आर एस राणा
नई
दिल्ली। कपास की पैदावार में आई कमी से घरेलू बाजार में इसकी कीमतों में
करीब 15 फीसदी की तेजी आ चुकी है जिसका असर निर्यात पर पड़ा है। उद्योग के
अनुसार चालू सीजन में कपास का निर्यात घटकर 46-47 लाख गांठ (एक गांठ-170
किलो) ही होने का अनुमान है जोकि पिछले दस साल का न्यूनतम होगा। विश्व
बाजार में कपास की कीमतें कम है, जिसकी वजह से बंगलादेश जोकि मुख्यत: भारत
से आयात करता है, इस समय ब्राजील से आयात सौदे कर रहा है।
किसानों
की आय वर्ष 2022 तक दोगुनी करने के के लिए केंद्र सरकार एग्री उत्पादों के
निर्यात को बढ़ावा देने की बात तो करती है, लेकिन कपास में इसके उल्ट हुआ
है। कॉटन एसोसिएशन आफ इंडिया (सीएआई) के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार चालू
सीजन में कपास का निर्यात घटकर 47 लाख गांठ का ही होने का अनुमान है।
उन्होंने बताया कि कॉटन एडवाईजरी बोर्ड (सीएबी) ने नवंबर में पहली अक्टूबर
2018 से शुरू हुए चालू सीजन में 65 लाख गांठ कपास के निर्यात का लक्ष्य तय
किया था, जोकि असंभव है। पिछले सीजन में देश से 69 लाख गांठ कपास का
निर्यात हुआ था। चालू सीजन में कपास का आयात भी बढ़कर 27 लाख गांठ होने का
अनुमान है जबकि पिछले साल 15 लाख गांठ का आयात हुआ था। उन्होंने बताया कि
भारत में कपास का आयात अमेरिका से हो रहा है।
भारत से निर्यात पड़ते नहीं
नार्थ
इंडिया कॉटन एसोसिएशन आफ इंडिया के अध्यक्ष राकेश राठी ने बताया कि घरेलू
बाजार में कपास की कीमतों में तेजी आई है जबकि विश्व बाजार में दाम कम हुए
हैं। इसलिए भारत से निर्यात पड़ते नहीं लग रहे हैं। बंगलादेश भारतीय कपास
का सबसे बड़ा आयातक देश है, वह इस समय ब्राजील से कपास की खरीद कर रहा है।
उन्होंने बताया कि भारतीय कपास शंकर-6 किस्म का भाव बंगलादेश पहुंच 92 से
93 डॉलर प्रति पाउंड है, जबकि ब्राजील की कपास बंगलादेश पहुंच 89 से 90
डॉलर प्रति पाउंड है।
निर्यातकों को पहले के निर्यात सौदों में लग रहा है घाटा
उन्होंने
बताया कि चालू सीजन में अक्टूबर 2018 से मार्च 2019 तक 42 से 43 लाख गांठ
कपास के निर्यात सौदे हुए हैं, जबकि इस दौरान शिपमेंट 37 से 38 लाख गांठ की
ही हुई है। उन्होंने बताया कि पहले से हुए निर्यात सौदों में निर्यातकों
को घाटा लग रहा है, इसलिए कुछ सौदों की सेटलमेंट भी हो रही है। भारत से
कपास का सबसे ज्यादा निर्यात बंगलादेश और वियतनाम को होता है, इसके अलावा
चीन और पाकिस्तान मुख्य आयातक है। उन्होंने बताया कि बंगलादेश इस समय
ब्राजील से आयात कर रहा है जबकि वियतनाम, अमेरिका से आयात कर रहा है।
संबंधों में खटास होने के बाद से पाकिस्तान को भी कपास के नए निर्यात सौदे
नहीं हो रहे हैं।
सीसीआई ई-निलामी के माध्यम से बेच रही है कपास
कॉटन
कारपोरेशन आफ इंडिया (सीसीआई) के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया निगम घरेलू
मंडियों में ई-निविदा के माध्यम कपास बेच रही है तथा अभी तक एक लाख गांठ
कपास बेची जा चुकी है। निगम ने न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर 10.7 लाख
गांठ कपास की खरीद की थी। उन्होंने बताया कि अहमदाबाद में शुकर-6 किस्म की
कपास के भाव बढ़कर 47,000 से 47,500 रुपये प्रति कैंडी (एक कैंडी-356 किलो)
हो गए, जबकि सीजन के शुरू में इसका भाव 41,000 से 41,500 रुपये प्रति
कैंडी था। मई महीने के न्यूयार्क वायदा में कपास का भाव 8 अप्रैल 2019 को
79.08 सेंट प्रति पाउंड था जोकि घटकर 77.31 सेंट प्रति पाउंड रह गया।
विदेशी बाजार में कीमतों में कमी आई है।
उद्योग 27 लाख गांठ घटा चुका है उत्पादन अनुमान
उद्योग ने आरंभिक उत्पादन अनुमान में की 27 लाख गांठ की कटौती
सीएआई
के अनुसार चालू सीजन में कपास का उत्पादन घटकर 321 लाख गांठ ही होने का
अनुमान है जबकि अक्टूबर 2018 में सीजन के शुरू में सीएआई ने 348 लाख गांठ
के उत्पादन का अनुमान जारी किया था। उद्योग पहले के अनुमान में 27 लाख गांठ
की कटौती कर चुका है। कपास कारोबारी नवीन ग्रोवर ने बताया कि घरेलू
मंडियों में कपास का बकाया स्टॉक कम होने के कारण यार्न मिलें पूरी क्षमता
का उपयोग नहीं कर पा रही है। कपास की नई फसल सितंबर-अक्टूबर में आयेगी
इसलिए घरेलू बाजार में अभी कपास की कीमतों में ज्यादा मंदे की संभावना नहीं
है। ................ आर एस राणा
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