आर एस राणा
नई
दिल्ली। गन्ना किसानों का बढ़ता बकाया भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के लिए
लोकसभा चुनाव में चुनौती पैदा करेगा। सबसे बड़े गन्ना उत्पादक राज्यों
उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र के लगभग 69 जिलों के गन्ना किसान भुगतान नहीं
मिलने से केंद्र एवं राज्य सरकारों से नाराज हैं।
लोकसभा चुनाव
से पहले केंद्र सरकार ने पीएम-किसान योजना के माध्यम से लघु एवं सीमांत
किसानों को साधने के लिए 6,000 सालाना देना शुरू किया, लेकिन गन्ना किसानों
का बकाया कम होने के बजाए बढ़ता गया। माना जा रहा है कि इस समय देशभर की
चीनी मिलों पर पहली अक्टूबर 2018 से शुरू हुए चालू पेराई सीजन 2018-19
(अक्टूबर से सितंबर) के मार्च अंत तक बकाया बढ़कर 20,000 करोड़ रुपये का
पार कर चुका है, जिसमें सबसे ज्यादा उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र और कर्नाटक
के किसानों का है।
यूपी और महाराष्ट्र के 69 जिलों में गन्ने की खेती कर रहे हैं किसान
उत्तर
प्रदेश के 75 जिलों में से 45 और महाराष्ट्र के 36 जिलों में से 24 में
किसान गन्ने की खेती करते हैं। पिछले पेराई सीजन 2017—18 में भी गन्ना
किसानों को बकाया भुगतान में देरी हुई थी, जबकि चालू पेराई सीजन में हालात
सुधरने के बजाए और बिगड़े हैं। हालांकि केंद्र सरकार ने गन्ना किसानों के
बकाया भुगतान में तेजी लाने के लिए चीनी मिलों को ब्याज मुक्त कर्ज देने के
साथ ही चीनी के न्यूनतम बिक्री भाव में भी बढ़ोतरी की, लेकिन बकाया भुगतान
में सुधार नहीं आया।
गन्ने की बुवाई के लिए पैसे नहीं
उत्तर
प्रदेश के अमरोह जिले के देहराचक गांव के गन्ना किसान जोगिंद्र आर्य ने
बताया कि वेव शुगर मिल ने अभी तक 11 जनवरी तक का भुगतान किया है। मिल
द्वारा पेराई भी धीमी गति से की जा रही है जबकि करीब एक एकड़ गन्ना अभी भी
खेत में खड़ा हुआ है। उन्होंने बताया कि आगे गन्ने की बुवाई करनी है लेकिन
भुगतान मिल नहीं रहा है, अत: बकाया भुगतान नहीं होने के कारण आगे गन्ने की
बुवाई के लिए पैसे नहीं है।
सरकारों ने गन्ना किसानों को हमेशा बनाया मोहरा
लंबे
समय से गन्ना किसानों के हितों की लड़ाई लड़ रहे राष्ट्रीय किसान मजदूर
संगठन के संयोजक बीएम सिंह ने कहा कि उत्तर प्रदेश के करीब दो करोड़ गन्ना
किसान है, जिनका बकाया चीनी मिलों पर है। इससे किसानों में रोष है जिसका
खामियाजा राज्य की भाजपा सरकार के साथ अन्य दलों को भी उठाना होगा।
उन्होंने बताया किसानों को हमेशा सरकारों ने मोहरा बनाया है, चाहे वह
कांग्रेस की सरकार हो, बसपा या फिर सपा की। इसलिए इस बार लोकसभा चुनाव में
किसानों ने नोटा का बटन दबाने का फैसला किया है। केंद्र हो या फिर राज्य
सरकार गन्ना किसानों के नाम पर चीनी मिलों को फायदा पहुंचा रही हैं।
बकाया के लिए किसान कर रहे हैं संघर्ष
भारतीय
किसान यूनियन (भाकियू) के नेता युधवीर सिंह ने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा
दिए गए पैकेज से चीनी मिलों को फायदा हुआ है। किसान तो अभी भी अपना बकाया
पाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं।
महाराष्ट्र के किसानों पर दोहरी मार
स्वाभिमानी
शेतकारी संगठन के नेता और लोकसभा सांसद राजू शेट्टी के अनुसार महाराष्ट्र
के गन्ना किसानों को चीनी मिलों से भुगतान में देरी हो रही है इससे राज्य
के किसानों पर दोहरी मार पड़ी है। सूखे के चलते राज्य के किसानों को पहले
ही आर्थिक दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा था। इसलिए राज्य के किसान राज्स
सरकार से नाराज हैं। राज्य की चीनी मिलों के पास नकदी की दिक्कत है जबकि
पिछले दो साल से देश में चीनी का उत्पादन मांग से ज्यादा हो रहा है। केंद्र
सरकार ने चीनी निर्यात को बढ़ावा देने के लिए कोई ठोस नीति नहीं बनाई।..... आर एस राणा
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