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18 जनवरी 2016

ठंड से जगी रबी की उम्मीद


उत्तर प्रदेश, गुजरात और महाराष्ट्र में सिंचाई के लिए मुख्य रूप सेबारिश पर निर्भर रहने वाले इलाकों में बुआई क्षेत्र कम रहा है। इस वजह से 15 जनवरी को खत्म होने वाले सप्ताह में गेहूं की बुआई पिछले साल की तुलना में कम रही। मिट्टी में नमी की कम मात्रा और इस सीजन में असामान्य रूप से गर्म मौसम ने इन क्षेत्रों में रबी की बुआई पर असर डाला है। हालांकि उत्तर भारत में मौसम के ठंडे होते मिजाज को देखते हुए अधिकारियों का कहना है कि आने वाले हफ्तों में बुआई जोर पकड़ सकती है।
 मौसम की भविष्यवाणी करने वाली निजी कंपनी स्काईमेट ने अपनी ताजी रिपोर्ट में कहा है कि आने वाले कुछ दिनों में भारत के अधिकांश हिस्सों में सर्दी की अच्छी बरसात होने की संभावना है। इसका कहना है कि 16 से शुरू होकर 20 जनवरी तक इन पांच दिनों में बारिश की उम्मीद है। कृषि विभाग के आंकड़े दर्शाते हैं कि शुक्रवार तक 2.889 करोड़ हेक्टेयर जमीन पर गेहूं की बुआई की गई है जो पिछले साल इसी अवधि की तुलना में 14.5 लाख हेक्टेयर कम है। रबी की सभी फसलों की यही स्थिति है। शुक्रवार तक रबी की सभी फसलें 5.773 करोड़ हेक्टेयर पर बोई गई हैं जो पिछले साल की इसी अवधि की तुलना में की गई बुआई से 18.4 लाख हेक्टेयर कम है। रबी सीजन में उगाई जाने वाली प्रमुख तिलहन फसल सरसों को 62.8 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में बोया गया है। यह भी पिछले साल की 64.9 लाख हेक्टेयर से कम है। दलहनों की बुआई 1.363 करोड़ हेक्टेयर क्षेत्र में की गई है जो पिछले साल की 
इसी अवधि में की गई बुआई से करीब तीन लाख हेक्टेयर कम है।
 फरवरी तक दलहनों की अच्छी बुआई हो सकती है। आने वाले दिनों में मौसम के ठंडे रुख को देखते हुए बुआई जोर पकड़ सकती है। अगर मौसम साथ नहीं देता है तो रबी की फसल अधर में लटक जाएगी क्योंकि देश के विभिन्न 90 जलाशयों का स्तर पिछले साल के स्तर से नीचे है जो पिछले 10 सालों के औसर स्तर से भी कम है।

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