नई दिल्ली। विश्व बाजार में कॉटन की कीमतों में आई गिरावट से घरेलू बाजार में इसकी कीमतों पर दबाव है। स्पिनिंग मिलों की मांग कमजोर होने के कारण शुक्रवार को गुजरात के साथ ही उत्तर भारत के राज्यों में में कॉटन की कीमतों में नरमी आई।
आईसीई कॉटन वायदा के भाव में गुरुवार को नरमी का रुख रहा था। जुलाई-25 वायदा अनुबंध में इसके दाम 0.44 सेंट कमजोर होकर भाव 65.63 सेंट रह गए थे। दिसंबर-25 वायदा अनुबंध में इसके दाम 0.45 सेंट कमजोर होकर 68.26 सेंट रह गए। मार्च-26 वायदा अनुबंध में इसके दाम 0.46 सेंट नरम होकर भाव 69.63 सेंट रह गए। हालांकि आज आईसीई के इलेक्ट्रॉनिक ट्रेडिंग में कॉटन की कीमतों में सुधार आया है।
गुजरात के अहमदाबाद में 29 शंकर-6 किस्म की कॉटन के भाव शुक्रवार को 50 रुपये कमजोर होकर दाम 53,800 से 54,300 रुपये प्रति कैंडी, एक कैंडी-356 किलो रह गए।
पंजाब में रुई के हाजिर डिलीवरी के भाव 10 रुपये नरम होकर 5740 से 5750 रुपये प्रति मन बोले गए। हरियाणा में रुई के भाव हाजिर डिलीवरी के भाव 10 रुपये घटकर 5570 से 5620 रुपये प्रति मन बोले गए। ऊपरी राजस्थान में रुई के भाव हाजिर डिलीवरी के भाव नरम होकर 5730 से 5775 रुपये प्रति मन बोले गए। खैरथल लाइन में कॉटन के भाव घटकर 55,000 से 55,200 रुपये कैंडी, एक कैंडी-356 किलो बोले गए। देशभर की मंडियों में कपास की आवक 20,000 गांठ, एक गांठ-170 किलो की हुई।
स्पिनिंग मिलों की मांग घटने के कारण गुजरात के साथ ही उत्तर भारत के राज्यों में कॉटन की कीमतों में नरमी आई। व्यापारियों के अनुसार चालू सीजन में कपास के उत्पादन में कमी आई थी, लेकिन एक तो घरेलू बाजार से कॉटन के निर्यात में कमी आई है, वहीं दूसरी तरफ चालू सीजन में अभी तक आयात ज्यादा हुआ है। घरेलू बाजार में सीसीआई ने चालू सीजन में करीब 100 लाख गांठ से ज्यादा कॉटन की खरीद की थी, जबकि अभी भी निगम के पास करीब 70 लाख गांठ का स्टॉक बचा हुआ है। इसलिए घरेलू बाजार में कॉटन की कीमतों में तेजी, मंदी काफी हद तक सीसीआई के बिक्री भाव पर भी निर्भर करेगी।
कृषि मंत्रालय के दूसरे आरंभिक अनुमान के अनुसार खरीफ सीजन में कपास का उत्पादन 294.25 लाख गांठ (एक गांठ 170 किलोग्राम) होने का अनुमान है, जो कि इसके पहले के अनुमान 299.26 लाख गांठ के मुकाबले कम है।

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