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26 मार्च 2025

स्पिनिंग मिलों की खरीद सीमित होने से गुजरात में कॉटन रुकी, उत्तर भारत में तेज

नई दिल्ली। स्पिनिंग मिलों की मांग सीमित होने के कारण मंगलवार को गुजरात में कॉटन की कीमत स्थिर हो गई, जबकि उत्तर भारत के राज्यों में इसके दाम तेज हुए।

गुजरात के अहमदाबाद में 29 शंकर-6 किस्म की कॉटन के भाव मंगलवार को 53,200 से 53,600 रुपये प्रति कैंडी, एक कैंडी-356 किलो पर स्थिर हो गए।

पंजाब में रुई के हाजिर डिलीवरी के भाव तेज होकर 5510 से 5530 रुपये प्रति मन बोले गए।हरियाणा में रुई के भाव हाजिर डिलीवरी के भाव 5450 से 5470 रुपये प्रति मन बोले गए। ऊपरी राजस्थान में रुई के भाव हाजिर डिलीवरी के भाव बढ़कर 5540 से 5560 रुपये प्रति मन बोले गए। खैरथल लाइन में कॉटन के भाव तेज होकर 53,200 से 53,300 रुपये कैंडी, एक कैंडी-356 किलो बोले गए।

देशभर की मंडियों में कपास की आवक 67,300 गांठ, एक गांठ-170 किलो की हुई।

घरेलू वायदा बाजार एमसीएक्स के साथ ही एनसीडीएक्स पर आज शाम को कॉटन की कीमतों में तेजी का रुख रहा। आईसीई के इलेक्ट्रॉनिक ट्रेडिंग में कॉटन के दाम तेज हुए।

स्पिनिंग मिलों की मांग सीमित होने के कारण गुजरात के साथ ही उत्तर भारत में कॉटन की कीमत स्थिर हो गई। व्यापारियों के अनुसार मौजूदा दाम पर जिनर्स की बिकवाली कमजोर है, तथा स्पिनिंग मिलों की पास कॉटन का बकाया स्टॉक कम है। उधर विश्व बाजार में कॉटन के दाम हाल ही में कमजोर हुए थे, जिस कारण इसके आयात पड़ते सस्ते हैं तथा निर्यात सौदे सीमित मात्रा में ही हो रहे हैं। इसलिए कॉटन की कीमतों में आगे सुधार बन सकता है।

घरेलू बाजार में सीसीआई के पास कॉटन का भारी भरकम स्टॉक है, इसलिए आगामी दिनों में घरेलू बाजार में इसके भाव में तेजी, मंदी सीसीआई के बिक्री दाम पर भी निर्भर करेगी।

कृषि मंत्रालय के दूसरे आरंभिक अनुमान के अनुसार खरीफ सीजन में कपास का उत्पादन 294.25 लाख गांठ (एक गांठ 170 किलोग्राम) होने का अनुमान है, जो क‍ि इसके पहले के अनुमान 299.26 लाख गांठ के मुकाबले कम है।

कॉटन एसोसिएशन ऑफ इंडिया, सीएआई ने कॉटन के उत्पादन अनुमान में 6.45 लाख गांठ की कटौती की है। पहली अक्टूबर 2024 से शुरू हुए चालू फसल सीजन 2024-25 में देश में 295.30 लाख गांठ, एक गांठ-170 किलो कॉटन के उत्पादन का अनुमान है, जबकि इससे पहले 301.75 लाख गांठ के उत्पादन का अनुमान था। पिछले फसल सीजन 2023-24 के दौरान देश में 325.29 लाख गांठ कॉटन का उत्पादन हुआ था।

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