भारत की सफेद चीनी की अफ्रीकी बाजारों में बिक्री बढ़ गई है। इस कारण कच्ची
चीनी के मुकाबले रिफाइंड चीनी पर प्रीमियम घट गया। भारत की सफेद चीनी बड़ी
मात्रा में आईसीई के अगस्त वायदा में भारी छूट पर मिल रही है। व्यापारियों
का कहना है कि इस वजह से सूडान, सोमालिया जैसे अफ्रीकी बाजारों और
अफगानिस्तान जैसे देशों का भारतीय चीनी के प्रति रुझान बढ़ा है। लंदन के एक
कारोबारी ने कहा, 'भारतीय क्रिस्टल चीनी की भारी मात्रा में पेशकश से सफेद
चीनी पर प्रीमियम घट सकता है क्योंकि भारतीय चीनी उच्च गुणवत्ता की सफेद
चीनी से ज्यादा सस्ती है।'
कारोबारियों ने भारतीय क्रिस्टल चीनी के कारोबार के लिए 320-350 डॉलर प्रति टन की बोली लगाई है जो अगस्त की सफेद चीनी वायदा के मुकाबले काफी कम है। अगस्त सफेद चीनी वायदा बुधवार को 373.80 डॉलर प्रति टन के स्तर पर था। इस हफ्ते सफेद चीनी का अक्टूबर वायदा का प्रीमियम कच्चे चीनी की अक्टूबर वायदा के मुकाबले 90 डॉलर प्रति टन रहा जो दुबई में अल खलीज जैसी बड़ी रिफाइनरियों के लिए मुनाफा कमाने के लिहाज से पर्याप्त है। लंदन के कारोबारियों का कहना है, 'भारतीय चीनी एक अलग गुणवत्ता है और इसलिए इसे सभी बाजारों में नहीं भेजा जा सकता है।' भारत के पास बिक न सकी चीनी का पर्याप्त स्टॉक है और उम्मीद है कि वर्ष 2015-16 में भी फसल अच्छी ही रहेगी। चालू वर्ष में पिछली बार की ही तरह 2.8-2.85 करोड़ टन चीनी का उत्पादन होने की उम्मीद है जो घरेलू वार्षिक उपभोग से कहीं ज्यादा है। भारत में चीनी की सालाना खपत 2.45 करोड़ टन है।
भारत में कारोबारी सूत्रों का कहना है कि भारतीय चीनी मिलों ने पड़ोसी देशों और मध्य पूर्व के देशों को 2,00,000 टन चीनी का निर्यात करने के लिए करार किया है। ये सौदे पिछले कुछ हफ्तों के दौरान किए गए हैं और इन्हें जुलाई और अगस्त में पूरा किया जाना है। ईडीऐंडएफ मैन कमोडिटीज इंडिया के प्रबंध निदेशक राहिल शेख का कहना है, 'मिलें और भी निर्यात सौदे कर सकती हैं अगर मांग बची रहती हैं।' (BS Hindi)
कारोबारियों ने भारतीय क्रिस्टल चीनी के कारोबार के लिए 320-350 डॉलर प्रति टन की बोली लगाई है जो अगस्त की सफेद चीनी वायदा के मुकाबले काफी कम है। अगस्त सफेद चीनी वायदा बुधवार को 373.80 डॉलर प्रति टन के स्तर पर था। इस हफ्ते सफेद चीनी का अक्टूबर वायदा का प्रीमियम कच्चे चीनी की अक्टूबर वायदा के मुकाबले 90 डॉलर प्रति टन रहा जो दुबई में अल खलीज जैसी बड़ी रिफाइनरियों के लिए मुनाफा कमाने के लिहाज से पर्याप्त है। लंदन के कारोबारियों का कहना है, 'भारतीय चीनी एक अलग गुणवत्ता है और इसलिए इसे सभी बाजारों में नहीं भेजा जा सकता है।' भारत के पास बिक न सकी चीनी का पर्याप्त स्टॉक है और उम्मीद है कि वर्ष 2015-16 में भी फसल अच्छी ही रहेगी। चालू वर्ष में पिछली बार की ही तरह 2.8-2.85 करोड़ टन चीनी का उत्पादन होने की उम्मीद है जो घरेलू वार्षिक उपभोग से कहीं ज्यादा है। भारत में चीनी की सालाना खपत 2.45 करोड़ टन है।
भारत में कारोबारी सूत्रों का कहना है कि भारतीय चीनी मिलों ने पड़ोसी देशों और मध्य पूर्व के देशों को 2,00,000 टन चीनी का निर्यात करने के लिए करार किया है। ये सौदे पिछले कुछ हफ्तों के दौरान किए गए हैं और इन्हें जुलाई और अगस्त में पूरा किया जाना है। ईडीऐंडएफ मैन कमोडिटीज इंडिया के प्रबंध निदेशक राहिल शेख का कहना है, 'मिलें और भी निर्यात सौदे कर सकती हैं अगर मांग बची रहती हैं।' (BS Hindi)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें