नई दिल्ली। केंद्रीय पूल से सोयाबीन की बिक्री करने से घरेलू बाजार में इसकी कीमतों पर दबाव बनेगा, जिस कारण किसानों को नुकसान होगा। साथ ही इसका असर खरीफ सीजन में होने वाली सोयाबीन की बुआई पर भी पड़ेगा।
सोयाबीन प्रोसेसर्स एसोसिएशन आफ इंडिया, सोपा ने केंद्रीय कृषि मंत्री को पत्र लिखकर बुआई से पहले सोयाबीन नहीं बेचने की मांग की है। सोपा के अनुसार सोयाबीन के दाम उत्पादक मंडियों में 3,900 से 4,100 रुपये प्रति क्विंटल है, जोकि न्यूनतम समर्थन मूल्य, एमएसपी 4,892 रुपये प्रति क्विंटल की तुलना में नीचे बने हुए हैं।
अत: केंद्रीय एजेंसी द्वारा खुले बाजार में केंद्रीय पूल से सोयाबीन की बिक्री करने से मौजूदा कीमतों पर और दबाव बनेगा। सोपा के अनुसार आमतौर पर सोयाबीन की बुआई जून के तीसरे सप्ताह से शुरू होती है जोकि आमतौर पर बुआई 15 जुलाई तक बुआई जारी रहती है।
महाराष्ट्र एवं मध्य प्रदेश के साथ ही राजस्थान में सोयाबीन का सबसे ज्यादा उत्पादन होता है तथा इन राज्यों के किसानों का कहना है कि सोयाबीन के दाम उत्पादक मंडियों में एमएसपी पर 800 से 1,000 रुपये प्रति क्विंटल तक नीचे बने हुए हैं। भाव कम होने के कारण किसान सोयाबीन के बजाए दूसरी फसलों की बुआई को प्राथमिकता देंगे, जिसका असर घरेलू बाजार में खाद्वय तेलों के आयात पर पड़ेगा।
सोया ने केंद्रीय कृषि मंत्री से मांग की है कि सोयाबीन की बिक्री 15 जुलाई के बाद ही शुरू की जाए, ताकि बुआई पर इसका असर नहीं पड़े।
मालूम हो कि भारतीय राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन संघ (नेफेड) मध्य प्रदेश में 2024 खरीफ सीजन के दौरान न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के तहत खरीदी गई 3,88,796.24 टन सोयाबीन की बिक्री शुरू करेगी। 3 मार्च, 2025 से ई-नीलामी के माध्यम से बिक्री प्रक्रिया शुरू करने का प्रस्ताव है।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें