आर एस राणा
नई दिल्ली। चालू रबी में सरसों की बुवाई में कमी जरूर आई है लेकिन पिछले दिनों उत्पादक राज्यों में हुई बारिष से सरसों की फसल को फायदा हुआ है। प्रमुख उत्पादक राज्यों में इस समय मौसम फसल के अनुकूल बना हुआ है तथा खाद्य तेलों में मांग काफी कमजोर चल रही है। ऐसे में अगर नई फसल की आवक तक मौसम अनुकूल रहा तो मार्च महीने तक सरसों के दाम घटकर 3,400-3,500 रूपये प्रति क्विंटल रहने की संभावना है।
सरसों के थोक कारोबारी सुमेरचंद ने मार्किट टाईम्स को बताया कि पिछले दिनों हुई बारिष से सरसों की फसल को फायदा हुआ है। इस समय भी मौसम अनुकूल बना हुआ है। ऐसे में चालू रबी में सरसों की प्रति हैक्टेयर उत्पादकता बढ़ने की संभावना है। खाद्य तेलों में मांग कमजोर होने से इस समय सरसों में मंदे का रूख बना हुआ है। पिछले दस दिनों में सरसों की कीमतों में करीब 450-500 रूपये प्रति क्विंटल की गिरावट आ चुकी है। षुक्रवार को उत्पादक मंडियों में 42 फीसदी कंडीषन की सरसों के भाव घटकर 3,800 रूपये प्रति क्विंटल रह गए।
खाद्य तेलों के थोक कारोबारी आर डी गुप्ता ने बताया कि चालू रबी में सरसों की बुवाई में तो कमी आई है लेकिन आयातित खाद्य तेलों की कीमतें नीचे बनी हुई है। वैसे भी उत्पादक राज्यों में मौसम फसल के अनुकूल है तथा नई फसल तक मौसम अनुकूल रहा तो पैदावार पिछले साल से बहुत ज्यादा कम नहीं होगी। उन्होंने बताया कि मार्च डिलीवरी के सौदे 3,400-3,500 रूपये प्रति क्विंटल की दर से हो रहे हैं। दिल्ली के लारेंस रोड़ पर षुक्रवार को सरसों का भाव घटकर 3,850-3,875 रूपये प्रति क्विंटल रह गया। फसल सीजन 2014-15 के लिए केंद्र सरकार ने सरसों का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) 3,100 रूपये प्रति क्विंटल तय कर रखा है।
कृशि मंत्रालय के अनुसार वर्श 2013-14 में सरसों की पैदावार 79.60 लाख टन की हुई थी जबकि व्यापारियों का अनुमान है कि चालू रबी में पैदावार 75-76 लाख टन होने का अनुमान है। मंत्रालय के अनुसार चालू रबी में सरसों की बुवाई 65.13 लाख हैक्टेयर में ही हुई है जबकि पिछले साल की समान अवधि में 70.51 लाख हैक्टेयर में बुवाई हुई थी। सरसों के प्रमुख उत्पादक राज्य राजस्थान आौर मध्य प्रदेष में बुवाई में कमी आई है। राजस्थान में अभी तक 26.40 लाख हैक्टेयर में ही बुवाई हो पाई है जबकि पिछले साल इस समय तक 30.50 लाख हैक्टेयर में सरसों की बुवाई हो चुकी थी। मध्य प्रदेष में 6.63 लाख हैक्टेयर में बुवाई हुई है जबकि पिछले साल इस समय तक 8.14 लाख हैक्टेयर में बुवाई हुई थी।...........आर एस राणा
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