नई दिल्ली। पहली अक्टूबर 2025 में शुरू होने वाले गन्ना पेराई सीजन 2025-26 (अक्टूबर से सितंबर) के आरंभ में देश में 60 लाख टन चीनी का बकाया बचने का अनुमान है जोकि तय मानकों 50-55 लाख टन से ज्यादा है।
भारतीय चीनी और जैव-ऊर्जा निर्माता संघ (इस्मा) के महानिदेशक के अनुसार पेराई सीजन 2024-25 के शुरुआत में चीनी का बकाया स्टॉक 80 लाख टन था। पेराई सीजन 2024-25 के दौरान चीनी का उत्पादन अनुमान 272 लाख टन का है, जो कि पिछले पेराई सीजन 2023-24 के 320 लाख टन से लगभग 15 फीसदी कम है। अत: 80 लाख टन का शुरुआती स्टॉक और 272 लाख टन के अनुमानित उत्पादन के साथ 2024-25 में कुल चीनी की उपलब्धता 352 लाख टन की हो जाएगी। भारत में सालाना करीब 280 लाख टन चीनी की खपत होती है। इससे अगले सीजन के लिए शुरुआती स्टॉक के तौर पर करीब 60 लाख टन चीनी उपलब्ध होगी।
पेराई सीजन 2023-24 में चीनी निर्यात को प्रतिबंधित करने के बाद, केंद्र सरकार ने इस साल 21 जनवरी को चीनी मिलों को 10 लाख टन निर्यात करने की अनुमति दी है। सरकार ने पिछले साल घरेलू बाजारों में मूल्य स्थिरता बनाए रखने के लिए चीनी के निर्यात पर रोक लगाई थी।
इस्मा के अनुसार 10 लाख टन चीनी के निर्यात के बाद भी देश में सीजन के अंत में 60 लाख टन का बकाया स्टॉक बचेगा। आम तौर पर सरकार सीजन के अंत बकाया स्टॉक के तौर पर 50-55 लाख टन चीनी रखना चाहती है। अत: 10 लाख टन चीनी के निर्यात की अनुमति देने के बाद भी हमारे पास करीब 60 लाख टन चीनी का स्टॉक होगा। इसलिए सरकार ने निर्यात की अनुमति दी है।
इस्मा के अनुसार घरेलू चीनी मिलों के पास सितंबर तक का समय है ऐसे में मिलें अगले दो महीनों में 10 लाख टन चीनी के निर्यात का कोटा पूरा कर लेंगी।
इस समय, महाराष्ट्र में चीनी की एक्स-मिल कीमत 3,800 रुपये प्रति क्विंटल और उत्तर प्रदेश में 4,000-4,050 रुपये प्रति क्विंटल है। खपत का सीजन होने के कारण आगामी दिनों में चीनी की मांग बढ़ेगी, जिससे मौजूदा कीमतों में 100 से 200 रुपये प्रति क्विंटल की तेजी आने का अनुमान है। मालूम हो कि पिछले दो वर्षों से चीनी का औसत खुदरा मूल्य लगभग स्थिर बना हुआ है। मालूम हो कि केंद्र सरकार ने पिछले पांच वर्षों में चीनी के न्यूनतम बिक्री मूल्य, एमईपी में संशोधन नहीं किया गया है। 2019 में इसे 31 रुपये प्रति किलो निर्धारित किया गया था, जबकि चीनी उत्पादन की अनुमानित लागत करीब 41 रुपये प्रति किलो है।
भारतीय चीनी और जैव-ऊर्जा निर्माता संघ (इस्मा) के महानिदेशक के अनुसार पेराई सीजन 2024-25 के शुरुआत में चीनी का बकाया स्टॉक 80 लाख टन था। पेराई सीजन 2024-25 के दौरान चीनी का उत्पादन अनुमान 272 लाख टन का है, जो कि पिछले पेराई सीजन 2023-24 के 320 लाख टन से लगभग 15 फीसदी कम है। अत: 80 लाख टन का शुरुआती स्टॉक और 272 लाख टन के अनुमानित उत्पादन के साथ 2024-25 में कुल चीनी की उपलब्धता 352 लाख टन की हो जाएगी। भारत में सालाना करीब 280 लाख टन चीनी की खपत होती है। इससे अगले सीजन के लिए शुरुआती स्टॉक के तौर पर करीब 60 लाख टन चीनी उपलब्ध होगी।
पेराई सीजन 2023-24 में चीनी निर्यात को प्रतिबंधित करने के बाद, केंद्र सरकार ने इस साल 21 जनवरी को चीनी मिलों को 10 लाख टन निर्यात करने की अनुमति दी है। सरकार ने पिछले साल घरेलू बाजारों में मूल्य स्थिरता बनाए रखने के लिए चीनी के निर्यात पर रोक लगाई थी।
इस्मा के अनुसार 10 लाख टन चीनी के निर्यात के बाद भी देश में सीजन के अंत में 60 लाख टन का बकाया स्टॉक बचेगा। आम तौर पर सरकार सीजन के अंत बकाया स्टॉक के तौर पर 50-55 लाख टन चीनी रखना चाहती है। अत: 10 लाख टन चीनी के निर्यात की अनुमति देने के बाद भी हमारे पास करीब 60 लाख टन चीनी का स्टॉक होगा। इसलिए सरकार ने निर्यात की अनुमति दी है।
इस्मा के अनुसार घरेलू चीनी मिलों के पास सितंबर तक का समय है ऐसे में मिलें अगले दो महीनों में 10 लाख टन चीनी के निर्यात का कोटा पूरा कर लेंगी।
इस समय, महाराष्ट्र में चीनी की एक्स-मिल कीमत 3,800 रुपये प्रति क्विंटल और उत्तर प्रदेश में 4,000-4,050 रुपये प्रति क्विंटल है। खपत का सीजन होने के कारण आगामी दिनों में चीनी की मांग बढ़ेगी, जिससे मौजूदा कीमतों में 100 से 200 रुपये प्रति क्विंटल की तेजी आने का अनुमान है। मालूम हो कि पिछले दो वर्षों से चीनी का औसत खुदरा मूल्य लगभग स्थिर बना हुआ है। मालूम हो कि केंद्र सरकार ने पिछले पांच वर्षों में चीनी के न्यूनतम बिक्री मूल्य, एमईपी में संशोधन नहीं किया गया है। 2019 में इसे 31 रुपये प्रति किलो निर्धारित किया गया था, जबकि चीनी उत्पादन की अनुमानित लागत करीब 41 रुपये प्रति किलो है।
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