नई दिल्ली। बुआई में आई कमी के कारण चालू रबी सीजन में देश में सरसों का उत्पादन घटकर 115.2 लाख टन ही होने का अनुमान है, जबकि पिछले साल इसका उत्पादन 115.8 लाख टन का हुआ था।
सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया, एसईए के अनुसार कृषि मंत्रालय के 89.30 लाख हेक्टेयर की तुलना में चालू रबी सीजन में सरसों की बुआई बढ़कर 92.15 लाख हेक्टेयर में
हुई है। हालांकि यह पिछले साल के 100.5 लाख हेक्टेयर की तुलना में 11 फीसदी कम है।
एसईए के अध्यक्ष संजीव अस्थाना के अनुसार भारत दुनिया का सबसे बड़ा खाद्वय तेलों का आयातक है, जिसका असर किसानों के साथ ही सरकारी खजाने पर भी पड़ रहा है। अत: एसईए घरेलू तिलहन का उत्पादन बढ़ाने के लिए मॉडल मस्टर्ड फार्म प्रोजेक्ट चला रहा है, जिसका मकसद 2029-30 तक देश में सरसों का उत्पादन बढ़ाकर 200 लाख टन तक करना है।
सबसे बड़े उत्पादक राज्य राजस्थान में चालू रबी सीजन में 53.02 लाख टन सरसों के उत्पादन का अनुमान है। इसके अलावा मध्य प्रदेश में 14.66 लाख टन और उत्तर प्रदेश में 15.60 लाख टन तथा हरियाणा में 12.30 लाख टन के उत्पादन का अनुमान है।
अन्य राज्यों पश्चिम बंगाल 6.79 लाख टन, झारखंड में 2.85 लाख टन, असम में 2.52 लाख टन तथा गुजरात में 5.38 लाख टन के अलावा अन्य राज्यों में 3.02 लाख टन के उत्पादन का अनुमान है।
केंद्र सरकार ने रबी विपणन सीजन 2025-26 के लिए सरसों का 5,950 रुपये प्रति क्विंटल है जबकि उत्पादक मंडियों में नई सरसों 5,400 से 5,600 रुपये प्रति क्विंटल क्वालिटी अनुसार बिक रही है। व्यापारियों के अनुसार मौसम अनुकूल रहा तो होली के बाद नई सरसों की आवकों में बढ़ोतरी होगी तथा जल्द ही सरसों की समर्थन मूल्य पर खरीद शुरू नहीं हुई तो मौजूदा भाव में और भी गिरावट आयेगी।
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