राज्य में खरीफ फसल बुआई के आंकड़े पिछले साल से भले ही लाख बेहतर नजर आ
रहे हैं लेकिन मॉनसून का बदला मिजाज किसान और सरकार दोनों की नींद हराम कर
दी है। पिछले साल इस समय तक 18 फीसदी फसलों की बुआई हुई थी जबकि इस बार अभी
तक 61 फीसदी से ज्यादा क्षेत्र में फसलों की बुआई हो चुकी है लेकिन बारिश
नहीं होने के कारण फसल सूखने का संकट मंडराने लगा है।
ऐसी स्थिति से निपटने के लिए सरकार जमीन और आसमान दोनों तरफ से मदद करने की तैयारी शुरु कर दी है। महाराष्ट्र कृषि विभाग के अनुसार 11 जुलाई तक 89.25 लाख हेक्टेयर में फसलों की बुआई हो चुकी है जो खरीफ सीजन के कुल सामान्य रकबा 145.35 लाख हेक्टेयर का 61.4 फीसदी है। मोटे अनाज की बुआई 28.9 फीसदी, दलहन की बुआई 55.2 फीसदी, गन्ना 37.8 फीसदी, तिलहन 88.7 फीसदी और कपास फसलों की बुआई 90.4 फीसदी हो चुकी है। जबकि पिछले साल सामान्य अवधि में मोटे अनाजों की बुआई 8.8 फीसदी, दलहन की बुआई 10 फीसदी, गन्ना 25.8 फीसदी, तिलहन की बुआई 14.5 फीसदी और कपास फसलों की बुआई 24.3 फीसदी हुई थी।
पिछले साल इस समय तक राज्य में कुल 26.14 लाख हेक्टेयर में फसलों की बुआई हुई थी जो कुल खरीफ सीजन की फसल रकबे का महज 18 फीसदी था। बुआई के बेहतर आंकड़ों के बावजूद किसान और सरकार दोनों की नींद उड़ गई है क्योंकि शुरुआती दौर में अच्छी बारिश के बाद मॉनसून नादरत हैं। राज्य में बारिश हुए करीब एक महीना बीत गया है। अच्छी बारिश की वजह से किसानों ने फसलों की बुआई तो कर दी लेकिन अब डर सताने लगा है कि कुछ दिन बारिश और नहीं हुई तो पूरी फसल सूख जाएंगी, ऐसे में जो बीज और खाद किसानों ने खेतों में डाला है वह सब खराब हो जाएगा। इसके बाद बारिश होती भी है तो किसानों को दोबारा बुआई करनी पड़ेगी। फसल सूखने के डर से किसान भयभीत है। किसानों के भय को विपक्ष राजनीतिक रंग देने की कोशिश में लगे हैं। इसकी झलक सोमवार से शुरू हुए विधानसभा सत्र में देखने को मिलेगी। विपक्ष सरकार के ऊपर आक्रमक हमला बोलने की तैयारी में है जिसमें किसानों की आत्महत्या, कर्ज माफी और राज्य में सूखे की स्थिति शामिल है।
विपक्ष के आक्रामक तेवरों का जवाब देने के लिए सरकार भी कमर कस चुकी है। इसीलिए बारिश कम होने या राज्य में सूखे की स्थिति में सरकार आपात योजना बनाने की तैयारी में जुट गई है। बतौर मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस अगर दो-चार दिनों में बारिश नहीं होने पर राज्य भर में 90 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में दोबारा बुआई के लिए किसानों को बीज और खाद उपलब्ध कराने की आपात योजना बनाई है। लेकिन किसानों का पूरा कर्ज माफ नहीं किया जाएगा क्योंकि इसका फायदा किसानों को नहीं बैंकों को होगा। किसानों के कर्ज की 25 फीसदी रकम भी आगर कृषि निवेश के रूप में लगा दी जाए तो इसका फायदा किसानों को होगा। किसानों को कर्ज उपलब्ध कराने के लिए सरकार ने नाबार्ड के साथ करार किया है इसके तहत सरकार नाबार्ड को 500 करोड़ रुपये की गारंटी देगी। सूखे की स्थिति से निपटने के लिए सरकार कृत्रिम बारिश की भी योजना तैयार कर चुकी है। मुख्यमंत्री के अनुसार अगर मॉनसून इस सप्ताह सक्रिय नहीं होता है तो अगस्त के पहले सप्ताह में सरकार कृत्रिम बारिश का प्रयोग करेगी। (BS Hindi)
ऐसी स्थिति से निपटने के लिए सरकार जमीन और आसमान दोनों तरफ से मदद करने की तैयारी शुरु कर दी है। महाराष्ट्र कृषि विभाग के अनुसार 11 जुलाई तक 89.25 लाख हेक्टेयर में फसलों की बुआई हो चुकी है जो खरीफ सीजन के कुल सामान्य रकबा 145.35 लाख हेक्टेयर का 61.4 फीसदी है। मोटे अनाज की बुआई 28.9 फीसदी, दलहन की बुआई 55.2 फीसदी, गन्ना 37.8 फीसदी, तिलहन 88.7 फीसदी और कपास फसलों की बुआई 90.4 फीसदी हो चुकी है। जबकि पिछले साल सामान्य अवधि में मोटे अनाजों की बुआई 8.8 फीसदी, दलहन की बुआई 10 फीसदी, गन्ना 25.8 फीसदी, तिलहन की बुआई 14.5 फीसदी और कपास फसलों की बुआई 24.3 फीसदी हुई थी।
पिछले साल इस समय तक राज्य में कुल 26.14 लाख हेक्टेयर में फसलों की बुआई हुई थी जो कुल खरीफ सीजन की फसल रकबे का महज 18 फीसदी था। बुआई के बेहतर आंकड़ों के बावजूद किसान और सरकार दोनों की नींद उड़ गई है क्योंकि शुरुआती दौर में अच्छी बारिश के बाद मॉनसून नादरत हैं। राज्य में बारिश हुए करीब एक महीना बीत गया है। अच्छी बारिश की वजह से किसानों ने फसलों की बुआई तो कर दी लेकिन अब डर सताने लगा है कि कुछ दिन बारिश और नहीं हुई तो पूरी फसल सूख जाएंगी, ऐसे में जो बीज और खाद किसानों ने खेतों में डाला है वह सब खराब हो जाएगा। इसके बाद बारिश होती भी है तो किसानों को दोबारा बुआई करनी पड़ेगी। फसल सूखने के डर से किसान भयभीत है। किसानों के भय को विपक्ष राजनीतिक रंग देने की कोशिश में लगे हैं। इसकी झलक सोमवार से शुरू हुए विधानसभा सत्र में देखने को मिलेगी। विपक्ष सरकार के ऊपर आक्रमक हमला बोलने की तैयारी में है जिसमें किसानों की आत्महत्या, कर्ज माफी और राज्य में सूखे की स्थिति शामिल है।
विपक्ष के आक्रामक तेवरों का जवाब देने के लिए सरकार भी कमर कस चुकी है। इसीलिए बारिश कम होने या राज्य में सूखे की स्थिति में सरकार आपात योजना बनाने की तैयारी में जुट गई है। बतौर मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस अगर दो-चार दिनों में बारिश नहीं होने पर राज्य भर में 90 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में दोबारा बुआई के लिए किसानों को बीज और खाद उपलब्ध कराने की आपात योजना बनाई है। लेकिन किसानों का पूरा कर्ज माफ नहीं किया जाएगा क्योंकि इसका फायदा किसानों को नहीं बैंकों को होगा। किसानों के कर्ज की 25 फीसदी रकम भी आगर कृषि निवेश के रूप में लगा दी जाए तो इसका फायदा किसानों को होगा। किसानों को कर्ज उपलब्ध कराने के लिए सरकार ने नाबार्ड के साथ करार किया है इसके तहत सरकार नाबार्ड को 500 करोड़ रुपये की गारंटी देगी। सूखे की स्थिति से निपटने के लिए सरकार कृत्रिम बारिश की भी योजना तैयार कर चुकी है। मुख्यमंत्री के अनुसार अगर मॉनसून इस सप्ताह सक्रिय नहीं होता है तो अगस्त के पहले सप्ताह में सरकार कृत्रिम बारिश का प्रयोग करेगी। (BS Hindi)
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