विदेशी निवेशकों के सेंटिमेंट सुधारने के लिए मोदी सरकार ने बड़ा फैसला लिया है। कैबिनेट ने वोडाफोन ट्रांसफर प्राइसिंग केस में बॉम्बे हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ अपील नहीं करने का का फैसला किया है।
वोडाफोन ट्रांसफर प्राइसिंग मामला
सरकार ने साफ किया है कि वो वोडाफोन मामले में हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील नहीं करेगी। सरकार ने अटार्नी जनरल की उस सलाह को मान लिया है जिसमें उन्होंने ट्रांसफर प्राइसिंग मामले में बॉम्बे हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती नहीं देने की बात कही थी। हम आपको बता दें कि ये 7 साल पुराना मामला है जिसका विवाद कल खत्म होता नजर आया।
एटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने ये भी कहा कि अगर शेल और केर्न इंडिया में भी वोडाफोन जैसी टैक्स अड़चनें हैं तो उनका निपटारा भी ऐसे ही करना चाहिए। अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने वोडाफोन मामले में सीएनबीसी आवाज़ से खास बातचीत में कहा कि हर मामले को कोर्ट में घसीटने की वजह से सरकार के प्रति निगेटिव माहौल बन गया था लेकिन मोदी सरकार कानूनी मामलों को घटाना चाहती है। अटॉर्नी जनरल ने कहा कि वोडाफोन के मामले में हाईकोर्ट का फैसला बिल्कुल सही था इसीलिए सरकार ने भी सुप्रीम कोर्ट नहीं जाने का निर्णय लिया है।
इंटरनेशनल टैक्स एक्सपर्ट टीपी ओस्तवाल का मानना है कि कैबिनेट ने वोडाफोन मामले में सुप्रीम कोर्ट नहीं जाने का जो फैसला लिया है उससे इन्वेस्टर सेंटिमेंट में बहुत सुधार आएगा।
3जी स्पेक्ट्रम के रिजर्व प्राइस पर फैसला
कैबिनेट ने 3जी स्पेक्ट्रम के रिजर्व प्राइस पर भी फैसला ले लिया है। दरअसल, 3जी प्राइसिंग पर सफाई नहीं होने की वजह से ही टेलीकॉम कंपनियों ने सरकार से स्पेक्ट्रम नीलामी की तारीख बढ़ाने की मांग की थी जिसके बाद टेलीकॉम विभाग ने इसे एक हफ्ते टाला और नीलामी शुरू करने की तारीख 4 मार्च तय की गई। कैबिनेट की बैठक में 2100 मेगाहर्ट्ज बैंड का रिजर्व प्राइस 3705 करोड़ रुपये प्रति मेगाहर्ट्ज तय किया गया है। सरकार को स्पेक्ट्रम नीलामी से करीब 1 लाख करोड़ रुपये जुटाए जाने की उम्मीद है।
3जी स्पेक्ट्रम प्राइसिंग पर सीओएआई के डायरेक्टर जनलर राजन मैथ्यूज ने निराशा जताई है। उनका कहना है कि ट्राई की सिफारिशें कहीं ज्यादा वाजिब थी। नई सिफारिशों से कंपनियों की लागत बढ़ेगी और लागत बढ़ने से कॉल और डेटा दरें बढ़नी तय हैं।
जानकारों का कहना है कि भले ही स्पेक्ट्रम की कीमत ऊंची रखी गई हो लेकिन टेलीकॉम कंपनियां इसकी नीलामी में बढ़चढ़ कर हिस्सा लेंगी और इसका असर ग्राहकों पर भी पड़ना तय है। यानि अगर कंपनियां महंगे भाव पर स्पेक्ट्रम खरीदेंगी तो वो ग्राहक से भी ऊंची कीमत वसूलेंगी।
केपीएमजी के टेलीकॉम एक्सपर्ट रोमल शेट्टी का कहना है कि स्पेक्ट्रम के लिए बड़े पैमाने पर बोलियां लगने के अनुमान के कारण टेलीकॉम कंपनियों के लिए 3जी स्पेक्ट्रम खरीदना महंगा पड़ेगा। लेकिन 3जी स्पेक्ट्रम की बिकवाली से सरकार को अच्छी खासी आय होगी। 900 मेगाहर्ट्ज और 2100 मेगाहर्ट्ज स्पेक्ट्रम के लिए बोलियां काफी ज्यादा दिलचस्प और आक्रमक रहने का अनुमान है।
एचडीएफसी बैंक और ल्यूपिन के एफडीआई प्रस्ताव मंजूर
वहीं दूसरी ओर कैबिनेट ने एचडीएफसी बैंक और ल्यूपिन के एफडीआई प्रस्तावों को भी मंजूर कर लिया है। कैबिनेट ने एचडीएफसी बैंक को बड़ी राहत दी है। कैबिनेट ने एचडीएफसी बैंक को 74 फीसदी विदेशी होल्डिंग को मंजूरी दे दी है। साथ ही एचडीएफसी बैंक को एनआरआई, एफआईआई और एफपीआई को 10000 करोड़ रुपये के शेयर जारी करने को मंजूरी दे दी है। हालांकि शेयर जारी करने के बाद भी विदेशी होल्डिंग 74 फीसदी से ज्यादा नहीं रखने की शर्त रखी गई है।
इसके साथ ही कैबिनेट ने ल्युपिन में एफआईआई निवेशकों के निवेश की सीमा 33 फीसदी से बढ़ाकर 49 फीसदी करने को मंजूरी दे दी है। इससे करीब 6000 करोड़ रुपये का विदेशी निवेश आने की उम्मीद है। (hindimoneycantorl.com)
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