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21 मई 2025

देश में चीनी की सालाना खपत घटकर 280 लाख टन ही होने का अनुमान - इस्मा

नई दिल्ली। पहली अक्टूबर 2024 से शुरू हुए चालू पेराई सीजन 2024-25 (अक्टूबर से सितंबर) के दौरान देश में चीनी की खपत घटकर करीब 280 लाख टन ही होने का अनुमान है, जोकि पिछले सीजन के 290 लाख टन के रिकॉर्ड की तुलना में कम है। इस साल चीनी की खपत के रुझान में बदलाव आया है, क्योंकि अप्रैल और मई जैसे गर्मियों के महीनों में मांग कम रही है।


इंडियन शुगर एंड बायो मैन्युफैक्चरिंग एसोसिएशन (इस्मा) के अनुसार कमजोर मांग के कारण देश में में चीनी की खपत सितंबर 2025 में समाप्त होने वाले चालू पेराई सीजन में पिछले साल की तुलना में कम रहेगी।

इस्मा के महानिदेशक दीपक बल्लानी के अनुसार इस साल सरकार ने चीनी का बिक्री कोटा पिछले साल से कम जारी किया है तथा सभी गणनाओं और अनुमानों के बाद, हमें नहीं लगता कि खपत 280 लाख टन से अधिक होगी। केंद्र सरकार ने मई 2025 का मासिक बिक्री का चीनी का कोटा एक साल पहले के 27 लाख टन से 13 फीसदी कम करके 23.50 लाख टन का जारी किया है। साथ ही, चीनी पेराई सीजन 2024-25 के पहले सात महीनों (अक्टूबर से मई) में कुल बिक्री कोटा 184.50 लाख टन का ही जारी हुआ है, जोकि एक साल पहले की अवधि के 196.50 लाख टन की तुलना में 6 फीसदी कम है। वर्ष 2023-24 के दौरान सरकार द्वारा जारी 291.5 लाख टन के कोटे के मुकाबले मिलों द्वारा बिक्री 290 लाख टन की हुई थी।

पेराई सीजन 2023-24 के दौरान आम चुनावों के साथ ही बांग्लादेश जैसे देशों को लीकेज के कारण देश में चीनी की खपत 290 लाख टन के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई थी। बल्लानी ने कहा कि गर्मियों के महीनों के दौरान अप्रैल से मई में भारी तेजी के कारण उठाव अधिक था। इस साल हमारे पास ऐसा कुछ नहीं है। गर्मियों के दौरान और दिवाली के त्योहारी सीजन से पहले चीनी की खपत आमतौर पर पीक पर होती है। संस्थागत खरीदारों के साथ चर्चा के आधार पर बल्लानी के अनुसार एफएमसीजी क्षेत्र की मांग में कुछ गिरावट आई है। संस्थागत खरीदार चीनी के प्रमुख उपभोक्ता हैं, जो खपत का लगभग 70 फीसदी हिस्सा हैं, जबकि खुदरा बिक्री बाकी की खरीद करते हैं। क्षेत्रवार रुझान पर इस्मा ने देश में चीनी की खपत के रुझानों पर एक व्यापक अध्ययन करने के लिए प्रमुख परामर्शदाता पीडब्ल्यूसी को नियुक्त किया है।

यह अध्ययन इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि हाल के वर्षों में गैर चीनी विकल्पों की भी मांग देखी जा रही है। बल्लानी के अनुसार हमने संस्थागत और खुदरा दोनों तरह के चीनी उपयोगकर्ताओं की खपत की पूरी मैपिंग पर एक व्यापक अध्ययन करना शुरू कर दिया है। अध्ययन में क्षेत्रवार रुझान और खपत के संबंध में भविष्य की रूपरेखा का भी आकलन किया जाएगा। अध्ययन लगभग दो महीने में पूरा होने की संभावना है। पिछले एक दशक में चीनी की खपत लगभग 1.8 फीसदी प्रति वर्ष की दर से बढ़ रही है।

इस्मा के अनुसार पेराई सीजन 2024-25 के दौरान चीनी का उत्पादन 261 से 262 लाख टन होने का अनुमान है, जिसमें 33-34 लाख टन की खपत एथेनॉल में होना भी शामिल है। मई के मध्य तक, उत्पादन 257.44 लाख टन का हो चुका है, और लगभग 533 मिलों ने पेराई बंद कर दी है। दक्षिण भारत के कुछ हिस्सों में जून से अगस्त के दौरान विशेष सीजन में चीनी का उत्पादन लगभग 4 से 5 लाख टन होने का अनुमान है।

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