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18 नवंबर 2013

क्या आपको अपना गोल्ड ईटीएफ बेच देना चाहिए?

घरेलू बाजार में सोने की कीमतों में बढ़ोतरी के साथ हाल के दिनों में गोल्ड एक्सचेंज ट्रेडेड फंडों (ईटीएफ) को भुनाने का सिलसिला तेज हुआ है। लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि पीली धातु में बिकवाली का यह सही समय नहीं है, क्योंकि कमजोर रुपये के चलते इसकी कीमतें स्थिर रहने का अनुमान है। कमजोर रुपये के कारण घरेलू बाजार मेंं सोने की कीमतों में मजबूती है और यह धातु फिलहाल लगभग 30,845 रुपये प्रति 10 ग्राम के आसपास है। वैल्यू रिसर्च ऑनलाइन के आंकड़ों के मुताबिक औसतन छह महीने की अवधि के दौरान ईटीएफ पर लगभग 8.34 फीसदी का रिटर्न देखने को मिला है।इस तेजी को देखते हुए कुछ निवेशक अपने निवेश को भुना रहे हैं और मुनाफा कमा रहे हैं। एसोसिएशन ऑफ म्युचुअल फंड्स इन इंडिया (एम्फी) के आंकड़ों के मुताबिक गोल्ड ईटीएफ के तहत प्रबंधित संपत्तियों का आंकड़ा अक्टूबर में गिरकर 9,894 करोड़ रुपये रह गया था, जो जुलाई में 10,669 करोड़ रुपये था। इस श्रेणी में इस साल जुलाई से अक्टूबर के बीच 1,277 करोड़ रुपये की बिकवाली हुई थी। अगर आपके पास नकदी की कमी नहीं है तो फिलहाल गोल्ड ईटीएफ में बिकवाली से परहेज कीजिए। घरेलू बाजार में सोने की कीमतों में कमजोर रुपये की स्थिति का सामना करने के लिए हेज की सुविधा उपलब्ध है, क्योंकि रुपया गिरने पर सोने की कीमतें चढ़ती हैं। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सोने की कीमतें स्थिर रहने का अनुमान है, जबकि रुपया कमजोरी के संकेत दे रहा है। इस परिदृश्य में निवेशकों को सोने में अपना निवेश बनाए रखना चाहिए। म्युचुअल फंड शोध कंपनी फंड्स इंडिया डॉट कॉम की प्रमुख विद्या बेला कहती हैं, 'सोने की कीमतों में तेजी का फायदा उठाने के लिए बड़े स्तर पर बिकवाली मत कीजिए। पांच साल के दौरान सोने ने दहाई अंक में रिटर्न दिया है और इस रुझान में बदलाव की उम्मीद कम ही है।Ó वैल्यू रिसर्च ऑनलाइन के मुताबिक गोल्ड ईटीएफ ने तीन साल और पांच साल की अवधि में क्रमश: 11.43 फीसदी और 19.34 फीसदी का रिटर्न दिया है। सोना महंगाई के खिलाफ हेज की सुविधा उपलब्ध कराता है। वेल्थरेज ग्रुप (प्रतिभूति और कमोडिटी) निदेशक किरण कुमार कविकोंडला कहते हैं, 'घरेलू स्तर पर ऊंचे आयात शुल्क और कमजोर रुपये के कारण कीमतें ऊंची चल रही हैं। लेकिन निवेशकों को सोने से पूरी तरह दूरी नहीं बनानी चाहिए, क्योंकि संपत्ति की यही एक मात्र श्रेणी है जो महंगाई को शिकस्त दे सकती है।Ó यदि आपके पोर्टफोलियो में सोने की हिस्सेदारी काफी बढ़ गई है तो आपको अपने पोर्टफोलियो को संतुलित करना चाहिए। आईडीबीआई म्युचुअल फंड के मुख्य कार्यकारी देवाशिष मलिक बिकवाली का रुझान बढऩे से सहमति जताते हुए कहते हैं कि निवेशकों को अपने जोखिम और वित्तीय लक्ष्यों के आधार पर महंगी धातु के साथ बने रहना चाहिए। मलिक कहते हैं, 'उदाहरण के लिए किसी एक निवेशक को अपनी कुल रकम का 5 से 10 फीसदी से ज्यादा सोने में निवेश नहीं करना चाहिए। अगर यह आंकड़ा ज्यादा है तो आप निकट भविष्य में जोखिम से बचाव के उपाय कर सकते हैं। (BS Hindi)

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