30 नवंबर 2013
राहत देने के बाद भी गन्ना मूल्य पर टकराव
दिल्ली से लेकर उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र तक चीनी और गन्ना का मसला गुरुवार को हावी रहा। केंद्र सरकार जहां चीनी उद्योग को राहत पैकेज देने की तैयारी कर रही है। वहीं, गन्ना उत्तर प्रदेश में टैक्सों में राहत देने के बावजूद गन्ना मूल्य पर गतिरोध खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है। किसानों ने ज्यादा मूल्य के लिए आंदोलन का ऐलान कर दिया है जबकि मिलों ने पेराई शुरू करने से साफ इंकार कर दिया है। महाराष्ट्र में भी गन्ना मूल्य को लेकर आंदोलन उग्र हो गया है।
उत्तर प्रदेश में गन्ना मुद्दे पर संकट और गहराया
सरकार : मिलों को राहत देने के लिए टैक्स में छूट का ऐलान
मिलें : मूल्य में कटौती न होने तक पेराई शुरू न करने का निर्णय
किसान : मूल्य बढ़ाने के लिए उत्तर प्रदेश व महाराष्ट्र में आंदोलन
उत्तर प्रदेश में गन्ना मूल्य को लेकर संकट गुरुवार को और गरमा गया। राज्य सरकार ने मिलों को करों में राहत देने की पेशकश करने के साथ मिलों में पेराई एक हफ्ते के अंदर शुरू करने का अल्टीमेटम दे दिया है। निजी क्षेत्र की मिलों ने गन्ने की पेराई से स्पष्ट इंकार कर दिया है। दूसरी ओर किसान संगठनों ने गन्ना मूल्य बढ़ाने की मांग को लेकर चक्का जाम का ऐलान किया है। गन्ना मूल्य पर महाराष्ट्र में भी राजनीति गरमा गई है।
निजी क्षेत्र की 99 मिलों द्वारा किसानों से गन्ना न खरीदने से चिंतित उत्तर प्रदेश की अखिलेश यादव सरकार ने एंट्री टैक्स हटाने और खरीद शुल्क में राहत देने की घोषणा की है। सरकार ने गन्ने की ऊंची कीमत से राहत देने के इरादे से यह कदम उठाया है। राज्य में कुल 122 मिलों में से 99 मिलें निजी क्षेत्र की हैं।
चीनी उद्योग व गन्ना विकास विभाग के प्रमुख सचिव राहुल भटनागर ने इसके साथ ही कहा कि अब मिल मालिकों को और कोई राहत देना संभव नहीं है।
मिलों को 2 रुपये प्रति क्विंटल खरीद शुल्क नहीं देना होगा। इससे उन्हें करीब 160 करोड़ रुपये की राहत मिलेगी। एंट्री टैक्स हटने से भी उन्हें 219 करोड़ रुपये का लाभ होगा। तीन माह सरकार बाजार भाव की समीक्षा करेगी और अगर जरूरत होगी तो और आवश्यक कदम उठाए जाएंगे।
इसके साथ ही सरकार ने मिलों को पेराई शुरू करने के लिए एक हफ्ते का समय दिया है।
दूसरी ओर उत्तर प्रदेश में गन्ने पर सियासत गरमा गई है, वहीं महाराष्ट्र में भी किसानों की आवाज बुलंद हो गई है। उत्तर प्रदेश में हालात बेकाबू होने का खतरा पैदा हो गया है। गन्ने की कीमतों को लेकर उत्तर प्रदेश में सियासत गरमाती जा रही है। भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) ने 2 दिसंबर को चक्का जाम का ऐलान किया है।
साथ ही इस बात की चेतावनी दी है कि मिल मालिकों की मनमानी पर रोक नहीं लगी तो किसान अपने पशुओं को साथ में लेकर आंदोलन करेंगे। वहीं, भाजपा किसान मोर्चा ने राज्य सरकार पर चीन मिल मालिकों के सामने घुटने टेकने का आरोप लगाया है। उधर, राष्ट्रीय लोकदल ने भी एक दिसंबर से पश्चिमी उत्तर प्रदेश में चक्का जाम का ऐलान किया है।
किसान नेता और महाराष्ट्र से लोकसभा के सांसद राजू शेट्टी ने सरकार को 48 घंटे का अल्टीमेटम दिया है। राजू शेट्टी की पार्टी ने पश्चिमी महाराष्ट्र में बंद का ऐलान किया है। महाराष्ट्र के कराड में गन्ना किसानों ने एक बस फूंक दी है, साथ ही रत्तागिरी में भी इसके विरोध में किसानों ने प्रदर्शन किया है। कर्नाटक सरकार ने राज्य के गन्ना किसानों को प्रति क्विंटल 15 रुपये की सब्सिडी देने की घोषणा की है।
इस बीच इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन (इस्मा) के महानिदेशक अबिनाश वर्मा ने संवाददाताओं से कहा कि गन्ने के मौजूदा एसएपी सामान्य किस्म के लिए 280 रुपये प्रति क्विंटल पर मिलें पेराई शुरू करने में सक्षम नहीं है।
उन्होंने कहा कि या तो राज्य सरकार गन्ने के एसएपी में कटौती करे या फिर, चीनी की मौजूदा कीमतों में बढ़ोतरी हो, तभी मिलें चलाना संभव हो पायेगा। चीनी की मौजूदा कीमतों पर मिलों को भारी घाटा हो रहा है। उन्होंने कहा कि केंद्र और राज्य सरकारें सहायता करती है, तो भी गन्ने की मौजूदा कीमतों के आधार पर पेराई करने से मिलों को घाटा होगा।
ऐसे में चीनी उद्योग को राहत देने के लिए केंद्र सरकार निर्यात पर सब्सिडी दे सकती है, या फिर चीनी का करीब 20 लाख टन का बफर स्टॉक बना सकती है। ऐसा करने से चीनी की मौजूदा कीमतों में तेजी आ सकती है, जिससे उद्योग को राहत मिल सकती है। (Business Bhaskar)
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