08 नवंबर 2013
आलू किसानों के लिए बारिश बनी वरदान
भारी स्टॉक से घाटे की चपेट में आए आलू किसान और कारोबारियों के लिए बारिश और बाढ़ वरदान साबित हुई। दरअसल सभी उत्पादक राज्यों में आलू का भंडारण भरपूर था लेकिन घाटे के डर से घबराये आलू किसान और कारोबारियों ने जुलाई महीने से कोल्ड स्टोर से हड़बड़ी में आलू बेचना शुरू कर दिया। इससे सितंबर महीने तक आलू के भाव इतने गिर गए कि उन्हें घाटा होने लगा। इसके बाद कई राज्यों में बारिश और बाढ़ से खरीफ में आलू की फसल खराब होने के साथ ही इसकी मांग अचानक बढ़ गई।
अब आलू उबला, टमाटर हुए लाल
इस बीच बंगाल ने दूसरे राज्यों को आलू बेचना बंद कर दिया। ऐसे में मुख्य आलू उत्पादक राज्य उत्तर प्रदेश के आलू की मांग देश भर में बढऩे लगी। लिहाजा आलू के दाम में भी तेजी आने लगी। इस समय भी बारिश से नया आलू आने में देरी होने से किसानों को कोल्ड स्टोर में ज्यादा समय तक आलू रखने का मौका मिलने से आलू में तेजी बरकरार है। जाहिर है कि मौसम की चाल से आलू किसान और कारोबारी तगड़े घाटे से बच गए। वर्ष 2012-13 में 220-225 लाख आलू का भंडारण और करीब 410 लाख टन उत्पादन हुआ है।
आजादपुर आलू-प्याज कारोबारी संघ के अध्यक्ष त्रिलोकचंद शर्मा ने बताया कि इस साल उत्तर प्रदेश में 550 से 650 रुपये और बंगाल में 500 से 600 रुपये के भाव पर आलू का भंडारण हुआ है। इसमें 160-180 रुपये भंडारण किराया, पल्लेदारी, ग्रेडिंग, लदान-उतार और परिवहन का खर्चा जोड़कर आलू की लागत 850-900 रुपये प्रति क्विंटल बैठती है। शर्मा कहते हैं कि भारी स्टॉक के चलते जुलाई में लगने लगा था कि आगे आलू के दाम गिरेंगे।
इस डर से हड़बड़ाहट में कोल्ड स्टोर से आलू तेजी से निकलने के कारण यूपी में सितंबर तक दाम घटकर 800-900 रुपये प्रति क्विंटल पर आ गए। इस भाव पर 50 रुपये क्विंटल का घाटा हो रहा था। इसके बाद देश भर में बारिश से खरीफ वाला आलू खराब हो गया।
बंगाल सरकार ने कीमतें बढऩे की आशंका में राज्य से आलू बाहर भेजने पर पाबंदी लगा दी। जिससे कर्नाटक, उड़ीसा, असम समेत अन्य राज्यों में यूपी और दिल्ली से आलू की मांग बढऩे से भाव बढ़ गए। इस समय यूपी में स्टोर वाला आलू 1100-1800 रुपये और दिल्ली में 1300-2200 रुपये प्रति क्विंटल बिक रहा है। नए आलू का भाव 2000-2800 रुपये प्रति क्विंटल है। लिहाजा बीते दिनों में घाटा खा चुके किसान और कारोबारियों को अब मुनाफा हो रहा है।
राष्टï्रीय बागवानी एवं अनुसंधान विकास प्रतिष्ठïान (एनएचआरडीएफ) के निदेशक आर पी गुप्ता भी मानते हैं कि सितंबर तक स्टोर वाले आलू का भाव लागत से नीचे चला गया था। इसके बाद बारिश और बाढ़ से भाव बढ़े। बारिश से नया आलू लगने में 20 से 25 दिन देरी हो गई है। इससे अब किसानों को आराम से आलू बेचने का मौका मिल रहा है। आगरा के आलू कारोबारी दीपक अग्रवाल कहते हैं कि अगर बारिश नहीं होती तो इस समय कोल्ड स्टोर खाली करने के लिए मजबूरी में औने-पौने भाव पर घाटे में आलू बेचना पड़ता। (BS HIndi)
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें