आर एस राणा
नई
दिल्ली। केंद्र सरकार कच्चे तेल के आयात पर निर्भरता कम करने के लिए
एथेनॉल उत्पादन को बढ़ाने के लिए उद्योग को राहत तो दे रही है, लेकिन अभी
कुल तक अनिवार्य 10 फीसदी ब्लेंडिंग के मुकाबले 7.2 फीसदी पर ही पहुंचा है।
चालू पेराई सीजन 2018-19 में चीनी मिलों ने 237 करोड़ लीटर एथेनॉल की
सप्लाई के अनुबंध किए हैं। अभी अनिवार्य 10 फीसदी का लक्ष्य दूर की कौड़ी
ही है। पिछले पेराई सीजन में चीनी मिलों ने 150 करोड़ लीटर एथेनॉल की
सप्लाई तेल कंपनियों को की थी।
इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन आफ
इंडिया (इस्मा) के अनुसार अनिवार्य 10 फीसदी ब्लेंडिंग के लिए 330 करोड़
लीटर एथेनॉल की जरुरत होती है, जबकि चालू पेराई सीजन में चीनी मिलों ने तेल
कंपनियों के साथ 237 करोड़ लीटर एथेनॉल सप्लाई के अनुबंध किए हैं। पिछले
गन्ना पेराई सीजन 2017-18 में चीनी मिलों ने तेल कंपनियों के साथ 160 करोड़
लीटर एथेनॉल सप्लाई के अनुबंध किए थे, जिसमें से सप्लाई केवल 150 करोड़
लीटर एथेनॉल की, की थी जोकि अनिवार्य 10 फीसदी ब्लेंडिंग का केवल 4.22
फीसदी ही था।
उद्योग के लिए एथेनॉल महत्वपूर्ण उत्पाद तो है ही,
यह पर्यावरण के लिए सुरक्षित ईंधन भी है साथ ही इससे बड़ी मात्रा में विदेशी
मुद्रा की बचत भी होगी। यह किसानों के लिए भी लाभकारी है। केंद्र सरकार ने
चीनी उद्योग को जून 2018 में 8,500 करोड़ रुपये का पैकेज देने की घोषणा की
थी। इसमें 4,440 करोड़ रुपये सस्ते कर्ज के रूप में एथेनॉल की उत्पादन
क्षमता बढ़ाने के लिए दिए गए थे।
सीधे गन्ने के रस से एथेनॉल का उत्पादन होने से, 5 लाख टन चीनी उत्पादन होगा कम
इस्मा
के अनुसार चीनी मिलों ने जो 237 करोड़ लीटर ऐथनॉल की सप्लाई के अनुबंध किए
हैं, उनमें से 45 करोड़ लीटर एथेनॉल की सप्लाई सीधे गन्ने के रस से बनने
वाले बी-ग्रेड शीरे से की जायेगी, जिससे पांच लाख टन चीनी के उत्पादन में
कमी आयेगी। साथ ही करीब 16.5 करोड़ लीटर ऐथनॉल की सप्लाई क्षतिग्रस्त
खाद्यान्न (सड़े हुए आलू, मक्का, खराब खाद्यान्न) आदि से की जायेगी।
वर्ष 2022 तक 10 फीसदी के स्तर पर पहुंचने की उम्मीद
उद्योग
के अनुसार पहले चार महीनों पहली दिसंबर 2018 से मार्च 2019 तक चीनी मिलों
तेल कंपनियों को 75 करोड़ लीटर एथेनॉल की सप्लाई कर चुकी है, इसमें से 21
करोड़ लीटर ऐथनॉल का उत्पादन सीधे गन्ने के रस से बनने वाले बी-ग्रेड शीरे
तथा क्षतिग्रस्त खाद्यान्न से किया गया है। इस्मा के अनुसार जिस तरह से
केंद्र सरकार ने एथेनॉल का उत्पादन बढ़ाने के लिए उद्योग को राहत दी है,
उससे अनिवार्य 10 फीसदी ब्लेंडिंग का टारगेट वर्ष 2022 तक पूरा हो जायेगा।
उद्योग को उम्मीद है कि वर्ष 2030 तक देश में ऐथनॉल का उत्पादन बढ़कर 20
फीसदी ब्लेंडिंग के स्तर पर पहुंच जायेगा।
केंद्र सरकार ने इथेनॉल के भाव बढ़ाये थे
सितंबर
में आर्थिक मामलों की मंत्रीमंडलीय समिति (सीसीईए) ने एथेनॉल की कीमतों
में भी बढ़ोतरी की थी। इसके तहत सीधे गन्ने के रस से बनने वाले बी-ग्रेड
एथेनॉल का भाव 47.13 रुपये से बढ़ाकर 52.43 रुपये प्रति लीटर कर दिया था,
हालांकि शीरे से उत्पादित सी-ग्रेड के एथेनॉल का मूल्य 43.70 रुपये से
घटाकर 43.46 रुपये प्रति लीटर कर दिया था।...... आर एस राणा
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