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29 मई 2025

केंद्र सरकार ने जून के लिए 23 लाख टन चीनी का कोटा जारी किया

नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने जून 2025 के लिए 23 लाख टन चीनी का कोटा जारी किया है। य​ह पिछले साल जून में जारी किए गए कोटे की तुलना में कम है।

केंद्रीय खाद्य मंत्रालय ने 28 मई को जून 2025 के लिए 23 लाख टन चीनी का मासिक कोटा आवंटित किया, जो कि जून 2024 के लिए आवंटित कोटा से कम है।

जून 2024 में केंद्र सरकार ने घरेलू बिक्री के लिए 25.50 लाख टन चीनी का मासिक कोटा आवंटित किया था। मई 2025 के लिए सरकार ने 23.5 लाख टन चीनी का कोटा आवंटन किया था।

कीमतों में तेजी रोकने के लिए केंद्र ने 31 मार्च 2026 तक गेहूं पर लगाई स्टॉक लिमिट

नई दिल्ली। केंद्रीय पूल में गेहूं का बंपर भंडार होने के बावजूद कीमतों में चल रही तेजी को रोकने के लिए केंद्र सरकार ने 31 मार्च 2026 तक स्टॉक लिमिट लगा दी है।


केंद्रीय उपभोक्ता मामले एवं खाद्वय और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय ने देशभर में गेहूं की उपलब्धता सुनिश्चित करने और अनावश्यक स्टॉक पर लगाम लगाने के लिए स्टॉक लिमिट को संशोधित करते हुए 31 मार्च 2026 तक लागू कर दिया है। यह आदेश तत्काल प्रभाव से लागू हो गया है।

नई स्टॉक लिमिट इस प्रकार तय की गई है। थोक व्यापारी अधिकतम 3,000 टन गेहूं का स्टॉक रख सकते हैं। इसके अलावा खुदरा विक्रेता आउटलेट पर 10 टन टन गेहूं का स्टॉक रख सकेंगे।

बड़ी रिटेल चेन, प्रत्येक आउटलेट पर 10 टन, जिसे अधिकतम सीमा कुल दुकानों की संख्या से गुणा किया जायेगा। यह सीमा सभी दुकारों और डिपो में रखे गए कुल स्टॉक पर लागू होगी।

प्रोसेसर: स्थापित मालिक क्षमता का 70 फीसदी, फसल सीजन 2025-26 के बचे महीनों के बराबर स्टॉक रखने की अनुमति होगी।

जिनके पास निर्धारित सीमा से अधिक स्टॉक है, उन्हें इसे 15 दिनों में लिमिट के भीतर लाना होगा।

सभी इकाइयों को गेहूं स्टॉक की डिक्लेरेशन सरकार के पोर्टल https://foodstock.dfpd.gov.in पर देनी अनिवार्य होगी। यह पोर्टल पुराने पोर्टल https://evegoils.nic.in/wsp/login की जगह लेगा।

यह फैसला आवश्यक वस्तु अधिनियम 1955 के तहत लिया गया है और इसका उद्देश्य मार्केट में सप्लाई बनाए रखना और जमाखोरी पर नियंत्रण करना है।

केंद्र सरकार ने 14 खरीफ विपणन सीजन 2025-26 के एमएसपी में बढ़ोतरी को दी मंजूरी

नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने खरीफ विपणन सीजन 2025-26 की सभी 14 फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य, एमएसपी में बढ़ोतरी को मंजूरी दे दी है। दलहनी फसलों में अरहर एवं उड़द के एमएसपी में सबसे ज्यादा बढ़ोतरी की गई है।


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में बुधवार को हुई आर्थिक मामलों की प्रतिनिधिमंडल सीमित की बैठक में खरीफ विपणन सीजन की प्रमुख फसलों धान, बाजरा, मक्का, अरहर एवं उड़द के साथ ही मूंग तथा सोयाबीन और कपास के अलावा नाइजर सीड एवं रागी के साथ तिल के एमएसपी में बढ़ोतरी को मंजूरी दी गई।

केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया कि एमएसपी फसल की लागत से कम से कम 50 फीसदी ज्यादा हो, इस बात का ध्यान रखा गया है। खरीफ विपणन सीजन 2025-26 के लिए एमएसपी में सबसे अधिक बढ़ोतरी नाइजर सीड में 820 रुपये प्रति क्विंटल की है, इसके बाद रागी के एमएसपी में 596 रुपये प्रति क्विंटल तथा कपास के एमएसपी में 589 रुपये प्रति क्विंटल और तिल के एमएसपी में 579 रुपये प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी की गई।

सरकार द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति के मुताबिक सामान्य किस्म के धान के एमएसपी में 69 रुपये बढ़ोतरी कर इसका दाम 2,369 रुपये और ग्रेड-ए किस्म के धान का एमएसपी 69 रुपये बढ़ाकर 2,389 रुपये प्रति क्विंटल तय किया गया है।

दलहन फसलों में अरहर एवं उड़द के एमएसपी में ज्यादा बढ़ोतरी की गई है। अरहर का एमएसपी 450 रुपये बढ़ाकर 8,000 रुपये प्रति क्विंटल किया गया है जबकि उड़द के एमएसपी में 400 रुपये की बढ़ोतरी कर एमएसपी 7,800 रुपये प्रति क्विंटल तय किया गया है। मूंग के एमएसपी में केवल 86 रुपये बढ़ाकर इसका भाव 8,768 रुपये प्रति क्विंटल तय किया गया है।

हाइब्रिड ज्वार की एमएसपी 3,699 रुपये तय किया गया है जोकि पिछले साल के 3,371 रुपये की तुलना में 328 रुपये अधिक है। इसी तरह, मालडंडी ज्वार का एमएसपी 3,699 रुपये तय किया गया है, जो कि पिछले साल के 3,421 रुपये की तुलना में 328 रुपये अधिक है।

बाजरा के एमएसपी में 150 रुपये की बढ़ोतरी कर खरीफ विपणन सीजन 2025-26 के लिए एमएसपी 2,775 रुपये, मक्का का 175 रुपये बढ़ाकर 2,400 रुपये प्रति क्विंटल तय किया गया है।

तिलहनी फसलों में रागी का एमएसपी 4,290 रुपये से बढ़ाकर खरीफ विपणन सीजन 2025-26 के लिए 4,886 रुपये, मूंग का एमएसपी 6,783 रुपये से बढ़ाकर 7,721 रुपये तथा सोयाबीन पीला का एमएसपी 4,892 रुपये से बढ़ाकर 5,328 रुपये और तिल का एमएसपी 9,267 रुपये से बढ़ाकर 9,846 रुपये तथा नाइजर सीड का एमएसपी 8,717 रुपये से बढ़ाकर 9,537 रुपये प्रति क्विंटल तय किया गया है।

खरीफ विपणन सीजन 2025-26 के लिए कपास (मध्यम रेशा) का एमएसपी 589 रुपये बढ़ाकर 7,710 रुपये तथा कपास (लंबा रेशा) का एमएसपी 589 रुपये बढ़ाकर 8,110 रुपये प्रति क्विंटल तय किया गया है।

चालू समर में धान एवं दलहन तथा तिलहन और मोटे अनाज की बुआई बढ़ी - कृषि मंत्रालय

नई दिल्ली। चालू समर सीजन में धान के साथ ही दलहन एवं तिलहन तथा मोटे अनाज की बुआई 11.46 फीसदी बढ़कर 82.23 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जबकि पिछले समर सीजन में इनकी बुआई केवल 73.77 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी।


कृषि मंत्रालय के अनुसार चालू समर सीजन में 23 मई 25 तक देशभर के राज्यों में धान की रोपाई बढ़कर 34.16 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जबकि पिछले साल की समान अवधि में इसकी रोपाई केवल 30.11 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी।

दलहनी फसलों की बुआई चालू समर में बढ़कर 24.25 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जोकि  पिछले साल की समान अवधि के 21.48 लाख हेक्टेयर में तुलना में बढ़ी है। इस दौरान मूंग की बुआई 21 लाख हेक्टेयर में और उड़द की 3.07 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले इस समय तक इनकी बुआई क्रमश: 18.74 लाख हेक्टेयर और 2.57 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी।

मोटे अनाजों की बुआई बढ़कर चालू समर सीजन में 14.37 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक केवल 12.95 लाख हेक्टेयर में ही बुआई हुई थी। मोटे अनाजों में मक्का की 8.80 लाख हेक्टेयर में तथा बाजरा की 4.90 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल की समान अवधि में इनकी बुआई क्रमश: 7.37 और 4.96 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी। ज्वार की बुआई 48 हजार हेक्टेयर में तथा रागी की 16 हजार हेक्टेयर में हुई है।

चालू समर सीजन में तिलहनी फसलों की बुआई बढ़कर 9.45 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक केवल 9.23 लाख हेक्टेयर में ही बुआई हुई थी। तिलहनी फसलों में मूंगफली की बुआई 4.31 लाख हेक्टेयर में, शीशम की 4.70 लाख हेक्टेयर में तथा सनफ्लावर की 36,000 हेक्टेयर में हुई है। पिछले साल की समान अवधि में इनकी बुआई क्रमश: 4.11 लाख हेक्टेयर में, 4.73 लाख हेक्टेयर में तथा 31,000 हेक्टेयर में ही हुई थी। 

कॉटन के आयात में भारी बढ़ोतरी का अनुमान, निर्यात में आई कमी - उद्योग

नई दिल्ली। पहली अक्टूबर 2024 से शुरू हुए चालू फसल सीजन 2024-25 में अप्रैल 2025 अंत तक कॉटन का आयात बढ़कर जहां 27.50 लाख गांठ, एक गांठ-170 किलो का हो चुका है, वहीं इस दौरान निर्यात घटकर 10 लाख गांठ का ही हुआ है।


कॉटन एसोसिएशन ऑफ इंडिया, सीएआई के अनुसार फसल सीजन 2024-25 के दौरान देश में कॉटन का आयात 117.10 फीसदी बढ़कर 33 लाख गांठ होने का अनुमान है, जिसमें से अप्रैल अंत तक 27.50 लाख गांठ की शिपमेंट भारतीय बंदरगाह पर पहुंच चुकी है। फसल सीजन 2023-24 के दौरान 15.20 लाख गांठ कॉटन का आयात हुआ था।

सीएआई के अनुसार फसल सीजन 2024-25 के दौरान देश से कॉटन का निर्यात घटकर 15 लाख गांठ ही होने का अनुमान है तथा अप्रैल अंत तक केवल 10 लाख गांठ की शिपमेंट ही हुई है।

सीएआई के अनुसार पहली अक्टूबर 2024 से शुरू हुए चालू फसल सीजन 2024-25 में देश में 291.35 लाख गांठ कॉटन के उत्पादन का अनुमान है, जोकि इससे पहले के अनुमान 291.30 लाख गांठ की तुलना में मामूली ज्यादा है।

सीएआई के अनुमान के अनुसार पंजाब में कॉटन का उत्पादन फसल सीजन 2024-25 में 1.50 लाख गांठ, हरियाणा में 7.80 लाख गांठ, अपर राजस्थान में 9.60 लाख गांठ एवं लोअर राजस्थान के 8.60 लाख गांठ को मिलाकर कुल 27.50 लाख गांठ होने का अनुमान है।

सीएआई के अनुसार मध्य भारत के राज्यों गुजरात में चालू फसल सीजन में 71 लाख गांठ, महाराष्ट्र में 82 लाख गांठ तथा मध्य प्रदेश के 19 लाख गांठ को मिलाकर कुल 172 लाख गांठ के उत्पादन का अनुमान है।

दक्षिण भारत के राज्यों में तेलंगाना में चालू फसल सीजन में 48 लाख गांठ, आंध्र प्रदेश में 11 लाख गांठ एवं कर्नाटक में 23 लाख गांठ तथा तमिलनाडु के 4 लाख गांठ को मिलाकर कुल 86 लाख गांठ के कॉटन के उत्पादन का अनुमान है।

ओडिशा में चालू खरीफ में 3.85 लाख गांठ एवं अन्य राज्यों में 2 लाख गांठ कॉटन के उत्पादन का अनुमान है।

सीएआई के अनुसार पहली अक्टूबर 2024 को कॉटन का बकाया स्टॉक 30.19 लाख गांठ का बचा हुआ था, जबकि 291.35 लाख गांठ के उत्पादन का अनुमान है। चालू सीजन में करीब 33 लाख गांठ कॉटन का आयात होने की उम्मीद है। ऐसे में कुल उपलब्धता 354.54 लाख गांठ की बैठेगी।

चालू फसल सीजन में कॉटन की कुल घरेलू खपत 307 लाख गांठ होने का अनुमान है, जबकि इस दौरान 15 लाख गांठ के निर्यात की उम्मीद है।

सीएआई के अनुसार उत्पादक मंडियों में अप्रैल अंत तक 268.20 लाख गांठ कॉटन की आवक हो चुकी है, जिसमें से 185 लाख गांठ की खपत हो चुकी है। अत: पहली मई को मिलों के पास 35 लाख गांठ एवं सीसीआई, महाराष्ट्र फेडरेशन, एमएनसी, जिनर्स एवं निर्यातकों के साथ ही व्यापारियों के पास 95.89 लाख गांठ कॉटन का बकाया स्टॉक है।

कृषि मंत्रालय के दूसरे आरंभिक अनुमान के अनुसार कपास का उत्पादन 299.26 लाख गांठ (एक गांठ 170 किलोग्राम) होने का अनुमान है, जो क‍ि इसके पिछले फसल सीजन 2023-24 के 325.22 लाख गांठ के मुकाबले कम है।

केरल में मानसून ने दी दस्तक, तय समय से 8 दिन पहले पहुंचा - आईएमडी

नई दिल्ली। मानसून ने शनिवार को केरल में दस्तक दे दी है तथा यह अपने तय समय से 8 दिन पहले पहुंचा है। मौसम विभाग के मुताबिक 16 साल में ऐसा पहली बार हुआ जब मानसून इतनी जल्दी आया है। 2009 में मानसून 9 दिन पहले पहुंचा था। वहीं, पिछले साल 30 मई को केरल में दस्तक दी थी।


भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) ने शनिवार को बताया कि दक्षिण-पश्चिम मानसून शनिवार को केरल पहुंच गया है। मानसून के आज ही तमिलनाडु और कर्नाटक के कई इलाकों में भी पहुंचने की संभावना है। एक हफ्ते में देश के दक्षिणी और पूर्वोत्तर राज्यों जबकि 4 जून तक मध्य और पूर्वी भारत को कवर कर सकता है।

देश में मानसून का जल्दी आना आमतौर पर सभी क्षेत्रों के लिए बहुत फायदेमंद होता है, खासकर कृषि क्षेत्र के लिए जो भारत की ग्रामीण अर्थव्यवस्था की रीढ़ है।

आम तौर पर मानसून 1 जून को केरल पहुंचता है और 8 जुलाई तक पूरे देश को कवर कर लेता है। यह 17 सितंबर के आसपास वापस लौटना शुरू करता है और 15 अक्टूबर तक पूरी तरह से वापस चला जाता है।

आईएमडी के अनुसार, मानसून की शुरुआत की तारीख और सीजन के दौरान कुल बारिश के बीच कोई संबंध नहीं है। इसके जल्दी या देर से पहुंचने का मतलब यह नहीं है कि यह देश के अन्य हिस्सों को भी उसी तरह कवर करेगा।

1972 में सबसे देरी से केरल पहुंचा था। आईएमडी के आंकड़ों के मुताबिक पिछले 150 साल में मानसून के केरल पहुंचने की तारीखें काफी अलग रही हैं। 1918 में मानसून सबसे पहले 11 मई को केरल पहुंच गया था, जबकि 1972 में सबसे देरी से 18 जून को केरल पहुंचा था।

आईएमडी के अनुसार पिछले साल 30 मई को दक्षिणी राज्य में मानसून ने दस्तक दी थी। 2023 में मानसून 8 जून को, 2022 में 29 मई को, 2021 में 3 जून को, 2020 में 1 जून को, 2019 में 8 जून को और 2018 में 29 मई को केरल पहुंच था। आईएमडी ने अप्रैल में 2025 के मानसून सीजन में सामान्य से अधिक वर्षा का अनुमान लगाया था। इसमें अल नीनो की स्थिति की संभावना को खारिज कर दिया गया था। अल नीनो भारतीय उपमहाद्वीप में सामान्य से कम वर्षा से के लिए जिम्मेदार होता है। 2023 में अल नीनो सक्रिय था, जिसके कारण मानसून सीजन में सामान्य से 6 फीसदी कम बारिश हुई थी।

मौसम विभाग के अनुसार अगले 24 घंटे के दौरान, कोंकण और गोवा, तटीय कर्नाटक, मराठवाड़ा और मध्य महाराष्ट्र में तेज हवाओं के साथ मध्यम से भारी बारिश और कुछ स्थानों पर अति भारी बारिश हो सकती है। लक्षद्वीप, केरल, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह, सिक्किम और पूर्वोत्तर भारत में हल्की से मध्यम बारिश के साथ एक, दो स्थानों पर भारी बारिश की संभावना है। उप-हिमालयी पश्चिम बंगाल, बिहार, झारखंड, ओडिशा, तेलंगाना, छत्तीसगढ़ के कुछ हिस्सों और उत्तराखंड में हल्की से मध्यम बारिश और गरज-चमक के साथ बौछारें पड़ सकती हैं। उत्तर प्रदेश, उत्तर मध्य प्रदेश और दक्षिण-पूर्व राजस्थान में धूल भरी आंधी के साथ हल्की बारिश और गरज-चमक की गतिविधियां हो सकती हैं। गुजरात और हिमाचल प्रदेश के कुछ हिस्सों में हल्की बारिश के साथ एक-दो मध्यम बौछारें हो सकती हैं। पंजाब, हरियाणा और दिल्ली में एक-दो स्थानों पर गरज-चमक की गतिविधियां हो सकती हैं। राजस्थान के कई हिस्सों में भीषण लू की स्थिति रही। 

स्पिनिंग मिलों की मांग कमजोर होने से गुजरात के साथ ही उत्तर भारत में कॉटन मंदी

नई दिल्ली। विश्व बाजार में कॉटन की कीमतों में आई गिरावट से घरेलू बाजार में इसकी कीमतों पर दबाव है। स्पिनिंग मिलों की मांग कमजोर होने के कारण शुक्रवार को गुजरात के साथ ही उत्तर भारत के राज्यों में में कॉटन की कीमतों में नरमी आई।


आईसीई कॉटन वायदा के भाव में गुरुवार को नरमी का रुख रहा था। जुलाई-25 वायदा अनुबंध में इसके दाम 0.44 सेंट कमजोर होकर भाव 65.63 सेंट रह गए थे। दिसंबर-25 वायदा अनुबंध में इसके दाम 0.45 सेंट कमजोर होकर 68.26 सेंट रह गए। मार्च-26 वायदा अनुबंध में इसके दाम 0.46 सेंट नरम होकर भाव 69.63 सेंट रह गए। हालांकि आज आईसीई के इलेक्ट्रॉनिक ट्रेडिंग में कॉटन की कीमतों में सुधार आया है।

गुजरात के अहमदाबाद में 29 शंकर-6 किस्म की कॉटन के भाव शुक्रवार को 50 रुपये कमजोर होकर दाम 53,800 से 54,300 रुपये प्रति कैंडी, एक कैंडी-356 किलो रह गए।

पंजाब में रुई के हाजिर डिलीवरी के भाव 10 रुपये नरम होकर 5740 से 5750 रुपये प्रति मन बोले गए। हरियाणा में रुई के भाव हाजिर डिलीवरी के भाव 10 रुपये घटकर 5570 से 5620 रुपये प्रति मन बोले गए। ऊपरी राजस्थान में रुई के भाव हाजिर डिलीवरी के भाव नरम होकर 5730 से 5775 रुपये प्रति मन बोले गए। खैरथल लाइन में कॉटन के भाव घटकर 55,000 से 55,200 रुपये कैंडी, एक कैंडी-356 किलो बोले गए। देशभर की मंडियों में कपास की आवक 20,000 गांठ, एक गांठ-170 किलो की हुई।

स्पिनिंग मिलों की मांग घटने के कारण गुजरात के साथ ही उत्तर भारत के राज्यों में कॉटन की कीमतों में नरमी आई। व्यापारियों के अनुसार चालू सीजन में कपास के उत्पादन में कमी आई थी, लेकिन एक तो घरेलू बाजार से कॉटन के निर्यात में कमी आई है, वहीं दूसरी तरफ चालू सीजन में अभी तक आयात ज्यादा हुआ है। घरेलू बाजार में सीसीआई ने चालू सीजन में करीब 100 लाख गांठ से ज्यादा कॉटन की खरीद की थी, जबकि अभी भी निगम के पास करीब 70 लाख गांठ का स्टॉक बचा हुआ है। इसलिए घरेलू बाजार में कॉटन की कीमतों में तेजी, मंदी काफी हद तक सीसीआई के बिक्री भाव पर भी निर्भर करेगी।

कृषि मंत्रालय के दूसरे आरंभिक अनुमान के अनुसार खरीफ सीजन में कपास का उत्पादन 294.25 लाख गांठ (एक गांठ 170 किलोग्राम) होने का अनुमान है, जो क‍ि इसके पहले के अनुमान 299.26 लाख गांठ के मुकाबले कम है।

सीसीआई ने 4,200 गांठ कॉटन की बिक्री की, भाव स्थिर से तेज

नई दिल्ली। कारपोरेशन ऑफ इंडिया, सीसीआई ने 20 मई 2025 में घरेलू बाजार में 4,200 गांठ, एक गांठ 170 किलो कॉटन की बिक्री की। इस दौरान निगम ने पहली अक्टूबर 2024 से शुरू हुए फसल सीजन 2024-25 में खरीदी हुई 2,500 गांठ की बिक्री स्पिनिंग मिलों को एवं 1,700 गांठ कॉटन की बिक्री व्यापारियों को की।


सूत्रों के अनुसार निगम के पास चालू फसल सीजन 2024-25 में खरीदी हुई कॉटन का करीब 70 लाख गांठ का स्टॉक बचा हुआ है।

स्पिनिंग मिलों की मांग बढ़ने के कारण बुधवार को गुजरात में कॉटन की कीमतों में सुधार आया, जबकि उत्तर भारत के राज्यों में इसके दाम स्थिर हो गए।

गुजरात के अहमदाबाद में 29 शंकर-6 किस्म की कॉटन के भाव बुधवार को 50 रुपये तेज होकर 53,800 से 54,200 रुपये प्रति कैंडी, एक कैंडी-356 किलो हो गए।

पंजाब में रुई के हाजिर डिलीवरी के भाव 5750 से 5760 रुपये प्रति मन बोले गए। हरियाणा में रुई के भाव हाजिर डिलीवरी के भाव 5580 से 5630 रुपये प्रति मन बोले गए। ऊपरी राजस्थान में रुई के भाव हाजिर डिलीवरी के भाव 5740 से 5790 रुपये प्रति मन बोले गए। खैरथल लाइन में कॉटन के भाव 55,100 से 55,200 रुपये कैंडी, एक कैंडी-356 किलो बोले गए।

देशभर की मंडियों में कपास की आवक 22,200 गांठ, एक गांठ-170 किलो की हुई।

घरेलू वायदा कारोबार में कॉटन की कीमतों में गिरावट का रुख रहा। एमसीएक्स पर मई 25 महीने के वायदा अनुबंध में कपास के दाम 300 रुपये कमजोर होकर भाव 53,900 रुपये प्रति कैंडी रह गए। इस दौरान आईसीई के इलेक्ट्रॉनिक ट्रेडिंग में कॉटन शाम के सत्र में गिरावट का रुख रहा।

स्पिनिंग मिलों की मांग बढ़ने के कारण गुजरात में कॉटन की कीमतों में सुधार आया, जबकि उत्तर भारत के राज्यों में इसके दाम स्थिर बने रहे। व्यापारियों के अनुसार चालू सीजन में कपास के उत्पादन में कमी आई थी, लेकिन जहां घरेलू बाजार से कॉटन के निर्यात में कमी आई है, वहीं चालू सीजन में अभी तक आयात ज्यादा हुआ है। घरेलू बाजार में सीसीआई ने चालू सीजन में करीब 100 लाख गांठ से ज्यादा कॉटन की खरीद की थी, जबकि अभी भी निगम के पास करीब 70 लाख गांठ का स्टॉक बचा हुआ है। इसलिए घरेलू बाजार में कॉटन की कीमतों में तेजी, मंदी काफी हद तक सीसीआई के बिक्री भाव पर भी निर्भर करेगी।

कृषि मंत्रालय के दूसरे आरंभिक अनुमान के अनुसार खरीफ सीजन में कपास का उत्पादन 294.25 लाख गांठ (एक गांठ 170 किलोग्राम) होने का अनुमान है, जो क‍ि इसके पहले के अनुमान 299.26 लाख गांठ के मुकाबले कम है।

21 मई 2025

चालू समर सीजन में फसलों की बुआई 11.87 फीसदी बढ़ी - कृषि मंत्रालय

नई दिल्ली। चालू समर सीजन में धान के साथ ही दलहन एवं तिलहन तथा मोटे अनाज की बुआई 11.87 फीसदी बढ़कर 80.71 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जबकि पिछले समर सीजन में इनकी बुआई केवल 72.14 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी।


कृषि मंत्रालय के अनुसार चालू समर सीजन में 16 मई 25 तक देशभर के राज्यों में धान की रोपाई बढ़कर 33.15 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जबकि पिछले साल की समान अवधि में इसकी रोपाई केवल 28.78 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी।

दलहनी फसलों की बुआई चालू समर में बढ़कर 23.75 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जोकि  पिछले साल की समान अवधि के 21.18 लाख हेक्टेयर में तुलना में बढ़ी है। इस दौरान मूंग की बुआई 20.50 लाख हेक्टेयर में और उड़द की 3.07 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले इस समय तक इनकी बुआई क्रमश: 18.44 लाख हेक्टेयर और 2.57 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी।

मोटे अनाजों की बुआई बढ़कर चालू समर सीजन में 14.37 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक केवल 12.95 लाख हेक्टेयर में ही बुआई हुई थी। मोटे अनाजों में मक्का की 8.80 लाख हेक्टेयर में तथा बाजरा की 4.90 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल की समान अवधि में इनकी बुआई क्रमश: 7.37 और 4.96 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी। ज्वार की बुआई 48 हजार हेक्टेयर में तथा रागी की 16 हजार हेक्टेयर में हुई है।

चालू समर सीजन में तिलहनी फसलों की बुआई बढ़कर 9.45 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक केवल 9.23 लाख हेक्टेयर में ही बुआई हुई थी। तिलहनी फसलों में मूंगफली की बुआई 4.31 लाख हेक्टेयर में, शीशम की 4.70 लाख हेक्टेयर में तथा सनफ्लावर की 36,000 हेक्टेयर में हुई है। पिछले साल की समान अवधि में इनकी बुआई क्रमश: 4.11 लाख हेक्टेयर में, 4.73 लाख हेक्टेयर में तथा 31,000 हेक्टेयर में ही हुई थी। 

देश में चीनी की सालाना खपत घटकर 280 लाख टन ही होने का अनुमान - इस्मा

नई दिल्ली। पहली अक्टूबर 2024 से शुरू हुए चालू पेराई सीजन 2024-25 (अक्टूबर से सितंबर) के दौरान देश में चीनी की खपत घटकर करीब 280 लाख टन ही होने का अनुमान है, जोकि पिछले सीजन के 290 लाख टन के रिकॉर्ड की तुलना में कम है। इस साल चीनी की खपत के रुझान में बदलाव आया है, क्योंकि अप्रैल और मई जैसे गर्मियों के महीनों में मांग कम रही है।


इंडियन शुगर एंड बायो मैन्युफैक्चरिंग एसोसिएशन (इस्मा) के अनुसार कमजोर मांग के कारण देश में में चीनी की खपत सितंबर 2025 में समाप्त होने वाले चालू पेराई सीजन में पिछले साल की तुलना में कम रहेगी।

इस्मा के महानिदेशक दीपक बल्लानी के अनुसार इस साल सरकार ने चीनी का बिक्री कोटा पिछले साल से कम जारी किया है तथा सभी गणनाओं और अनुमानों के बाद, हमें नहीं लगता कि खपत 280 लाख टन से अधिक होगी। केंद्र सरकार ने मई 2025 का मासिक बिक्री का चीनी का कोटा एक साल पहले के 27 लाख टन से 13 फीसदी कम करके 23.50 लाख टन का जारी किया है। साथ ही, चीनी पेराई सीजन 2024-25 के पहले सात महीनों (अक्टूबर से मई) में कुल बिक्री कोटा 184.50 लाख टन का ही जारी हुआ है, जोकि एक साल पहले की अवधि के 196.50 लाख टन की तुलना में 6 फीसदी कम है। वर्ष 2023-24 के दौरान सरकार द्वारा जारी 291.5 लाख टन के कोटे के मुकाबले मिलों द्वारा बिक्री 290 लाख टन की हुई थी।

पेराई सीजन 2023-24 के दौरान आम चुनावों के साथ ही बांग्लादेश जैसे देशों को लीकेज के कारण देश में चीनी की खपत 290 लाख टन के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई थी। बल्लानी ने कहा कि गर्मियों के महीनों के दौरान अप्रैल से मई में भारी तेजी के कारण उठाव अधिक था। इस साल हमारे पास ऐसा कुछ नहीं है। गर्मियों के दौरान और दिवाली के त्योहारी सीजन से पहले चीनी की खपत आमतौर पर पीक पर होती है। संस्थागत खरीदारों के साथ चर्चा के आधार पर बल्लानी के अनुसार एफएमसीजी क्षेत्र की मांग में कुछ गिरावट आई है। संस्थागत खरीदार चीनी के प्रमुख उपभोक्ता हैं, जो खपत का लगभग 70 फीसदी हिस्सा हैं, जबकि खुदरा बिक्री बाकी की खरीद करते हैं। क्षेत्रवार रुझान पर इस्मा ने देश में चीनी की खपत के रुझानों पर एक व्यापक अध्ययन करने के लिए प्रमुख परामर्शदाता पीडब्ल्यूसी को नियुक्त किया है।

यह अध्ययन इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि हाल के वर्षों में गैर चीनी विकल्पों की भी मांग देखी जा रही है। बल्लानी के अनुसार हमने संस्थागत और खुदरा दोनों तरह के चीनी उपयोगकर्ताओं की खपत की पूरी मैपिंग पर एक व्यापक अध्ययन करना शुरू कर दिया है। अध्ययन में क्षेत्रवार रुझान और खपत के संबंध में भविष्य की रूपरेखा का भी आकलन किया जाएगा। अध्ययन लगभग दो महीने में पूरा होने की संभावना है। पिछले एक दशक में चीनी की खपत लगभग 1.8 फीसदी प्रति वर्ष की दर से बढ़ रही है।

इस्मा के अनुसार पेराई सीजन 2024-25 के दौरान चीनी का उत्पादन 261 से 262 लाख टन होने का अनुमान है, जिसमें 33-34 लाख टन की खपत एथेनॉल में होना भी शामिल है। मई के मध्य तक, उत्पादन 257.44 लाख टन का हो चुका है, और लगभग 533 मिलों ने पेराई बंद कर दी है। दक्षिण भारत के कुछ हिस्सों में जून से अगस्त के दौरान विशेष सीजन में चीनी का उत्पादन लगभग 4 से 5 लाख टन होने का अनुमान है।

अप्रैल में डीओसी का निर्यात 0.15 फीसदी बढ़ा - एसईए

नई दिल्ली। चालू वित्त वर्ष 2025-26 के पहले महीने अप्रैल में डीओसी का निर्यात 0.15 फीसदी बढ़कर 465,863 टन का हुआ है, जबकि पिछले साल अप्रैल 2024 में इनका निर्यात 465,156 टन का हुआ था।


सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया, एसईए के अनुसार अप्रैल में देश से जहां सोया डीओसी के निर्यात में बढ़ोतरी हुई है, वहीं इस दौरान सरसों, कैस्टर एवं मूंगफली डीओसी के निर्यात में कमी आई है।

एसईए के अनुसार देश में खरीफ सीजन में सोयाबीन और चालू रबी सीजन में सरसों की रिकॉर्ड पैदावार हुई है, जिससे इनकी पेराई में बढ़ोतरी से डीओसी की उपलब्धता में वृद्धि हुई, हालांकि अंतरराष्ट्रीय बाजार में कीमतों में अंतर होने के कारण डीओसी की निर्यात मांग में कमी आई है। नवंबर 2024 से अप्रैल 2025 (6 महीने) तक कुल निर्यात से पता चलता है कि सोया डीओसी का निर्यात 16.58 लाख टन से घटकर 13.35 लाख टन का रह गया, जबकि सरसों डीओसी का निर्यात भी 9.30 लाख टन से घटकर 9.11 लाख टन का रह गया।

चीन, सरसों डीओसी का एक प्रमुख उपभोक्ता है तथा वर्तमान में कनाडा और यूरोपीय संघ से आयात पर निर्भर है। मौजूदा आपूर्ति बाधाओं और बढ़ती लागत को देखते हुए, भारत के पास अब चीनी बाजार में अपना पैर जमाने का एक सुखद अवसर है। चीन, अगर भारतीय सरसों डीओसी पर अपनी कठोर आयात शर्तों में कमी करता है, तो भारत चीन के लिए एक प्रमुख आपूर्तिकर्ता के रूप में उभर सकता है। वर्तमान में, अंतर्राष्ट्रीय मूल्य 308 डॉलर प्रति टन (एक्स-हैम्बर्ग) है, जबकि भारतीय सरसों डीओसी (एक्स-कांडला एफएएस) भाव केल 202 डॉलर प्रति टन है। एसोसिएशन ने आयात की शर्तों में ढील के लिए चीनी सरकार के साथ इस मामले को उठाने के लिए वाणिज्य मंत्रालय का प्रतिनिधित्व किया है। वर्तमान में केवल 3 इकाइयां जो कि चीन जीएसीसी के साथ पंजीकृत हैं, चीन को सरसों खली का निर्यात कर रही हैं।

भारतीय बंदरगाह पर अप्रैल में सोया डीओसी का भाव तेज होकर 388 डॉलर प्रति टन हो गए, जबकि मार्च में इसका दाम 356 डॉलर प्रति टन था। इस दौरान सरसों डीओसी का मूल्य अप्रैल में भारतीय बंदरगाह पर बढ़कर 207 डॉलर प्रति टन का हो गया, जबकि मार्च में इसका भाव 196 डॉलर प्रति टन था। इस दौरान कैस्टर डीओसी का दाम मार्च के 75 डॉलर प्रति टन से तेज होकर अप्रैल में 79 डॉलर प्रति टन का हो गया।

सीसीआई ने 24,500 गांठ कॉटन की बिक्री की, भाव स्थिर से नरम

नई दिल्ली। कारपोरेशन ऑफ इंडिया, सीसीआई ने चालू सप्ताह में घरेलू बाजार में 24,500 गांठ, एक गांठ 150 किलो कॉटन की बिक्री की। इस दौरान निगम ने पहली अक्टूबर 2024 से शुरू हुए फसल सीजन 2024-25 में खरीदी हुई 19,600 हजार गांठ, एवं फसल सीजन 2023-24 में खरीदी हुई 4,900 गांठ की बिक्री।


सीसीआई से चालू सप्ताह में स्पिनिंग मिलों ने 18,600 गांठ एवं व्यापारियों ने 5,900 गांठ कॉटन की खरीद की।

स्पिनिंग मिलों की मांग सीमित होने के कारण शनिवार को उत्तर भारत के राज्यों में कॉटन के दाम स्थिर से नरम हो गए।

पंजाब में रुई के हाजिर डिलीवरी के भाव 5750 से 5760 रुपये प्रति मन बोले गए। हरियाणा में रुई के भाव हाजिर डिलीवरी के भाव नरम होकर 5570 से 5620 रुपये प्रति मन बोले गए। ऊपरी राजस्थान में रुई के भाव हाजिर डिलीवरी के भाव 5760 से 5780 रुपये प्रति मन बोले गए। खैरथल लाइन में कॉटन के भाव 55,100 से 55,200 रुपये कैंडी, एक कैंडी-356 किलो बोले गए।

देशभर की मंडियों में कपास की आवक 23,000 गांठ, एक गांठ-170 किलो की हुई।

स्पिनिंग मिलों की मांग सीमित होने के कारण उत्तर भारत के राज्यों में कॉटन के दाम स्थिर से नरम हो गए। व्यापारियों के अनुसार हाल ही में विश्व बाजार में कॉटन की कीमतों में मंदा आया है, जिस कारण घरेलू बाजार में भी इसकी कीमतों पर दबाव है।

हालांकि चालू सीजन में कपास के उत्पादन में कमी आई थी, जिस कारण अधिकांश स्पिनिंग मिलों के पास बकाया स्टॉक कम है। हालांकि घरेलू बाजार में सीसीआई ने चालू सीजन में करीब 100 लाख गांठ से ज्यादा कॉटन की खरीद की थी, जबकि अभी भी निगम के पास करीब भारी, भरकम स्टॉक बचा हुआ है। इसलिए घरेलू बाजार में कॉटन की कीमतों में तेजी, मंदी काफी हद तक सीसीआई के बिक्री भाव पर भी निर्भर करेगी।

कृषि मंत्रालय के दूसरे आरंभिक अनुमान के अनुसार खरीफ सीजन में कपास का उत्पादन 294.25 लाख गांठ (एक गांठ 170 किलोग्राम) होने का अनुमान है, जो क‍ि इसके पहले के अनुमान 299.26 लाख गांठ के मुकाबले कम है।

17 मई 2025

अक्टूबर से अप्रैल के दौरान सोया डीओसी का निर्यात 13 फीसदी घटा - सोपा

नई दिल्ली। चालू फसल सीजन 2024-25 के पहले सात महीनों अक्टूबर 24 से अप्रैल 25 के दौरान सोया डीओसी का निर्यात 12.93 फीसदी घटकर केवल 13.26 लाख टन का ही हुआ है, जबकि पिछले फसल सीजन की समान अवधि में इसका निर्यात 15.23 लाख टन का हुआ था।

सोयाबीन प्रोसेसर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया, सोपा के अनुसार चालू फसल सीजन के अक्टूबर से अप्रैल के दौरान 55.24 लाख टन सोया डीओसी का उत्पादन हुआ है, जबकि नई सीजन के आरंभ में 1.33 लाख टन का बकाया स्टॉक बचा हुआ था। इस दौरान 13.26 लाख टन सोया डीओसी का निर्यात हुआ है जबकि 4.95 लाख टन की खपत फूड में एवं 37 लाख टन की फीड में हुई है। अत: पहली मई को मिलों के पास 1.36 लाख टन सोया डीओसी का बकाया स्टॉक बचा हुआ है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 1.99 लाख टन से कम है।

सोपा के अनुसार फसल सीजन 2024-25 के पहले सात महीनों में देशभर की उत्पादक मंडियों में 77.50 लाख टन सोयाबीन की आवक हुई है, जिसमें से अप्रैल अंत तक 70 लाख टन की पेराई हुई है। इस दौरान 3.35 लाख टन सोयाबीन की खपत डारेक्ट हुई है जबकि 0.08 लाख टन का निर्यात हुआ है। अत: प्लांटों एवं व्यापारियों तथा किसानों के पास पहली मई को 29.66 लाख टन सोयाबीन का बकाया स्टॉक बचा हुआ है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 55.41 लाख टन की तुलना में कम है।

सोपा के अनुसार चालू फसल सीजन 2024-25 में देश में सोयाबीन का उत्पादन 125.82 लाख टन का हुआ है, जबकि 8.94 लाख टन का बकाया स्टॉक नई फसल की आवक के समय बचा हुआ था। अत: कुल उपलब्धता 134.76 लाख टन की बैठी है, जबकि चालू सीजन में करीब एक लाख टन सोयाबीन के आयात का अनुमान है। पिछले फसल सीजन में 118.74 लाख टन सोयाबीन का उत्पादन हुआ था, जबकि नई फसल की आवक के समय 24.07 लाख टन का बकाया स्टॉक बचा हुआ था। अत: पिछले साल कुल उपलब्धता 142.81 लाख टन की बैठी थी, जबकि 6.25 लाख टन का आयात हुआ था।


मई मध्य तक चालू पेराई सीजन में चीनी उत्पादन में 18.38 फीसदी की कमी - उद्योग



नई दिल्ली। पहली अक्टूबर 2024 से शुरू हुए चालू पेराई सीजन (अक्टूबर-24 से सितंबर-25) में 15 मई 2025 तक चीनी के उत्पादन में 18.38 फीसदी की गिरावट आकर कुल उत्पादन 257.40 लाख टन का ही हुआ है, जबकि पिछले पेराई सीजन की समान अवधि में इसका उत्पादन 315.40 लाख टन का हो चुका था।

राष्ट्रीय सहकारी चीनी कारखाना महासंघ (एनएफसीएसएफ) के अनुसार चीनी के उत्पादन में गिरावट का प्रमुख कारण चीनी की कम रिकवरी दर एवं गन्ने की फसल कम होना है। पिछले पेराई सीजन में गन्ने में औसतन 10.10 फीसदी की रिकवरी आई थी, जोकि चालू पेराई सीजन में  घटकर 9.30 फीसदी की रह गई है और पेराई के लिए गन्ने की उपलब्धता भी कम हो गई है। इसी अवधि में कुल गन्ना पेराई 312.26 मिलियन टन से घटकर 276.77 मिलियन टन रह गया।

एनएफसीएसएफ के अनुसार देश में चीनी का अंतिम स्टॉक 48 से 50 लाख टन रहने का अनुमान है, जो चालू पेराई सीजन 2024-25 में उत्पादन में गिरावट के बावजूद अक्टूबर-नवंबर 2025 में नए पेराई सीजन के आरंभ होने तक घरेलू मांग को पूरा करने के लिए पर्याप्त है।

उद्योग के अनुसार चालू पेराई सीजन 2024-25 में चीनी का कुल उत्पादन 261.10 लाख टन होने का अनुमान लगाया है, जोकि इससे पिछले पेराई सीजन के 319 लाख टन से कम रहेगा।

अनुकूल मानसून की स्थिति और महाराष्ट्र तथा कर्नाटक में गन्ने की बुवाई में बढ़ोतरी के कारण नए पेराई सीजन 2025-26 में चीनी के उत्पादन में बढ़ोतरी की उम्मीद है। कम उत्पादन और निर्यात की अनुमति देने के सरकार के फैसले से घरेलू बाजार में चीनी की कीमतें 3,880-3,920 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर बनी हुई हैं।

एनएफसीएसएफ ने सरकार से बढ़ी हुई उत्पादन लागत की भरपाई करने के लिए चीनी के न्यूनतम बिक्री मूल्य, एमईपी में वृद्धि करने के साथ ही नए पेराई सीजन 2025-26 में इथेनॉल के लिए 5 मिलियन टन चीनी डायवर्जन का लक्ष्य घोषित करने के अलावा एथेनॉल खरीद मूल्यों को संशोधित करने और एक प्रगतिशील निर्यात नीति बनाने का आग्रह किया है।

चालू समर सीजन में फसलों की बुआई 9.56 फीसदी बढ़ी - कृषि मंत्रालय

नई दिल्ली। चालू समर सीजन में धान के साथ ही दलहन एवं तिलहन तथा मोटे अनाज की बुआई 9.56 फीसदी बढ़कर 78.82 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जबकि पिछले समर सीजन में इनकी बुआई केवल 71.94 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी।


कृषि मंत्रालय के अनुसार चालू समर सीजन में 9 मई 25 तक देशभर के राज्यों में धान की रोपाई बढ़कर 32.02 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जबकि पिछले साल की समान अवधि में इसकी रोपाई केवल 28.57 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी।

दलहनी फसलों की बुआई चालू समर में बढ़कर 22.70 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जोकि  पिछले साल की समान अवधि के 21.18 लाख हेक्टेयर में तुलना में बढ़ी है। इस दौरान मूंग की बुआई 19.45 लाख हेक्टेयर में और उड़द की 3.07 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले इस समय तक इनकी बुआई क्रमश: 18.44 लाख हेक्टेयर और 2.57 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी।

मोटे अनाजों की बुआई बढ़कर चालू समर सीजन में 14.59 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक केवल 12.95 लाख हेक्टेयर में ही बुआई हुई थी। मोटे अनाजों में मक्का की 8.89 लाख हेक्टेयर में तथा बाजरा की 5.05 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल की समान अवधि में इनकी बुआई क्रमश: 7.37 और 4.96 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी। ज्वार की बुआई 46 हजार हेक्टेयर में तथा रागी की 16 हजार हेक्टेयर में हुई है।

चालू समर सीजन में तिलहनी फसलों की बुआई बढ़कर 9.51 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक केवल 9.23 लाख हेक्टेयर में ही बुआई हुई थी। तिलहनी फसलों में मूंगफली की बुआई 4.31 लाख हेक्टेयर में, शीशम की 4.77 लाख हेक्टेयर में तथा सनफ्लावर की 36,000 हेक्टेयर में हुई है। पिछले साल की समान अवधि में इनकी बुआई क्रमश: 4.11 लाख हेक्टेयर में, 4.73 लाख हेक्टेयर में तथा 31,000 हेक्टेयर में ही हुई थी। 

अप्रैल में खाद्वय एवं अखाद्य तेलों का आयात 32 फीसदी कम हुआ- एसईए

नई दिल्ली। अप्रैल 2025 में खाद्वय एवं अखाद्य तेलों का आयात 32 फीसदी घटकर 891,558 टन का ही हुआ है, जबकि पिछले साल अप्रैल में इनका आयात 1,318,528 टन का हुआ था। इस दौरान खाद्वय तेलों का आयात 862,558 टन का एवं अखाद्य तेलों का आयात 29,000 टन का हुआ है।


सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एसईए) के अनुसार चालू तेल वर्ष 2024-25 की पहली छमाही नवंबर-24 से अप्रैल-25 के दौरान देश में खाद्वय एवं अखाद्य तेलों का आयात 6 फीसदी कम होकर 6,697,700 टन का ही हुआ है, जबकि पिछले तेल वर्ष की समान अवधि में इनका आयात 7,148,643 टन का हुआ था। हालांकि खाद्य तेलों के आयात के आंकड़ों में नेपाल से आयात हुई मात्रा शामिल नहीं है। 

एसईए के अनुसार नेपाल की सालाना खाद्य तेल की खपत लगभग 430,000 टन या कहें कि केवल 35,000 टन प्रति माह है। चूंकि भारत ने सितंबर, 2024 में खाद्य तेल पर आयात शुल्क बढ़ा दिया था, इसलिए नेपाली रिफाइनर ने बड़ी मात्रा में क्रूड तेल का आयात करना शुरू कर दिया है और साफ्टा समझौते के तहत शून्य शुल्क की छूट दर पर भारत में रिफाइंड तेलों का निर्यात किया है। 15 अक्टूबर 2024 से 15 अप्रैल 2025 (6 महीने) के दौरान, नेपाल ने लगभग 5.80 लाख टन खाद्य तेल, मुख्य रूप से क्रूड सोया और सूरजमुखी तेल का आयात किया और इसी अवधि के दौरान नेपाल ने भारत को लगभग 3.50 लाख टन रिफाइंड खाद्य तेल का निर्यात किया। यह अब खतरनाक अनुपात में पहुंच गया है और न केवल पूर्वी और उत्तरी भारत में घरेलू  रिफाइनरी उद्योग के अस्तित्व को खतरे में डाल रहा है, बल्कि देश को भारी मात्रा में राजस्व की हानि भी हो रही है। एसईए ने वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल और उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्री प्रहलाद जोशी के समक्ष इस मुद्दे को जोरदार तरीके से उठाया है और उम्मीद जताई है कि नेपाल से अत्यधिक आयात को रोकने के लिए कुछ कार्रवाई की जाएगी।

भारतीय मौसम विभाग (आईएमडी) ने केरल में 27 मई को मानसून के आगमन का पूर्वानुमान लगाया है, जोकि 1 जून को निर्धारित सामान्य से चार दिन पहले है। इससे पहले आईएमडी ने चालू मानसून सीजन के दौरान सामान्य से अधिक (109 फीसदी एलपीए) मानसून का पूर्वानुमान लगाया था। सामान्य मानसून देश की समग्र कृषि अर्थव्यवस्था को सहारा देगा।

चालू तेल वर्ष 2024-25 की पहली छमाही नवंबर 24 से अप्रैल 25 के दौरान पाम तेल का आयात नवंबर 2023 से अप्रैल 2024 की अवधि में हुए 4,213,933 टन आयात से घटकर 2,737,002 टन का हुआ है। इस दौरान सॉफ्ट तेलों का आयात पिछले साल की समान अवधि के 2,855,709 टन से बढ़कर 3,765,233 टन हो गया। अत: पाम तेल की हिस्सेदारी 60 फीसदी से घटकर 42 फीसदी की रह गई, जबकि सॉफ्ट तेलों की हिस्सेदारी 40 फीसदी से बढ़कर 58 फीसदी की हो गई।

मार्च के मुकाबले अप्रैल में आयातित अधिकांश खाद्वय तेलों की कीमतों में गिरावट का रुख रहा। अप्रैल में भारतीय बंदरगाह पर आरबीडी पामोलिन का भाव घटकर 1,075 डॉलर प्रति टन रह गया, जबकि मार्च में इसका दाम 1,133 डॉलर प्रति टन था। इसी तरह से क्रूड पाम तेल का दाम अप्रैल में घटकर 1,112 डॉलर प्रति टन रह गया, जबकि मार्च में इसका भाव 1,184 डॉलर प्रति टन था। हालांकि क्रूड सोया तेल का भाव अप्रैल में बढ़कर भारतीय बंदरगाह पर 1,107 डॉलर प्रति टन हो गए, जबकि मार्च में इसका भाव 1,097 डॉलर प्रति टन था। इस दौरान क्रूड सनफ्लावर तेल का भाव भारतीय बंदरगाह पर मार्च के 1,220 डॉलर से घटकर अप्रैल में 1,219 डॉलर प्रति टन का रह गया।

सीसीआई ने पिछले सप्ताह घरेलू बाजार में 38 हजार गांठ कॉटन बेची

नई दिल्ली। कारपोरेशन ऑफ इंडिया, सीसीआई घरेलू बाजार में पहली अक्टूबर 2024 से शुरू हुए फसल सीजन 2024-25 में खरीदी हुई 38 हजार गांठ, एक गांठ 170 किलो से ज्यादा कॉटन की बिक्री पिछले सप्ताह घरेलू मिलों को की।


सूत्रों के अनुसार सीसीआई ने 5 मई को घरेलू बाजार में 25,300 गांठ कॉटन तथा 6 मई को 4,600 गांठ के अलावा 7 मई को निगम ने 4,100 गांठ कॉटन की बिक्री। 8 मई को निगम ने 2,400 गांठ तथा 9 मई को 1,500 गांठ कॉटन की बिक्री की।

स्पिनिंग मिलों की मांग कमजोर होने के कारण मंगलवार को गुजरात में कॉटन की कीमतों में मंदा आया, जबकि इस दौरान उत्तर भारत के राज्यों में इसके स्थिर से नरम हुए।

गुजरात के अहमदाबाद में 29 शंकर-6 किस्म की कॉटन के भाव मंगलवार को 150 रुपये कमजोर होकर दाम 53,900 से 54,500 रुपये प्रति कैंडी, एक कैंडी-356 किलो रह गए।

पंजाब में रुई के हाजिर डिलीवरी के भाव 5750 से 5760 रुपये प्रति मन बोले गए। हरियाणा में रुई के भाव हाजिर डिलीवरी के भाव 15 रुपये कमजोर होकर 5610 से 5650 रुपये प्रति मन बोले गए। ऊपरी राजस्थान में रुई के भाव हाजिर डिलीवरी के भाव 5730 से 5780 रुपये प्रति मन बोले गए। खैरथल लाइन में कॉटन के भाव 55,200 से 55,300 रुपये कैंडी, एक कैंडी-356 किलो बोले गए।

देशभर की मंडियों में कपास की आवक 26,650 गांठ, एक गांठ-170 किलो की हुई।

घरेलू वायदा कारोबार में कॉटन की कीमतों में गिरावट रुख रहा। एनसीडीईएक्स पर अप्रैल 26 महीने के वायदा अनुबंध में कपास के दाम 6 रुपये कमजोर होकर भाव 1,592 रुपये प्रति 20 किलो रह गए। एमसीएक्स पर मई 25 महीने के वायदा अनुबंध में कपास के दाम 440 रुपये कमजोर होकर भाव 53,540 रुपये प्रति कैंडी रह गए। हालांकि इस दौरान आईसीई के इलेक्ट्रॉनिक ट्रेडिंग में कॉटन शाम के सत्र में मिलाजुला रुख रहा।

स्पिनिंग मिलों की मांग कमजोर होने के कारण गुजरात में कॉटन की कीमतों में मंदा आया, जबकि उत्तर भारत के राज्यों में इसके दाम स्थिर से नरम हुए। व्यापारियों के अनुसार घरेलू बाजार में सूती धागे में स्थानीय मांग अच्छी है तथा रुई के दाम पिछले साल की तुलना में नीचे बने हुए हैं जिस कारण स्पिनिंग मिलें अच्छे मार्जिन में व्यापार कर रही हैं। इसलिए मिलों की कॉटन में मांग बनी रहने के आसार हैं। घरेलू बाजार में स्पिनिंग मिलों के पास कॉटन का बकाया स्टॉक कम है।

13 मई 2025

भारत एवं पाकिस्तान में तनाव कम होने के कारण सोमवार को अधिकांश दलहन में

नई दिल्ली। भारत एवं पाकिस्तान में तनाव कम होने के कारण सोमवार को अधिकांश दलहन में मिलों की खरीद कमजोर हुई, जिस कारण अरहर एवं उड़द तथा चना और मसूर की कीमतों में गिरावट दर्ज की गई। इस दौरान मूंग के दाम स्थिर हो गए।

बर्मा से आयातित उड़द एफएक्यू एवं एसक्यू के भाव में चेन्नई में कमजोर हो गए। उड़द एफएक्यू के भाव मई एवं जून शिपमेंट के 5 डॉलर नरम होकर 805 डॉलर प्रति टन, सीएडंएफ रह गए, जबकि इस दौरान एसक्यू उड़द के भाव 5 डॉलर कमजोर होकर 885 डॉलर प्रति टन, सीएडंएफ बोले गए। लेमन अरहर के भाव चेन्नई में मई एवं जून शिपमेंट के 795 डॉलर प्रति टन, सीएडंएफ पर स्थिर हो गए।

चेन्नई में उड़द एसक्यू और एफएक्यू के दाम नरम हो गए हैं, हालांकि इस दौरान बर्मा में इसकी कीमत स्थिर हो गई। घरेलू बाजार में आयातित उड़द के भाव कमजोर हुए, जबकि देसी के दाम स्थिर हो गए। व्यापारियों के अनुसार उड़द की कीमतों में हल्की नरमी और भी बन सकती है क्योंकि दाल मिलें उड़द की खरीद जरूरत के हिसाब से ही कर रही है। बर्मा के साथ ही ब्राजील में नई उड़द का उत्पादन अनुमान ज्यादा है। उधर म्यांमार के निर्यातकों की बिकवाली बराबर बनी हुई है। आगामी दिनों में घरेलू मंडियों में जबलपुर लाइन से देसी उड़द की आवक बढ़ेगी, हालांकि खपत का सीजन होने के कारण उड़द दाल में मांग भी बनी रहने की उम्मीद है। दक्षिण भारत की दाल मिलों की खरीद भी उड़द में बनी रहने की उम्मीद। जानकारों के अनुसार जबलपुर और गुजरात की गर्मियों की फसल आने तक मौसम अनुकूल रहा तो आगे कीमतों पर दबाव बनेगा।

चेन्नई में लेमन अरहर के दाम स्थिर हो गए, जबकि बर्मा में इसकी कीमत स्थिर बनी रही। घरेलू बाजार में अरहर की कीमतों में गिरावट दर्ज की गई। व्यापारियों के अनुसार पिछले सप्ताह इसकी कीमतों में तेजी आई थी, क्योंकि भारत एवं पाक के बीच तनाव बढ़ा हुआ था। अत: स्टॉकिस्ट दाम तेज कर रहे थे। हालांकि खपत का सीजन होने के कारण अरहर दाल में मांग बनी रहने की उम्मीद है तथा उत्पादक राज्यों कर्नाटक के साथ ही महाराष्ट्र में देसी अरहर की आवक पहले की तुलना में कम जरूर हुई है। चालू सीजन में महाराष्ट्र और कर्नाटक में अरहर का उत्पादन अनुमान ज्यादा था, साथ ही बर्मा से लेमन अरहर का आयात बराबर बना रहने की उम्मीद है। केंद्र सरकार लगातार अरहर की कीमतों की समीक्षा कर रही है। इसलिए इसके भाव में अभी बड़ी तेजी के आसार नहीं है।

चना के दाम दिल्ली में 125 रुपये कमजोर हुए हैं। व्यापारियों के अनुसार पिछले सप्ताह इसकी कीमतों में तेजी आई थी, लेकिन बढ़े दाम पर जहां मिलों की खरीद कमजोर हुई वहीं स्टॉकिस्टों की मुनाफावसूली देखी गई। अत: मौजूदा भाव में हल्की नरमी और भी बन सकता है। व्यापारियों के अनुसार उत्पादक राज्यों की मंडियों में चना की आवक पहले की तुलना में कम जरूर हुई है। लेकिन स्टॉकिस्टों की पास स्टॉक ज्यादा है। बारिश का सीजन शुरू होने के बाद चना की खपत बढ़ेगी, इसलिए आगामी दिनों में दाल मिलों की मांग बढ़ेगी। रबी सीजन में व्यापारी चना का उत्पादन अनुमान कम मान रहे हैं।

देसी मसूर के दाम 175 रुपये कमजोर हुए। इस दौरान आयातित मसूर की कीमतों में भी मंदा आया। जानकारों के अनुसार पिछले सप्ताह मिलों की पैनिक खरीद से मसूर के दाम तेज हुए थे, लेकिन बढ़े दाम पर मिलों की मांग का समर्थन नहीं मिल पाया। अत: स्टॉकिस्टों की मुनाफावसूली से इसके भाव में हल्की नरमी और आने का अनुमान है। हालांकि प्रमुख उत्पादक राज्यों मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश की मंडियों में मसूर की आवक पहले की तुलना में कम हुई है तथा चालू सीजन में मसूर का घरेलू उत्पादन अनुमान कम है। उधर कनाडा में फसल सीजन 2025-26 में मसूर का उत्पादन अनुमान ज्यादा होने का अनुमान है, जिससे आयात बना रहने से इसकी कीमतों पर दबाव बनेगा। कृषि मंत्रालय के अनुसार चालू रबी में मसूर का उत्पादन 18.17 लाख टन होने का अनुमान है।

मूंग के भाव अधिकांश उत्पादक मंडियों में स्थिर हो गए। जानकारों के अनुसार समर सीजन में मूंग की बुआई बढ़ी है, हालांकि समर मूंग की आवक एक महीने बाद बनेगी। व्यापारियों के अनुसार मध्य प्रदेश के प्रमुख मूंग उत्पादक क्षेत्रों खासकर नर्मदापुरम और इटारसी बेल्ट में पीला मोजेक रोग देखा गया है। हालांकि यह अभी शुरुआती स्तर पर है। उत्पादक राज्यों की मंडियों में मूंग की आवक पहले की तुलना में कम हुई है। इसलिए मूंग की कीमतों में हल्की नरमी बन सकती है। वैसे भी उत्पादक राज्यों में बकाया स्टॉक ज्यादा है। साथ ही सरकार भी केंद्रीय पूल से लगातार मूंग की बिकवाली कर रही है जबकि दाल मिलें मूंग की खरीद जरुरत के हिसाब से ही कर रही है।

चेन्नई में उड़द एफएक्यू के दाम 50 रुपये घटकर 7,050 रुपये प्रति क्विंटल रह गए, जबकि एसक्यू के भाव 50 रुपये कमजोर होकर 7,650 रुपये प्रति क्विंटल रह गए।

दिल्ली में उड़द एफएक्यू के दाम 50 रुपये घटकर 7,450 रुपये प्रति क्विंटल रह गए, जबकि एसक्यू के भाव 75 रुपये कमजोर होकर 8,025 रुपये प्रति क्विंटल रह गए।

मुंबई में उड़द एफएक्यू के भाव 100 रुपये कमजोर होकर 7,050 रुपये प्रति क्विंटल रह गए।

कोलकाता में उड़द एफएक्यू के भाव 50 रुपये घटकर 7,050 रुपये प्रति क्विंटल रह गए।

जयपुर में उड़द के बिल्टी भाव 7,000 से 7,700 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर हो गए, जबकि इंदौर में बोल्ड उड़द के दाम 7,500 से 8,000 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर हो गए।

चेन्नई में लेमन अरहर के भाव शाम के सत्र में 100 रुपये कमजोर होकर 6,700 रुपये प्रति क्विंटल रह गए।

दिल्ली में लेमन अरहर के भाव शाम के सत्र में 150 रुपये कमजोर होकर 7,200 रुपये प्रति क्विंटल रह गए।

मुंबई में लेमन अरहर के भाव शाम के सत्र में 75 रुपये कमजोर होकर 6,700 रुपये प्रति क्विंटल रह गए।

देसी अरहर के दाम कटनी एवं इंदौर तथा अकोला तथा सोलापुर के साथ ही जलगांव में कमजोर हुए, जबकि अन्य अधिकांश उत्पादक मंडियों में लगभग स्थिर बने रहे।

मुंबई में अफ्रीकी देशों से आयातित अरहर के भाव कमजोर हो गए। सूडान से आयातित अरहर का स्टॉक नहीं के बराबर है। इस दौरान गजरी अरहर के भाव 50 रुपये घटकर 6250 से 6,300 रुपये प्रति क्विंटल रह गए। मतवारा की अरहर के भाव 50 रुपये कमजोर होकर 6,200 से 6,250 रुपये प्रति क्विंटल बोले गए। सफेद अरहर के दाम 50 रुपये कमजोर होकर 6,550 से 6,600 रुपये प्रति क्विंटल रह गए।

दिल्ली में देसी मसूर के बिल्टी के दाम 175 रुपये कमजोर होकर 6,850 से 6,875 रुपये प्रति क्विंटल रह गए।

मुंद्रा बंदरगाह पर मसूर के भाव 125 रुपये घटकर 5,975 रुपये प्रति क्विंटल रह गए। कांडला बंदरगाह पर मसूर के भाव 125 रुपये कमजोर होकर 5,975 रुपये प्रति क्विंटल बोले गए। हजिरा बंदरगाह पर मसूर के भाव 100 रुपये कमजोर होकर 6,050 रुपये प्रति क्विंटल रह गए। कनाडा की मसूर के दाम कंटेनर में 100 रुपये घटकर 6,200 रुपये प्रति क्विंटल बोले गए। पटना में देसी मसूर के भाव 50 रुपये कमजोर होकर 6,700 रुपये प्रति क्विंटल हो गए।

दिल्ली में राजस्थान के बेस्ट चना के दाम 125 रुपये कमजोर होकर 5,875 से 5,900 रुपये प्रति क्विंटल रह गए। इस दौरान मध्य प्रदेश के चना का व्यापार 125 रुपये घटकर 5,825 से 5,850 रुपये प्रति क्विंटल की दर से हुआ।

इंदौर में बोल्ड मूंग के भाव 8,300 से 8,400 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर हो गए। जयपुर में मूंग के बिल्टी भाव 7,100 से 8,100 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर हो गए। जलगांव में चमकी मूंग के दाम 7,700 से 8,350 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर हो गए। अकोला में चमकी मूंग के दाम 8,200 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर हो गए।