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27 सितंबर 2022

चालू खरीफ में धान के साथ ही दलहन एवं तिलहन की बुआई कम, कपास की ज्यादा

नई दिल्ली। देश के कई राज्यों में असामान्य बारिश होने के कारण खरीफ की प्रमुख फसल धान की रोपाई चालू खरीफ में 5.51 फीसदी पिछड़ी है। साथ ही दलहन एवं तिलहन की बुआई में भी कमी आई है। हालांकि कपास के साथ ही मोटे अनाजों की बुआई पिछले साल की तुलना में बढ़ी है।


कृषि मंत्रालय के अनुसार खरीफ की प्रमुख फसल धान की रोपाई चालू खरीफ में 23 सितंबर तक 5.51 फीसदी घटकर 401.56 लाख हेक्टेयर में ही हो पाई है, जबकि पिछले खरीफ सीजन की समान अवधि में 425 लाख हेक्टेयर में रोपाई हो चुकी थी।

मंत्रालय के अनुसार चालू खरीफ में देशभर के राज्यों में खरीफ फसलों की कुल बुआई घटकर 1,097.57 लाख हेक्टेयर में हो पाई है, जबकि पिछले साल इस समय तक इनकी बुआई 1,111.36 लाख हेक्टेयर में हो चुकी थी।

दलहनी फसलों की कुल बुआई चालू खरीफ में 3.95 फीसदी घटकर 132.83 लाख हेक्टेयर में ही हो पाई है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 139.29 लाख हेक्टेयर से कम है। खरीफ दलहन की प्रमुख फसल अरहर की बुआई चालू खरीफ में 46.04 लाख हेक्टेयर में, उड़द की 37.75 लाख हेक्टेयर में और मूंग की 33.37 लाख हेक्टेयर में ही हुई है। पिछले खरीफ सीजन की समान अवधि में इनकी बुआई क्रमशः 48.22 लाख हेक्टेयर में, 39.26 लाख हेक्टेयर में और 34.71 लाख हेक्टेयर में हुई थी।

अन्य दालों की बुआई चालू खरीफ में 15.25 लाख हेक्टेयर में हुई है, जोकि पिछले खरीफ की समान अवधि के 15.38 लाख हेक्टेयर से कम है।

मोटे अनाजों की बुवाई चालू खरीफ में बढ़कर 181.43 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 174.05 लाख हेक्टेयर से ज्यादा है। मोटे अनाजों में ज्वार की बुआई 13.96 लाख हेक्टेयर में और बाजरा की 69.89 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जबकि पिछले साल इस समय तक इनकी बुआई क्रमशः 14.64 लाख हेक्टेयर और 63.29 लाख हेक्टेयर में ही हो पाई थी।

मक्का की बुआई चालू खरीफ में 83 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जबकि पिछले साल इस समय तक 81.26 लाख हेक्टेयर में ही हो पाई थी। रागी की बुआई चालू खरीफ में 8.56 लाख हेक्टेयर में ही हो पाई है, जबकि पिछले खरीफ में इसकी बुआई 9.59 लाख हेक्टेयर में हो चुकी थी।

तिलहनी फसलों की बुआई चालू खरीफ में घटकर 191.75 लाख हेक्टेयर में ही हो पाई है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 193.28 लाख हेक्टेयर से कम है। तिलहन में मूंगफली की बुवाई चालू खरीफ में 45.53 लाख हेक्टेयर में, सोयाबीन की 120.83 लाख हेक्टेयर में और सनफ्लावर की 2.02 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है। पिछले साल इस समय तक इनकी बुआई क्रमशः 49.15 लाख हेक्टेयर में, 120.86 लाख हेक्टेयर में और 1.53 लाख हेक्टेयर में ही हो पाई थी।

शीशम सीड की बुवाई चालू खरीफ में 13.35 लाख हेक्टेयर में और कैस्टर सीड की 8.81 लाख हेक्टेयर में हुई है, जबकि पिछले खरीफ की समान अवधि में इनकी बुआई क्रमशः 13.20 लाख हेक्टेयर में और 7.40 लाख हेक्टेयर में ही हो पाई थी।

कपास की बुआई चालू खरीफ में बढ़कर 127.39 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 118.56 लाख हेक्टेयर से ज्यादा है।

गन्ने की बुआई चालू खरीफ में 55.65 लाख हेक्टेयर में हुई है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 55.22 लाख हेक्टेयर से ज्यादा है। 

चालू खरीफ में कपास की बुआई 7.44 फीसदी बढ़कर 127 लाख हेक्टेयर के पार

नई दिल्ली। चालू खरीफ सीजन में 23 सितंबर तक देशभर के राज्यों में कपास की बुआई 7.44 फीसदी बढ़कर 127.39 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जबकि पिछले साल की समान अवधि में इसकी बुआई 118.56 लाख हेक्टेयर में ही हो पाई थी।


उत्तर भारत के राज्यों पंजाब और हरियाणा में चालू खरीफ में कपास की बुआई घटकर क्रमशः 2.48 और 6.50 लाख हेक्टेयर में ही हो पाई है, जबकि पिछले साल इस समय तक इन राज्यों में क्रमशः 2.54 और 6.88 लाख हेक्टेयर में बुआई हो चुकी थी।

राजस्थान में जरूर चालू खरीफ में कपास की बुआई बढ़कर 6.83 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 6.28 लाख हेक्टेयर से ज्यादा है।

गुजरात में चालू खरीफ में कपास की बुआई बढ़कर 25.48 लाख हेक्टेयर में और महाराष्ट्र में 42.29 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जबकि पिछले साल की समान अवधि में इन राज्यों में क्रमशः 22.53 और 39.57 लाख हेक्टेयर में ही बुआई हो पाई थी।

मध्य प्रदेश में चालू खरीफ में कपास की बुआई घटकर 5.99 लाख हेक्टेयर में ही हो पाई है, जबकि पिछले खरीफ सीजन की समान अवधि में इसकी बुआई 6 लाख हेक्टेयर में हो चुकी थी।

दक्षिण भारत के राज्यों तेलंगाना में चालू खरीफ में कपास की बुआई घटकर 20.22 लाख हेक्टेयर में ही हो पाई है, जबकि पिछले खरीफ की समान अवधि में इसकी बुआई 20.62 लाख हेक्टेयर में हो चुकी थी।

आंध्र प्रदेश में चालू खरीफ में कपास की बुआई 6.47 लाख हेक्टेयर में, कर्नाटक में 8.21 लाख हेक्टेयर में और तमिलनाडु में 0.47 लाख हेक्टेयर में बुआई हो चुकी है, जबकि पिछले खरीफ सीजन की समान अवधि में इन राज्यों में क्रमशः 4.93 लाख हेक्टेयर में, 6.43 लाख हेक्टेयर में और 0.43 हेक्टेयर में ही बुआई हो पाई थी।

चालू खरीफ में ओडिशा में कपास की बुआई 2.16 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 1.96 लाख हेक्टेयर से ज्यादा है।

आज नये गुवार की आमदनी 2500 बोरी

 24/09/2022 2500 बोरी



(1) श्री गंगानगर जिला-- 2310 बोरी




                    नया-----पुराना


गंगानगर-----------------500 बोरी

विजयनगर---------------040 बोरी

घङसाना ----------------------025 बोरी

रावला-------------------000 बोरी

अनुपगढ-----------------000 बोरी

केसरीसिहपूर-------------850 बोरी 

रायसिंहनगर-------------100 बोरी

सादूलशहर -------------------000 बोरी 

कर्णपूर ------------------------080 बोरी 

गजसिहपूर -------------------175 बोरी

सुरतगढ -----------------------000 बोरी 

रिडमलसर --------------------180 बोरी 

पदमपूर -----------------------300 बोरी

जैतसर-------------------060 बोरी 


(2310 बोरी गुवार नया ) 

   

(2) हनुमानगढ जिला--- *100 बोरी


  

                        नया-----पुराना


हनुमानगढ टाऊन---------000 बोरी 

HMH जंक्शन --------------000 बोरी

रावतसर-----------------000 बोरी

नोहर--------------------000 बोरी

पीलीबंगा --------------------025 बोरी

भादरा-------------------010 बोरी

संगरिया ----------------------045 बोरी 

गोलूवाला----------------020 बोरी

साहवा-------------------000 बोरी


( 100 बोरी गुवार नया ) 



(3) हरियाणा राज्य---- 50  बोरी

                        नया-----पुराना


  

आदमपूर ------------------------50 बोरी 


(50 बोरी गुवार नया)



 (4) बीकानेर जिला---- 40 बोरी

                           नया      पुराना


 ऊन मंडी -----------------------15 बोरी

डुग॔रगढ -------------------------25 बोरी 


(40 बोरी गुवार नया)


आज नये गुवार की आमदनी 2500 बोरी


,21/09/20022

से 26!/10/2022

तक आमदनी नये गुवार की


5178+2500=7678


 आज नये गुवार की आमदनी करीब 3200 बोरी के आसपास थी बरसात होने और माल अत्यधिक नमी वाला होने के कारण निलाम नही हुआ भाव आज नये गुवार का 4100 से 4800 रूपये तक रहा आज हनुमानगढ जिले मे करीब करीब सभी जगहो पर बरसाता रही और गंगानगर जिले के कुछ हिस्सों मे भी बरसात रही कटाई वाला गुवार काला होगा जहा बरसात ज्यादा है वहा भी ज्यादा काला होगा पर बरसात सभी जगहो पर रही आज गम का कामकाज 700 टन से ऊपर रहा ज्यादातर गम अक्टूबर से 60 रूपये घटाकर नेट पैमेंट पर बिका 

आज वायदे मे गुवार गम मे मंदी जबरदस्त रही सबसे बडी बात वोल्यूम की कमी है आम जनता वायदे से दूर हो चुकी है आम व्यापारी वैसे भी इस साल सरसो चना गेहूँ मे घाटा दे चुका है गुवार से पिछा छूडाया है आम आदमी की ताकत नही रही वायदे मे काम करे 

बरसात होने के कारण नहरी इलाको मे फसलो की क्वालिटी पर काफी प्रभाव पडा है क्वालिटी हल्की होने का खतरा मंडराने लगा है 

आज किसानी कपास की आमदनी अच्छी रही भाव 9200 तक रहे 

मूंग और मोठ की क्वालिटी प्रभावित हुई है बरसातो से 

आज सरसो हाजिर मे करीब 200 रूपये की मंदी रही 


उत्तर भारत के राज्यों की मंडियों में 27 सितंबर धान के भाव

उत्तर भारत के राज्यों की मंडियों में 27 सितंबर धान के भाव


 Mathura mandi update

1509 arrival 6000 bag 

2800 to 3411

Goverdhan mandi

Arrival 4000 bag 

2700 to 3350 

Moisture overall 19,20 to 26,28,

Agrwal enterprises

Mathura

Hodal mandi

1509-3250

Arvail -12000 bags

Palwal Mandi 1509

Rate - 3351

Aarival - 1200 to 1500 bags

Kurukshetra mandi 1509

Com. 3420

Hand 3610

Ab tak

DATE- 27/09/2022.


MANDI- KARNAL. HARYANA


------------------------------------

Aarival- 6'000. Bags.


-------------------------------------

New 1509. Combain.

Rate- 3580 manav rice mill ganaur


जहांगीराबाद 

1509 -20000 bags

  कंबाइन   2000 to 3000

हाथ की  2000 to 3600

80 % डेरिया खराब है डेमेज  है बारिस में

सुगन्धा -300 bags 2500 to 2750

 BYR हरियाणा  के है

Tarn Taran Mandi arrival 1509 18000 bag total old and new. Rate 3637 rs boli pe

Bundi Mandi to

1509

2900to 3341

Awake 2000

Bulandshahr mandi

1509-3761

Com -3521

Arvail -7000 bags

गढ़मुक्तेश्वर मंडी यूपी

2@4 ढेरी बोलीवर3651✋️

1509

3400/- to 3601/- ✋

कंपाइन

3001/- to 3401🚜

 

 सुबह 2@4 डेयरी Rs10 @2651

RH10

2001/- to 2551/-

Medium 1509✋️

2500@3300

धान शरबती

2000@2351

धान ताज🌾🌾

2800@3050

धान सुगंध🌾🌾

2600@3000



Monster20%22%

टोटलअराइवल@25000 

27,09.2022

23 सितंबर 2022

नए सीजन के आरंभ में कॉटन का ओपनिंग स्टॉक 38.87 लाख गांठ, पिछले साल से 46 फीसदी कम

नई दिल्ली। पहली अक्टूबर 2022 से शुरू होने वाले फसल सीजन 2022-23 में कॉटन का ओपनिंग स्टॉक केवल 38.87 लाख गांठ का ही होगा, जोकि पहली अक्टूबर 2021 के 71.84 लाख गांठ से 45.89 फीसदी कम है।


कमेटी आफ कॉटन प्रोडक्शन एवं कंजम्शन, सीओसीपी के अनुसार फसल सीजन 2021-22 के दौरान देश से जहां 43 लाख गांठ का निर्यात हुआ है, वहीं 14 लाख गांठ का आयात हुआ है। जबकि इसके पिछले फसल सीजन 2019-20 के दौरान देश से 47.04 लाख गांठ का निर्यात हुआ था, जबकि 15.50 लाख गांठ का आयात हुआ था।  

कॉटन की कीमतों में सप्ताह से चली आ रही गिरावट गुरूवार को रुक गई, तथा अहमदाबाद में शंकर-6 किस्म की कॉटन के दाम 500 रुपये तेज होकर 74,500 से 75,500 रुपये प्रति कैंडी, एक कैंडी-356 किलो हो गए। हालांकि बढ़ी हुई कीमतों में स्पिनिंग मिलों की मांग कमजोर देखी गई।

व्यापारियों के अनुसार विदेशी बाजार में बुधवार को कॉटन की कीमतों में तेजी आई थी, साथ ही आईसीई के इलेक्ट्रॉनिक ट्रेडिंग में आज सुबह के सत्र में इसके दाम तेज खुले थे, हालांकि शाम को भाव नरम हो गए।

विदेशी बाजार में बुधवार को कॉटन की कीमतों में तेजी दर्ज की गई थी। आईसीई कॉटन के दिसंबर वायदा अनुबंध में 359 प्वांइट की तेजी आकर भाव 96.92 सेंट हो गए थे। मार्च-2023 वायदा अनुबंध में 361 प्वांइट की तेजी आकर भाव 94.06 सेंट हो गए थे। इस दौरान जुलाई-23 वायदा अनुबंध में 307 प्वाइंट की तेजी आकर भाव 89.09 सेंट हो गए थे।

उत्पादक मंडियों में नई कपास की दैनिक आवक बढ़ रही है तथा मौसम साफ रहा तो अगले महीने दैनिक आवकों का दबाव बनेगा। चालू सीजन में कॉटन का उत्पादन अनुमान ज्यादा है, ऐसे में घरेलू बाजार में आगे इसकी कीमतों में आगामी दिनों गिरावट ही आने का अनुमान है। गुरूवार को उत्पादक राज्यों की मंडियों कपास की आवक बढ़कर 13 से 14 हजार गांठ, एक गांठ-170 किलो की हुई।

जानकारों के अनुसार धागे में स्थानीय एवं निर्यात मांग सामान्य की तुलना में कमजोर है जिस कारण कॉटन की मौजूदा कीमतों में स्पिनिंग मिलों को डिस्पैरिटी का सामाना करना पड़ रहा है। 

असामान्य बारिश से खरीफ में खाद्यान्न उत्पादन 3.91 फीसदी घटकर 14.99 करोड़ टन होने का अनुमान

नई दिल्ली।  असामान्य बारिश से चालू खरीफ सीजन 2022-23 में देश में  खाद्यान्न का 14.99 करोड़ टन उत्पादन होने का अनुमान है, जोकि पिछले खरीफ सीजन 2021-22 के चौथे आरंभिक अनुमान 15.60 करोड़ टन से 3.91 फीसदी कम है।


कृषि मंत्रालय द्वारा जारी पहले अग्रिम अनुमान के अनुसार खरीफ सीजन में चावल का उत्पादन 10.49 करोड़ टन होने का अनुमान है, जोकि इसके पिछले सीजन के 10.52 करोड़ टन की तुलना में कम है।

मंत्रालय के अनुसार चालू सीजन में दलहनी फसलों का उत्पादन 83.7 लाख टन होने का अनुमान है, जबकि फसल सीजन 2021-22 के चौथे अनुमान के लगभग बराबर है। हालांकि खरीफ की प्रमुख फसल अरहर का उत्पादन चालू खरीफ सीजन में घटकर 38.9 लाख टन का ही होने का अनुमान है, जबकि इसके पिछले खरीफ सीजन में इसका उत्पादन 43.4 लाख टन का हुआ था। इसी तरह से उड़द का उत्पादन चालू खरीफ में घटकर 18.4 लाख टन होने का अनुमान है, जबकि पिछले खरीफ सीजन के 19.4 लाख टन की तुलना में कम है।

मंत्रालय द्वारा जारी पहले अग्रिम अनुमान के अनुसार मूंग का उत्पादन बढ़कर चालू खरीफ सीजन में 17.5 लाख टन का होने का अनुमान है, जोकि खरीफ सीजन 2021-22 के चौथे अग्रिम अनुमान 14.8 लाख टन से ज्यादा है।

कृषि मंत्रालय के अनुसार तिलहनी फसलों का उत्पादन चालू खरीफ में कम होकर 235.73 लाख टन ही होने का अनुमान है, जोकि इसके पिछले सीजन के 238.88 लाख टन से कम है। खरीफ तिलहन की प्रमुख फसल सोयाबीन का उत्पादन 128.92 लाख टन और मूंगफली का उत्पादन 83.69 लाख टन होने का अनुमान है। पिछले खरीफ सीजन 2021-22 के दौरान इनका उत्पादन क्रमशः 129.95 लाख टन और 83.75 लाख टन का हुआ था।

कैस्टर सीड का उत्पादन चालू खरीफ सीजन में 15.08 लाख टन होने का अनुमान है, जोकि इसके पिछले खरीफ सीजन के 16.11 लाख टन से कम है।

मोटे अनाजों में ज्वार का उत्पादन चालू खरीफ में 16.9 लाख टन, बाजरा का 97.5 लाख टन और मक्का का 231 लाख टन होने का अनुमान है। फसल सीजन 2021-22 के चौथे आरंभिक अनुमान में इनका उत्पादन क्रमशः 15.9 लाख टन का, 96.2 लाख टन और 226.3 लाख टन का हुआ था।

मंत्रालय के पहले आरंभिक अनुमान के अनुसार चालू खरीफ में कपास का उत्पादन बढ़कर 341.90 लाख गांठ, एक गांठ-170 किलोग्राम होने का अनुमान है, जबकि इसके पिछले खरीफ सीजन में 312.03 लाख गांठ का ही उत्पादन हुआ था।  

21 सितंबर 2022

कमजोर ग्राहकी से अरहर, उड़द, मसूर मंदी, चना एवं मूंग के दाम रुके

नई दिल्ली। दाल मिलों की खरीद कमजोर होने के कारण मंगलवार को अरहर, उड़द के साथ ही मसूर के भाव कमजोर हो गए, जबकि चना मूंग के दाम लगभग स्थिर बने रहे। व्यापारियों के अनुसार दालों में खुदरा के साथ ही थोक में ग्राहकी सामान्य की तुलना में कमजोर है, इसलिए इनके भाव में अभी सीमित तेजी, मंदी ही बनी रहने की उम्मीद है।


बर्मा से आयातित अक्टूबर शिपमेंट के भाव चेन्नई पहुंच उड़द एफएक्यू और एसक्यू के भाव 850 डॉलर और 987 डॉलर प्रति टन, सीएडंएफ पर स्थिर बने रहे, जबकि इस दौरान लेमन अरहर के भाव 942 डॉलर प्रति टन, सीएडंएफ बोले गए।

व्यापारियों के अनुसार स्टॉकिस्टों ने अरहर के भाव तेज किए थे, लेकिन मांग का समर्थन नहीं मिलने से तेजी टिक नहीं पाई। वैसे भी अफ्रीकी देशों से अरहर का आयात बढ़ने लगा है। अगले सप्ताह मोजाम्बिक से 23,600 टन अरहर लेकर आ रहा वैसल मुंबई पहुुंचेगा। बर्मा से भी आयातित अरहर आ रही है। हालांकि चालू खरीफ में देश में अरहर की बुआई पिछले साल की तुलना में घटी है, साथ ही मौसम भी प्रतिकूल रहा है। कई राज्यों में जहां बारिश सामान्य से ज्यादा हुई है, वहीं उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल आदि में सामान्य से कम बारिश हुई है। ऐसे में अरहर के उत्पादन अनुमान में कमी की आशंका है।

उत्पादक राज्यों में मौसम साफ होने से खरीफ उड़द की आवक बढ़ने लगी है, तथा आगामी दिनों में इसकी दैनिक आवक और भी बढ़ने की उम्मीद है। उड़द दाल में दक्षिण भारत के राज्यों की मांग कमजोर है। इसलिए उड़द की कीमतों में अभी ज्यादा तेजी के आसार नहीं है।

चना के दाम आज स्थिर हो गए। व्यापारियों के अनुसार जहां चना में नेफेड लगातार चना की बिकवाली कर रही है, वहीं नेफेड के माल हल्की क्वालिटी के हैं। इसलिए चना की कीमतों में बड़ी तेजी के आसार नहीं है। छत्तीसगढ़, तमिलनाडु, हिमाचल प्रदेश, गुजरात और कर्नाटक ने केंद्र सरकार से 8 रुपये प्रति किलो की रियायती दर पर चना खरीदने की इच्छा जताई है। यह राज्य अपनी आवश्यकता का आकलन करने के बाद मांग के हिसाब से चना खरीद के लिए पत्र भेजेंगे। फिलहाल केंद्र सरकार के पास 30 लाख टन चना का स्टॉक है।

राजस्थान में मौसम साफ रहा तो आगामी दिनों में खरीफ मूंग की आवक बढ़ेगी, मौसम विभाग ने राजस्थान से मौसम वापसी के संकेत दिए हैं। इसलिए मूंग की कीमतों में अभी बड़ी तेजी के आसार नहीं है। मूंग दाल में ग्राहकी सामान्य की तुलना में कमजोर है।

दिल्ली में बर्मा की लेमन अरहर के भाव में 75 रुपये की गिरावट आकर दाम 7550 रुपये प्रति क्विंटल रह गए।

चेन्नई में लेमन अरहर के भाव 7400 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर हो गए।

मुंबई में लेमन अरहर के भाव 7400 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर बने रहे।

अफ्रीकी देशों से आयातित अरहर के भाव भी रुक गए। तंजानिया की अरुषा अरहर के भाव 5500 रुपये प्रति क्विंटल बोले गए। इस दौरान मोजाम्बिक लाइन की गजरी अरहर की कीमतें 5350 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर हो गई। मलावी से आयातित अरहर के दाम 4750 से 4800 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर बने रहे। सूडान से आयातित अरहर के दाम भी 7850 से 7950 रुपये प्रति क्विंटल बोले गए।

दिल्ली में बर्मा उड़द एफएक्यू और एसक्यू के भाव में 25 से 50 रुपये की गिरावट आकर भाव क्रमशः 7375 से 7400 रुपये एवं 8350 रुपये प्रति क्विंटल रह गए।

आंध्रप्रदेश लाईन की नई उड़द का दिल्ली के लिए व्यापार 7800 रुपये प्रति क्विंटल की पूर्व दर पर ही हुआ।

मुंबई में उड़द एफएक्यू की कीमतों में 50 रुपये की गिरावट आकर भाव 7150 रुपये प्रति क्विंटल रह गए।

चेन्नई में उड़द एफएक्यू और एसक्यू की कीमतों में 50-50 रुपये की गिरावट आकर भाव क्रमशः 6950 रुपये और 7950 रुपये प्रति क्विंटल रह गए। इस दौरान अक्टूबर डिलीवरी के एफएक्यू के भाव 6950 रुपये और एसक्यू के 7950 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर बने रहे।

दिल्ली में मध्य प्रदेश की मसूर की कीमतों में 25 रुपये की गिरावट आकर भाव 6525 रुपये प्रति क्विंटल रह गए। इस दौरान कनाडा की मसूर के दाम 6125 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर हो गए।

कनाडा की मसूर के दाम मुंद्रा बंदरगाह पर 5850 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर बने रहे, जबकि हजिरा बंदरगाह पर 5875 से 5900 रुपये प्रति क्विंटल बोले गए। कनाडा की मसूर की कीमतें कंटेनर में 6100 रुपये और ऑस्ट्रेलिया की मसूर की कीमतें 6200 रुपये प्रति क्विंटल के पूर्व स्तर पर स्थिर बनी रही।

दिल्ली में राजस्थान चना के भाव 4875 से 4900 रुपये प्रति क्विंटल  पर स्थिर हो गए, जबकि मध्य प्रदेश के चना के दाम 4800 रुपये प्रति क्विंटल बोले गए।

दिल्ली में राजस्थान लाइन की नई मूंग के दाम 7000 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर बने रहे, साथ ही मध्य प्रदेश के लाइन की मूंग के भाव 6900 से 7100 रुपये प्रति क्विंटल के पूर्व स्तर पर स्थिर बने रहे।

ब्रोकन चावल के निर्यातकों को केंद्र ने दी राहत, 30 सितंबर तक कर सकेंगे निर्यात

नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने ब्रोकन चावल के निर्यात पर 30 सितंबर 2022 तक छूट दे दी है। केंद्र सरकार द्वारा मंगलवार को जारी अधिसूचना के अनुसार निर्यातक ब्रोकन चावल का निर्यात 30 सितंबर 2022 तक कर सकेंगे। सरकार ने 8 सितंबर 2022 को तत्काल प्रभाव से ब्रोकन चावल का निर्यात बंद कर दिया था।


सरकार ने खुदरा दाम को काबू में रखने और घरेलू आपूर्ति बढ़ाने के इरादे से ब्रोकन चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगाया था। मौजूदा खरीफ सत्र में धान की बुवाई के रकबे में कमी आने के कारण इस साल चावल उत्पादन में गिरावट आने की आशंका से यह कदम उठाया था।

उत्पादक मंडियों में खरीफ के नए धान की आवक शुरू हो गई है, तथा केंद्र सरकार द्वारा निर्यात पर रोक लगा देने से उत्पादक राज्यों में ब्रोकन चावल की कीमतों में गिरावट आई थी। इसीलिए सरकार ने इसके निर्यात की अवधि को 30 सितंबर 2022 तक बढ़ाने का फैसला लिया है।

इससे पहले सरकार ने निर्यात को हतोत्साहित करने के लिए गैर.बासमती चावल पर 20 फीसदी का सीमा शुल्क भी लगाया था।

चालू वित्त वर्ष 2022-23 के पहले पांच महीनों अप्रैल से अगस्त के दौरान देश से ब्रोकन चावल का निर्यात 21.3 लाख टन का हुआ है, जबकि पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में यह 15.8 लाख टन था।

सूत्रों के अनुसार वित्त वर्ष 2021-22 में भारत ने 38.9 लाख टन ब्रोकन चावल का निर्यात किया था जो वित्त वर्ष 2018-19 के 12.2 लाख टन की तुलना में बहुत अधिक था। चीन ने पिछले वित्त वर्ष में 15.8 लाख टन ब्रोकन चावल का आयात किया था।

चीन के बाद चावल उत्पादन में दूसरे स्थान पर मौजूद भारत इस खाद्यान्न के वैश्विक व्यापार में 40 फीसदी की हिस्सेदारी रखता है। वित्त वर्ष 2021-22 में भारत ने 2.12 करोड़ टन चावल का निर्यात किया था जिसमें से 39.4 लाख टन बासमती किस्म का चावल था।

केंद्रीय खाद्य सचिव सुधांशु पांडे ने ब्रोकन चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगाए जाने की वजह बताते हुए कहा था कि बहुत बड़े पैमाने पर ब्रोकन चावल की खेप बाहर भेजी जाती है। जिस कारण पशु चारे के लिए भी समुचित मात्रा में टूटा चावल उपलब्ध नहीं है साथ ही इसका इस्तेमाल इथेनॉल में मिलाने के लिए भी किया जाता है।

स्टॉकिस्टों की सक्रियता से ग्वार सीड और गम के भाव तेज, निर्यात में बढ़ोतरी

नई दिल्ली। प्रमुख उत्पादक राज्य राजस्थान में प्रति हेक्टेयर उत्पादकता कम आने से ग्वार सीड और ग्वार गम में स्टॉकिस्टों की सक्रियता से सोमवार को भाव में तेजी दर्ज की गई। व्यापारियों के अनुसार उत्पादक मंडियों में ग्वार गम की आवक शुरूआती चरण है तथा मौसम अनुकूल रहा तो अक्टूबर में ग्वार सीड की दैनिक आवक बढ़ेगी। चालू सीजन में इसकी बुआई में बढ़ोतरी हुई है, इसलिए अभी बड़ी तेजी मानकर व्यापार नहीं करना चाहिए।


चालू वित्त वर्ष 2022-23 के पहले चार महीनों अप्रैल से जुलाई के दौरान ग्वार गम उत्पादों के निर्यात में भी बढ़ोतरी दर्ज की गई।

सोमवार को उत्पादक मंडियों में ग्वार सीड के भाव में 100 से 150 रुपये एवं ग्वार गम में 400 से 500 रुपये प्रति क्विंटल की तेजी आई। श्री गंगानगर मंडी में ग्वार सीड के भाव 4600 से 4900 रुपये प्रति क्विंटल हो गए, जबकि रायसिहंनगर मंउी में पुराने ग्वार का व्यापार 4500 से 4940 रुपये और नए का 4902 रुपये प्रति क्विंटल दर पर हुआ। हनुमानगढ़ मंडी में नए ग्वार की आवक 40 क्विंटल की हुई तथा भाव 5,061 रुपये प्रति क्विंटल रहे। हड़ताल के कारण हरियाणा की मंडियों में बोली नहीं हुई।

उत्पादक मंडियों में नए ग्वार सीड की दैनिक आवक 300 से 400 क्विंटल की हो रही है, जबकि पुराने ग्वार की दैनिक आवक 2,500 से 3,000 क्विंटल की हो रही है।

राजस्थान के साथ हरियाणा की मंडियों में नए ग्वार सीड की आवक शुरू हो गई है, लेकिन भारी बारिश का असर इसकी उत्पादकता पर पड़ा है। कई क्षेत्रों में उत्पादकता में भारी कमी आई है। व्यापारियों के अनुसार अभी ग्वार सीड की आवक शुरूआती चरण है तथा आगामी दिनों में इसकी दैनिक आवक बढ़ेगी। चालू सीजन में राजस्थान में ग्वार सीड की बुआई में भारी बढ़ोतरी हुई है, इसलिए मौजूदा भाव पर स्टॉक नहीं करना चाहिए।

राजस्थान के कृषि निदेशालय के अनुसार चालू खरीफ में राज्य में ग्वार सीड की बुआई बढ़कर 30.79 लाख हेक्टेयर में हुई है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 20.48 लाख हेक्टयेर से ज्यादा है।

वाणिज्य एवं उद्वयोग मंत्रालय के अनुसार चालू वित्त वर्ष के पहले चार महीनों अप्रैल से जुलाई के दौरान ग्वार गम उत्पादों का निर्यात बढ़कर 1,55,923 टन का हुआ है, जबकि पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में इनका निर्यात केवल 1,08,797 टन का ही हुआ था। 

उत्तर भारत की मंडियों में धान और चावल के दाम

उत्तर भारत की मंडियों में धान और चावल के दाम


Narela Mandi

21/9/2022

1509🖐️🖐️3761

1509🏎️🏎️3552

Arivel 13000 bags

Jangirabad mandi

1509-3725

Com-3471

Aravail -6000 bags

Kosikala mandi UP

Arrival 1509  20000 bags 

Rate 2900 to 3421

Moisture 23% to 29% 

PR 26 arrival 8000 bags 

Rate 1500 to 1711


Bulandshahr mandi

1509-3751

Com -3421

Arvail -5000 bags

Gangoh mandi

1509-3200-3450

Arvail -20000 bags

Garh mandi

1509-3650

Rs-10-2650

Arvail -25000 bags


HARYANA LINE SE

NEW 1509 GOLDEN SELA

RATE-7000 FOR

GHAROUNDA HARYANA

BUYER ROYAL STAR 

KA KAM HUA

पूसा 1,509 सेला चावल में मांग सामान्य, दाम स्थिर

पूसा 1,509 सेला चावल में मांग सामान्य, दाम स्थिर


 NEW 1509 SELA REPORT


# BUYER AVERAGE IN MARKET

# CHANCE TO MARKET STABLE AS YESTERDAY

# SELLER AND BUYER SLOW IN MARKET


GENERAL RATE

NEW 1509 SELA

TOP COOKING 6550/6550+

NARMAL 6500/6500+


NEW 1509 SELA 6471/6500 LOAD


NEW 1509 SELA

TOP COOKING 6550/6550+

NORMAL 6500/6500+


NEW 1509 SELA FOR DELHI

TOP COOKING 6650/6650+

NORMAL 6600/6600+

FOR DELHI

POSITION

रायसिंहनगर अनाज मंडी अपडेट

दिनांक 21/09/2022 

 ग्वार अराइवल 90 क्विंटल भाव 4700 se 4940

गेहूं अराइवल 125 क्विंटल भाव 2040 से 2152

सरसों  अराइवल  700 क्विंटल  भाव 5201 से  5787

नरमा अराइवल 400 क्विंटल भाव 8560 से 8798                                                                                                      मूंगी अराइवल 700 क्विंटल भाव 6000 से  6790

शरबती स्टीम चावल में मांग सामान्य की तुलना में कमजोर, दाम स्थिर

शरबती स्टीम चावल में मांग सामान्य की तुलना में कमजोर, दाम स्थिर


OLD SARBATI STEAM

RATE-5900/5950 FOR

IF TOP QUALITY 25/50 MORE PLUS

TARAORI HARYANA POSITION

1/2 GADHI REQUIREMENTS


OLD 1509 STEAM

RATE-5900/6000 FOR

NAYA BAZAR (DELHI)

BUYER RETAILERS

1/2 GADHI WALE

19 सितंबर 2022

उत्तर भारत की मंडियों में 19 सितंबर 2022 को धान एवं कपास के भाव

 गदरपुर मंडी उत्तराखंड

🌾🌾🌾🌾🌾

Paddy sarwati@,2100

Bags,250

Paddy,,pr26@1900

Bags500

Paddy,,,pr21@1600

Bags,300


 Narela  MANDI DELHI 


PADDY 


ARRIVAL 38000 - 40000 


____1509 rs 3735


COMBAIN 1509 rs 3553


Wheat ___2300 se 2345

Mathura Mandi up com

1509  

2900 sa 3400 tak


MANDI- GARHMUKTESWAR. UP

------------------------------------

Aarival- 4'000. Bags.

-------------------------------------

New 1509. HAND.

Rate- 3701


New 1509. Combine.

Rate- 3401.

--------------------------------

New RH.10. HAND.

Rate- 2400 se 2700.

-----------

New TAZ. HAND.

Rate- 2900se 2951.

मण्डी सहारनपुर  (U.p. ) Arival- 3500. Bags  Quality.

New 1509- High Rate 3500 .  हाथ 

3000-3400  (1509)  combine


HMO cotton

Ready-8000

Full sep-7800

Full oct-7400

Nov-7300

Dec-7200


Arrival-150 To 200 bales

Narma sold-8800 to 9000

Abohar Mandi

Narma arrivaL 800 qntl Rate.9200-9285-9325

Kapas 15 qntl

Rate. 8375-8385

Nabha mandi 19-09-22

paddy 1509 arrival (

20000 Bags) @3000 to @3565

विदेशी बाजार में आई गिरावट से देसी कॉटन 2000 रुपये मंदी, नई कपास की आवक बढ़ी

नई दिल्ली। विश्व बाजार में कॉटन की कीमतों में आई गिरावट से घरेलू बाजार में भी शनिवार को इसके भाव 2,000 रुपये प्रति कैंडी, एक कैंडी-356 किलो तक कम हो गए। अहमदाबाद में शंकर-6 किस्म की कॉटन के दाम घटकर 79,000 से 80,000 रुपये प्रति कैंडी रह गए।


अहमदाबाद में शंकर-6 किस्म की कॉटन की कीमतें चालू सप्ताह में करीब 7,000 रुपये प्रति कैंडी तक नीचे आ चुकी है। इस दौरान उत्तर भारत के राज्यों में करीब 500 से 600 रुपये प्रति मन का मंदा आया है। पंजाब, हरियाणा और राजस्थान की मंडियों में शनिवार को रुई के भाव हाजिर डिलीवरी के घटकर 8050 से 8100 रुपये प्रति मन रह गए। उत्पादक मंडियों में नई कपास की दैनिक आवक बढ़कर 11000 से 12,000 गांठ, एक गांठ-170 किलो की हो गई।

विदेशी बाजार में शुक्रवार को कॉटन की कीमतों में भारी गिरावट दर्ज की गई थी। आईसीई कॉटन के दिसंबर वायदा अनुबंध में 400 प्वांइट की गिरावट आकर भाव 99.29 सेंट रह गए थे। मार्च-2023 वायदा अनुबंध में भी 400 प्वांइट की गिरावट आकर भाव 96.15 सेंट रह गए थे। इस दौरान जुलाई-23 वायदा अनुबंध में 400 प्वाइंट की गिरावट आकर भाव 90.84 सेंट रह गए। जानकारों के अनुसार ब्राजील में भी कॉटन की कीमतों में गिरावट आई है।

व्यापारियों के अनुसार उत्पादक राज्यों में नई कपास की आवक बढ़ने लगी है, तथा मौसम साफ रहा तो अक्टूबर में आवकों का दबाव बनेगा। बुआई में हुई बढ़ोरी से चालू सीजन में कपास का उत्पादन अनुमान ज्यादा हैं। इसलिए आगामी दिनों में इसकी कीमतों में और भी मंदा आयेगा।

स्पिनिंग मिलों को कॉटन की मौजूदा कीमतों में पड़ते नहीं लग रहे हैं जिस कारण स्पिनिंग मिलें इस समय केवल जरुरत के हिसाब से ही कॉटन की खरीद कर रही हैं। धागे में स्थानीय एवं निर्यात मांग सामान्य की तुलना में कमजोर है इसलिए कॉटन की मौजूदा कीमतों में राज्य की स्पिनिंग मिलों को डिस्पैरिटी का सामाना करना पड़ रहा है।

चालू खरीफ सीजन में 16 सितंबर तक देशभर के राज्यों में कपास की बुआई 7.53 फीसदी बढ़कर 127.14 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जबकि पिछले साल की समान अवधि में इसकी बुआई 118.23 लाख हेक्टेयर में ही हो पाई थी।

हरियाणा की मंडियों में 19 सितंबर को चावल के भाव

 HARYANA GERENAL MARKET POSITION


1121 SELA 8500/8500+

1121 GOLDEN SELA 9000/9050

1121 STEAM 8400/8500 DARK

1121 STEAM 9000/9050+ LIGHT


1718 SELA 8350/8400

1718 GOLDEN 8800/8850

1718 STEAM 8400/8500 LIGHT

1718 STEAM 8000/8000+ DARK


OLD 1509 SELA 7200/7200+

OLD 1509 GOLDEN SELA 7500/7600+


NEW 1509 SELA 6550/6600

NEW 1509 GOLDEN SELA

COLORED 7000/7050

WITHOUT COLOR 7200/7300


1401 SELA 7700/7700+

1401 STEAM 8700/8800


PUSA SELA 7200/7300

BASMATI SELA 6800/6800+


OLD RS10 SELA 6500

OLD RS 10 STEAM 6500


NEW RS10 SELA 4900/5000

NEW RS 10 STEAM 5400/5500


PR 14 SELA 

OLD 4100/4150+

NEW 3800

PR 14 STEAM 

OLD 3650/3700

NEW 3500


रायसिंहनगर अनाज मंडी अपडेट

दिनांक 19/09/2022 

 ग्वार अराइवल 150 क्विंटल भाव 4500 से 4940

नया 30 क्विंटल भाव 4902 उतारा 2 क्विंटल प्रति बीघा

गेहूं अराइवल 150 क्विंटल भाव 2040 से 2162

सरसों  अराइवल  1000 क्विंटल  भाव 5001 से  5890

चना अराइवल 110 क्विंटल भाव 4200 से 4432

नरमा अराइवल 450 क्विंटल भाव 8900 से 9058                                                                                                      मूंगी अराइवल 1000 क्विंटल भाव 6100 से  6881

16 सितंबर 2022

चालू खरीफ सीजन में गुजरात में कपास की बुआई बढ़ी, मूंगफली की घटी

नई दिल्ली। चालू खरीफ सीजन में गुजरात में जहां कपास की बुआई में बढ़ोतरी हुई है, वहीं मूंगफली की बुआई पिछले साल की तुलना में घटी है।


राज्य के कृषि निदेशालय के अनुसार चालू सीजन में गुजरात में 12 सितंबर तक कपास की बुआई बढ़कर 25.48 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जोकि तय लक्ष्य 24 लाख हेक्टेयर से ज्यादा है। पिछले साल राज्य में इस समय तक केवल 22.51 लाख हेक्टेयर में ही इसकी बुआई हो पाई थी। राज्य में अभी तक फसल की स्थिति अच्छी है, लेकिन मौसम विभाग, ने राज्य में आगामी दिनों में बारिश होने की भविष्यवाणी की हुई है। ऐसे में नई फसल की आवकों में देरी होने की आशंका है।

राज्य में में खरीफ तिलहन की प्रमुख फसल मूंगफली की बुआई 17.09 लाख हेक्टेयर में ही हो पाई है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 19.09 लाख हेक्टेयर से कम है। अन्य तिलहन में शीशम सीड, केस्टर एवं सोयाबीन की बुआई चालू खरीफ में क्रमशः 72,121 हेक्टेयर में, 6.52 लाख हेक्टेयर में और 2.21 लाख हेक्टेयर में ही हुई है। पिछले साल की समान अवधि में इनकी बुआई क्रमशः एक लाख हेक्टेयर में, 5.38 लाख हेक्टेयर में और 2.24 लाख हेक्टेयर में हो चुकी थी। तिलहनी फसलों की कुल बुआई चालू खरीफ में राज्य में अभी तक केवल 26.56 लाख हेक्टेयर में ही हुई है, जबकि पिछले साल इस समय तक 27.75 लाख हेक्टेयर में हो चुकी थी।

दालों की बुआई चालू खरीफ सीजन में 12 सितंबर तक केवल 4.16 लाख हेक्टेयर में ही हो पाई है, जबकि पिछले साल इस समय तक 4.97 लाख हेक्टेयर में बुआई हो चुकी थी। खरीफ दलहन की प्रमुख फसल अरहर की बुआई चालू खरीफ में घटकर 2.23 लाख हेक्टेयर में ही हुई है, जबकि पिछले खरीफ सीजन की समान अवधि में इसकी बुआई 2.29 लाख हेक्टेयर में हो चुकी थी। उड़द की बुआई केवल 96,758 हेक्टेयर में ही हुई है, जबकि पिछले साल इस समय तक 1.54 लाख हेक्टयेर में बुआई हो चुकी थी।

धान, ज्वार, मक्का और बाजरा की बुआई चालू खरीफ में बढ़कर 13.70 लाख हेक्टेयर हो चुकी है, जबकि पिछले साल की समान अवधि में इनकी बुआई 13.09 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी। धान की रोपाई चालू खरीफ में बढ़कर 8.67 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 8.13 लाख हेक्टेयर से ज्यादा है। बाजरा की बुआई राज्य में 1.84 लाख हेक्टेयर में तथा मक्का की बुआई 2.7 लाख हेक्टेयर में ही हुई है, जबकि पिछले साल इस समय तक इनकी बुआई क्रमशः 1.64 लाख हेक्टेयर और 2.93 लाख हेक्टेयर में हो चुकी थी।

चालू वित्त वर्ष के पहले पांच महीनों में डीओसी का निर्यात 40 फीसदी बढ़ा - उद्योग

नई दिल्ली। सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया, एसईए के अनुसार चालू वित्त वर्ष 2022-23 के पहले पांच महीनों अप्रैल से अगस्त के दौरान डीओसी के निर्यात में 40 फीसदी की बढ़ोतर होकर कुल निर्यात 1,531,010 टन का हुआ है जबकि पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में इनका निर्यात 1,092,386 टन का ही हुआ था।


अगस्त में डीओसी के निर्यात में 71 फीसदी की भारी बढ़ोतरी होकर कुल निर्यात  282,498 टन का हुआ है, जबकि पिछले साल अगस्त में इसका निर्यात केवल 164,831 टन का ही हुआ था।

एसईए के अनुसार चालू वित्त वर्ष के पहले पांच महीनों में सरसों डीओसी का निर्यात पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि के मुकाबले दोगुना हो गया। चालू वित्त वर्ष के अप्रैल से अगस्त के दौरान इसका निर्यात 1,080,172 टन का हो गया, जबकि पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में इसका निर्यात केवल 542,630 टन का ही हुआ था। चालू सीजन में सरसों के उत्पादन में हुई बढ़ोतरी के कारण इसकी पेराई ज्यादा होने से सरसों डीओसी की उपलब्धता ज्यादा हुई। इस समय देश से दक्षिण कोरिया, वियतनाम, थाईलैंड और अन्य सुदूर पूर्व के देशों को 295 डॉलर प्रति टन, एफओबी के आधार पर व्यापार हो रहा है।

हालांकि चालू वित्त वर्ष में सोया डीओसी के निर्यात में कमी आई है। घरेलू बाजार में इसके दाम तेज थे, जबकि विश्व बाजार में कीमतें कम थी। पहली अक्टूबर से सोयाबीन की पेराई का नया सीजन शुरू होने के बाद सोया डीओसी के निर्यात में तेजी आने का अनुमान है। चालू वित्त वर्ष के पहले पांच महीनों अप्रैल से अगस्त के दौरान सोया डीओसी का निर्यात घटकर 108,258 टन का ही हुआ है, जबकि इसके पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में इसका निर्यात 155,757 का हुआ था।

भारतीय बंदरगाह पर अगस्त में सोया डीओसी के औसत भाव 670 डॉलर प्रति टन रहे, जोकि जुलाई के 675 डॉलर की तुलना में कम हुए हैं। हालांकि सरसों डीओसी के भाव अगस्त में 295 डॉलर प्रति टन के स्तर पर रहे, जबकि जुलाई में भी यही भाव थे। केस्टर डीओसी के साथ ही राइसब्रान डीओसी के दाम भारतीय बंदगाह पर अगस्त में बढ़कर क्रमशः 164 और 214 डॉलर प्रति टन हो गए, जबकि जुंलाई में इनके भाव क्रमशः 156 डॉलर और 184 डॉलर प्रति टन थे। 

हरियाणा से पूसा 1,509 गोल्डन सेला का व्यापार 16 सितंबर 22 को

 HARYANA SE

NEW 1509 GOLDEN SELA 7150

FOR KURUKSHETRA

AND

PANIPAT

KE KAM HUYE

16 सितम्बर नरमा,कपास, ग्वार,मुंग,मोठ,जीरा,इसबगोल,सरसो, विभिन्न फसलों के मंडी भाव

 16 सितम्बर नरमा,कपास, ग्वार,मुंग,मोठ,जीरा,इसबगोल,सरसो, विभिन्न फसलों के मंडी भाव


आज के नरमा कपास भाव मुख्य मंडी


नरमा का भाव

डबवाली मंडी नरमा भाव रहा 9850 रुपए तक


ऐलनाबाद मंडी नरमा भाव रहा 9500/9722

आदमपुर मंडी नरमा भाव रहा 9300/9811


फतेहाबाद मंडी नरमा भाव रहा 9400/9700

फतेहाबाद मंडी कपास भाव रहा 8595


बरवाला मंडी नरमा भाव रहा 9735

बरवाला कपास भाव रहा 8497


सिरसा मंडी नरमा भाव रहा 9200/10000

सिरसा देशी कपास भाव रहा 8100/8352


अबोहर मंडी नरमा भाव रहा 9655/9800

अबोहर मंडी कपास भाव 8505


भट्टू नरमा का भाव रहा 9580


हनुमानगढ़ नरमा का भाव रहा 9800 तक बिका


गोलू वाला मंडी नरमा का भाव रहा 9000


संगरिया मंडी भाव 9850


होडल मंडी नरमा भाव रहा 9400


रावतसर मंडी नरमा भाव रहा 9481


मनसा नरमा का भाव रहा 9660


उकलाना मंडी कपास का भाव रहा 8690


भुना नरमा का भाव रहा 9571

भुना कपास का भाव रहा 8400


हथीन मंडी नरमा का भाव रहा 9670


उचाना मंडी नरमा 9451


श्री गंगानगर 9372


संगरिया मंडी भाव

गेहूं 2172

सरसो 5335(5855

चना ,4400


गजसिंहपुर मंडी भाव

गेहूं 2041

नर्मा 9000

मुंग 6750

ग्वार 4831


ऐलनाबाद मंडी भाव

सरसो 5200/6000

चना 4200/4460

ग्वार 3900/4600

गेहूं 2150/2165

मुंग 4100/600

तारामीरा 4875

मूंगफली 4400/5675


नोहर मंडी भाव

चना 4531

ग्वार 4900/5016

सरसो 5400/5670

मोठ 5800/6050

मुंग 6300/7011

मूंगफली 37 4600/6130


श्री गंगानगर मंडी भाव

गेहूं 2157/2190

1482 गेहूं 2711

ग्वार 4450/4786

चना 4100/4386

सरसो 5200/5957

जो 2700

नरमा 9112/9372

मुंग 5700/6590


पूगल मंडी भाव

ग्वार 4900/5000

चना 4400

मोठ नया 5800/6000


अबोहर मंडी भाव

सरसो 5060/5600

गेहूं 2130

चना 4295/4495

मुंग 3700/5955


आदमपुर मंडी भाव

ग्वार नया 4775

पुराना 4951

सरसो 5936 41.20 leb

गेहूं 2180

बाजरा 1820


सिरसा मंडी भाव

ग्वार 4100/4943

सरसो 5200/5725

गेहूं 2190


अन्य ग्वार भाव

रावतसर 5000

डबवाली 5080


बाजरा भाव

उचाना मंडी 1838

जुलाना मंडी 1806

सरसो भाव 16 sept. 22

 सरसो भाव 


कोटा सलोनी प्लांट सरसों 6900


सलोनी अलवर सलोनी प्लांट सरसों 6925


आगरा सलोनी प्लांट सरसों 6925


ऐलनाबाद मंडी सरसों 5300 से 6000


गोलूवाला मंडी सरसों 5300 से 5450


श्री गंगानगर मंडी सरसों 5200 से 5957


धौलपुर मंडी सरसों 6200


गोयल कोटा सरसों 6300


खेरली मंडी सरसों 6121


दिल्ली मंडी सरसों 6250


मुरैना मंडी सरसों 5700


चरखी दादरी सरसों 6200


बारां मंडी सरसों 6070


गंगापुर सिटी सरसों 6180


नदबई मंडी सरसों 6082


जयपुर मंडी सरसों 6426


अलवर मंडी सरसों 6150




हिसार मंडी सरसों 5800


बरवाला मंडी सरसों 5750


टोंक मंडी सरसों 6130


निवाई मंडी सरसों 6150


सिरसा मंडी सरसों 5725


आदमपुर मंडी सरसों 5913


खैरथल मंडी सरसों 6125


हिंडौन मंडी सरसों 6161


बीकानेर मंडी सरसों 5700


ग्वालियर मंडी सरसों 5900


बरवाला मंडी सरसों 5750


अबोहर मंडी सरसों 5600


संगरिया मंडी सरसों 5855


नोहर मंडी सरसों 5670


अलीगढ़ मंडी सरसों 5650


डीसा मंडी सरसों 5550

14 सितंबर 2022

उत्पादक मंडियों में नरमा और कपास के भाव 14 सितंबर 22

 Cottan aadmpur 20 sep.8100
Abohar Mandi
Narma arrivaL 500 qntl Rate.9550-9680
Kapas 25 qntl
Rate. 8305-8505

Cottan Sold Sangria 7950 full September
Sirsa 8000 full sep.

 

कपास नई फतेहाबाद 8500

नरमा नया फतेहाबाद 9670

सिरसा मंडी ग्रुप
दिनांक 14-09-2022
कनक  =  2190/-
नरमा  = 10069/-
धान 1509=3572/-

 

ऐलनाबाद  मंडी  बोली भाव
 दिनांक= 14/09/2022
नरमा = 9500/ 9776अब तक

भट्टू नरमा 9600/9700

Sirsa narma boli 10060

बरवाला नरमा 9780

 

Mandi Adampur

Dt. 14/09/2022
Narma Boli 9860

चावल के उत्पादन अनुमान को लेकर सरकार दुविधा में, अप्रैल से जुलाई के दौरान निर्यात बढ़ा

नई दिल्ली। चावल के उत्पादन अनुमान को लेकर खाद्य मंत्रालय दुविधा में है, यहीं कारण है कि सुबह जहां उत्पादन में ज्यादा कमी की बात कही थी, वहीं ब्रोकन चावल के निर्यात पर रोक लगाने के बाद उत्पादन अनुमान में ज्यादा कमी को कम कर दिया।

चालू खरीफ में देश में चावल उत्पादन को लेकर सरकार अभी दुविधा की स्थिति में है, इसलिए उसके आंकड़ों में एकरूपता नहीं है। शुक्रवार की सुबह खाद्य मंत्रालय ने बताया कि धान की बुवाई 38.06 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में कम हुई है, इसलिए उत्पादन 100 लाख टन तक कम रह सकता है। यही नहीं, हालात ज्यादा बिगड़े तो उत्पादन 120 लाख टन तक घट सकता है। लेकिन शाम को खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग के सचिव सुधांशु पांडेय ने बताया कि चावल के उत्पादन में 60 से 70 लाख टन तक की कमी का अनुमान है। हालांकि कुछ क्षेत्रों में मानसून की अच्छी बारिश के कारण यह कमी 40-50 लाख टन तक भी सीमित रह सकती है।

चावल के उत्पादन अनुमान में कमी की आशंका और घरेलू बाजार में दाम बढ़ने के कारण केंद्र सरकार ने गुरुवार को गैर-बासमती चावल निर्यात पर 20 फीसदी निर्यात शुल्क लगाया था, वहीं शुक्रवार को ब्रोकन चावल के निर्यात को मुक्त से प्रतिबंधित की श्रेणी में डाल दिया।

केंद्र सरकार ने चालू सप्ताह में ही खाद्यान्न उत्पादन का लक्ष्य 2022-23 में रिकॉर्ड 32.8 करोड़ टन का तय किया था, लेकिन दो दिन बाद ही चावल निर्यात को हतोत्साहित करने के कदमों की घोषणा कर दी। यह भी ऐसे समय में जब धान की फसल पककर लगभग तैयार है। अतः सरकार के इन फैसलों से चावल के निर्यात में कमी आयेगी, और किसानों को धान का उचित मूल्य नहीं मिल पायेगा।  

वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के अनुसार चालू वित्त वर्ष 2022-23 के पहले चार महीनों अप्रैल से जुलाई के बासमती चावल का निर्यात बढ़कर 15.05 लाख टन का और गैर बासमती चावल का निर्यात बढ़कर 58.14 लाख टन का हुआ है। पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में इनका निर्यात क्रमशः 14.30 लाख टन और 52.85 लाख टन का ही हुआ था।

देश के कई राज्यों में सामान्य से कम बारिश होने के कारण चालू खरीफ में धान की रोपाई 4.95 घटकर 393.79 लाख हेक्टेयर में ही हो पाई है जबकि पिछले खरीफ सीजन की समान अवधि में 414.31 लाख हेक्टेयर में रोपाई हो चुकी थी।

भारतीय मौसम विभाग, आईएमडी के अनुसार चालू मानसूनी सीजन में पहली जून से दस सितंबर तक देशभर के 36 सबडिवीजनों में से 7 में सूखे की स्थिति है, जबकि तीन में अत्यधिक बारिश और 9 में सामान्य से ज्यादा बारिश हुई है। अतः केवल 17 सबडिवीजनों में ही सामान्य बारिश हुई है।

देसी चना- सरकार की बिकवाली से मंदा

सरकार द्वारा पिछले दिनों बाजार की कीमतों से 8 रुपए प्रति किलो चने की दाल सस्ता बेचने का ऐलान कर दिया है , इसकी वजह से बाजार में दहशत के चलते गिरावट चने में आ गई है । बाजारों में घबराहट है कि सरकार कुछ भी कर सकती है , इन परिस्थितियों में स्टाक के माल तेजी से निकलने लगे हैं , लेकिन उत्पादक मंडियों में चने का स्टॉक ज्यादा नहीं है तथा आपूर्ति भी लगभग समाप्ति की ओर है , इसलिए यह मंदा केवल सरकार की दहशत से आया है । सरकार के माल नहीं आने पर ही तेजी संभव है

गेहूं में बड़ी गिरावट के आसार कम

पिछले 10 दिनों के अन्तराल रोलर फ्लोर मिलों की मांग कमजोर होने से टेंपरेरी नरमी आ गई है तथा वर्तमान भाव में मैदा मिलों की मांग कमजोर पड़ने से बाजार कुछ दिनों से सुस्त रह हैं । गेहूं के भाव फिर से 2500 रुपए का गेहूं दिल्ली में पुनः छलांग लगा जाएगा । स्टॉकिस्ट नीचे दाम पर भाव घटाकर बिकवाली नहीं कर रहे हैं, जबकि गेहूं उत्पादों की मांग बनी रहने का अनुमान है।

रायसिंहनगर अनाज मंडी अपडेट, दिनांक 14/09/2022

दिनांक 14/09/2022
 ग्वार अराइवल 150 क्विंटल भाव  4560 से 4725
गेहूं अराइवल 300 क्विंटल भाव 2041 से 2145
सरसों  अराइवल  800 क्विंटल  भाव 5200 से  5828
चना अराइवल 50 क्विंटल भाव 4411 से 4461
नरमा अराइवल 60 क्विंटल भाव 9000 से 9191                                                                                                      मूंगी अराइवल 80 क्विंटल भाव 6300 से  6641

सरसों के भाव 14 Sept. 22

Sarso ka bhav

जयपुर मंडी सरसों भाव ₹  6400/6450-25
दिल्ली मंडी सरसों भाव ₹  6250/6300 (+100)
बरवाला मंडी में सरसों भाव ₹ 5200 से 5750
आवक 40
हिसार मंडी में सरसों भाव ₹ 5800 तेजी 100
आवक 1000
पोरसा मंडी सरसो भाव ₹ 5725
आवक 200
ग्वालियर मंडी सरसो भाव ₹ 5800/5900+50
आवक  1200
सिवानी मंडी में सरसों का भाव ₹ 5500
सिवानी मंडी सरसो net non 42 लैब भाव ₹  6200
बीकानेर मंडी में सरसों का भाव ₹ 5200 से 5700
देवली मंडी सरसो भाव ₹ 6061
नागौर मंडी सरसो भाव ₹ 5900 से 6000

मंडियों में सरसों, गेहूं एवं धान के भाव 14.09.2022

 कृषि उपज मंडी समिति संगरिया
दिनांक 14.09.2022 के बाजार भाव

गेहूं
उच्चतम 2192


सरसों
उच्चतम 5891
न्यून्तम  5300

नरमा
उच्चतम 9800

बाजरा :- ₹1831
नरमा   :- ₹9405
Uchana mandi

Tohana Mandi 1509@
3626

सरसो का भाव

शमशाबाद सलोनी प्लांट सरसों 6950


डिगग्नेर सलोनी प्लांट में 6950

अलवर सलोनी प्लांट सरसों 6950

कोटा सलोनी प्लांट सरसों 6950

आदमपुर मंडी सरसों 5880

देवली मंडी सरसों 6061

जयपुर मंडी सरसों 6450

भरतपुर मंडी सरसों 6131

खेरली मंडी सरसों 6155

अबोहर मंडी सरसों 5660

निवाई मंडी सरसों 6200

टोंक मंडी सरसों 6180

अलवर मंडी सरसों 6200

खैरथल मंडी सरसों 6100

बरवाला मंडी सरसों 5750

हिसार मंडी सरसों 5800

नदबई मंडी सरसों 6131

नोहर मंडी सरसों 6051

कामां मंडी सरसों 6131

कुम्हेर मंडी सरसों 6131

डीग मंडी सरसों 6131

नगर मंडी सरसों 6131

बारां मंडी सरसों 5900

सिरसा मंडी सरसों 5700

हापुड़ मंडी सरसों 6700

गंगापुर सिटी सरसों 6250

बीकानेर मंडी सरसों 5700

सुमेरपुर मंडी सरसों 6225

नागौर मंडी सरसों 6131

आदर्श सरसो 5600

थारा सरसो 5650

केकड़ी सरसो 6225

विसनगर सरसो 5650/5800

धानेरा सरसो 5500/5900

कोलकनता 6800

लाखनी सरसो 5500/5730

08 सितंबर 2022

आयात पड़ते महंगे होने से उड़द तेज, अफ्रीकी देशों से आयातित अरहर मंदी

नई दिल्ली। बर्मा में उड़द की कीमतों में आये सुधार से आयात पड़ते महंगे होने के कारण घरेलू बाजार में बुधवार को उड़द की कीमतों में तेजी दर्ज की गई, जबकि अफ्रीकी देशों से आयातित अरहर एवं देसी मूंग की कीमतों में गिरावट आई। नीचे दाम पर दाल मिलों की हाजिर मांग बढ़ने से चना एवं मसूर की कीमतों में भी हल्का सुधार आया।

बर्मा से आयातित उड़द एफएक्यू और एसक्यू की कीमतों में पांच-पांच डॉलर की तेजी आकर भाव क्रमशः 855 डॉलर और 985 डॉलर प्रति टन, सीएडंएफ हो गए। चेन्नई में 20 सितंबर से 20 अक्टूबर तक की डिलवरी के व्यापार हुए। बर्मा में लेमन अरहर के भाव 895 डॉलर प्रति टन पर स्थिर बने रहे। जानकारों के अनुसार बर्मा में उड़द कीमतों में सुधार तो आया है, लेकिन जिस तरह से घरेलू बाजार में खरीफ की उड़द की आवक बढ़ रही है, उसे देखते हुए ज्यादा तेजी की उम्मीद नहीं है। वैसे भी बर्मा में उड़द का बकाया स्टॉक ज्यादा है।

मध्य प्रदेश की मंडियों में नई उड़द की आवक बढ़ने लगी है। माना जा रहा है कि मौसम साफ रहा तो चालू महीने तक इसकी आवकों में और बढ़ेगी होगी, जबकि पितृ पक्ष के कारण अभी दालों में ग्राहकी सामान्य की तुलना में कमजो रहेगी। उड़द दाल में दक्षिण भारत की मांग भी सामान्य की तुलना में कमजोर है। मध्य प्रदेश की अशोकनगर मंडी में नई उड़द की आवक 60 से 70 क्विंटल की हुई तथा इसका व्यापार 5900 से 6800 रुपये प्रति क्विंटल की दर पर हुआ। नए मालों में नमी की मात्रार 15 से 17 फीसदी है।

अफ्रीकी देशों से आयातित अरहर की कीमतों में मंदा आया है। जानकारों के अनुसार आगामी दिनों में अफ्रीकी देशों से अरहर का आयात बढ़ेगी, जबकि इन देशों से आयातित अरहर सस्ती है। इसलिए अरहर की कीमतों पर दबाव तो रहेगा, लेकिन घरेलू बाजार में देसी अरहर का अच्छी क्वालिटी का बकाया स्टॉक कम है, तथा नई फसल की आवक दिसंबर में बनेगी। इसलिए बड़ी गिरावट के आसार कम है।

राजस्थान की मंडियों में खरीफ मूंग की आवक शुरू हो गई है, तथा आगामी दिनों में इसकी दैनिक आवक बढ़ने के आसार है। इसलिए मूंग की कीमतों में आगे गिरावट आने की उम्मीद है। राज्य की मेड़ता मंडी में आज 50 बोरी नए मूंग की आवक हुई तथा इसका व्यापार 5,500 से 6,300 रुपये प्रति क्विंटल की दर से हुआ। जानकारों के अनुसार चालू महीने के अंत तक इसकी दैनिक आवक बढ़कर 5,000 से 6,000 बोरी हो जायेगी। उधर श्रीगंगानगर मंडी में नई मूंग की आवक सप्ताहभर बाद शुरू होने की उम्मीद है।

चना एवं मसूर में बिकवाली कम आने से दाम लगभग स्थिर हो गए हैं। व्यापारियों के अनुसार नीचे दाम पर मांग निकलने से इनकी कीमतों में 25 से 50 रुपये का सुधार तो आ सकता है लेकिन बड़ी तेजी के आसार अभी नहीं है। नेफेड लगातार चना की बिकवाली कर रही है, जोकि हल्की क्वालिटी का है।

दिल्ली में बर्मा उड़द एसक्यू और एफएक्यू के भाव के भाव में 25-50 रुपये की तेजी आकर भाव क्रमशः 8150 से 8175 रुपये एवं 7250 रुपये प्रति क्विंटल हो गए।

आंध्रप्रदेश लाईन की नई उड़द का दिल्ली के लिए व्यापार 7500 रुपये प्रति क्विंटल की पूर्व दर पर हुआ।

मुंबई में उड़द एफएक्यू की कीमतों में 75 रुपये की तेजी आकर भाव 7150 रुपये प्रति क्विंटल हो गए।

चेन्नई में एफएक्यू उड़द की कीमतों में 100 रुपये की तेजी आकर भाव 7000 रुपये एवं एसक्यू की कीमतों में 25 रुपये की तेजी आकर भाव 7800 प्रति क्विंटल हो गए।

दिल्ली में बर्मा की लेमन अरहर के भाव 7300 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर हो गए।

चेन्नई में लेमन अरहर के भाव 6950 रुपये प्रति क्विंटल के पूर्व स्तर पर स्थिर बने रहे।

अफ्रीकी देशों से आयातित अरहर के दाम मुंबई में कमजोर हुए। तंजानिया की अरुषा अरहर के भाव 150 रुपये कमजोर होकर 5350 रुपये प्रति क्विंटल रह गए। इस दौरान मोजाम्बिक लाइन की गजरी अरहर की कीमतें 150 रुपये घटकर भाव 5350 से 5400 रुपये प्रति क्विंटल रह गए। मलावी से आयातित अरहर के दाम 4800 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर हो गए। सूडान से आयातित अरहर के दाम भी 7400 रुपये प्रति क्विंटल बोले गए।

हालांकि हाजिर में बकाया स्टॉक कम होने के कारण मुंबई में लेमन अरहर की कीमतों में 50 रुपये की तेजी आकर भाव 6950 रुपये प्रति क्विंटल हो गए।

दिल्ली में कनाडा और मध्य प्रदेश की मसूर की कीमतों में 25-25 रुपये की तेजी आकर भाव क्रमशः 6200 रुपये 6450 प्रति क्विंटल हो गए।

मुंबई में कनाडा की मसूर के दाम 6100 से 6200 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर बने रहे। ऑस्ट्रेलिया की मसूर की कीमतें इस दौरान 6300 रुपये प्रति क्विंटल बोली गई। कनाडा की मसूर के दाम मुंद्रा और हजिरा बंदरगाह पर इस दौरान 5850-5900 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर बने रहे।

दिल्ली में राजस्थानी चना की कीमतों में 25 रुपये की तेजी आकर भाव 4825 रुपये प्रति क्विंटल हो गए, जबकि इस दौरान मध्य प्रदेश के चना के भाव 4750 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर बने रहे।

मौसम अनुकूल रहा तो सोयाबीन का उत्पादन बढ़ने का अनुमान - सोपा

नई दिल्ली। प्रमुख उत्पादक राज्यों मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और राजस्थान में एकाध क्षेत्रों को छोड़ अन्य में सोयाबीन की फसल अच्छी स्थिति में है, तथा कटाई तक मौसम अनुकूल रहा तो चालू खरीफ में उत्पादन बढ़ने का अनुमान है।

सोयाबीन प्रोससर्स एसोसिएशन आफ इंडिया, सोपा ने सोयाबीन के प्रमुख उत्पादक राज्यों का दौरा करने के साथ ही सेटेलाईट इमेज के अनुसार अधिकांश क्षेत्रों में सोयबीन की फसल अच्छी स्थिति में है। अधिकांश फसल फूलने और फली बनने की अवस्था में है, जबकि सोयाबीन के खेत ज्यादातर खरपतवार मुक्त होते हैं और इसमें कीड़ों या बीमारियों का कोई खास असर नहीं होता है।

सोपा के अनुसार हालांकि ज्यादा और लगातार बारिश के कारण महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश के कुछ जिलों में निचले इलाकों में जरुर सोयाबीन के खेतों में पानी भरा हुआ है, जिससे पत्तियां पीली पड़ रही हैं और इन क्षेत्रों में फसल को कुछ नुकसान हो सकता है, साथ ही उत्पादकता में भी इन क्षेत्रों में कमी आयेगी।

हालांकि पीला मोज़ेक वायरस का किसी भी राज्य में फसल पर ज्यादा असर नहीं है। माना रहा है कि यदि सितंबर में मौसम फसल के अनुकूल रहता है और तापमान में अचानक और महत्वपूर्ण बदलाव नहीं होता है। साथ ही फसल की कटाई तक मौसम अनुकूल रहा तो इस साल सोयाबीन का उत्पादन बढ़ने की उम्मीद है।

कृषि मंत्रालय के अनुसार चालू खरीफ में सोयाबीन की बुआई 120.37 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जोकि पिछले साल की समान अवधि के 120.63 लाख हेक्टेयर थोड़ी कम है।

मानसून की बेरुखी से धान की रोपाई 5.62 फीसदी घटी, दालों के साथ ही तिलहन कम भी कम

नई दिल्ली। देश के कई राज्यों में बारिश की कमी के कारण धान की रोपाई 5.62 फीसदी पीछे चल रही है, इसके साथ ही दलहन एवं तिलहन की बुआई में भी चालू खरीफ में कमी आई है। हालांकि कपास के साथ ही मोटे अनाजों की बुआई पिछले साल की तुलना में बढ़ी है।

कृषि मंत्रालय के अनुसार चालू खरीफ में देशभर के राज्यों में 2 सितंबर 2022 तक फसलों की कुल बुआई घटकर 1,069.29 लाख हेक्टेयर में हो पाई है, जबकि पिछले साल इस समय तक इनकी बुआई 1,082.95 लाख हेक्टेयर में हो चुकी थी।

चालू मानसूनी सीजन में उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड एवं पश्चिम बंगाल में बारिश कम होने से इन राज्यों के कई जिलों में सूखे जैसे हालात है।

कृषि मंत्रालय के अनुसार खरीफ की प्रमुख फसल धान की रोपाई चालू खरीफ में 5.62 घटकर 383.99 लाख हेक्टेयर में ही हो पाई है, जबकि पिछले खरीफ सीजन की समान अवधि में 406.89 लाख हेक्टेयर में रोपाई हो चुकी थी।

दलहनी फसलों की कुल बुआई चालू खरीफ में 4.36 फीसदी घटकर 129.55 लाख हेक्टेयर में ही हो पाई है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 135.46 लाख हेक्टेयर से कम है। खरीफ दलहन की प्रमुख फसल अरहर की बुआई चालू खरीफ में 44.86 लाख हेक्टेयर में, उड़द की 36.62 लाख हेक्टेयर में और मूंग की 32.98 लाख हेक्टेयर में ही हुई है। पिछले खरीफ सीजन की समान अवधि में इनकी बुआई क्रमशः 47.56 लाख हेक्टेयर में, 38.18 लाख हेक्टेयर में और 34.38 लाख हेक्टेयर में हुई थी।

अन्य दालों की बुआई चालू खरीफ में 14.85 लाख हेक्टेयर में हुई है, जोकि पिछले खरीफ की समान अवधि के बराबर ही है।

मोटे अनाजों की बुआई चालू खरीफ में बढ़कर 178.96 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 171.62 लाख हेक्टेयर से ज्यादा है। मोटे अनाजों में ज्वार की बुआई 13.92 लाख हेक्टेयर में और बाजरा की 70.44 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जबकि पिछले साल समय तक इनकी बुआई क्रमशः 14.49 लाख हेक्टेयर और 63.26 लाख हेक्टेयर में ही हो पाई थी।

मक्का की बुआई चालू खरीफ में 80.52 लाख हेक्टेयर में ही हुई है, जबकि पिछले साल इस समय तक 80.37 लाख हेक्टेयर में हो चुकी थी। रागी की बुआई चालू खरीफ में 7.51 लाख हेक्टेयर में ही हो पाई है, जबकि पिछले खरीफ में इसकी बुआई 8.31 लाख हेक्टेयर में हो चुकी थी।

तिलहनी फसलों की बुआई चालू खरीफ में घटकर 188.51 लाख हेक्टेयर में ही हो पाई है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 189.66 लाख हेक्टेयर से कम है। तिलहन में मूंगफली की बुवाई चालू खरीफ में 45.14 लाख हेक्टेयर में, सोयाबीन की 120.37 लाख हेक्टेयर में और सनफ्लावर की 1.91 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है। पिछले साल इस समय तक इनकी बुआई क्रमशः 48.64 लाख हेक्टेयर में, 120.63 लाख हेक्टेयर में और 1.46 लाख हेक्टेयर में ही हो पाई थी।

शीशम सीड की बुवाई चालू खरीफ में 12.83 लाख हेक्टेयर में और कैस्टर सीड की 7.28 लाख हेक्टेयर में हुई है, जबकि पिछले खरीफ में इनकी बुआई क्रमशः 12.77 लाख हेक्टेयर और 5.65 लाख हेक्टेयर में ही हो पाई थी।

कपास की बुआई चालू खरीफ में बढ़कर 125.69 लाख हेक्टेयर में ही हुई है, जबकि पिछले साल इस समय तक 117.68 लाख हेक्टेयर में बुआई हो चुकी थी।

गन्ने की बुआई चालू खरीफ में 55.65 लाख हेक्टेयर में हुई है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 54.70 लाख हेक्टेयर से ज्यादा है।

कपास की बुआई 6.81 फीसदी बढ़कर 125.69 लाख हेक्टेयर में

नई दिल्ली। चालू खरीफ सीजन में 2 सितंबर तक देशभर के राज्यों में कपास की बुआई 6.81 फीसदी बढ़कर 125.69 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जबकि पिछले साल की समान अवधि में इसकी बुआई 117.68 लाख हेक्टेयर में ही हो पाई थी।

उत्तर भारत के राज्यों पंजाब और हरियाणा में चालू खरीफ में कपास की बुआई घटकर क्रमशः 2.48 और 6.50 लाख हेक्टेयर में ही हो पाई है, जबकि पिछले साल इस समय तक इन राज्यों में क्रमशः 2.54 और 6.88 लाख हेक्टेयर में बुआई हो चुकी थी।

राजस्थान में जरूर चालू खरीफ में कपास की बुआई बढ़कर 6.53 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 6.29 लाख हेक्टेयर से ज्यादा है।

गुजरात में चालू खरीफ में कपास की बुआई बढ़कर 25.45 लाख हेक्टेयर में और महाराष्ट्र में 42.29 लाख हेक्टेयर मेें हो चुकी है, जबकि पिछले साल की समान अवधि में इन राज्यों में क्रमशः 22.51 और 39.36 लाख हेक्टेयर में ही बुआई हो पाई थी।

मध्य प्रदेश में चालू खरीफ में कपास की बुआई घटकर 5.99 लाख हेक्टेयर में ही हो पाई है, जबकि पिछले खरीफ सीजन की समान अवधि में इसकी बुआई 6 लाख हेक्टेयर में हो चुकी थी।

दक्षिण भारत के राज्यों तेलंगाना में कपास की बुआई घटकर 19.72 लाख हेक्टेयर में ही हो पाई है, जबकि पिछले खरीफ की समान अवधि में इसकी बुआई 20.45 लाख हेक्टेयर में हो चुकी थी।

आंध्र प्रदेश में चालू खरीफ में कपास की बुआई 5.88 लाख हेक्टेयर में, कर्नाटक में 8.12 लाख हेक्टेयर में और तमिलनाडु में 0.29 लाख हेक्टेयर में बुआई हो चुकी है, जबकि पिछले खरीफ सीजन की समान अवधि में इन राज्यों में क्रमशः 4.81 लाख हेक्टेयर में, 6.27 लाख हेक्टेयर में और 0.21 हेक्टेयर में ही बुआई हो पाई थी।

चालू खरीफ में ओडिशा में कपास की बुआई 2.16 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 1.96 लाख हेक्टेयर से ज्यादा है।

अप्रैल से जून के दौरान बासमती चावल का निर्यात तीन फीसदी से ज्यादा बढ़ा

नई दिल्ली। चालू वित्त वर्ष 2022-23 की पहली तिमाही अप्रैल से जून के दौरान जहां बासमती चावल के निर्यात में 3.40 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई, वहीं गैर-बासमती चावल का निर्यात इस दौरान 5.63 फीसदी बढ़ गया।

वाणिज्य एवं उद्वयोग मंत्रालय के अनुसार चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में बासमती चावल का निर्यात बढ़कर 11.25 लाख टन का हुआ है, जबकि पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में इसका निर्यात केवल 10.88 लाख टन का ही हुआ था। मंत्रालय के अनुसार मूल्य के हिसाब से चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में बासमती चावल का निर्यात 8,943.47 करोड़ रुपये का हुआ है, जबकि पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में इसका निर्यात केवल 6,798 करोड़ करोड़ रुपये का ही हुआ था।

मंत्रालय के अनुसार गैर बासमती चावल का निर्यात चालू वित्त वर्ष 2022-23 के अप्रैल से जून के दौरान 43.48 लाख टन का हुआ है, जबकि पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में इनका निर्यात केवल 41.16 लाख टन का ही हुआ था। मूल्य के हिसाब से गैर-बासमती चावल का निर्यात चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में बढ़कर 12,094 करोड़ रुपये का हुआ है, जबकि पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में इनका निर्यात 11,009 करोड़ रुपये का ही हुआ था।


पूसा 1,121 गोल्डन सेला बासमती चावल में तरावड़ी में व्यापार 9,000 रुपये प्रति क्विंटल की दर पर हुआ, जबकि गाजियाबाद में इसका भाव 9,000 से 9,025 रुपये एवं दिल्ली में 9,000 से 9,100 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर बना रहा। 

दिल्ली की नरेला मंडी में गुरूवार को 1,000 बोरी पूसा 1,509 किस्म के धान की आवक हुई तथा कंबाइन के धान का व्यापार 3,570 रुपये एवं हाथ की कटाई के धान का भाव 3,725 रुपये प्रति क्विंटल रहा। पंजाब की अमृतसर मंडी में 3,000 बोरी नए पूसा 1,509 किस्म के धान की आवक हुई तथा इसका भाव 3,325 से 3,699 रुपये प्रति क्विंटल क्वालिटी अनुसार रहा।

कृषि मंत्रालय के अनुसार खरीफ की प्रमुख फसल धान की रोपाई चालू खरीफ में घटकर 367.55 लाख हेक्टेयर में ही हो पाई है, जोकि पिछले खरीफ की समान अवधि के 390.99 लाख हेक्टेयर से कम है। जानकारों के अनुसार कई राज्यों में प्रतिकूल मौसम की मार भी फसल पर पड़ी है, जिसका असर चावल के कुल उत्पादन पर पड़ने का डर है। हालांकि चालू महीने के अंत पूसा 1,509 किस्म के धान की आवक बढ़ेगी, तथा बासमती चावल में बढ़े दाम पर निर्यात सौदे कम हो रहे हैं। इसलिए आगामी दिनों में धान के साथ ही चावल की कीमतों में गिरावट ही आने का अनुमान है।

01 सितंबर 2022

ग्राहकी कमजोर होने से दालों में गिरावट जारी

नई दिल्ली। दाल मिलों की हाजिर कमजोर बनी रहने के कारण मंगलवार को अरहर एवं उड़द के साथ ही कनाडा एवं आस्ट्रेलिया की मसूर के दाम कमजोर हो गए। दालों में खुदरा के साथ ही थोक में मांग कमजोर है, जिस कारण मिलर्स केवल जरुरत के हिसाब से ही खरीद कर रहे हैं।

अफ्रीकी देशों से आयातित अरहर के दाम सस्ते हैं, तथा आगामी दिनों में अफ्रीकन देशों से आयात बढ़ने का अनुमान हैं। हालांकि घरेलू बाजार में अच्छी क्वालिटी की अरहर में बिकवाली कमजोर है, क्योंकि एक तो चालू सीजन में इसकी बुआई पिछले साल की तुलना में कम हुई है। दूसरा देश के कई राज्यों सूखे जैसे हालात बनने के साथ मध्य और दखिण भारत के राज्यों में ज्यादा बारिश का असर भी फसल पर पड़ने का डर है। इसलिए अरहर की कीमतों में अभी सीमित तेजी, मंदी ही बनी रहने का अनुमान है।

उड़द की नई फसल की आवक महाराष्ट्र और कर्नाटक की मंडियों में अगले महीने बढ़ेगी, जिससे इसकी कीमतों में गिरावट ही आने का अनुमान है। हालांकि चालू सीजन में उड़द की फसल को भी नुकसान की आशंका है, साथ ही कई राज्यों में भारी बारिश का असर भी फसल पर हुआ है, लेकिन उड़द दाल में दक्षिण भारत की मांग कमजोर बनी हुई है। गुलबर्गा मंडी में आज नई उड़द की 100 बोरियों की आवक हुई तथा इसका व्यापार 6600 से 7151 रुपये प्रति क्विंटल की दर से हुआ।

कनाडा एवं ऑस्ट्रेलिया से आयातित मसूर सस्ती होने के कारण घरेलू बाजार में इनकी कीमतों में लगातार गिरावट बनी हुई है। माना जा रहा है कि मौजूदा कीमतों में 100 से 150 रुपये का मंदा आने के बाद भाव रुक जायेंगे। वैसे भी देसी मसूर की आवक मंडियों में नहीं के बराबर हो रही है, तथा नई फसल की आवक मार्च, अप्रैल में ही बनेगी।

उत्पादक मंडियों में नई मूंग की आवक शुरू हो गई है तथा मौसम अनुकूल रहा तो अगले महीने मूंग की आवक बढ़ेगी। मूंग दाल में ग्राहकी सामान्य की तुलना में कमजोर है इसलिए आगामी दिनों में इसकी कीमतों में गिरावट ही आने का अनुमान है। गुलबर्गा मंडी में 1,000 बोरी नई मूंग की आवक हुई तथा चमकी के भाव 5600 से 6900 रुपये प्रति क्विंटल रहे। अक्कलकोट मंडी में 300 कट्टे नई की आई, तथा इसका व्यापार 5500 से 6800 रुपये प्रति क्विंटल की दर पर हुआ।

दिल्ली में बर्मा की लेमन अरहर के भाव में 25 रुपये की गिरावट आकर दाम 7450 रुपये प्रति क्विंटल रह गए।

चेन्नई में लेमन अरहर के भाव में भी 25 रुपये की गिरावट आकर दाम 7175 से 7200 रुपये प्रति क्विंटल रह गए।

मुंबई में बर्मा की लेमन अरहर के भाव 7200 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर बने रहे।

अफ्रीकी देशों से आयातित अरहर में मंदा आया। तंजानिया की अरुषा अरहर के भाव 50 रुपये कमजोर 5850 रुपये प्रति क्विंटल रह गए। इस दौरान मोजाम्बिक लाइन की गजरी अरहर की कीमतें 100 रुपये कमजोर होकर 5700 रुपये प्रति क्विंटल रह गई। मलावी से आयातित अरहर के दाम भी 100 रुपये घटकर भाव 5100-5200 रुपये प्रति क्विंटल रह गए। सूडान से आयातित अरहर के दाम भी 50 रुपये कमजोर होकर 7750 रुपये प्रति क्विंटल रह गए।

दिल्ली में बर्मा उड़द एफएक्यू और एसक्यू के भाव क्रमशः 7300 रुपये एवं 8300 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर हो गए। हालांकि इन भाव में दाल मिलों की मांग कमजोर देखी गई।

आंध्रप्रदेश लाईन की नई उड़द का दिल्ली के लिए व्यापार 7600 रुपये प्रति क्विंटल की दर पर हुआ।

मुंबई में उड़द एफएक्यू के भाव में 50 रुपये की गिरावट आकर भाव 7150 रुपये प्रति क्विंटल रह गए।

चेन्नई में एसक्यू उड़द के हाजिर डिलीवरी के भाव 75 रुपये कमजोर होकर भाव 7,925 रुपये प्रति क्विंटल रह गए, जबकि अक्टूबर डिलवरी के दाम 50 रुपये घटकर 8,000 रुपये प्रति क्विंटल बोले गए।

दिल्ली में कनाडा की मसूर की कीमतों में 50 रुपये की गिरावट आकर भाव 6250 रुपये प्रति क्विंटल रह गए। इस दौरान मध्य प्रदेश की मसूर के दाम 6650 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर बने रहे।

कनाडा की मसूर के दाम मुंद्रा बंदरगाह पर 5950 से 6000 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर बने रहे, जबकि हजिरा बंदरगाह पर 50 रुपये घटकर 6000 रुपये प्रति क्विंटल बोले गए। इस दौरान कनाडा की मसूर के दाम कंटेनर में 50 घटकर 6350 रुपये एवं ऑस्ट्रेलियाई मसूर के भाव भी कंटेनर में 50 कमजोर होकर 6450 रुपये प्रति क्विंटल रह गए।


देशभर में 6 फीसदी बारिश सामान्य से ज्यादा, 17 फीसदी हिस्सा अभी भी सूखे की चपेट में

नई दिल्ली। पहली जून से शुरू हुए चालू मानसूनी सीजन के पहले तीन महीनों  यानी 31 अगस्त तक देशभर में 6 फीसदी बारिश सामान्य से ज्यादा हुई है, लेकिन इसके बावजूद भी देशभर में करीब 17 फीसदी हिस्सा सूखे की चपेट में है।

भारतीय मौसम विभाग, आईएमडी के अनुसार पहली जून से 31 अगस्त तक देशभर में 743.8 मिलीमीटर बारिश हुई है, जबकि सामान्यतः इस दौरान 700.7 मिलीमीटर बारिश होती है।

सब डिवीजनों के आधार पर देखें तो कुल 36 सब डिवीजनों में से 6 में यानी कि 17 फीसदी हिस्सा अभी भी सूखे की चपेट में हैं, तथा 3 सब डिवीजनों में अत्याधिक तो 11 में ज्यादा बारिश हुई है। अतः देशभर की 16 सब डिवीजनों यानी की 38 फीसदी क्षेत्र में ही इस दौरान सामान्य बारिश हुई है।

पश्चिमी उत्तर प्रदेश में पहली जून से 31 अगस्त तक सामान्य से 44 फीसदी कम और पूर्वी उत्तर प्रदेश में भी इस दौरान सामान्य की तुलना में 44 फीसदी बारिश कम हुई है। बिहार में इस दौरान सामान्य से 38 फीसदी, झारखंड में 27 फीसदी और पश्चिम बंगाल में 29 फीसदी बारिश सामान्य की तुलना में कम हुई है। अतः इन राज्यों में खरीफ फसलों की बुआई में तो कमी आई ही है, साथ ही बुआई की गई फसलों को भी नुकसान  होने का डर है।

उत्तर भारत के उत्तराखंड, हरियाणा एवं पंजाब में भी इस दौरान सामान्य की तुलना में क्रमशः 12 फीसदी, 8 फीसदी और 12 फीसदी बारिश सामान्य की तुलना में कम हुई है। हालांकि पश्चिमी राजस्थान में इस दौरान जहां सामान्य से 76 फीसदी और पूर्वी राजस्थान में सामान्य से 27 फीसदी ज्यादा बारिश हुई है।

मध्य भारत के राज्यों ओडिशा में इस दौरान सामान्य से 8 फीसदी, मध्य प्रदेश में 22 फीसदी, गुजरात में 30 फीसदी, महाराष्ट्र में 18 फीसदी तो छत्तीसगढ़ में सामान्य से 12 फीसदी ज्यादा बारिश दर्ज की गई।

दक्षिण भारत के राज्यों आंध्र प्रदेश में पहली जून से 31 अगस्त तक सामान्य से 14 फीसदी, तेलंगाना में 49 फीसदी, तमिलनाडु में 87 फीसदी और कर्नाटक में 33 फीसदी ज्यादा बारिश हुई है लेकिन इस दौरान केरल में सामान्य से 13 फीसदी कम बारिश दर्ज की गई।

खरीफ विपणन सीजन में 518 लाख टन चावल की खरीद का लक्ष्य - खाद्य सचिव

नई दिल्ली। पहली अक्टूबर 2022 से शुरू होने वाले खरीफ विपणन सीजन 2022-23 के लिए केंद्र सरकार ने केंद्रीय पूल में 518 लाख टन चावल की खरीद का लक्ष्य तय किया है, जोकि पिछले साल खरीफ सीजन में खरीदे गए 509.82 लाख टन से ज्यादा है।

केंद्र सरकार ने खरीफ विपणन सीजन 2022-23 के लिए कॉमन ग्रेड धान का न्यूनतम समर्थन मूल्य, एमएसपी 2,040 रुपये और ए ग्रेड धान का एमएसपी 2,060 रुपये प्रति क्विंटल तय किया हुआ हुआ है।

कृषि मंत्रालय के अनुसार खरीफ की प्रमुख फसल धान की रोपाई चालू खरीफ में घटकर 367.55 लाख हेक्टेयर में ही हो पाई हैए जोकि पिछले खरीफ की समान अवधि के 390.99 लाख हेक्टेयर से कम है।

सुधांशु पांडे, सचिव, खाद्य और सार्वजनिक वितरण विभाग, डीएफपीडी एवं उपभोक्ता मामले और खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय ने खरीफ फसलों की खरीद पर चर्चा करने के लिए राज्य के खाद्य सचिवों और भारतीय खाद्य निगम, एफसीआई के अधिकारियों संग बैठक की अध्यक्षता की। इसमें खरीफ विपणन सीजन 2022-23 के लिए खाद्यान्नों की खरीद पर चर्चा की गई।

खाद्य सचिव ने कहा कि न केवल अंतरराष्ट्रीय बाजरा-2023 वर्ष के कारण बल्कि जलवायु परिवर्तन के कारण भी बाजरा की खरीद पर ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिए। जलवायु परिवर्तन से गेहूं और चावल के उत्पादन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है और इसके परिणामस्वरूप उनके उत्पादन में कमी आई है। इसलिए खरीफ विपणन सीजन 2022-23 के दौरान राज्यों द्वारा 13.70 लाख टन बाजरा की खरीद का लक्ष्य तय किया है, जोकि इसके पिछले खरीफ सीजन में खरीदे गए 6.30 लाख टन से ज्यादा है।

केंद्र, राज्यों को 8 रुपये किलो के डिस्काउंट पर चना दाल देगी, दलहन की खरीद लिमिट भी बढ़ाई

नई दिल्ली। केंद्र सरकार, राज्य सरकारों को 8 रुपये प्रति किलो के डिस्काउंट पर चना दाल की सप्लाई करेगी, साथ ही केंद्र सरकार ने किसानों ने अरहर, उड़द और मसूर की खरीद की मात्रा को भी 25 फीसदी से बढ़ाकर 40 फीसदी कर दिया है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में कैबिनेट कमेटी ऑन इकोनॉमिक अफेयर्स, सीसीईए ने प्राइस सपोर्ट स्कीम के तहत खरीदे गए चना के दाल की बिक्री 8 रुपये प्रति किलो के डिस्काउंट रेट पर करने का फैसला किया है। इसके तहत राज्य सरकार को 15 लाख टन चना दाल की बिक्री की जायेगी।

इसके अलावा प्राइस सपोर्ट सिस्टम के तहत अरहर, उड़द और मसूर की खरीद मात्रा को भी 25 फीसदी से बढ़ाकर 40 फीसदी कर दिया है। खरीफ सीजन की दलहन की आवक अगले महीने बढ़ेगी, तथा इसके तहत केंद्रीय एजेंयों को उड़द एवं अरहर के साथ ही आगामी रबी सीजन में मसूर की न्यूनतम समर्थन मूल्य, एमएसपी पर ज्यादा खरीद करनी होगी।

केंद्र सरकार के इस फैसले से  राज्य एवं केंद्र शासित प्रदेश विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं जैसे पीडीएस, मिड-डे मिल योजनाओं आदि में चना दाल का उपयोग करने में सक्षम होंगे। चालू सीजन में देश में चना का रिकार्ड उत्पादन हुआ है।

केंद्रीय पूल में चना का करीब 30.55 लाख टन का बकाया स्टॉक बचा हुआ है, जोकि तय मानकों बफर स्टॉक से ज्यादा है।

चना की कीमतें उत्पादक मंडियों में पहले ही न्यूनतम समर्थन मूल्य, एमएसपी से नीचे बनी हुई है, तथा केंद्र सरकार के इस फैसले से कीमतों में और भी गिरावट आने का अनुमान है। लारेंस रोड़ पर बुधवार को मध्य प्रदेश के चना की कीमतों में 25 रुपये का मंदा आकर भाव 4,825 से 4,850 रुपये प्रति क्विंटल रह गए, जबकि इस दौरान राजस्थान लाइन के चना के दाम 50 रुपये कमजोर होकर 4,900 रुपये प्रति क्विंटल के स्तर पर आ गए।

गुजरात में कपास का उत्पादन बढ़कर 91.84 लाख गांठ होने का अनुमान, भाव घटे

नई दिल्ली। चालू खरीफ में बुआई में हुई बढ़ोतरी से प्रमुख उत्पादक राज्य गुजरात में कपास का उत्पादन बढ़कर 91.84 लाख गांठ, एक गांठ-170 किलो होने का अनुमान है।

राज्य के कृषि निदेशालय के पहले आरंभिक अनुमान के अनुसार चालू खरीफ में कपास की बुआई बढ़कर 25.38 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जबकि पिछले साल की समान अवधि में 22.50 लाख हेक्टेयर में ही बुआई हो पाई थी।

राज्य में मंगलवार को शंकर 6 किस्म की कॉटन की कीमतों में 1,000 रुपये की गिरावट आकर 29 एमएम के दाम 95,500 से 96,500 रुपये प्रति कैंडी, एक कैंडी-357 किलो रह गए। जानकारों के अनुसार सितंबर में राज्य की मंडियों नई कपास की आवक शुरू होगी, तथा अक्टूबर में आवकों में बढ़ोतरी बनेगी। इसलिए आगे इसकी कीमतों में नरमी ही आने का अनुमान है।

चालू खरीफ में राज्य में तिलहनी फसलों का उत्पादन 54.85 लाख टन का होने का अनुमान है, तथा इनकी बुआई चालू खरीफ में 25.64 लाख हेक्टेयर में हुई थी। खरीफ तिलहन की प्रमुख फसल मूंगफली का उत्पादन चालू खरीफ में 39.17 लाख टन, कैस्टर सीड का 12.12 लाख टन और सोयाबीन का 3.22 लाख टन होने का अनुमान है।

पहले आरंभिक अनुमान के अनुसार राज्य में खरीफ दलहन का उत्पादन 3.54 लाख टन होने का अनुमान है। अरहर का उत्पादन राज्य में 2.50 लाख टन होने का अनुमान है।

अनाजों का उत्पादन राज्य में चालू खरीफ में 29.94 लाख टन होने का अनुमान है, जबकि इनकी बुआई 13.49 लाख हेक्टेयर में हुई है। चावल का उत्पादन 19.81 लाख टन, बाजरा का 3.11 लाख टन और मक्का का 4.64 लाख टन का उत्पादन होने का अनुमान है।

चालू खरीफ में राज्य में ग्वार सीड का उत्पादन 60 हजार टन होने का अनुमान है।

मानसूनी बारिश की कमी से उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखढ़ और पश्चिम बंगाल में धान की रोपाई घटी

नई दिल्ली। मानसूनी सीजन के पहले तीन महीने बीतने को हैं, लेकिन अभी भी उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल में बारिश सामान्य से कम होने के कारण सूखे जैसे हालात बने हुए हैं, जिसका असर इन राज्यों में धान की रोपाई पर पड़ा है।

जानकारों के अनुसर इन में बारिश की कमी के कारण धान की रोपाई तो कम हुई है, साथ ही रोपाई हो चुकी फसल को भी नुकसान होने का डर है। पहली से 27 अगस्त के दौरान जहां उत्तर प्रदेश में बारिश सामान्य की तुलना में 44 फीसदी कम हुई है, वहीं बिहार में चालू मानसूनी सीजन में बारिश सामान्य की तुलना में 42 फीसदी कम, झारखंड में 27 फीसदी तो पश्चिम बंगाल में 19 फीसदी कम हुई है।

उत्तर प्रदेश में चालू खरीफ में 26 अगस्त धान की रोपाई 57.62 लाख हेक्टेयर में ही हो पाई है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 60.25 लाख हेक्टेयर से कम है। इस दौरान पश्चिमी बंगाल में धान की रोपाई केवल 36.93 लाख हेक्टेयर में ही हुई है, जोकि पिछले खरीफ सीजन की समान अवधि के 41.55 लाख हेक्टेयर से कम है।

बिहार में चालू खरीफ में 26 अगस्त तक धान की रोपाई केवल 29.92 लाख हेक्टेयर में ही हो पाई है, जोकि पिछले खरीफ सीजन की समान अवधि के 32.32 लाख हेक्टेयर से कम है। झारखंड में चालू खरीफ में धान की रोपाई घटकर केवल 6.95 लाख हेक्टेयर में ही हुई है, जबकि पिछले खरीफ में इस समय तक राज्य में 17.46 लाख हेक्टेयर में बुआई हो चुकी थी।

इसके अलावा अन्य धान उत्पादक राज्यों छत्तीसगढ़, हरियाणा, मध्य प्रदेश और ओडिशा में भी धान की रोपाई पिछले साल की तुलना में पिछड़ रही है, जिसका असर चालू खरीफ में धान उत्पादन पर पड़ने की आशंका है।

चालू खरीफ सीजन में देशभर के राज्यों में धान की रोपाई 6 फीसदी पिछड़ कर 26 अगस्त तक देशभर में 367.55 लाख हेक्टेयर में ही हो पाई है, जबकि पिछले साल इस समय तक इसकी रोपाई 390.99 लाख हेक्टेयर में हो चुकी थी।

भारतीय मौसम विभाग, आईएमडी के अनुसार चालू मानसूनी सीजन में पहली जून से 27 अगस्त तक देशभर में सामान्य की तुलना में सात फीसदी ज्यादा बारिश हुई है लेकिन अगर सब डिवीजनों के आधार पर देखें तो देशभर के 19 फीसदी हिस्से में बारिश सामान्य की तुलना में कम हुई है, जिसका असर धान की रोपाई पर पड़ा है।

कृषि मंत्रालय के चौथे आरंभिक अनुमान के अनुसार फसल सीजन 2021-22 में खरीफ सीजन में चावल का उत्पादन 11.17 करोड़ टन का हुआ था, जोकि इसके पिछले साल के 10.52 करोड़ टन से ज्यादा था।

चालू खरीफ में धान एवं दलहन के साथ ही तिलहन की बुआई घटी, मोटे अनाजों की बढ़ी

नई दिल्ली। कृषि मंत्रालय के अनुसार चालू खरीफ में देशभर के राज्यों में 26 जुलाई 2022 तक फसलों की बुआई घटकर 1,045.14 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जबकि पिछले साल इस समय तक इनकी बुआई 1,061.92 लाख हेक्टेयर में हो चुकी थी।


चालू मानसूनी सीजन में पहली जून से 26 अगस्त तक देशभर में वैसे तो सामान्य की तुलना में 8 फीसदी ज्यादा बारिश हुई है, लेकिन एक तरफ जहां उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड एवं पश्चिम बंगाल में बारिश कम होने से सूखे जैसे हालात है, वहीं मध्य प्रदेश, राजस्थान और तेलंगाना तथा गुजरात में सामान्य से ज्यादा बारिश हुई है।

कृषि मंत्रालय के अनुसार खरीफ की प्रमुख फसल धान की रोपाई चालू खरीफ में घटकर 367.55 लाख हेक्टेयर में ही हो पाई है, जोकि पिछले खरीफ की समान अवधि के 390.99 लाख हेक्टेयर से कम है।

दलहनी फसलों की कुल बुआई चालू खरीफ में 4.96 फीसदी घटकर 127.71 लाख हेक्टेयर में ही हो पाई है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 134.37 लाख हेक्टेयर से कम है। खरीफ दलहन की प्रमुख फसल अरहर की बुआई चालू खरीफ में 44.087 लाख हेक्टेयर में, उड़द की 36.15 लाख हेक्टेयर में और मूंग की 32.69 लाख हेक्टेयर में ही हुई है। पिछले खरीफ सीजन की समान अवधि में इनकी बुआई क्रमशः 47.20 लाख हेक्टेयर में, 37.91 लाख हेक्टेयर में और 34.14 लाख हेक्टेयर में हुई थी।

अन्य दालों की बुआई चालू खरीफ में 14.58 लाख हेक्टेयर में हुई है, जबकि पिछले खरीफ सीजन में इस समय तक 14.66 लाख हेक्टेयर में इनकी बुआई हो चुकी थी।

मोटे अनाजों की बुआई चालू खरीफ में बढ़कर 176.33 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 169.39 लाख हेक्टेयर से ज्यादा है। मोटे अनाजों में ज्वार की बुआई 13.71 लाख हेक्टेयर में और बाजरा की 70.12 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जबकि पिछले साल समय तक इनकी बुआई क्रमशः 14.33 लाख हेक्टेयर और 63.19 लाख हेक्टेयर में ही हो पाई थी। इसके अलावा मक्का की बुआई चालू खरीफ में 80.85 लाख हेक्टेयर में ही हुई है, जबकि पिछले साल इस समय तक 79.06 लाख हेक्टेयर में हो चुकी थी। रागी की बुआई चालू खरीफ में 6.22 लाख हेक्टेयर में ही हो पाई है, जबकि खरीफ में इसकी बुआई 7.73 लाख हेक्टेयर में हो चुकी थी।

तिलहनी फसलों की बुआई चालू खरीफ में घटकर 186.48 लाख हेक्टेयर में ही हो पाई है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 188.62 लाख हेक्टेयर से कम है। तिलहन में मूंगफली की बुवाई चालू खरीफ में 44.75 लाख हेक्टेयर में, सोयाबीन की 119.83 लाख हेक्टेयर में और सनफ्लावर की 1.86 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जबकि पिछले साल इनकी बुआई क्रमशः 48.38 लाख हेक्टेयर में, 120.55 लाख हेक्टेयर में और 1.44 लाख हेक्टेयर में ही हो पाई थी।

शीशम सीड की बुवाई चालू खरीफ में 12.69 लाख हेक्टेयर में और कैस्टर सीड की 6.52 लाख हेक्टेयर में हुई है, जबकि पिछले खरीफ में इनकी बुआई क्रमशः 12.65 लाख हेक्टेयर और 5.16 लाख हेक्टेयर में ही हो पाई थी।

कपास की बुआई चालू खरीफ में बढ़कर 124.55 लाख हेक्टेयर में ही हुई है, जबकि पिछले साल इस समय तक 116.91 लाख हेक्टेयर में बुआई हो चुकी थी।

गन्ने की बुआई चालू खरीफ में 55.59 लाख हेक्टेयर में हुई है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 54.70 लाख हेक्टेयर से ज्यादा है।