाबीन लेकर आया है।
तंजानिया लाईन की अरहर मतवारा किस्म को सितंबर शिपमेंट के लिए न्हावा-शेवा बंदरगा पर 780 डॉलर प्रति टन सीएंडएफ के भाव बोले जा रहे हैं।
बर्मा में अरहर लेमन और लिंकी की कीमतें स्थिर बनी रही तथा मौजूदा कीमतों पर भारतीय आयातक खरीद नहीं कर रहे हैं।
बर्मा में 22 अगस्त तक लॉकडाउन बढ़ाये जाने के कारण स्थानीय बाजार में व्यापारिक गतिविधियां नहीं के बराबर हुई, साथ ही बैंक में लेनदेन भी बंद हैं। हालांकि बंदरगाह पर लोडिंग आदि की गतिविधियां नियमित रुप से चल रही हैं।
19 अगस्त 2021
नीचे भाव में मिलों की मांग से मुंबई में आयातित अधिकांश दालें तेज
नई
दिल्ली। दाल मिलों की हाजिर मांग बढ़ने के कारण गुरूवार को मुंबई में
शुरूआती कारोबार में आयातित अरहर, उड़द, मसूर, चना और काबुली चना की कीमतों
में तेजी दर्ज की गई।
दालों में खुदरा के साथ ही थोक में ग्राहकी त्यौहारी सीजन के कारण बढ़ी है।
दाल
मिलों की हाजिर मांग बढ़ने से मुंबई में लेमन अरहर नई और पुरानी के भाव
में 50-50 रुपये की तेजी आकर भाव क्रमश: 6,550 रुपये और 6,450 रुपये प्रति
क्विंटल हो गए। इसी तरह से अरुषा अरहर के भाव भी 25 रुपये बढ़कर 6,500
प्रति क्विंटल हो गए। सूडान लाईन की अरहर के दाम भी 50 रुपये बढ़कर 6,800
रुपये प्रति क्विंटल हो गए। मोजाम्बिक लाइन की गजरी अरहर के दाम 6,425
रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर बने रहे।
दाल मिलों की हाजिर मांग
बढ़ने से बर्मा उड़द एफएक्यू दोनों नई और पुरानी दोनों की कीमतों में 25-25
रुपये की तेजी आकर भाव क्रमश: 6,900 रुपये और 6,800 रुपये प्रति क्विंटल
हो गए।
हालांकि आयातित उड़द लगातार आ रही है, साथ ही उत्पादक
मंडियों में समर की फसल की आवक बनी हुई है, जबकि महाराष्ट्र की कई मंडियों
में खरीफ की नई उड़द की आवक शुरू हो गई है।
विदेशों से चेन्नई पहुंची उड़द की बड़ी मात्रा मिल मालिकों को पहले ही बेची जा चुकी है।
मध्य
प्रदेश और राजस्थान में पिछले दिनों हुई बारिश एवं बाढ़ के कारण खरीफ उड़द
की खड़ी फसल को नुकसान हुआ है, जिससे कीमतों में सुधार आया है।
कनाडा
लाईन की मसूर के भाव मुंबई, मुंद्रा, कांडला और हजीरा बंदरगाह पर साथ ही
आस्ट्रेलियाई मसूर के दाम मुंबई में 75 से 150 रुपये प्रति क्विंटल तेज हो
गए।
कनाडा और संयुक्त राज्य अमेरिका में मसूर का उत्पादन कम होने
की आशंका से अंतरराष्ट्रीय बाजार में कीमतें तेज बनी हुई है, जिससे हाजिर
बाजार में भी दाम तेज हुए हैं।
स्थानीय मिलों की हाजिर मांग बढ़ने
से रूस और सूडान के काबुली चना के भाव 50-150 रुपये घटकर क्रमश: 5,150
रुपये और 5,450 से 5,650 रुपये प्रति क्विंटल हो गए। काबुली चना के आयात पर
40 फीसदी शुल्क होने के कारण आयात पड़ते नहीं लग रहे हैं।
इसी तरह से मुंबई में तंजानिया लाईन के चना के भाव 75 रुपये बढ़कर 5,000 रुपये प्रति क्विंटल हो गए।
दिल्ली में चना, अरहर, उड़द के साथ ही मसूर की कीमतों में तेजी
नई दिल्ली। दाल मिलों की हाजिर मांग बढ़ने से गुरूवार को दिल्ली के नया बाजार में बर्मा की अरहर और उड़द के साथ ही चना और मसूर की कीमतों में तेजी दर्ज की गई।
दालों में थोक के साथ ही खुदरा में मांग आगे त्यौहारी सीजन के कारण अच्छी देखी गई।
विदेश से आयात बना रहने के बावजूद भी मिलों की मांग बनी रहने से दिल्ली में बर्मा की लेमन अरहर नई के साथ ही पुरानी के भाव में 50—100 रुपये की तेजी आकर भाव क्रमश: 6,750-6,775 रुपये और 6,800 प्रति क्विंटल हो गए।
नियमित विदेशी आपूर्ति और समर उड़द की घरेलू आवक बनी रहने के साथ ही चेन्नई और मुंबई के मजबूत संकेत से दिल्ली में बर्मा उड़द एसक्यू पुरानी और नई दोनों की कीमतों में 75-75 रुपये की तेजी आकर भाव क्रमश: 8,250 और 8,300 रुपये प्रति क्विंटल हो गए। इसी तरह उड़द एफएक्यू नई के भाव भी 50 रुपये बढ़कर 7,100 से 7,125 रुपये प्रति क्विंटल हो गए।
इसके अलावा, महाराष्ट्र के कुछ मंडियों में नई उड़द की आवक देखी गई। अगले महीने के अंत तक नई खरीफ की फसल की कटाई की उम्मीद है।
मध्य प्रदेश और राजस्थान में हाल ही में हुई बारिश एवं बाढ़ के कारण खरीफ उड़द की खड़ी फसल को नुकसान की आशंका है, जिससे भाव में तेजी को बल मिला है। हालांकि अगले महीने खरीफ उड़द की फसल की कटाई आरंभ हो जायेगी।
दाल मिलों की हाजिर मांग बढ़ने से कनाडा और मध्य प्रदेश की मसूर की कीमतों में 150 से 250 रुपये की तेजी आकर भाव क्रमश: 7,200 रुपये और 7,500 रुपये प्रति क्विंटल हो गए। बढ़े भाव में दाल मिलों की मांग कमजोर हुई।
हालांकि, कनाडा और संयुक्त राज्य अमेरिका में मसूर के उत्पादन अनुमान में कमी आने की आशंका है, जिससे आगे इसकी कीमतों में सुधार आने का अनुमान है।
दिल्ली में चना के भाव 175 रुपये बढ़कर राजस्थानी चना के दाम 5,400 रुपये और मध्य प्रदेश के चना के भाव 5,300 रुपये प्रति क्विंटल हो गए।
जुलाई में डीओसी का निर्यात 27 फीसदी घटा
नई दिल्ली। जुलाई में डीओसी के निर्यात में 27 फीसदी की गिरावट आकर कुल निर्यात 191,188 टन का ही हुआ है जबकि पिछले जुलाई में इसका निर्यात 262,275 टन का हुआ था।
साल्वेंट एक्सट्रेक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया, एसईए के अनुसार चालू वित्त वर्ष 2021-22 के पहले चार महीनों अप्रैल से जुलाई के दौरान डीओसी का निर्यात 10 फीसदी बढ़कर 926,833 टन का हुआ है, जबकि पिछले वित्त वर्ष 2020-21 की समान अवधि में निर्यात 841,663 टन का हुआ था।
एसईए के अनुसार जून के मुकाबले जुलाई में सोया डीओसी के निर्यात में थोड़ा सुधार आया है लेकिन सरसों डीओसी के साथ ही राइसब्रान डीओसी के निर्यात में कमी आई है। जून में सोया डीओसी का निर्यात 25,918 टन का हुआ था, जोकि जुलाई में बढ़कर 26,725 टन का हुआ है। सरसों डीओसी का निर्यात जून में 110,115 टन का हुआ था, जबकि जुलाई में घटकर 94,765 टन का ही हुआ है।
जून के मुकाबले जुलाई में जहां सोयाबीन डीओसी की कीमतों में तेजी आई, वहीं सरसों डीओसी के भाव में हल्की नरमी आई। जून में भारतीय बंदरगाह पर सोया डीओसी का भाव 783 डॉलर प्रति टन था, जोकि जुलाई में बढ़कर 950 डॉलर प्रति टन हो गए। सरसों डीओसी के भाव जून में भारतीय बंदरगाह पर 320 डॉलर प्रति टन थे, जोकि जुलाई में घटकर 319 डॉलर प्रति टन रह गए।
18 अगस्त 2021
मुंबई में आयातित चना, काबूली चना और उड़द में मंदा, अरहर के दाम स्थिर
नई दिल्ली। दाल मिलों की हाजिर मांग कमजोर होने के कारण बुधवार को मुंबई में शुरूआती कारोबार में आयातित उड़द, चना और काबुली चना की कीमतों में गिरावट दर्ज की गई जबकि अरहर के दाम स्थिर बने रहे।
दाल मिलों की सीमित मांग से मुंबई में लेमन अरहर नई और पुरानी के भाव क्रमश: 6,450 रुपये और 6,350 रुपये प्रति क्विंटल प्रति क्विंटल पर स्थिर बने रहे। इसी तरह से अरुषा अरहर के साथ ही मोजाम्बिक लाइन की गजरी अरहर के भाव भी क्रमश: 6,350 और 6,325 रुपये प्रति क्विंटल पर टिके रहे। सूडान लाईन की अरहर के दाम 6,725 रुपये प्रति क्विंटल बोले गए गए।
दाल मिलों की हाजिर मांग कमजोर होने से बर्मा उड़द एफएक्यू दोनों नई और पुरानी दोनों की कीमतों में 50-50 रुपये की गिरावट आकर भाव क्रमश: 6,850 रुपये और 6,750 रुपये प्रति क्विंटल रह गए।
इसके अलावा, महाराष्ट्र की कई मंडियों में नई उड़द की आवक शुरू हो गई है तथा अगले महीने के अंत से नई खरीफ उड़द की कटाई शुरू होने की उम्मीद है।
हालांकि, हाल ही में हुई बारिश के कारण खरीफ उड़द की खड़ी फसल को मध्य प्रदेश और राजस्थान के क्षेत्रों में बाढ़ से नुकसान हुआ है, जिससे आगे नीचे भाव में मांग बढ़ने की संभावना है।
कनाडा लाईन की मसूर के भाव मुंबई में स्थिर बने रहे। हालांकि केंद्र सरकार ने मसूर के आयात शुल्क में कटौती की है, लेकिन मिलों की हाजिर मांग बढ़ने से भाव में सुधार आया।
कनाडा और संयुक्त राज्य अमेरिका में मसूर का उत्पादन कम होने की आशंका से अंतरराष्ट्रीय बाजार में कीमतें तेज बनी हुई है, जिससे हाजिर बाजार में भी दाम तेज हुए हैं।
स्थानीय मिलों की हाजिर मांग कमजोर होने से सूडान और रूस के काबुली चना के भाव 50-50 रुपये घटकर क्रमश: 5,250-5,450 रुपये और 5,000 रुपये प्रति क्विंटल हो गए।
इसी तरह से मुंबई में तंजानिया लाईन के चना के भाव 50 रुपये घटकर 4,800 से 4,850 रुपये प्रति क्विंटल रह गए।
हालांकि, चना एवं काबुली चना में नीचे दाम पर बिकवाली पहले की तुलना में कमी हुई है, क्योंकि येलो मटर के आयात पर सरकार ने रोक लगा रखी है, जबकि चना पर आयात शुल्क ज्यादा होने के कारण आयात पड़ते नहीं लग रहे है। इसके अलावा, सरकार के पास भी अब चना का बकाया स्टॉक कम है। वैसे भी, चना की कीमतें उत्पादक मंडियों में अभी भी एमएसपी 5,100 रुपये प्रति क्विंटल से नीचे बनी हुई हैं।
दिल्ली में मध्य प्रदेश की मसूर और बर्मा की उड़द मंदी, अरहर तेज
नई दिल्ली। दाल मिलों की हाजिर मांग कमजोर बनी रहने से बुधवार को दिल्ली के नया बाजार में मध्य प्रदेश की मसूर के साथ ही बर्मा की उड़द मेंं गिरावट दर्ज की गई जबकि अरहर की कीमतों में तेजी आई।
सरकारी नीतियों और हस्तक्षेप के डर से बढ़ी हुई कीमतों में सतर्क व्यापार देखा गया।
दिल्ली में दाल मिलों की हाजिर मांग बढ़ने से बर्मा की लेमन अरहर नई और पुरानी के भाव में 50-100 रुपये की तेजी आकर भाव क्रमश: 6,800 रुपये और 6,700 प्रति क्विंटल हो गए।
नियमित विदेशी आपूर्ति और समर उड़द की घरेलू आवक बनी रहने के साथ ही चेन्नई और मुंबई के कमजोर संकेत से दिल्ली में बर्मा उड़द एसक्यू पुरानी और नई दोनों की कीमतों में 25-25 रुपये की गिरावट आकर भाव क्रमश: 8,175 से 8,200 और 8,225 रुपये प्रति क्विंटल रह गए। इसी तरह उड़द एफएक्यू नई के भाव भी 25 रुपये घटकर 7,100 से 7,125 रुपये प्रति क्विंटल हो गए।
इसके अलावा, महाराष्ट्र के कुछ मंडियों में नई उड़द की आवक देखी गई। अगले महीने के अंत तक नई खरीफ की फसल की कटाई की उम्मीद है।
हालांकि, हाल ही में हुई बारिश के कारण खरीफ उड़द की खड़ी फसल को मध्य प्रदेश और राजस्थान में बाढ़ से नुकसान की आशंका है, जिससे नीचे भाव में मिलों की मांग बढ़ने की उम्मीद है।
दाल मिलों की हाजिर मांग कमजोर होने से मध्य प्रदेश की मसूर की कीमतों में 50 रुपये की गिरावट आकर भाव 7,250 रुपये प्रति क्विंटल रह गए। बढ़े भाव में दाल मिलों की मांग कमजोर हुई। हालांकि कनाडा की मसूर के भाव दिल्ली में 7,050 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर बने रहे।
हालांकि, कनाडा और संयुक्त राज्य अमेरिका में मसूर के उत्पादन अनुमान में कमी आने की आशंका है, जिससे आगे इसकी कीमतों में सुधार आने का अनुमान है।
खाद्य तेलों के आयात पर निर्भरता कम करने के लिए केंद्र ने तेल-पाम मिशन को मंजूरी दी
नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने बुधवार को खाद्य तेलों पर राष्ट्रीय मिशन- तेल पाम (एनएमईओ-ओपी) को 11,040 करोड़ रुपये के वित्तीय परिव्यय के साथ मंजूरी दे दी। इस मिशन का उद्देश्य अगले पांच वर्षों में पाम तेल की घरेलू खेती को बढ़ावा देना और खाद्य तेल आयात पर देश की निर्भरता को कम करना है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 15 अगस्त को लाल किले से राष्ट्र के नाम संबोधन के दौरान इस नई केंद्रीय योजना की घोषणा की थी।
कैबिनेट की बैठक के बाद केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि राष्ट्रीय मिशन के तहत पाम तेल की खेती करने वालों के लिये जरूरी सामान के वास्ते सहायता को दुगुना कर 29 हजार रुपये प्रति हेक्टेयर किया गया है।
उन्होंने कहा कि तेल पाम की खेती के लिये पौधारोपण के लिये जरूरी सामान की कमी को दूर करने के लिये सरकार 15 हेक्टेयर के लिये 100 लाख रुपये तक सहायता उपलब्ध कराएगी। तोमर ने कहा कि उत्पादक कृषकों को मूल्य आश्वासन दिया जाएगा।
इस अवसर पर, केंद्रीय सूचना और प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा कि मंत्रिमंडल ने पूर्वोत्तर क्षेत्र और अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह को ध्यान में रखते हुए एनएमईओ-ओपी को मंजूरी दी है।
उन्होंने कहा कि खाद्य तेलों के आयात पर बढ़ती निर्भरता को देखते हुये खाद्य तेलों के घरेलू उत्पादन को बढ़ाने के लिए प्रयास करना महत्वपूर्ण है, जिसमें पाम तेल की खेती का रकबा और उत्पादकता बढ़ाना, महत्वपूर्ण भूमिका निभायेगा।
उन्होंने कहा कि नयी केंद्रीय योजना को 11,040 करोड़ रुपये के वित्तीय परिव्यय के साथ मंजूरी दी गई है।
इसके तहत उत्तर-पूर्वी राज्यों में 3.28 लाख हेक्टेयर और देश के दूसरे हिस्सों में 3.22 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में पाम की खेती जायेगी।
केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा कि देश में पाम ऑयल के आयात को कम करने के लिए सरकार पाम ऑयल से जुड़ी इंडस्ट्री लगाने पर 5 करोड़ रुपये की सरकारी सहायता भी देगी।
इसके अलावा सरकार 15 एकड़ तक की नर्सरी के लिए 5 करोड़ रुपये और पूर्वोत्तर क्षेत्र में एक करोड़ रुपये की सहायता राशि देने का ऐलान किया है।
अपने संबोधन के दौरान कृषि मंत्री ने बताया कि अभी देश के 3.5 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में पाम की खेती हो रही है जिसे आगे बढ़ाकर 10 लाख हेक्टेयर क्षेत्र तक ले जाने की योजना है। 2029-30 तक इसका कुल उत्पादन भी 28 लाख टन तक होने की उम्मीद है।
17 अगस्त 2021
मुंबई में अधिकांश आयातित दालों के दाम घटे, मुद्रा और कांडला में मसूर तेज
नई दिल्ली। बढ़े भाव में दाल मिलों की हाजिर मांग कमजोर होने से मंगलवार को मुंबई में शुरूआती कारोबार में आयातित अरहर, उड़द, चना और काबुली चना की कीमतों में गिरावट दर्ज की गई। मुद्रा के साथ ही कांडला बंदरगाह पर मसूर की कीमतों में सुधार आया।
सेबी द्वारा चना में नए वायदा अनुबंध शुरू करने पर प्रतिबंध लगाने के बाद दलहन उद्योग दबाव में है। सेबी ने आदेश दिया है कि अगले आदेश तक चना को कोई नया अनुबंध शुरू नहीं किया जाएगा। मौजूदा अनुबंधों के संदर्भ में, सेबी ने कहा कि कोई भी नई पोजिशन लेने की अनुमति नहीं है, केवल पोजीशन के स्क्वेरिंग अप की अनुमति होगी।
सरकारी नीतियों और हस्तक्षेप के डर से बढ़ी हुई कीमतों में सतर्क व्यापार देखा गया।
इसके अलावा, अरहर और उड़द की खरीफ में बुवाई बढ़ने के साथ ही विदेशों से आपूर्ति ने भी कीमतों पर दबाव बनाया है।
दाल मिलों की हाजिर कमजोर होने के कारण मुंबई में लेमन अरहर नई और पुरानी के भाव में 100-100 रुपये की गिरावट आकर भाव क्रमश: 6,425 रुपये और 6,325 रुपये प्रति क्विंटल रह गए। इसी तरह से अरुषा अरहर के साथ ही मोजाम्बिक लाइन की गजरी अरहर के भाव भी 50 और 50 रुपये घटकर क्रमश: 6,400 और 6,325 रुपये प्रति क्विंटल हो गए। सूडान लाईन की अरहर के दाम भी 75 रुपये घटकर 6,725 रुपये प्रति क्विंटल रह गए।
दाल मिलों की हाजिर मांग कमजोर होने से बर्मा उड़द एफएक्यू दोनों नई और पुरानी दोनों की कीमतों में 125-125 रुपये की गिरावट आकर भाव क्रमश: 6,850 से 6,875 रुपये और 6,750 से 6,775 रुपये प्रति क्विंटल रह गए।
कनाडा लाईन की मसूर के भाव मुंद्रा और कांडला बंदरगाह पर 25-25 रुपये तेज होकर भाव क्रमश: 6,825 से 6,875 रुपये और 6,825 रुपये प्रति क्विंटल हो गए। हालांकि केंद्र सरकार ने मसूर के आयात शुल्क में कटौती की है, लेकिन मिलों की हाजिर मांग बढ़ने से भाव में सुधार आया।
कनाडा और संयुक्त राज्य अमेरिका में मसूर का उत्पादन कम होने की आशंका से अंतरराष्ट्रीय बाजार में कीमतें तेज बनी हुई है, जिससे हाजिर बाजार में भी दाम तेज हुए हैं।
स्थानीय मिलों की हाजिर मांग कमजोर होने से सूडान और रूस के काबुली चना के भाव 75-100 रुपये घटकर क्रमश: 5,300-5,500 रुपये और 5,100 रुपये प्रति क्विंटल हो गए। काबुली चना पर 40 फीसदी आयात शुल्क होने के कारण रूस से आयात पड़ते नहीं लग रहे हैं।
वायदा कीमतों में आई गिरावट से मुंबई में तंजानिया लाईन के चना के भाव 75 रुपये घटकर 4,900 से 4,925 रुपये प्रति क्विंटल बोले गए। नेफेड के साथ ही एफसीआई विभिन्न राज्यों में लगातार चना की बिकवाली कर रही है।
नेशनल कमोडिटी एंड डेरिवेटिव्स एक्सचेंज, एनसीडीईएक्स पर अगस्त वायदा अनुबंध में चना की कीमतों में 108 रुपये की गिरावट आई, जबकि सितंबर वायदा अनुबंध में इसके भाव में 206 रुपये का मंदा आया।
मिलों की कमजोर मांग से दिल्ली में अरहर, उड़द, मसूर के भाव घटे
नई दिल्ली। बढ़े भाव में दाल मिलों की हाजिर मांग कमजोर होने से मंगलवार को दिल्ली के नया बाजार में अरहर, उड़द के साथ ही मसूर की कीमतों मेंं गिरावट दर्ज की गई।
विदेश से आवक बनी रहने एवं मुंबई में भाव नरम होने से दिल्ली में दाल मिलों की हाजिर मांग कमजोर हो गई, जिससे बर्मा की लेमन अरहर पुरानी और नई के भाव में 100-100 रुपये की गिरावट आकर भाव क्रमश: 6,600 रुपये और 6,750 प्रति क्विंटल रह गए।
नियमित विदेशी आपूर्ति और समर उड़द की घरेलू आवक बनी रहने के साथ ही चेन्नई और मुंबई के कमजोर संकेत से दिल्ली में बर्मा उड़द एसक्यू पुरानी और नई दोनों की कीमतों में 25-50 रुपये की गिरावट आकर भाव क्रमश: 8,200 से 8,225 और 8,250 से 8,275 रुपये प्रति क्विंटल रह गए। इसी तरह उड़द एफएक्यू नई के भाव भी 25 रुपये घटकर 7,150 रुपये प्रति क्विंटल हो गए। दिल्ली में पुरानी एफएक्यू उड़द का स्टॉक नहीं के बराबर बचा हुआ है।
दाल मिलों की हाजिर मांग कमजोर होने से कनाडा और मध्य प्रदेश की मसूर की कीमतों में 50-100 रुपये की गिरावट आकर भाव क्रमश: 7,050 और 7,300 रुपये प्रति क्विंटल रह गए। कल मसूर की कीमतों में तेजी आई थी, लेकिन बढ़े भाव में दाल मिलों की मांग कमजोर हुई।
मिलों की हाजिर मांग से दिल्ली में अरहर, उड़द, मसूर, राजमा और काबुली चना तेज
नई
दिल्ली। दाल मिलों की हाजिर मांग बढ़ने से सोमवार को दिल्ली के नया बाजार
में अरहर, उड़द, मसूर के साथ ही काबुली चना और राजमा की कीमतों मेंं तेजी
दर्ज की गई।
विदेश से आवक बनी रहने के बावजूद भी मुंबई में भाव तेज
होने से दिल्ली में दाल मिलों की हाजिर बढ़ गई, जिससे बर्मा की लेमन अरहर
पुरानी और नई के भाव में 100-100 रुपये की तेजी आकर भाव क्रमश: 6,700 रुपये
और 6,850 प्रति क्विंटल हो गए।
नियमित विदेशी आपूर्ति और समर उड़द
की घरेलू आवक बनी रहने के बावजूद भी चेन्नई और मुंबई के मजबूत संकेत से
दिल्ली में बर्मा उड़द एसक्यू पुरानी और नई दोनों की कीमतों में 50-50
रुपये की तेजी आकर भाव क्रमश: 8,250 और 8,300 रुपये प्रति क्विंटल हो गए।
इसी तरह उड़द एफएक्यू नई के भाव भी 75 रुपये बढ़कर 7,175 रुपये प्रति
क्विंटल हो गए। दिल्ली में पुरानी एफएक्यू उड़द का स्टॉक नहीं के बराबर बचा
हुआ है।
मध्य प्रदेश और राजस्थान में हाल ही में हुई बारिश के कारण खरीफ उड़द की खड़ी फसल को नुकसान हुआ है, जिससे कीमतों में सुधार आया है।
दाल
मिलों की हाजिर मांग बराबर बनी रहने से कनाडा और मध्य प्रदेश की मसूर की
कीमतों में 100-200 रुपये की तेजी आकर भाव क्रमश: 7,100 और 7,400 रुपये
प्रति क्विंटल हो गए। हालांकि बढ़े भाव में व्यापारी कमजोर ही रहा। केंद्र
सरकार ने हाल ही में मसूर के आयात शुल्क में कमी की थी।
दाल मिलों
की हाजिर मांग से महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश और इंदौर लाईन के काबुली चना की
कीमतों में 200-500 रुपये प्रति क्विंटल की तेजी दर्ज की गई। हालांकि
काबुली चना पर 40 फीसदी आयात शुल्क होने के कारण नए आयात पड़ते नहीं लग रहे
हैं।
स्थानीय मिलों की मांग बढ़ने और हाजिर में स्टॉक कम होने से चीन की राजमा के भाव 100 रुपये बढ़कर 13,200 रुपये प्रति क्विंटल हो गए।
सेबी ने एनसीडीईएक्स पर चना के नए सौदों पर लगाई रोक
नई दिल्ली। चना की वायदा कीमतों में आई तेजी के बाद भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड, सेबी ने नेशनल कमोडिटी एंड डेरिवेटिव्स एक्सचेंज लिमिटेड (एनसीडीईएक्स) पर चना के नए सौदों पर रोक लगा दी है।
सेबी ने चना में व्यापार के संबंध में एनसीडीईएक्स को निम्नलिखित निर्देश जारी किए हैं: कोई नया चना अनुबंध नहीं होगा, अगले आदेश तक चालू किया जाए। चल रहे अनुबंधों के संबंध में, कोई नई स्थिति लेने की अनुमति नहीं दी जाएगी। केवल पोजीशन के स्क्वेरिंग अप की अनुमति होगी। इन निर्देशों को तत्काल प्रभाव से लागू किया जाये।
14 अगस्त 2021
मिलों की हाजिर मांग से दिल्ली में अरहर, उड़द और मसूर के भाव तेज
नई दिल्ली। दाल मिलों की हाजिर मांग बढ़ने से शनिवार को दिल्ली के नया बाजार में कनाडा और मध्यप्रदेश की मसूर के साथ ही बर्मा की उड़द और अरहर की कीमतों मेंं तेजी दर्ज की गई।
विदेश से आवक बनी रहने के के बावजूद भी मुंबई में भाव तेज होने से दिल्ली में दाल मिलों की हाजिर बढ़ गई, जिससे बर्मा की लेमन अरहर पुरानी और नई के भाव में 50-50 रुपये की तेजी आकर भाव क्रमश: 6,600 रुपये और 6,750 प्रति क्विंटल हो गए।
नियमित विदेशी आपूर्ति और समर उड़द की घरेलू आवक बनी रहने के बावजूद भी चेन्नई और मुंबई के मजबूत संकेत से दिल्ली में बर्मा उड़द एसक्यू पुरानी और नई दोनों की कीमतों में 100-100 रुपये की तेजी आकर भाव क्रमश: 8,200 और 8,250 रुपये प्रति क्विंटल हो गए। इसी तरह उड़द एफएक्यू नई के भाव भी 100 रुपये बढ़कर 7,100 रुपये प्रति क्विंटल हो गए। दिल्ली में पुरानी एफएक्यू उड़द का स्टॉक नहीं के बराबर बचा हुआ है।
दाल मिलों की हाजिर मांग बराबर बनी रहने से मध्य प्रदेश और कनाडा की मसूर की कीमतों में 50-50 रुपये की तेजी आकर भाव क्रमश: 7,200 और 7,000 रुपये प्रति क्विंटल हो गए।
मुंबई में उड़द, अरहर और मसूर के भाव बढ़े, दाल मिलों की अच्छी मांग
नई दिल्ली। दाल मिलों की हाजिर मांग बढ़ने से शनिवार को मुंबई में शुरूआती कारोबार में आयातित उड़द, अरहर और मसूर के भाव में तेजी दर्ज की गई।
इस बीच, दालों में थोक के साथ ही खुदरा में ग्राहकी कमजोर है, लेकिन आगे त्यौहरी सीजन है, जिस कारण दालों की मांग में सुधार आने का अनुमान है। हालांकि सरकारी नीतियों के कारण मिलर्स सीमित मात्रा में ही व्यापार कर रहे हैं।
केंद्र सरकार की नई अधिसूचना के अनुसार, विशेष क्षेत्र में रखी हुई अरहर, उड़द और मूंग की खेप, जिनकी बिलिंग तिथि 15 मई 2021 से पहले की है, उन्हें रिलिज नहीं किया जायेगा।
दाल मिलों की हाजिर मांग बढ़ने के कारण मुंबई में लेमन अरहर नई और पुरानी के भाव में 25-25 रुपये की तेजी आकर भाव क्रमश: 6,425 रुपये और 6,325 रुपये प्रति क्विंटल हो गए। इसी तरह से अरुषा अरहर के साथ ही मोजाम्बिक लाइन की गजरी अरहर के भाव क्रमश: 6,300 से 6,350 और 6,200 से 6,250 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर बने रहे। सूडान लाईन की अरहर के दाम भी 6,650 रुपये प्रति क्विंटल पर टिके रहे। हालांकि चालू खरीफ में अरहर की बुआई में बढ़ोतरी हुई है, तथा आयातित अरहर भी बराबर आ रही है।
दाल मिलों की हाजिर मांग बढ़ने से बर्मा उड़द एफएक्यू दोनों नई और पुरानी दोनों की कीमतों में 50-50 रुपये की तेजी आकर भाव क्रमश: 6,950 रुपये और 6,850 रुपये प्रति क्विंटल हो गए। उड़द की विदेश से लगातार आवक बनी हुई है, साथ ही घरेलू मंडियों में समर की फसल की आवक भी हो रही है, हालांकि चालू खरीफ में बुआई पिछे चल रही है। विदेशों से चेन्नई पहुंची उड़द की बड़ी मात्रा मिल मालिकों को बेची जा चुकी है।
मध्य प्रदेश और राजस्थान के कई जिलों में हाल ही हुई बारिश से खरीफ उड़द की फसल को नुकसान की आशंका है, जिससे इसके भाव में सुधार को बल मिला है।
कनाडा लाईन की मसूर के भाव मुंबई, कांडला, हजीरा और मुंद्रा बंदरगाह पर तथा आस्ट्रेलियाई मसूर के भाव मुंबई में 50-100 रुपये प्रति क्विंटल तेज हो गए। हालांकि हाल ही में केंद्र सरकार द्वारा मसूर के आयात शुल्क में कमी की गई थी, लेकिन बड़े खरीददारों की मांग आयातित मसूर में बनी हुई है, इसलिए मसूर की कीमतों में तेजी को बल मिला हैं।
मुंबई में तंजानिया लाईन के चना के भाव 4,800 रुपये प्रति क्विंटल बोले गए। हालांकि नेफेड विभिन्न राज्यों में लगातार चना की बिकवाली कर रही है साथ ही आयातकों की बिकवाली कर रहे हैं।
13 अगस्त 2021
कॉटन का उत्पादन डेढ़ लाख गांठ घटकर 354.50 लाख गांठ का होने का अनुमान - सीएआई
नई दिल्ली। पहली अक्टूबर 2020 से शुरू हुए फसल सीजन 2020-21 में देश में कपास का उत्पादन 1.50 लाख गांठ (एक गांठ-170 किलो) कम होकर 354.50 लाख गांठ ही होने का अनुमान है जबकि पहले 356 लाख गांठ के उत्पादन का अनुमान था।
कॉटन एसोसिएशन आफ इंडिया, सीएआई के अनुसार उत्तर भारत के राज्यों में कॉटन का उत्पादन पहले के अनुमान 65.50 लाख गांठ के बराबर ही होने का अनुमान है। इसमें पंजाब में 10.50 लाख गांठ, हरियाणा में 22.50 लाख गांठ और राजस्थान में 32.50 लाख टन के उत्पादन का अनुमान है।
मध्य भारत के राज्यों में 193.50 लाख गांठ कॉटन के उत्पादन का अनुमान है, जिसमें गुजरात में 93.50 लाख गांठ, महाराष्ट्र 81.50 लाख गांठ और मध्य प्रदेश में 18.50 लाख गांठ के उत्पादन का अनुमान है।
दक्षिण भारत के राज्यों में 90.50 लाख गांठ कॉटन के उत्पादन का अनुमान है, इनमें तेलंगाना में 44 लाख गांठ, आंध्रप्रदेश 16 लाख गांठ, कर्नाटक 23.50 लाख गांठ तथा तमिलनाडु में 5.31 लाख गांठ के उत्पादन का अनुमान है।
ओडिशा में 3 लाख गांठ और अन्य राज्यों में 2 लाख गांठ कॉटन के उत्पादन का अनुमान है।
चालू फसल सीजन में कॉटन की खपत 330 लाख गांठ होने का अनुमान है, जोकि पहले के अनुमान से 5 लाख गांठ ज्यादा है।
सीएआई के अनुसार चालू फसल सीजन 2020-21 में कॉटन का निर्यात पहले के अनुमान 72 लाख गांठ से बढ़कर 77 लाख गांठ होने का अनुमान है, जोकि पिछले साल के 50 लाख गांठ से 27 लाख गांठ ज्यादा है। जुलाई अंत तक करीब 70 लाख गांठ की शिपमेंट भी हो चुकी है।
चालू फसल सीजन में कॉटन का आयात घटकर 10 लाख गांठ ही होने का अनुमान है, जोकि पिछले सीजन के मुकाबले 5.50 लाख गांठ कम है। चालू सीजन में 31 जुलाई तक 9 लाख गांठ कॉटन की आवक भारतीय बंदरगाहों पर हो चुकी है।
चालू फसल सीजन में पहली अक्टूबर 2020 से 31 जुलाई 2021 तक घरेलू मंडियों में 348.61 लाख गांठ कॉटन की आवक भी हो चुकी है।
सीएआई के अनुसार मिलों के पास 31 जुलाई को करीब 80 लाख गांठ कॉटन का बकाया स्टॉक बचा हुआ है, जोकि करीब 87 दिनों की खपत के लिए है। इसके अलावा कॉटन कारर्पोरेशन आफ इंडिया, सीसीआई और महाराष्ट्र फेडरेशन के आलावा एमएनसी, जिनर्स, ट्रेडर्स और एमसीएक्स के पास जुलाई अंत में करीब 57.61 लाख गांठ का बकाया स्टॉक बचा हुआ है। चालू फसल सीजन के अंत में 30 सितंबर 2021 को 82.50 लाख गांठ कॉटन का बकाया स्टॉक बचने का अनुमान है।
मुंबई में अरहर, मसूर और चना की कीमतें तेज, उड़द में नरमी
नई दिल्ली। दाल मिलों की हाजिर मांग बढ़ने से शुक्रवार को मुंबई में शुरूआती कारोबार में आयातित अरहर, मसूर और चना के भाव में तेजी दर्ज की गई, जबकि उड़द की कीमतों में मंदा आया।
केंद्र सरकार की नई अधिसूचना के अनुसार, विशेष क्षेत्र में रखी हुई अरहर, उड़द और मूंग की खेप, जिनकी बिलिंग तिथि 15 मई 2021 से पहले की है, उन्हें रिलिज नहीं किया जायेगा।
इस बीच, दालों में थोक के साथ ही खुदरा में ग्राहकी कमजोर है, लेकिन आगे त्यौहरी सीजन है, जिस कारण दालों की मांग में सुधार आने का अनुमान है।
सरकारी नीतियों के कारण मिलर्स सीमित मात्रा में ही व्यापार कर रहे हैं।
दाल मिलों की हाजिर मांग बढ़ने के कारण मुंबई में लेमन अरहर नई और पुरानी के भाव में 75-75 रुपये की तेजी आकर भाव क्रमश: 6,400 रुपये और 6,300 रुपये प्रति क्विंटल हो गए। इसी तरह से अरुषा अरहर के साथ ही मोजाम्बिक लाइन की गजरी अरहर के भाव भी 50 से 50 रुपये बढ़कर क्रमश: 6,300 से 6,350 और 6,200 से 6,250 रुपये प्रति क्विंटल हो गए। सूडान लाईन की अरहर के दाम भी 50 रुपये बढ़कर 6,650 रुपये प्रति क्विंटल हो गए। हालांकि चालू खरीफ में अरहर की बुआई में बढ़ोतरी हुई है।
चेन्नई के कमजोर संकेतों से बर्मा उड़द एफएक्यू दोनों नई और पुरानी दोनों की कीमतों में 25-25 रुपये की गिरावट आकर भाव क्रमश: 6,850 रुपये और 6,750 रुपये प्रति क्विंटल रह गए। उड़द की विदेश से लगातार आवक बनी हुई है, साथ ही घरेलू मंडियों में समर की फसल की आवक भी हो रही है, हालांकि चालू खरीफ में बुआई पिछे चल रही है।
मध्य प्रदेश और राजस्थान के कई जिलों में हाल ही हुई बारिश से खरीफ उड़द की फसल को नुकसान की आशंका है, जिससे इसके भाव में आगे सुधार आने का अनुमान है।
कनाडा लाईन की मसूर के भाव मुंबई, कांडला, हजीरा और मुंद्रा बंदरगाह पर तथा आस्ट्रेलियाई मसूर के भाव मुंबई में 25-125 रुपये प्रति क्विंटल तेज हो गए। हालांकि हाल ही में केंद्र सरकार द्वारा मसूर के आयात शुल्क में कमी की गई थी, लेकिन बड़े खरीददारों की मांग आयातित मसूर में बनी हुई है, इसलिए मसूर की कीमतों में तेजी को बल मिला हैं।
मुंबई में तंजानिया लाईन के चना के भाव 100 रुपये बढ़कर 4,775 रुपये प्रति क्विंटल हो गए। हालांकि नेफेड विभिन्न राज्यों में लगातार चना की बिकवाली कर रही है साथ ही आयातकों की बिकवाली कर रहे हैं।
नेशनल कमोडिटी एंड डेरिवेटिव्स एक्सचेंज, एनसीडीईएक्स पर अगस्त वायदा अनुबंध में चना की कीमतों में 43 रुपये की गिरावट आई, जबकि सितंबर वायदा अनुबंध में इसके भाव में 2 रुपये का सुधार आया।
चालू खरीफ में फसलों की बुआई 1.78 फीसदी पिछड़ी
नई दिल्ली। कृषि मंत्रालय के अनुसार चालू खरीफ में 13 अगस्त 2021 को जारी आंकड़ों के अनुसार फसलों की बुआई 1.78 फीसदी पिछड़कर केवल 997.08 लाख हेक्टेयर में ही हो पाई है जबकि पिछले खरीफ सीजन की समान अवधि में इनकी बुआई 1015.15 लाख हेक्टेयर में हो चुकी थी।
मंत्रालय के अनुसार चालू खरीफ में दलहन, गन्ना और मक्का की बुआई तो बढ़ी है, लेकिन खरीफ की प्रमुख फसल धान के साथ ही तिलहन एवं मोटे अनाज और कपास की बुआई पिछड़ी है।
कृषि मंत्रालय के अनुसार कपास की बुआई चालू खरीफ में घटकर 116.17 लाख हेक्टेयर में ही हो पाई है, जबकि पिछले खरीफ सीजन की समान अवधि में इसकी बुआई 125.48 लाख हेक्टयेर में हो चुकी थी।
धान की रोपाई चालू खरीफ में घटकर 349.24 लाख हेक्टेयर में ही हुई है जोकि पिछले खरीफ सीजन की समान अवधि के 351.52 लाख हेक्टेयर से कम है।
दलहनी फसलों की बुआई चालू खरीफ में बढ़कर 126.98 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जबकि पिछले खरीफ सीजन की समान अवधि में इनकी बुआई केवल 125.06 लाख हेक्टेयर ही हुई थी। खरीफ दलहन की प्रमुख फसल अरहर की बुआई चालू खरीफ में बढ़कर 46.88 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जबकि पिछले खरीफ में इसकी बुआई 45.18 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी। अन्य दालों में उड़द की बुआई 35.52 और मूंग की 32.52 लाख हेक्टेयर में हुई है जबकि पिछले खरीफ सीजन की समान अवधि में इनकी बुआई क्रमश: 35.50 और 32.93 लाख हेक्टेयर में हो चुकी थी। अन्य दालों की बुआई भी बढ़कर चालू खरीफ में 11.75 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जबकि पिछले खरीफ सीजन की समान अवधि में इनकी बुआई 11.20 लाख हेक्टेयर में ही हो पाई थी।
मोटे अनाजों की बुआई चालू खरीफ में घटकर 163.04 लाख हेक्टेयर में ही हो पाई है, जबकि पिछले खरीफ सीजन की समान अवधि में इनकी बुआई 167 लाख हेक्टेयर में हो चुकी थी। मोटे अनाजों में बाजरा की बुआई चालू खरीफ में 59.55 लाख हेक्टेयर में, ज्वार की 13.64 लाख हेक्टेयर में ही हुई है जबकि पिछले खरीफ की समान अवधि में इनकी बुआई क्रमश: 64.12 और 14.13 लाख हेक्टेयर में हो चुकी थी। मक्का की बुआई चालू खरीफ में 78.81 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जोकि पिछले खरीफ सीजन की समान अवधि के 77.06 लाख हेक्टेयर से बढ़ी है।
तिलहनी फसलों की बुआई चालू खरीफ में 180.14 लाख हेक्टेयर में ही हो पाई है, जबकि पिछले खरीफ सीजन की समान अवधि के 185.45 लाख हेक्टेयर के मुकाबले कम है। तिलहनी फसलों में सोयाबीन की बुआई 116.33 लाख हेक्टेयर में और मूंगफली की 46.87 लाख हेक्टेयर में ही हुई है, जबकि पिछले खरीफ सीजन की समान अवधि में इनकी बुआई क्रमश: 118.76 और 49.63 लाख हेक्टेयर में हो चुकी थी। अन्य तिलहन में शीसम सीड की बुआई 12.16 लाख हेक्टेयर में और केस्टर की 2.89 लाख हेक्टेयर में ही हो पाई है, जबकि पिछले खरीफ सीजन की समान अवधि में इनकी बुआई क्रमश: 12.07 और 3.22 लाख हेक्टेयर में हो चुकी थी।
गन्ने की बुआई चालू खरीफ में बढ़कर 54.52 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले खरीफ में इसकी बुआई केवल 53.69 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी।
12 अगस्त 2021
पंद्रह मई 2021 से पहले की आयात की हुई दालों को रिलीज नहीं करेगी सरकार
नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने दलहन आयात नीति को लेकर स्थिति साफ की की है। वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय, डीजीएफटी द्वारा जारी एक अधिसचूना के अनुसार अरहर, उड़द और मूंग जिसका बिल आफ लेडिंग 15 मई 2021 के पहले के है और एसईजेड/एफटीडब्ल्यूजेड में रखी हुई है, उनको रिलीज नहीं किया जायेगा।
ज्ञात हो कि केंद्र सरकार ने 15 मई 2021 को अरहर, उड़द और मूंग के आयात पर मात्रात्मक प्रतिबंध को हटाकर मुक्त श्रेणी में 31 अक्टूबर 2021 तक किया था।
केंद्र सरकार ने अरहर, उड़द और मूंग के आयात को 31 नवंबर 2021 के पहले तक की ही अनुमति दी है, लेकिन बिल आफ लेडिंग 31 अक्टूबर 2021 तक या उससे पहले का होना चाहिए।
मुंबई में दाल मिलों की मांग बढ़ने से तंजानिया का चना तेज, अन्य दालें स्थिर
नई
दिल्ली। दाल मिलों की हाजिर मांग बढ़ने से गुरूवार को मुंबई में शुरूआती
कारोबार में तंजानिया चना के भाव में तेजी दर्ज की गई, जबकि अन्य दालों के
दाम स्थिर बने रहे।
मुंबई में तंजानिया लाईन के चना के भाव 25 रुपये
बढ़कर 4,700 रुपये प्रति क्विंटल हो गए। हालांकि नेफेड विभिन्न राज्यों
में लगातार चना की बिकवाली कर रही है।
साथ ही व्यापारियों को इस
बात का डर है कि कहीं सरकार काबुली चने के आयात शुल्क कमी ना कर दे, या फिर
सफेद मटर के आयात पर लगे प्रतिबंध को हटा सकती है।
इस समय दालों
में थोक के साथ ही खुदर बाजार में मांग कमजोर बनी हुई है, लेकिन त्यौहारी
सीजन के कारण आगे इनकी मांग में सुधार आने की उम्मीद है।
सरकारी नीतियों के कारण मौजूदा दरों पर व्यापारी सीमित मात्रा में ही कारोबार कर रहे हैं।
दाल
मिलों की हाजिर मांग सीमित होने से बर्मा लाईन की लेमन अरहर नई के साथ ही
पुरानी के भाव क्रमश: 6,300 रुपये और 6,200 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर
बने रहे। विदेश से लगातार आवक होने के साथ ही चालू खरीफ में बुआई भी आगे चल
रही है। वहीं, अरुषा अरहर के साथ ही मोजाम्बिक लाईन की गजरी किस्म की अरहर
के भाव भी क्रमश: 6,250 से 6,300 रुपये और 6,150 से 6,200 रुपये प्रति
क्विंटल पर स्थिर हो गए। साथ ही सूडान की अरहर के भाव 6,600 रुपये प्रति
क्विंटल पर स्थिर बने रहे। चालू खरीफ में अरहर की बुआई 5.44 फीसदी बढ़ी है,
जबकि आगे आयातित अरहर ज्यादा मात्रा में आयेगी।
बर्मा उड़द एफएक्यू
नई और पुरानी के भाव क्रमश: 6,900 रुपये और 6,800 रुपये प्रति क्विंटल हो
गए। चालू खरीफ में उड़द की बुआई पिछे चल रही हैं, हालांकि विदेश के साथ ही
समर उड़द की आवक घरेलू मंडियों में बराबर बनी हुई है।
मध्य प्रदेश
और राजस्थान के कई जिलों में लगातार हो रही बारिश एवं बाढ़ से खरीफ उड़द की
खड़ी फसल को नुकसान की आशंका से कीमतों में तेजी तो आई थी, लेकिन बढ़े भाव
में मिलों की खरीद कम हुई है।
कनाडा लाईन की मसूर के भाव मुंबई,
कांडला, हजीरा और मुंद्रा बंदरगाह पर तथा आस्ट्रेलियाई मसूर के भाव मुंबई
में स्थिर बने रहे। केंद्र सरकार द्वारा मसूर के आयात शुल्क में कमी की गई
थी, लेकिन बड़े खरीददारों की मांग आयातित मसूर में बनी हुई है, इसलिए मसूर
की कीमतों में आगे तेजी की ही संभावना है।
मिलों की मांग बढ़ने से
सूडान लाईन के काबुली चना के भाव 5,350-5,550 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर
हो गए। रूस के काबुली चना के भाव 5,100 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर बने
रहे। हालांकि काबुली चना पर 40 फीसदी आयात शुल्क होने के कारण आयात पड़ते
नहीं लग रहे हैं।
मिलों की मांग बढ़ने से दिल्ली में मसूर तेज, उड़द में नरमी और अन्य स्थिर
नई दिल्ली। दाल मिलों की हाजिर मांग बढ़ने से गुरूवार को दिल्ली के नया बाजार में कनाडा और मध्यप्रदेश की मसूर की कीमतों मेंं तेजी दर्ज की गई, जबकि उड़द की कीमतों में मंदा आया। अन्य दालों के दाम इस दौरान स्थिर बने रहे।
चेन्नई के कमजोर संकेत के साथ ही नियमित विदेशी आपूर्ति और समर उड़द की घरेलू आवक बनी रहने के कारण दिल्ली में बर्मा उड़द एसक्यू पुरानी और नई दोनों की कीमतों में 25-50 रुपये की गिरावट आकर भाव क्रमश: 8,100 और 8,150 रुपये प्रति क्विंटल रह गए। इसी तरह उड़द एफएक्यू नई के भाव भी 25 रुपये घटकर 7,000 रुपये प्रति क्विंटल रह गए। दिल्ली में पुरानी एफएक्यू उड़द का स्टॉक नहीं के बराबर बचा हुआ है।
हालांकि, मध्य प्रदेश और राजस्थान में हाल ही में हुई बारिश के कारण खरीफ उड़द की खड़ी फसल को नुकसान हुआ है, साथ ही खरीफ में बुआई भी पिछे चल रही है जिससे आगे कीमतों में सुधार आने की उम्मीद है।
दाल मिलों की हाजिर मांग बराबर बनी रहने से मध्य प्रदेश और कनाडा की मसूर की कीमतों में 50-100 रुपये की तेजी आकर भाव क्रमश: 7,050 और 6,850 रुपये प्रति क्विंटल हो गए।
विदेश से आवक बनी रहने के साथ ही बढ़े भाव में दाल मिलों की हाजिर मांग कमजोर होने से बर्मा की लेमन अरहर पुरानी और नई के भाव क्रमश: 6,500 रुपये और 6,625 प्रति क्विंटल पर स्थिर बने रहे।
नेशनल कमोडिटी एंड डेरिवेटिव्स एक्सचेंज, एनसीडीईएक्स पर अगस्त डिलीवरी वायदा अनुबंध में चना की कीमतों में 66 रुपये की गिरावट आई, जबकि सितंबर वायदा अनुबंध में इसकी कीमतों में 59 रुपये का मंदा आया।
10 अगस्त 2021
चालू सीजन में उत्तर भारत के राज्यों में 60.41 लाख गांठ कपास के उत्पादन का अनुमान - उद्योग
नई दिल्ली। पहली
अक्टूबर 2021 से शुरू होने वाली फसल सीजन में उत्तर भारत के राज्यों
पंजाब, हरियाणा और राजस्थान में कपास का उत्पादन घटकर 60,41,700 गांठ, एक
गांठ-170 किलो होने का अनुमान है जोकि पिछले साल के 64,50,763 गांठ से कम
है।
इंडियन कॉटन एसोसिएशन लिमिटेड, आईसीएएल द्वारा जारी पहले आरंभिक
अनुमान के अनुसार फसल सीजन 2020-21 में पंजाब में कपास का उत्पादन 10.70
लाख गांठ, हरियाणा में 21,85,500 गांठ और राजस्थान में 27,86,200 गांठ होने
का अनुमान है।
चालू फसल सीजन 2020-21 में पहली अक्टूबर 2020 से 31
जुलाई 2021 तक उत्तर भारत के राज्यों की मंडियों में 64,50,763 गांठ कपास
की आवक हो चुकी है जोकि पिछले साल की समान अवधि के 67,02,456 गांठ की तुलना
में कम है।
उत्तर भारत के राज्यों में कॉटन का बकाया स्टॉक
प्राइवेट में 31 जुलाई 2021 को 98,816 गांठ और कॉटन कारर्पोरेश आफ इंडिया,
सीसीआई के पास 7,65,599 गांठ का बचा हुआ है, जबकि पिछले साल की समान अवधि
में प्राइवेट में बकाया स्टॉक 2,27,048 गांठ और सीसीआई के पास 13,53,360
गांठ का था। इसके अलावा एमएनसी कंपनियों एवं व्यापारियों के पास भी करीब
1.70 लाख गांठ कॉटन का बकाया स्टॉक बचा हुआ है।
मुंबई में मिलों की मांग घटने से आयातित चना, काबुली चना नरम, अरहर, उड़द और मसूर स्थिर
नई
दिल्ली। बढ़े दाम पर दाल मिलों की हाजिर मांग कमजोर होने से मंगलवार को
मुंबई में शुरूआती कारोबार में आयातित चना और काबुली चना के भाव में गिरावट
दर्ज की गई।
बढ़े दाम पर मिलों की मांग कमजोर होने से सूडान लाईन
के काबुली चना में 50 रुपये की गिरावट आकर भाव 5,250-5,450 रुपये प्रति
क्विंटल रह गए। इसी तरह, रूस के काबुली चना के भाव भी 50 रुपये की गिरावट
के साथ 5,050-5,100 रुपये प्रति क्विंटल हो गए। हालांकि काबुली चना पर 40
फीसदी आयात शुल्क होने के कारण आयात पड़ते नहीं लग रहे हैं।
वायदा
कीमतों में आई गिरावट से मुंबई में तंजानिया चना के भाव 50 रुपये घटकर
4,650 रुपये प्रति क्विंटल रह गए। नेफेड विभिन्न राज्यों में लगातार चना की
बिकवाली कर रही है।
सरकारी नीतियों के कारण मौजूदा दरों पर व्यापारी सीमित मात्रा में ही कारोबार कर रहे हैं।
साथ
ही व्यापारियों को इस बात का भी डर है कि कहीं सरकार काबुली चने के आयात
शुल्क में कमी ना कर दे, या फिर सफेद मटर के आयात पर लगे प्रतिबंध को हटा
दे।
दाल मिलों की हाजिर मांग बढ़े भाव में कमजोर होने से बर्मा
लाईन की लेमन अरहर नई के साथ ही पुरानी के भाव क्रमश: 6,300 रुपये और
6,200 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर बने रहे। विदेश से लगातार आवक होने के
साथ ही चालू खरीफ में बुआई भी आगे चल रही है। वहीं, अरुषा अरहर के साथ ही
मोजाम्बिक लाईन की गजरी किस्म की अरहर के भाव भी 6,250 रुपये और 6,150
रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर बने रहे। साथ ही सूडान की अरहर के भाव भी
6,650 रुपये प्रति क्विंटल बोले गए।
बर्मा उड़द एफएक्यू नई और
पुरानी के भाव क्रमश: 6,850 रुपये और 6,750 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर
बने रहे। चालू खरीफ में उड़द की बुआई पिछे चल रही हैं, हालांकि विदेश के
साथ ही समर उड़द की आवक घरेलू मंडियों में बराबर बनी हुई है।
मध्य प्रदेश और राजस्थान के कई जिलों में लगातार हो रही बारिश एवं बाढ़ से खरीफ उड़द की खड़ी फसल को नुकसान की आशंका है।
कनाडा लाईन की मसूर के भाव मुंबई, कांडला, हजीरा और मुंद्रा बंदरगाह पर तथा आस्ट्रेलियाई मसूर के भाव मुंबई में स्थिर बने रहे।
बढ़े भाव में मिलों की मांग घटने से दिल्ली में अरहर नरम, उड़द में सुधार
नई दिल्ली। स्टॉकिस्टों की बिकवाली बढ़ने के साथ ही दाल मिलों की हाजिर मांग कमजोर होने से मंगलवार को दिल्ली के नया बाजार में बर्मा की अरहर में गिरावट दर्ज की गई, जबकि उड़द की कीमतों में तेजी आई।
विदेश से आवक बनी रहने के साथ ही बढ़े भाव में दाल मिलों की हाजिर मांग कमजोर होने से बर्मा की लेमन अरहर पुरानी और नई के भाव में 25-25 रुपये की गिरावट आकर भाव क्रमश: 6,500 रुपये और 6,625 प्रति क्विंटल रह गए।
मुंबई और चेन्नई में सुधार के संकेत के साथ ही नियमित विदेशी आपूर्ति और समर उड़द की घरेलू आवक बनी रहने के बावजूद भी चालू खरीफ में बुआई पिछड़ने से उड़द एसक्यू में मांग बढ़ गई। दिल्ली में बर्मा उड़द एसक्यू पुरानी और नई दोनों की कीमतों में 75-100 रुपये की तेजी आकर भाव क्रमश: 8,100 और 8,150 रुपये प्रति क्विंटल हो गए। इसी तरह उड़द एफएक्यू नई के भाव भी 50 रुपये बढ़कर 7,025 रुपये प्रति क्विंटल हो गए। हालांकि दिल्ली में पुरानी एफक्यू का स्टॉक नहीं के बराबर बचा हुआ है।
मध्य प्रदेश और राजस्थान के कई क्षेत्रों में लगातार हो रही भारी बारिश से बाढ़ जैसे हालात बनने से खरीफ उड़द की फसल को नुकसान की आशंका से कीमतों में तेजी को समर्थन मिला है। हालांकि, नियमित विदेशी आपूर्ति और समर की उड़द की आवक बराबर बनी रहने से भाव में बढ़ी तेजी की उम्मीद अभी नहीं है।
दाल मिलों की हाजिर मांग सीमित होने के कारण मध्य प्रदेश और कनाडा की मसूर के भाव क्रमश: 6,950 और 6,800 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर बने रहे।
नेशनल कमोडिटी एंड डेरिवेटिव्स एक्सचेंज, एनसीडीईएक्स पर अगस्त डिलीवरी वायदा अनुबंध में चना की कीमतों में 31 रुपये की गिरावट आई, जबकि सितंबर वायदा अनुबंध में इसकी कीमतों में 24 रुपये का मंदा आया।
07 अगस्त 2021
अरहर, उड़द के भाव दिल्ली और मुंबई में तेज, मसूर के दाम मुंबई में बढ़े
नई दिल्ली। दाल मिलों की हाजिर मांग बढ़ने से शनिवार को दिल्ली के नया बाजार में बर्मा की अरहर और उड़द के साथ ही कनाडा और मध्य प्रदेश की मसूर की कीमतों में तेजी दर्ज की गई। मुंबई में भी इस दौरान अरहर और उड़द की कीमतों में तेजी आई।
उधर मुंबई में नीचे दाम पर दाल मिलों की हाजिर मांग बढ़ने से लेमन अरहर नई और पुरानी के भाव में 50-50 रुपये की तेजी आकर भाव क्रमश: 6,350 रुपये और 6,250 रुपये प्रति क्विंटल हो गए। इसी तरह से अरुषा अरहर के साथ ही मोजाम्बिक लाइन की गजरी अरहर के भाव भी 50 से 50 रुपये बढ़कर क्रमश: 6,200 और 6,100 रुपये प्रति क्विंटल हो गए। सूडान लाईन की अरहर के दाम भी 50 रुपये बढ़कर 6,500 रुपये प्रति क्विंटल हो गए। नीचे दाम पर अफ्रीका लाईन की अरहर में बिकवाली नहीं आ रहे।
मुंबई और चेन्नई में सुधार के संकेत के साथ ही नियमित विदेशी आपूर्ति और समर उड़द की घरेलू आवक बनी रहने के बावजूद भी चालू खरीफ में बुआई पिछड़ने से उड़द एसक्यू में मांग बढ़ गई। दिल्ली में बर्मा उड़द एसक्यू पुरानी और नई दोनों की कीमतों में 25-25 रुपये की तेजी आकर भाव क्रमश: 7,800 से 7,825 और 7,850 से 7,875 रुपये प्रति क्विंटल हो गए। इसी तरह उड़द एफएक्यू नई के भाव भी 25 रुपये बढ़कर 6,825 रुपये प्रति क्विंटल हो गए। हालांकि दिल्ली में पुरानी एफक्यू का स्टॉक नहीं के बराबर बचा हुआ है।
मुंबई में बर्मा उड़द एफएक्यू दोनों नई और पुरानी दोनों की कीमतों में 50-50 रुपये की तेजी आकर भाव क्रमश: 6,700 रुपये और 6,600 रुपये प्रति क्विंटल हो गए। हालांकि उड़द की विदेश से लगातार आवक बनी हुई है, साथ ही घरेलू मंडियों में समर की फसल की आवक भी हो रही है, लेकिन चालू चालू खरीफ में बुआई पिछड़ने से भाव में सुधार आया है।
एक शिपिंग एजेंसी के अनुसार, बर्मा से 16153.721 टन अरहर और 2,875.067 टन उड़द लेकर आने वाले वेसल के आज मुंबई बंदरगाह पर पहुंचने की उम्मीद है।
मध्य प्रदेश और राजस्थान के कई क्षेत्रों में लगातार हो रही भारी बारिश से बाढ़ जैसे हालात बनने से खरीफ उड़द की फसल को नुकसान की आशंका से कीमतों को समर्थन मिला है। हालांकि, नियमित विदेशी आपूर्ति और समर की उड़द की आवक बराबर बनी रहने से भाव में हल्का सुधार देखा गया।
दाल मिलों की हाजिर मांग सुधरने से कनाडा और मध्य प्रदेश की मसूर की कीमतों में 50-50 रुपये की तेजी आकर भाव क्रमश: 6,650 और 6,850 रुपये प्रति क्विंटल हो गए।
चालू खरीफ सीजन में फसलों की बुआई 2.36 फीसदी पिछे, मानसूनी बारिश भी कम
नई दिल्ली। मानसूनी सीजन के पहले दो महीने से ज्यादा बीत चुके है लेकिन अभी भी देशभर में सामान्य की तुलना में 3 फीसदी कम बारिश हुई है। जिसका असर खरीफ फसलों की बुआई पर भी पड़ रहा है। देशभर में पहली जून से 6 अगस्त 2021 तक बारिश सामान्य की तुलना में 3 फीसदी कम हुई है, जिस कारण खरीफ फसलों की बुआई 2.36 फीसदी पिछे चल रही है।
कृषि मंत्रालय के अनुसार चालू खरीफ में 6 अगस्त 2021 को जारी आंकड़ों के अनुसार फसलों की बुआई 2.36 फीसदी पिछड़कर केवल 933.88 लाख हेक्टेयर में ही हो पाई है जबकि पिछले खरीफ सीजन की समान अवधि में इनकी बुआई 956.47 लाख हेक्टेयर में हो चुकी थी।
धान की रोपाई चालू खरीफ में घटकर 310.17 लाख हेक्टेयर में ही हुई है जोकि पिछले खरीफ सीजन की समान अवधि के 318.88 लाख हेक्टेयर से कम है।
दलहनी फसलों की बुआई चालू खरीफ में घटकर 119.54 लाख हेक्टेयर में ही हो पाई है, जबकि पिछले खरीफ सीजन की समान अवधि में इनकी बुआई 117.36 लाख हेक्टेयर में हो चुकी थी। खरीफ दलहन की प्रमुख फसल अरहर की बुआई चालू खरीफ में थोड़ी बढ़कर 44.41 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जबकि पिछले खरीफ में इसकी बुआई 42.12 लाख हेक्टेयर में हो चुकी थी। अन्य दालों में उड़द की बुआई घटकर 33.90 और मूंग की 30.24 लाख हेक्टेयर में ही हुई है जबकि पिछले खरीफ सीजन की समान अवधि में इनकी बुआई क्रमश: 34.40 और 31.04 लाख हेक्टेयर में हो चुकी थी। अन्य दालों की बुआई भी बढ़कर चालू खरीफ में 10.73 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जबकि पिछले खरीफ सीजन की समान अवधि में इनकी बुआई 9.57 लाख हेक्टेयर में ही हो पाई थी।
मोटे अनाजों की बुआई चालू खरीफ में घटकर 153.05 लाख हेक्टेयर में ही हो पाई है, जबकि पिछले खरीफ सीजन की समान अवधि में इनकी बुआई 156.29 लाख हेक्टेयर में हो चुकी थी। मोटे अनाजों में बाजरा की बुआई चालू खरीफ में 56.51 लाख हेक्टेयर में, ज्वार की 12.30 लाख हेक्टेयर में ही हुई है जबकि पिछले खरीफ की समान अवधि में इनकी बुआई क्रमश: 61.02 और 12.95 लाख हेक्टेयर में हो चुकी थी। मक्का की बुआई चालू खरीफ में 76.04 लाख हेक्टेयर में ही हुई है, जोकि पिछले खरीफ सीजन की समान अवधि के 73.81 लाख हेक्टेयर से बढ़ी है।
तिलहनी फसलों की बुआई चालू खरीफ में 173.50 लाख हेक्टेयर में ही हो पाई है, जबकि पिछले खरीफ सीजन की समान अवधि के 179.71 लाख हेक्टेयर के मुकाबले कम है। तिलहनी फसलों में सोयाबीन की बुआई 115.14 लाख हेक्टेयर में और मूंगफली की 44.40 लाख हेक्टेयर में ही हुई है, जबकि पिछले खरीफ सीजन की समान अवधि में इनकी बुआई क्रमश: 118.08 और 47.08 लाख हेक्टेयर में हो चुकी थी। अन्य तिलहन में शीसम सीड की बुआई 10.84 लाख हेक्टेयर में और केस्टर की 1.48 लाख हेक्टेयर में ही हो पाई है, जबकि पिछले खरीफ सीजन की समान अवधि में इनकी बुआई क्रमश: 11.36 और 1.73 लाख हेक्टेयर में हो चुकी थी।
कपास की बुआई चालू खरीफ में घटकर 116.17 लाख हेक्टेयर में ही हो पाई है, जबकि पिछले खरीफ सीजन की समान अवधि में इसकी बुआई 123.64 लाख हेक्टयेर में हो चुकी थी।
06 अगस्त 2021
मुंबई में दाल मिलों की कमजोर मांग से आयातित दालों के दाम स्थिर
नई दिल्ली। दाल मिलों की हाजिर मांग कमजोर होने के कारण शुक्रवार को मुंबई में शुरूआती कारोबार में आयातित दालों के दाम स्थिर बने रहे।
सरकार द्वारा दालों के आयात को बढ़ाने की कोशिशों की खबरों के बाद दालों की कीमतों पर दबाव बढ़ा है। दालों का आयात बढ़ाने के लिए सरकार पूर्वी अफ्रीकी देशों जैसे मलावी, तंजानिया और अन्य के साथ बातचीत कर रही है।
विदेश से लगातार आयातित माल आने के साथ ही चालू खरीफ में बुआई में हुई बढ़ोतरी से भी दलहन की कीमतों पर दबाव बना है।
दाल मिलों की हाजिर मांग कमजोर होने से बर्मा लाईन की लेमन अरहर नई के साथ ही पुरानी के भाव क्रमश: 6,250 रुपये और 6,150 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर बने रहे। वहीं, अरुषा अरहर के साथ ही मोजाम्बिक लाईन की गजरी किस्म की अरहर के भाव भी क्रमश: 6,100 रुपये और 6,000 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर बने रहे। साथ ही सूडान की अरहर के भाव भी 6,400 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर बने रहे।
कनाडा लाईन की मसूर के भाव मुंबई, मुंद्रा और कांडला बंदरगाह पर तथा आस्ट्रेलियाई मसूर के भाव मुंबई में आज स्थिर देखे गए। हालांकि मौजूदा कीमतों पर मिलों की मांग कमजोर रही क्योंकि हाल ही में केंद्र सरकार द्वारा मसूर के आयात शुल्क को 30 फीसदी से घटाकर 20 फीसदी किया था।
बर्मा उड़द एफएक्यू नई और पुरानी के भाव क्रमश: 6,650 रुपये और 6,550 रुपये प्रति क्विंटल बोले गए। उड़द में बढ़े दाम पर मिलों की मांग में कमी आई, जबकि विदेश के साथ ही समर उड़द की आवक घरेलू मंडियों में बराबर बनी हुई है।
इसी तरह, तंजानिया चना के भाव 4,600 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर बने रहे। विभिन्न राज्यों में नेफेड खरीदे गए चना के स्टॉक की लगातार बिकवाली कर रही है।
नेशनल कमोडिटी एंड डेरिवेटिव्स एक्सचेंज, एनसीडीईएक्स पर अगस्त वायदा अनुबंध में चना की कीमतों में 62 रुपये की गिरावट आई, जबकि सितंबर वायदा अनुबंध में इसके भाव में 65 रुपये का मंदा आया।
05 अगस्त 2021
प्रमुख बाजारों में देसी अरहर में मिलाजुला रुख, आयातित के भाव नरम
नई दिल्ली। दाल मिलों की हाजिर मांग कमजोर होने के कारण गुरूवार को प्रमुख बाजारों में देसी अरहर की कीमतों में मिलाजुला रुख रहा।
सरकार द्वारा दालों के आयात को बढ़ाने की कोशिशों की खबरों आने के बाद दालों की कीमतों पर दबाव देखा जा रहा है।
भारत पहले ही म्यांमार से सालाना एक लाख टन अरहर और 50,000 टन अरहर के आयात के लिए मलावी के साथ मार्च 2026 तक एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर कर चुकी है। इससे पहले, डीजीएफटी ने भी 2021-22 के दौरान मोजाम्बिक से 2 लाख टन अरहर के आयात की अधिसूचना जारी की थी।
सरकारी नीतियों के कारण मौजूदा कीमतों पर अरहर में सीमित मात्रा में ही व्यापार हो रहा है।
मुंबई में दाल मिलों की हाजिर मांग कमजोर होने से लेमन अरहर नई और पुरानी के भाव में 50-50 रुपये की गिरावट आकर भाव क्रमश: 6,250 रुपये और 6,150 रुपये प्रति क्विंटल रह गए। इसी तरह से अरुषा अरहर के साथ ही मोजाम्बिक लाइन की गजरी अरहर के भाव भी 25 से 50 रुपये घटकर क्रमश: 6,100 और 6,000 रुपये प्रति क्विंटल रह गए। सूडान लाईन की अरहर के दाम भी 50 रुपये घटकर 6,400 रुपये प्रति क्विंटल रह गए।
दिल्ली में, बर्मा लाईन की लेमन अरहर नई और पुरानी के भाव 50-50 रुपये घटकर क्रमश: 6,450 रुपये और 6,350 रुपये प्रति क्विंटल रह गए।
विदेश से लगातार अरहर की आवक बनने के साथ ही चालू खरीफ में बुआई में हुई बढ़ोतरी से अरहर की कीमतों पर दबाव बना हुआ है।
बर्मा में अरहर लेमन लिंकी की कीमतें स्थिर बनी रही। लॉकडाउन के कारण स्थानीय बाजार में व्यापारिक गतिविधियां नहीं के बराबर हुई। हालांकि, बंदरगाह पर लोडिंग आदि की गतिविधियों के साथ ही बैंकिंग लेनदेन नियमित रुप से हो रहा है।
एक शिपिंग एजेंसी के अनुसार, Vessel M V VTC PLANET जोकि बर्मा से 21,000 टन अरहर और उड़द लेकर आ रहा है इसके 8 अगस्त, 2021 को मुंबई बंदरगाह पर पहुंचने की उम्मीद है। इससे पहले इसको 28 जुलाई तक पहुंचने की उम्मीद थी।
दिल्ली में बर्मा की अरहर के भाव घटे, अन्य दालों के स्थिर
नई दिल्ली। दाल मिलों की हाजिर मांग कमजोर होने से गुरूवार को दिल्ली के नया बाजार में बर्मा की अरहर की कीमतों में गिरावट दर्ज की गई, जबकि अन्य दालों के दाम स्थिर बने रहे।
सरकार द्वारा दालों के आयात को बढ़ाने की कोशिशों की खबरों के बाद दालों की कीमतों पर दबाव बढ़ा है। दालों का आयात बढ़ाने के लिए सरकार पूर्वी अफ्रीकी देशों जैसे मलावी, तंजानिया और अन्य के साथ बातचीत कर रही है।
विदेश से लगातार आयातित माल आने के साथ ही चालू खरीफ में बुआई में हुई बढ़ोतरी से भी अरहर की कीमतों पर दबाव बना है।
दाल मिलों की हाजिर मांग कमजोर होने से बर्मा की लेमन अरहर नई और पुरानी के भाव में 50-50 रुपये की गिरावट आकर भाव क्रमश: 6,450 रुपये और 6,350 प्रति क्विंटल रह गए।
दिल्ली में बर्मा उड़द एसक्यू पुरानी और नई दोनों के भाव क्रमश: 7,800 और 7,850 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर बने रहे। इसी तरह उड़द एफएक्यू नई के भाव भी 6,800 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर रहे। दिल्ली में पुरानी एफक्यू उड़द का स्टॉक नहीं के बराबर बचा हुआ है।
मध्य प्रदेश और राजस्थान के कई क्षेत्रों में लगातार हो रही भारी बारिश से बाढ़ जैसे हालात बनने से खरीफ उड़द की फसल को नुकसान की आशंका है। हालांकि, नियमित विदेशी आपूर्ति और समर की उड़द की आवक बराबर बनी हुई है।
दाल मिलों की हाजिर मांग सुधरने से मध्य प्रदेश की मसूर के भाव 6,800 रुपये और कनाडा की मसूर 6,600 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर बने रहे। केंद्र सरकार ने हाल ही में मसूर के आयात शुल्क और कृषि सेस में कटौती की है।
नेशनल कमोडिटी एंड डेरिवेटिव्स एक्सचेंज, एनसीडीईएक्स पर अगस्त डिलीवरी वायदा अनुबंध में चना की कीमतों में 2 रुपये की गिरावट आई, जबकि सितंबर वायदा अनुबंध में इसकी कीमतों में 6 रुपये का सुधार आया।
03 अगस्त 2021
मुंबई में आयातित मसूर की कीमतों में मंदा, अन्य दालों के दाम स्थिर
नई दिल्ली। दाल मिलों की हाजिर मांग कमजोर होने के कारण मंगलवार को मुंबई में शुरूआती कारोबार में आयातित मसूर की कीमतों में गिरावट दर्ज की गई जबकि अन्य दालों के दाम स्थिर बने रहे।
कनाडा लाईन की मसूर के भाव मुंबई, मुंद्रा और कांडला बंदरगाह पर तथा आस्ट्रेलियाई मसूर के भाव मुंबई में 15-25 रुपये घट गए। मौजूदा कीमतों पर मिलों की मांग कमजोर रही क्योंकि हाल ही में केंद्र सरकार द्वारा मसूर के आयात शुल्क को 30 फीसदी से घटाकर 20 फीसदी किया था, जिस कारण कीमतों पर दबाव है।
दालों में थोक साथ ही खुदरा में मांग कमजोर है, जबकि आयातित दालों बराबर आ रही है। साथ ही चालू खरीफ में दालों की बुआई में पिछले सप्ताह की तुलना में बढ़ोतरी हुई है।
दाल मिलों की हाजिर मांग कमजोर होने से बर्मा लाईन की लेमन अरहर नई के साथ ही पुरानी के भाव क्रमश: 6,375 से 6,400 रुपये और 6,275 से 6,300 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर बने रहे। वहीं, अरुषा अरहर के साथ ही मोजाम्बिक लाईन की गजरी किस्म की अरहर के भाव क्रमश: 6,200 रुपये और 6,100 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर बने रहे। सूडान लाईन की गजरी किस्म की अरहर के भाव भी 6,500 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर बने रहे।
बर्मा उड़द एफएक्यू नई और पुरानी के भाव क्रमश: 6,700 से 6,725 रुपये और 6,600 से 6,625 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर बने रहे। उड़द में बढ़े दाम पर मिलों की मांग में कमी आई, जबकि विदेश के साथ ही समर उड़द की आवक घरेलू मंडियों में बराबर बनी हुई है।
दाल मिलों की हाजिर मांग कमजोर होने से सूडान लाईन के काबुली चना के भाव 5,200-5,350 रुपये प्रति क्विंटल बोले गए गए। रुस के काबूली चना के भाव 5,100 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर बने रहे। 40 फीसदी आयात शुल्क होने के कारण काबूली चना में आयात पड़ते नहीं लग रहे हैं।
इसी तरह, तंजानिया चना के भाव 4,750 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर बने रहे। विभिन्न राज्यों में नेफेड खरीदे गए चना के स्टॉक की लगातार बिकवाली कर रही है।
नेशनल कमोडिटी एंड डेरिवेटिव्स एक्सचेंज, एनसीडीईएक्स पर अगस्त वायदा अनुबंध में चना की कीमतों में 27 रुपये की तेजी आई, जबकि सितंबर वायदा अनुबंध में इसके भाव में 31 रुपये का सुधार आया।
02 अगस्त 2021
दिल्ली में अरहर, चना और उड़द के साथ ही मसूर की कीमतों में गिरावट
नई दिल्ली। दाल मिलों की हाजिर मांग कमजोर होने के कारण सोमवार को दिल्ली के नया बाजार में अरहर, चना और उड़द के साथ ही मसूर की कीमतों में गिरावट दर्ज की गई।
शुक्रवार को उपभोक्ता मामले मंत्रालय के सचिव ने दलहन के आयातकों, मिल मालिकों और थोक विक्रेताओं की ऑनलाइन बैठक की थी, जिसमें उन्हीनें पोर्टल पर दालों के स्टॉक की जानकारी देने को कहा था, उसके बाद से दलहन की कीमतों पर दबाव बना है। अत: सरकार की नीतियों को देखते हुए व्यापारी अभी दालों की खरीद कम कर रहे हैं।
दालों में थोक साथ ही खुदरा में मांग कमजोर है, जबकि आयातित दालों बराबर आ रही है। साथ ही चालू खरीफ में दालों की बुआई में पिछले सप्ताह की तुलना में बढ़ोतरी हुई है।
दाल मिलों की हाजिर मांग कमजोर होने से बर्मा की लेमन अरहर नई और पुरानी के भाव में 25 से 50 रुपये की गिरावट आकर भाव क्रमश: 6,525 रुपये और 6,400 प्रति क्विंटल रह गए।
चेन्नई के कमजोर संकेत के साथ ही चेन्नई बंदरगाह पर नियमित विदेशी आपूर्ति बनी रहने के साथ ही समर उड़द की घरेलू आवक होने से उड़द में ग्राहकी कमजोर हुई। दिल्ली में बर्मा उड़द एसक्यू पुरानी और नई दोनों की कीमतों में 100-100 रुपये की गिरावट आकर भाव क्रमश: 7,700 और 7,750 रुपये प्रति क्विंटल रह गए। इसी तरह उड़द एफएक्यू नई के भाव भी 50 रुपये घटकर 6,750 रुपये प्रति क्विंटल रह गए। हालांकि दिल्ली में पुरानी एफक्यू का स्टॉक नहीं के बराबर बचा हुआ है।
दाल मिलों की हाजिर मांग कमजोर होने से कनाडा और मध्य प्रदेश की मसूर की कीमतों में 25 से 75 रुपये की गिरावट भाव क्रमश: 6,625 रुपये और 6,775 रुपये प्रति क्विंटल रह गए। केंद्र सरकार ने मसूर के आयात शुल्क और कृषि सेस में कटौती की है।
लारेंस रोड़ पर चना की कीमतों में 100 रुपये का मंदा आकर राजस्थानी चना के भाव 5,050 से 5,075 रुपये और मध्य प्रदेश के चना के भाव 4,975 रुपये प्रति क्विंटल रहे।
मुंबई में आयातित उड़द, मसूर, चना और काबूली चना के दाम घटे, अरहर के बढ़े
नई दिल्ली। दाल मिलों की हाजिर मांग कमजोर होने के कारण सोमवार को मुंबई में शुरूआती कारोबार में आयातित उड़द के साथ ही मसूर और चना तथा काबूली चना की कीमतों में गिरावट दर्ज की गई जबकि अरहर की कीमतों में सुधार आया।
शुक्रवार को उपभोक्ता मामले मंत्रालय के सचिव ने दलहन के आयातकों, मिल मालिकों और थोक विक्रेताओं की ऑनलाइन बैठक की थी, जिसमें उन्हीनें पोर्टल पर दालों के स्टॉक की जानकारी देने को कहा था, उसके बाद से दलहन की कीमतों पर दबाव बना है। सरकार की नीतियों को देखते हुए व्यापारी अभी दालों की खरीद कम कर रहे हैं।
दालों में थोक साथ ही खुदरा में मांग कमजोर है, जबकि आयातित दालों बराबर आ रही है। साथ ही चालू खरीफ में दालों की बुआई में पिछले सप्ताह की तुलना में बढ़ोतरी हुई है।
दाल मिलों की हाजिर मांग कमजोर होने से बर्मा लाईन की लेमन अरहर नई के साथ ही पुरानी में 25-25 रुपये की तेजी आकर भाव क्रमश: 6,375 से 6,400 रुपये और 6,275 से 6,300 रुपये प्रति क्विंटल हो गए। वहीं, अरुषा अरहर के साथ ही मोजाम्बिक लाईन की गजरी किस्म की अरहर के भाव क्रमश: 6,200 रुपये और 6,100 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर बने रहे। सूडान लाईन की गजरी किस्म की अरहर के भाव भी 6,500 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर बने रहे।
बर्मा उड़द एफएक्यू नई और पुरानी में 50-50 रुपये का मंदा आकर भाव क्रमश: 6,700 रुपये और 6,600 रुपये प्रति क्विंटल रह गए। उड़द में बढ़े दाम पर मिलों की मांग में कमी आई, जबकि विदेश के साथ ही समर उड़द की आवक घरेलू मंडियों में बराबर बनी हुई है।
केंद्र सरकार द्वारा मसूर के आयात शुल्क को 30 फीसदी से घटाकर 20 फीसदी करने कीमतों पर दबाव देखा गया। कनाडा लाईन की मसूर के भाव मुंबई मुंद्रा और कांडला बंदरगाह पर तथा आस्ट्रेलियाई मसूर के भाव मुंबई में 50-50 रुपये घट गए। मौजूदा कीमतों पर मिलों की मांग कमजोर रही।
दाल मिलों की हाजिर मांग कमजोर होने से सूडान लाईन के काबुली चना में 50 रुपये की गिरावट आकर भाव 5,200-5,350 रुपये प्रति क्विंटल रह गए। हालांकि रुस के काबूली चना के भाव 5,100 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर बने रहे। 40 फीसदी आयात शुल्क होने के कारण काबूली चना में आयात पड़ते नहीं लग रहे हैं।
इसी तरह, तंजानिया चना के भाव में 50 रुपये की गिरावट आकर दाम 4,750 रुपये प्रति क्विंटल रह गए। विभिन्न राज्यों में नेफेड खरीदे गए चना के स्टॉक की लगातार बिकवाली कर रही है।
नेशनल कमोडिटी एंड डेरिवेटिव्स एक्सचेंज, एनसीडीईएक्स पर अगस्त वायदा अनुबंध में चना की कीमतों में 65 रुपये की गिरावट आई, जबकि सितंबर वायदा अनुबंध में इसके भाव में 57 रुपये का मंदा आया।